तेरी याद साथ है-7
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प्रेषक : सोनू चौधरी
मेरा लण्ड फिर से शरारत करने लगा और अपन सर उठाने लगा। मैं ऐसी तरह से बैठा था कि चाह कर भी अपने लण्ड को हाथों से छिपा नहीं सकता था। लेकिन लण्ड था कि मानने को तैयार ही नहीं था। मैंने मज़बूरी में अपने हाथ को नीचे किया और अपने लण्ड को छिपाने की नाकाम कोशिश की। मेरी इस हरकत पर प्रिया की नज़र पड़ गई और उसने मेरी आँखों में देखा।
हम दोनों की आँखें मिलीं और मैंने जल्दी ही अपनी नज़र नीचे कर ली।
“बताओ, तुम्हें कैसी मदद चाहिए थी प्रिया? क्या नोट्स बनाने हैं तुम्हें?” मैंने किताब हाथों में पकड़े हुए उससे पूछा।
“बताती हूँ बाबा, इतनी जल्दी क्या है। अगर आपको नींद आ रही है तो मैं जाती हूँ।” प्रिया ने थोड़ा सा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“अरे ऐसी बात नहीं है, तुम्हीं तो कह रही थी न कि तुम्हें जरूरी नोट्स बनाने हैं। मुझे नींद नहीं आ रही है अगर तुम चाहो तो मैं रात भर जागकर तुम्हारे नोट्स बना दूंगा।” मैंने उसको खुश करने के लिए कहा।
“अच्छा जी, इतनी परवाह है मेरी?” उसने बड़ी अदा के साथ बोला और अपने हाथों से नोट्स नीचे रखकर अपनी टाँगें सीधी कर लीं और अपने कोहनी के बल बिस्तर पर आधी लेट सी गई।
क्या बताऊँ यार, उसकी छोटी सी स्कर्ट ने उसकी चिकनी टांगों को मेरे सामने परोस दिया। उसकी टाँगे और जांघें मेरे सामने चमकने लगीं। मेरे हाथों से किताब नीचे गिर पड़ा और मेरा मस्त लण्ड पैंट में खड़े खड़े उसको सलामी देने लगा। लण्ड ठनक रहा था मानो उसे अपनी ओर आने का निमंत्रण दे रहा हो।
प्रिया की आँखों से यह बचना नामुमकिन था और उसकी नज़र मेरे लण्ड पर चली गई। और उसकी आँखें बड़ी हो गईं। उसने एकटक मेरीपैंट में उभरे हुए लण्ड पर अपनी आँखें गड़ा लीं।
मैंने अपने पैरों को थोड़ा सा हिलाया और प्रिया का ध्यान तोड़ा। उसने झट से अपनी आँखें हटा लीं और दूसरी तरफ देखने लगी।
“अरे, माँ ने हमारे लिए दूध रखा है…चलो पहले ये पी लेते हैं फिर बातें करेंगे।” प्रिया ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
“अच्छा जी, तो आप यहाँ बातें करने आई हैं?” मैंने उससे पूछा।
तभी प्रिया ने आगे बढ़कर दूध का गिलास उठाया और मुझे भी दिया।
“अरे, आपके गिलास का दूध पीला क्यूँ है?” प्रिया ने चौंक कर पूछा।
“आंटी ने इसमें हल्दी मिली है। वो कह रही थीं की इसे पीने से मुझे थोड़ी ताक़त मिलेगी और मेरी तबीयत ठीक हो जाएगी।” मैंने इतना कहते हुए गिलास हाथ में लिया और मुँह से लगाकर पीने लगा।
“हाँ पी लो हल्दी वाला दूध, तुम्हें जरुरत पड़ेगी।” प्रिया ने फुसफुसाकर कहा लेकिन मैंने उसकी बात सुन ली। मेरे कान खड़े हो गए और मैं सोचने लगा कि आखिर यह लड़की क्या सोचकर आई है…कहीं यह आज ही मुझसे चोदने को तो नहीं कहेगी…
शायद इसीलिए उसने अपनी चूचियों को ब्रा में कैद नहीं किया था।
“हे भगवन, कहीं सच में तो ऐसा नहीं है…” मैंने अपने मन में सोचा और थोड़ा बेचैन सा होने लगा। चोदना तो मैं भी चाहता था। मैंने एक बात सोची कि देखता हूँ प्रिया ने नीचे कुछ पहना है या नहीं। अगर उसने नीचे भी कुछ नहीं पहना होगा तो पक्का वो आज मुझसे चुदवायेगी।
मैं रोमांच से भर गया और उसके स्कर्ट के नीचे देखने की जुगाड़ लगाने लगा। प्रिया वापस उसी हालत में अपनी कोहनियों के बल लेट कर दूध पीने लगी। उसने सहसा ही अपनी एक टांग मोड़ ली जिसकी वजह से उसका स्कर्ट थोड़ा सा ऊपर हो गया। लेकिन मुश्किल यह थी कि उसकी टाँगे बिस्तर पर मेज की तरफ थीं और मैं बगल में बैठा था। मैं उसकी स्कर्ट के अन्दर नहीं देख सकता था।
मेरे दिमाग में एक तरकीब आई और मैं कुर्सी से उठ गया- अरे, मैंने दवाई तो ली ही नहीं !
