मेरी पहली चुदाई पड़ोस की भाभी के संग-1
(Meri Pahli Chudai Pados Ki bhabhi Ke Sang-1)
सभी दोस्तों को नमस्कार … मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ. मैं पिछले तीन साल से यहां प्रकाशित कहानियां पढ़ रहा हूँ. बहुत दिनों से मेरे मन में बात चल रही थी कि क्यों ना अपनी भी सेक्स कहानी आप सभी के सामने पेश की जाए.
ये घटना मेरी लाइफ में बिल्कुल सच में घटी थी. चूंकि ये मेरी पहली सेक्स कहानी है. इसलिए मेरी ग़लतियों को नजरअंदाज करके सेक्स कहानी के और चुदाई के मज़े लेना.
मेरा नाम रोहन है … मैं मुंबई से हूँ. मैं वहां पर पढ़ाई कर रहा हूँ, जहां पर पढ़ने का, हिन्दुस्तान का हर लड़का सपना देखता है. ये हिन्दुस्तान का नंबर एक कॉलेज है. मैं नाम नहीं लिख रहा हूँ, लेकिन आप मेरे कॉलेज का अंदाज़ा लगा सकते हैं.
मैं दिखने में औसत से थोड़ा ज़्यादा ही आकर्षक हूँ. ये मुझे देखने वाली लड़कियां कहती हैं. मैंने अपना पहला सेक्स 2015 में किया था. मैं अभी पच्चीस साल का जवान लड़का हूँ. उसके बाद मैं मुंबई शिफ्ट हो गया था.
वो मेरी पड़ोसन थी, जिसके साथ मैंने पहली बार सेक्स किया था. उसके बाद तो जीवन में कई आईं और लंड को ठंडा करके चली गईं.
उस समय क्रिकेट वर्ल्डकप चल रहा था. हमारे पड़ोस में एक नयी फैमिली आई हुई थी. उस फैमिली में तीन लोग थे. भैया, भाभी और उनका तीन महीने का बेटा. मैं भी भैया को भैया कहकर बुलाता था और भाभी को भाभी. उनकी दो साल पहले ही शादी हुई थी.
भैया का स्वभाव बड़ा मस्त था, हंसना और बातें करना उनका गुण था. इसी के चलते मेरी उनसे दोस्ती सी हो गई थी. भैया को क्रिकेट खेलने का बहुत बड़ा शौक था. मैं भी क्रिकेट भी बहुत बड़ा फैन हूँ … तो हमारी खूब जमने लगी थी.
मैं इधर एक बात बताना भूल गया कि भाभी और मेरी मम्मी की भी उसी समय से दोस्ती थी … जब से वो लोग हमारे बगल में रहने आए थे. चूंकि मेरी मम्मी और भाभी, कपड़े धोने के बाद साथ में छत पर सुखाने जाती थीं. सब कुछ सही चल रहा था. मैंने भी भाभी को कभी बुरी नज़र से नहीं देखा था.
कुछ दिन बाद परीक्षा नज़दीक होने के कारण मेरे पिताजी ने हमारी घर की टीवी केबल निकलवा दी … तो मैं दुखी हो गया.
मुझे दुखी देख कर भैया ने पूछा- क्यों … क्या हुआ?
मैंने कहा- केबल टीवी ना होने की वजह से वर्ल्ड कप के क्रिकेट मैच देखने नहीं मिल रहे हैं.
भैया ने कहा- अरे यार इसमें दुखी होने का क्या मतलब … तुम हमारे यहां पर आकर देख लो.
मैं खुश हुआ और मम्मी से परमीशन लेकर मैच देखने भैया के घर चला जाता था.
ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा.
तभी वो हादसा हुआ, जिसकी वजह से मेरी जिंदगी में मजा आ गया. हुआ यूं कि टीवी पर दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड का सेमी फाइनल मैच चल रहा था. भैया और मैं, साथ में मैच देख रहे थे.
अचानक भैया को किसी का कॉल आया और उन्होंने भाभी से कहा- मुझे जाना अर्जेंट होगा … एक काम आ गया है. मैं तीन-चार घंटे में वापस लौटूँगा. कोई अर्जेन्सी आई है.
भाभी ने कहा- कुछ नाश्ता वगैरह?
भैया ने भाभी से कहा- हां मुझे नाश्ता पैक करके दे दो … मैं रास्ते में खा लूंगा.
भाभी ने नाश्ता दिया और भैया वहां से चले गए.
टीवी पर मैच चल रहा था. मैं दक्षिण अफ्रीका की बैटिंग एंजाय कर रहा था, उन्हें सपोर्ट कर रहा था. तभी भाभी वहां नाश्ता लेकर आईं और मेरे पास बैठ गईं.
अब मैं आपको भाभी के बारे में बता दूँ. भाभी का नाम मिताली था (बदला हुआ नाम). वो थोड़ी सांवली थीं … किंतु उनकी फिगर बड़ी मस्त थी. भाभी की इतनी कटीली जवानी थी कि वो किसी को भी सिर्फ अपनी फिगर से ही घायल कर सकती थीं. उनके चूतड़ बड़े उठे हुए थे. भाभी की फिगर का नाप यही कोई 32-28-34 का होगा. चूंकि मैंने उनको पहले कभी बुरी नज़र से नहीं देखा था … इसलिए मुझे उनकी फिगर का सही सही अंदाजा अब तक नहीं था.
