उर्मिला भाभी के साथ मधुमिलन
(Urmila Bhabhi Ke Sath Madhu Milan)
नमस्कार दोस्तो, आपने मेरी
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पढ़ी होंगी और आपको पसंद भी आई होगी। आज मैं आपको एक और कहानी बता रहा हूँ और वो भी एकदम सच्ची !
हमारे घर के बाजू में एक शादीशुदा जोड़ा किराये से रहने के लिए आया था। भाईसाहब का नाम रतन जो दिखने में एकदम काला था लेकिन भाभी एकदम मस्त माल थी जिसका नाम उर्मिला था, उनका कद 5’3″, स्तन 36″, कमर 30″ और कूल्हे 36″ के होंगे। और सुन्दरता की बात करूँ तो भाभी दिखने में एकदम मस्त थी गोरी, स्मार्ट !
तन भाईसाहब पेट्रोल पम्प पर काम पर जाते थे उनका समय करीब-करीब सुबह १० से रात के १० बजे तक रहता था ! हमारे घर वालों से वो जल्दी ही मिलजुल गए थे और मैं भी उनके यहाँ जाता आता रहता था ! वो मेरा ही हमउम्र था इसीलिए वो मेरा अच्छा दोस्त बन गया।
रात को रतन को पम्प से लेने के लिए मैं ही जाता था। हम वहाँ से निकलने के बाद रोज बार में दारू पीते थे और करीब 11 बजे तक घर पहुँचते थे। यह हमारा रोज का ही नाटक हो गया था। रोज भाभी मुझे बोलती थी कि आप इनके साथ बिगड़ गए हो।
ऐसा करीब एक महीने तक चलता रहा।
एक दिन हमको रतन के दोस्तों ने खूब पिला दी जिसकी वजह से उसको कुछ भी होश नहीं रहा, मैं उसको बाइक पर बिठा कर अपने साथ बांधकर घर लेकर आया और घर के अन्दर पलंग पर सुला दिया !
भाभी ने उनको देखा और हंसने लगी !
मैंने भाभी से पूछा- भाभी आप हंस क्यों रही हो?
भाभी बोली- रोज होश में आते आज होश भी नहीं बचा?
मैं बोला- होता है भाभी, कभी-कभी ज्यादा हो जाती है, उसमें हंसने की क्या बात है !
भाभी बोली- वो सब ठीक है लेकिन अब ये खाना खायेंगे या नहीं?
मैं बोला- अब तो ये सीधा कल सुबह ही खायेंगे !
इतना बोल कर मैं चलने लगा तो भाभी बोली- राजेश भैय्या, इनको कोई तकलीफ तो नहीं होगी ना ज्यादा पीने से?
मैं बोला- कुछ नहीं होगा भाभी, आप आराम से सो जाओ !
भाभी बोली- देखिये रोज होश में रहते हैं, आज कुछ ज्यादा ही पी गए ! प्लीज… आज के लिए आप यहीं सो जाओ ना !
मैं बोला- ठीक है… आपको कोई तकलीफ नहीं तो मैं यहीं सो जाता हूँ !
उन्होंने मेरे लिए नीचे बिस्तर बिछा दिया और वो पलंग पर रतन के साथ सो गई !
उनका कमरा छोटा था इसीलिए उनको रतन के साथ सोना पड़ा। उन्होंने रतन को दीवार से चिपका दिया और वो खुद मेरी तरफ़ पलंग पर सोई !
लाइट अभी भी जल रही थी जिस वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी ! मैं कभी इस तरफ कभी उस तरफ करवट ले रहा था !
आधे घंटे के बाद भाभी बोली- क्यों, आपको नींद नहीं आ रही क्या?
मैं बोला- भाभी, मुझे उजाले में सोने की आदत नहीं है इसीलिए नींद नहीं आ रही है !
भाभी बोली- ठीक है, मैं लाइट बंद कर देती हूँ !
और वो उठी और लाइट बंद करके सो गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अब भी मुझे नींद नहीं आ रही थी !
ऐसा करते करते 2-3 घंटे बीत चुके थे रतन खर्राटे लेकर मस्त सोया हुआ था !
बाजु के घर में लाइट जल रही थी जिसकी वजह से थोड़ा बहुत अन्दर दिख रहा था ! अब भाभी पूरी गहरी नींद में थी ! नींद में ही वह करवट लेने लगी तो उनकी साड़ी का पल्लू नीचे मेरे ऊपर गिर गया ! अब मुझे उनके दोनों स्तन ब्लाउज में बंधे हुए दिख रहे थे !
यह देख कर मेरे दिमाग भाभी को छूने का और उनके स्तन को दबाने विचार आ रहा था जिस वजह से मेरा लंड खड़ा होने लगा। सोचा रतन बेवड़ा तो सोया हुआ है, क्यों ना मैं थोड़ा मजा कर लूँ !
मैं उनकी ओर पलट गया और अपना हाथ ऊपर पलंग की ओर करके उनकी कमर पर रख दिया और धीरे-धीरे करके उसे आगे बढ़ाते हुए ब्लाउज तक पहुँच गया। अब मैं उनके स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से सहला रहा था और एक हाथ से अपने खड़े लंड को मसल रहा था ! अभी भी भाभी नींद में ही थी !
मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं अपने हाथ को उनके नंगे पेट पर भी घुमा रहा था जिसकी वजह से मेरा लंड आग-बबूला हो रहा था। अब मैं भाभी को चोदने की सोच रहा था।
मैंने उनकी ब्लाउज के बटन खोलने का सोचा और उन्हें खोलना शुरु किया। अब तक 1-2 ही बटन खोले थे कि मुझे ऐसे महसूस हुआ जैसे भाभी मुझे देख रही है !
मैं समझ गया कि भाभी को इस सब में मजा आ रहा है और उनको सब मालूम है कि मैं क्या कर रहा हूं।
मैं उठ कर बैठ गया और अब जानबूझ कर उन्हें अपनी बीवी समझते हुए उनके बटन खोलने लगा।
अब मैंने उनके सारे बटन खोल दिए थे ! उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहना था इसीलिए उनकी दोनों चूचियाँ ब्लाउज से आज़ाद हो गई थी। गुलाबी चुचूक रोशनी में चमक रहे थे लेकिन भाभी अभी भी सोने का नाटक कर रही थी लेकिन मुझे मालूम था कि वह जगी हुई है!
मैंने उनके चुचूकों को चूसना शुरु किया और अपने दोनों हाथों से उनके स्तन को दबाना चालू रखा !
धीरे-धीरे भाभी की गरम सांसें मुझे महसूस होने लगी और चुपके से हौले-हौले उन्होंने अपनी आँखें खोली।
अब मुझे भाभी का कोई डर नहीं था और भाभी ने भी मेरे होंठों के साथ खेलना शुरु कर दिया था।
मैंने भाभी को अपने पास नीचे बिस्तर पर ले लिया और मेरे पैरों पर बिठा कर उनको होंठों को चूसना शुरु किया। अभी 5 मिनट ही हुए होंगे कि भाभी ने मेरे लंड को पकड़ने की कोशिश की तो मैंने भी अपना लंड उनको समर्पित कर दिया !
अब भाभी मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से ही मसल रही थी और मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था।
धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कमर तक उठा लिया जिसकी वजह से उनकी चड्डी मुझे साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उनकी चड्डी में अपना एक हाथ डाल दिया और अपनी उंगली उनकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा तो वो सटाक से अन्दर चली गई क्योंकि उनकी चूत काफी गीली हो चुकी थी !
हम दोनों भी इशारों में बात कर रहे थे क्योंकि रतन हमारे नजदीक ही पलंग पर सोया हुआ था।
अब भाभी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी और इशारों में ही मेरे लंड को अपनी चूत में डालने के लिए मनाने लगी। मैं भी वक़्त की नजाकत देखते हुए तैयार हो गया।
अब भाभी खुद ही मेरे सामने अपनी चूत को फैला कर लेट गई और मुझे अपनी ओर खींचने लगी। मैंने भी उनके दोनों पैरों को अपने कन्धों पर ले लिया और अपने लंड को उनकी चूत के मुँह पर टिका दिया और एक जोरदार झटका मारते हुए पूरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया जिसकी वजह से वो जोर से चिल्लाई- …मर गई…आ ह्ह्ह… आह्ह्ह…
मैंने उनके मुँह पर अपना एक हाथ रख दिया और धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था और वो मेरा साथ अपनी गांड को हिला-हिला कर दे रही थी।
वो मुझे अपनी ओर खींचने की कोशिश भी कर रही थी तब मैं समझ गया कि अब स्पीड बढ़ानी चाहिए और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। लंड चूत को चीरता हुआ गपागप अन्दर-बाहर हो रहा था। भाभी की सांसें तेज हो रही थी ! इधर लंड चूत को ठोक रहा था उधर हाथों से स्तन मर्दन हो रहा था !
करीब 15 मिनट तक यही चलता रहा और अगले ही पल भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया तो मैं समझ गया कि भाभी का पानी छूट गया !
फिर भी मैं उनकी चूत को ठोक रहा था और वो निढाल होकर पड़ी थी !
उसके तुरंत 2-3 मिनट के बाद मुझे ऐसे लगा कि अब मैं भी झड़ जाऊँगा तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और पूरा पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया।
थोड़ी देर के बाद हमने अपने-अपने कपड़े ठीक कर लिए और अपनी-अपनी जगह पर सो गए !
दूसरे दिन रतन पम्प पर जाने के बाद जब मैं भाभी से बात करने उनके कमरे पर गया तब भाभी ने बताया कि रतन रोज दारू पीने के बाद सो जाता है और उसकी प्यास ऐसे ही अधूरी रह जाती है !
उसके बाद मैं उर्मिला भाभी को अकसर जब भी मौका मिलता, तब-तब चोदता था। मैंने रतन के दारू पीने की लत का पूरी तरह से फायदा उठा लिया था !
आज उसको 3 बच्चे है और हमारे गाँव में उसने घर बना लिया !
मैं जब भी गाँव को जाता हूँ तब उसके यहाँ जरूर जाता हूँ और घर पर कोई नहीं रहता तब उर्मिला भाभी की चूत की प्यास जरूर बुझाता हूँ !
कहानी अच्छी लगी या बुरी, प्लीज मेल कीजिये !
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