मैंने दवाई लेने के लिए मेज की तरफ अपने कदम बढ़ाये और टेबल की दराज़ से क्रोसिन की एक गोली निकाली। मेरा पीठ इस वक़्त प्रिया की तरफ था। मैंने सोचा कि अगर मैं खड़े खड़े ही वापस मुड़ा तो मुझे उसके स्कर्ट के नीचे का कुछ भी नज़र नहीं आएगा। तभी मैंने अपने हाथ से दवाई की गोली नीचे गिरा दी और प्रिया की तरफ मुड़ कर नीचे झुक गया उठाने के लिए। यह तो मेरी एक चाल थी और यह कामयाब भी हो गई।
जैसे ही मैंने झुक कर गोली उठाई और ऊपर उठने लगा मेरी नज़र सीधे प्रिया की स्कर्ट के अन्दर गई और मेरे हाथ से दुबारा दवाई गिर पड़ी। इस बार वो सचमुच मेरे हाथों से अपने आप गिर गई क्यूंकि मेरी आँखों ने जो देखा वो किसी को भी विचलित करने के लिए काफी था।
प्रिया ने अन्दर कुछ नहीं पहना था। स्कर्ट सी ढकी हुई हल्की रोशनी उसकी नंगी चूत को और भी हसीन बना रही थी…उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल चिकनी थी उसकी जवान मुनिया।
मेरे दिमाग में रिंकी की चूत का नज़ारा आ गया। लेकिन रिंकी की चूत पर बाल थे और प्रिया ने अपनी चूत शेव कर रखी थी।
मेरा गला सूख गया और मैं वैसे ही झुका हुआ उसके चूत के दर्शन करने लगा। मेरी जुबान खुद बा खुद बाहर आ गई और मेरे होठों पर चलने लगी।
प्रिया ने यह देखा और अपनी टाँगें सीधी कर लीं और अपनी स्कर्ट को ठीक कर लिया।
मैं उठ गया और वापस आकर कुर्सी पर बैठ गया। अब मैं पक्का समझ चुका था कि आज मुझे प्रिया की गुलाबी चिकनी चूत का स्वाद जरुर मिलेगा। मैं कुर्सी पर बैठ गया और एकटक प्रिया की तरफ देखने लगा।
“क्या हुआ भैया, तुम अचानक से चुप क्यूँ हो गए?” प्रिया ने अपनी आँखों में शरारत भर के मेरी तरफ देखा।
मैंने भी मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और अपने गिलास को वापस अपने होठों से लगा कर दूध पीने लगा। हम दोनों बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे और मुस्कुरा रहे थे मानो एक दूसरे को यह बताने की कोशिश कर रहे हों कि हम दोनों एक ही चीज़ चाहते हैं।
“भैया एक बात पूछूं?” प्रिया ने अचानक से पूछा।
मैं हड़बड़ा गया,”हाँ बोलो…क्या हुआ?”