तो टीवी पर मैच चल रहा था, भाभी नाश्ता लेकर मेरे पास बैठी ही थीं कि तभी उनका बेटा रोने लगा. पता नहीं वो एकदम जोरों से क्यों रोने लगा था. बाद में समझ में आया कि उसे भूख लगी थी. भाभी उसे चुप कराने में लग गईं और अपना दूध पिलाने लगीं.
भाभी का बच्चे को दूध पिलाना मेरे लिए एक नॉर्मल सी बात थी. कुछ देर बाद वो शांत हो गया.
भाभी सामान्य स्थिति में मेरे से थोड़ी सट कर बैठी थीं. तभी डिविलीयर्स ने एक छक्का मारा. मैं ज़ोर से चिल्लाया और खड़ा होकर तालियां बजाने लगा. ऐसा करते वक्त मेरी कोहनी भाभी के चूचे को टच कर गयी.
कसम से, गलती से ही कोहनी लगी थी. मैंने जोश में चिल्ला दिया था. मैंने भाभी की ओर देखा भी नहीं था. वो तो जब उनके चूचे से मेरी कोहनी टच हुई और भाभी ने मेरी तरफ देख कर आह भरी, तब मुझे लगा कि मुझसे गलती हो गई.
वो उस ओवर की आखिरी बॉल थी और उसी बॉल के बाद पारी खत्म हो गई.
मैं जल्दी से घर की तरफ भागा. मुझे भाभी की चूचियों से कोहनी का लग जाना एक बड़ी समस्या लगने लगी थी. मुझे लगा अगर भाभी ने मम्मी को बता दिया, तो मैं तो समझो मारा ही गया.
दो दिन हो गए. उसी गड़बड़ी के चलते मैंने भाभी और भैया से बात भी नहीं की. मेरे मन में एक अनजाना सा डर था.
तीसरे दिन भाभी हमारे घर आईं. उन्होंने मम्मी से कहा- मुझे कुछ भारी सामान मंगवाना है … तो आप रोहन को भेज दें.
मम्मी ने मेरे को भेजा. मैं गया. भाभी ने सीधे सामान की लिस्ट पकड़ा दी और कहा- जाओ इसे ले आओ.
मैं भी सामान ले आया.
उनके घर सामान रख कर मैं भागने वाला ही था, तब भाभी ने आवाज़ लगाई और रुकने को कहा- रूको … मैं चाय बना कर लाती हूँ.
मैं बैठ गया.
उस दिन से भाभी मेरी ओर अजीब तरह से देखने लगीं.
उस दिन से भाभी ने मुझसे कॉंटॅक्ट बढ़ाया, मुझसे बातें करने लगीं. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है. खैर … मेरा उनके घर जाना पहले जैसा हो गया.
इसके दूसरे दिन भैया घर पर नहीं थे. मैं मैच देख रहा था, तभी भाभी बोलीं- रोहन, मेरी पीठ बहुत दर्द कर रही है … ज़रा दबा दे.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
भाभी बिस्तर पर बैठी थीं. कोई दस मिनट पीठ दबाने के बाद, भाभी बोलीं- वो दवाई वाला तेल भी लगा दे.
ये कह कर भाभी ने अपना ब्लाउज हटा दिया और वे पेट के बल बिस्तर पर लेट गईं.
मैंने भाभी की पीठ पर तेल लगाना चालू कर दिया. अब मेरा लंड खड़ा होने लगा. भाभी पूरी बैकलैस थीं … सिर्फ़ ब्रा की काली स्ट्रीप मेरे सामने थी.
थोड़ी देर बाद, भाभी ने कहा- और अच्छे से कर ना … मैं स्ट्रीप खोल देती हूँ. मुझे तेरा हाथ बड़ा सही लग रहा है.
बस ये कहते हुए भाभी ने स्ट्रीप खोल दी. अब मुझे उनकी नंगी पीठ दिख रही थी. मैंने भाभी की पीठ पर बीस मिनट तक तेल मालिश की.
तभी भाभी ने अचानक पलटी मारी. उनके चुचे सीधे मेरे सामने आ गए. मैं नंगे दूध देख कर एकदम से चौंक गया.
मैंने कहा- भाभी, ये क्या?
भाभी ने आंख दबाते हुए कहा- क्या क्या … सामने की भी मालिश कर ना … तेरा हाथ बहुत सही है.
मैंने कहा- नहीं भाभी … मेरे हाथ में कुछ ऐसा खास नहीं है.
भाभी ने कहा- उस दिन बड़ी ज़ोर से कोहनी मारी थी. अभी तक याद है.
मैं- नहीं भाभी उस दिन गलती से लग गयी थी.
भाभी- चल फिर से मार के दिखा ना.
हां-ना, हां-ना करते करते मैं मान गया.