“क्या आप मुझे कंप्यूटर चलाना सिखायेंगे?” बड़े भोलेपन से प्रिया ने कहा। मुझे लगा था कि वो कुछ और ही कहेगी।
“इसमें कौन सी बड़ी बात है?” मैंने कुर्सी से उठते हुए कहा और अपनी कुर्सी को खींचकर मेज के पास चला गया। कुर्सी के बगल में एक स्टूल था। मैंने प्रिया की तरफ देखा और उसे अपने पास बुलाया। प्रिया बिस्तर से उतरकर मेरे दाहिनी तरफ स्टूल पर बैठ गई। वो मुझसे बिल्कुल सट कर बैठ गई जिस वजह से उसकी एक चूची मेरे दाहिने हाथ की कोहनी से छू गई। मुझे तो मज़ा आ गया। मैं मुस्कुराने लगा और माउस से कंप्यूटर स्क्रीन पर इधर उधर करने लगा। लेकिन मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही कंप्यूटर की स्क्रीन को ऑफ किया था इसलिए स्क्रीन बंद था। मैंने हाथ बढ़ाकर स्क्रीन फिर से ऑन किया।
और यह क्या, स्क्रीन पर अब भी वही पोर्न साईट चल रही थी। मेरे हाथ बिल्कुल रुक से गए। स्क्रीन पर एक वीडियो आ रही थी जिसमें एक लड़की एक लड़के का मोटा काला लण्ड अपने हाथों में लेकर सहला रही थी। बड़ा ही मस्त सा दृश्य था। अगर मैं अकेला होता तो अपना लण्ड बाहर निकल कर मुठ मारना शुरू कर देता लेकिन मेरे साथ प्रिया थी और वो भी मुझसे चिपकी हुई।
मैंने तुरंत ही उस विंडो को बंद कर दिया और प्रिया की तरफ देखकर उससे सॉरी बोला।
प्रिया मेरी आँखों में देख रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे विंडो बंद करने से उसे अच्छा नहीं लगा। उसकी शक्ल थोड़ी रुआंसी सी हो गई थी। मैंने उसकी आँखों में एक रिक्वेस्ट देखी जैसे वो कह रही हो कि जो चल रहा था उसे चलने दो।
हम दोनों ने एक दूसरे को मौन स्वीकृति दी और मैंने फिर से वो पोर्न साईट लगा दी।
“उफफ्फ्फ्फ़…” एक हल्की सी मादक सिसकारी प्रिया के मुँह से निकली।
साईट पर कई छोटे छोटे विंडोज में सेक्सी वीडियो लगे हुए थे जिसमें चुदाई के अलग अलग सीन थे। किसी में लड़का लड़की की चूत चाट रहा था तो किसी में लड़की की चूत में अपना मोटा लण्ड डाल रहा था।
मैंने एक विंडो पर क्लिक किया जिसमे एक कमसिन लड़की एक बड़े लड़के का विशाल लण्ड अपने हाथों में सहला रही थी। मैंने कंप्यूटर का साउंड थोड़ा सा बढ़ा दिया। अब हमें उस सेक्सी विडियो से आ रही लड़की और लड़के की सिसकारियाँ सुनाई दे रही थीं।
हम दोनों बिना एक दूसरे से कुछ कहे और बिना एक दूसरे को देखे कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ देखने लगे। स्क्रीन पर लण्ड और चूत का खेल चालू था और इधर हम दोनों की साँसें अनियंत्रित तरीके से चल रही थीं। मेरी तो मानो सोचने समझने की शक्ति ही नहीं रही थी, सच कहो तो मुझे स्क्रीन पर चल रही फिल्म दिखाई ही नहीं दे रही थी। मैं बस इस उहा पोह में था कि अब आगे क्या करूँ।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था। आप लोग सोच रहे होंगे कि कैसा चूतिया है, मस्त जवान माल बगल में बैठ कर ब्लू फिल्म देख रही है और मैं चुपचाप बैठा हुआ हूँ। लेकिन दोस्तो, यकीन मानो अगर कभी आप ऐसी स्थिति में आओगे तब पता चलेगा कि क्या हालत होती है उस वक़्त !
जो भी हो, पर प्रिया के पास होने के ख़याल से और थोड़ी देर पहले उसकी चूचियों और चूत के दर्शन करने की वजह से मेरा लण्ड अपने पूरे शवाब पर था और मेरा पैंट फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था। मेरा एक हाथ कीबोर्ड और दूसरा हाथ माउस पर था। मैं चाहता था कि अपने लण्ड को बाहर निकालूँ और उसके सामने ही मुठ मारना शुरू कर दूँ। लेकिन पता नहीं क्यूँ एक अजीब सी हिचकिचाहट थी जो मुझे हिलने भी नहीं दे रही थी।
मेज के ठीक सामने दीवार पर बिजली का स्विच बोर्ड लगा था। मुझे पता ही नहीं चला और प्रिया ने धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर लाइट बंद कर दी। अचानक हुए अँधेरे से मेरा ध्यान भंग हुआ और मैंने प्रिया की तरफ देखा। वो मेरी तरफ देख रही थी और उसकी आँखें चमक रही थीं।
कंप्यूटर स्क्रीन से आ रही हल्की रोशनी में मुझे उसकी आँखें लाल लाल सी प्रतीत हुई। मेरा ध्यान उसके सीने की तरफ गया तो देखा कि थोड़ा सा झुकने की वजह से उसके बड़े से गले से उसकी चूचियों की घाटी दिखाई दे रही है। मेरा लण्ड उसे देखकर ठनकने लगा। मैंने एक नज़र भर कर उसे देखा और वापस स्क्रीन पर देखने लगा।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपने पैंट के ऊपर कुछ महसूस किया जैसे कोई चीज़ मेरे जांघों पर चल रही हो और धीरे धीरे मेरे लण्ड की तरफ बढ़ रही हो।
दिल कह रहा था कि यह प्रिया का हाथ है, लेकिन दिमाग यह मानने को तैयार नहीं था। मुझे यकीन था कि चाहे प्रिया कितनी भी बेबाकी करे लेकिन मेरा लण्ड पकड़ने की हिम्मत नहीं करेगी।
“ओह्ह्ह…ये क्या ?”…मेरे मुँह से अनायास ही एक हल्की सी आवाज़ निकल गई। ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि प्रिया ने अपना हाथ सीधा मेरे लण्ड पर रख दिया…
मेरी आँखें मज़े में बंद हो गईं और मैंने अपन एक हाथ नीचे करके प्रिया के जांघ पर रख दिया। मेरी हथेली उसके चिकने जांघों पर टिक गई…
प्रिया ने अपने हथेली को मेरे लण्ड पर कस लिया और बड़े ही प्यार से सहलाने लगी। मैं मज़े से अपनी आँखें बंद करके उसकी जांघों को दबाने लगा, जितनी जोर से मैं उसकी जांघ दबा रहा था उतनी ही जोर से वो मेरा लण्ड दबा रही थी।
ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की का हाथ मेरे लण्ड पर पड़ा था, आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि मेरी हालत कैसी होगी उस वक़्त।
आँखें पहले ही बंद थी और उन बंद आँखों ने उस वक़्त मुझे पूरा जन्नत दिखा दी…मैंने अब अपनी हथेली को उसकी जांघों पर ऊपर नीचे सहलाना शुरू कर दिया मानो मैं प्रिया को ये सिखाना चाहता था कि वो भी मेरे लण्ड को ऐसे ही सहलाये…
और ऐसा ही हुआ, शायद वो मेरा इशारा समझ गई थी…उसने मेरे लण्ड को अपनी पूरी हथेली में पकड़ लिया और ऊपर नीचे करने लगी जैसे मैं मुठ मारता था।
जिन दोस्तों को कभी इस एहसास का मज़ा मिला हो वो मेरी फीलिंग समझ सकते हैं…उस मज़े को शब्दों में बयाँ करना बहुत मुश्किल है।
मैंने अपनी हथेली को उसके जांघों से ऊपर सरका दिया और धीरे धीरे ज़न्नत के दरवाज़े तक पहुँचा दिया।
उफ्फ्फ्फ़…इतनी गर्मी जैसे किसी धधकती हुई भट्टी पर हाथ रख दिया हो मैंने…मेरे हाथ उस जगह पर ठहर गए और मैंने उसकी चिकनी चूत को सहला दिया।
“ह्म्म्मम्म…उफ्फ्फफ्फ्फ़”…प्रिया के मुँह से एक सिसकारी निकली और उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया।
मैंने तुरंत उसकी तरफ गर्दन घुमाई और उसकी आँखों में देखने लगा। मैंने अपनी आँखों में एक विनती भरे भाव दर्शाए और उससे एक मौन स्वीकृति मांगी। उसने मदहोश होकर मेरी आँखों में देखा और अपनी जांघें बैठे बैठे थोड़ी सी फैला दी।
अब मेरी हथेली ने उसकी कमसिन चूत को पूरी तरह से अपनी मुट्ठी में भर लिया और दबा दिया।
“धीरे भैया”…और ये शब्द उसके मुँह से निकले जो कि उसने मुझसे सीधे सीधे कहे थे।
कहानी जारी रहेगी।
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