मैं धीरे धीरे उनके पेट और नाभि की जगह पर मालिश करने लगा. मम्मों को देख कर मेरा लंड पूरा टाइट होकर खड़ा हो चुका था. पर मैंने लंड छिपाने का भरपूर जतन किया.
कुछ देर बाद भाभी बोलीं- थोड़ी ऊपर भी मालिश कर दे.
मैंने कहा- नहीं भाभी … उधर आप भैया से करवा लेना. मैं घर जा रहा हूँ.
मैं जाने लगा. मैं दरवाजे पर पहुँचा, तो भाभी मेरे नजदीक आकर बोलीं- अगर मुझे तेरे भैया से करवानी होती, तो तू अब तक यहां पर नहीं होता.
मैंने कहा- मैं समझा नहीं!
तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं- बैठ … सब समझाती हूँ.
तभी भाभी मेरे एकदम पास आईं और सीधा मुझे किस कर दिया.
वो मेरी जिंदगी का सबसे पहला किस था.
मुझे पहली बार पता चला कि किस में इतना मज़ा आता है. मुझे पता चल गया कि इनके सर पर प्यार पर का भूत चढ़ा है.
मैंने कहा- भाभी ये ग़लत है.
भाभी ने कहा- भूल गया क्या कि तुमने ही मुझे सिखाया था कि दुनिया में सब कुछ रिलेटिव है.
मैं- लेकिन मैंने वो अलग नज़रिए से कहा था.
भाभी- अच्छा … वो क्या नजरिया था?
मैं- छोड़ो … मुझे ये दर्शन की बातें नहीं करनी.
भाभी- ओके … चलो फिर … मेरा साथ दो.
मैं- पहले आपको ये बताना होगा कि आप ये क्यों कर रही हैं?
भाभी- सुनना ही चाहते हो तो सुनो … तुम्हारे भैया, एक गुड इंसान हैं. किंतु मुझे जितना मैं चाहती हूँ, वो मुझे उतना खुश नहीं कर पाते हैं. मेरी बॉडी की ज़रूरत नहीं समझते. बस दस बीस धक्के लगा कर खल्लास हो जाते हैं. मुझे तड़पने के लिए प्यासी छोड़ देते हैं. खुद का हो गया, तो सो जाते हैं.
मैं- तो उनसे बात करो न.
भाबी- बहुत कोशिश की, पर उनके पास मेरे लिए वक्त ही नहीं है.
मैं- एक बात पूछ सकता हूँ? सच बताना!
भाभी- पूछो.
मैं- ये आपका बेटा उनकी औलाद है?
भाभी- हां … इसके आने तक उनके पास मेरे लिए वक्त था, पर अब नहीं है.
मैं- इस सवाल को पूछने के लिए सॉरी भाभी.
भाभी- चलता है डियर. सॉरी क्यों बोल रहे हो? किसी और से मैं ये बात करती कि तो वो भी पहला यही सवाल पूछता?
मैंने स्माइल करते हुए कहा- तो अब आप मुझसे क्या अपेक्षा रखती हैं?
भाभी- बस ढेर सारा प्यार, जो मेरी जिंदगी में नहीं रहा. मुझे तुमसे कोई बेटा नहीं चाहिए. डरो मत … बस मुझे प्यार करते रहो.
मैं- ये काम तो आप किसी और से भी करवा सकती थीं. मुझे चुनने का क्या मकसद?
भाभी- भरोसा डियर … बाकी लोगों में मुझे हवस दिखती है. हर लड़की जो चाहती है, वो सभी गुण तुम्हारे अन्दर हैं … और ऊपर से तुम्हारा तेज दिमाग़, जो मुझे सभी प्रॉब्लम्स से दूर रख सकता है. अफेयर के लिए तुम पर्फेक्ट पर्सन हो. तुम्हारे साथ मैं खुद को सेफ महसूस कर सकती हूँ.
अब मेरा भी मन डोल रहा था. मैंने कहा- चलेगा भाभी … इतना ही भरोसा है मेरे ऊपर … तो अगली प्लानिंग मुझे करने दो. मैं आपको निराश नहीं करूंगा.
भाभी ने स्माइल करते हुए कहा- थैंक्स डियर और हां, अब तुम्हें भाभी नहीं, सिर्फ़ मिताली बोलना होगा.
मैं- ओके भाभी … सॉरी मिताली … अब चलता हूँ. वरना मम्मी को डाउट होगा. आप अपना मोबाइल चालू रखना … बाय.
मैं वहां से चला गया. आते ही मैं बाथरूम में घुसा और मुठ मारके खुद को हल्का किया. अब मुझे सिर्फ़ सामने से भाभी को चोदने के ख्याल आ रहे थे … और आते भी क्यों नहीं … पहली बार सामने से चुत चोदने का आमंत्रण मिला था.
आप सभी को मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं. इस सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको मिताली भाभी की चुत चुदाई की कहानी लिखूँगा.
अन्तर्वासना जैसी विश्वप्रसिद्ध सेक्स कहानी वाली एक मात्र साईट से अपना प्यार बनाए रखें.
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कहानी का अगला भाग: मेरी पहली चुदाई पड़ोस की भाभी के संग-2
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