दो जवान बहनें पिंकी और रिंकी-4
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प्रेषक : राजवीर
उस रात नवीन ने उसकी बार दो चूत और एक बार गाण्ड मारी और सुबह पाँच बजे से पहले ही घर से भेज दिया।
उस दिन रिंकी-पिंकी भी स्कूल नहीं गई, सोचने लगी कि देख कर काम नहीं चलेगा।
दोनों ने ठान लिया कि किसी को पटाया जाये और उससे मजे लिए जाएँ। पर सोचने की बात यह थी कि पटाया किस को जाये। भाई से करें तो रिश्ता ख़राब हो जायेगा। इसलिए भाई के दोस्त सूरज का ख्याल आया, छह इंच का काला लम्बा लण्ड उनकी आँखों के सामने छा गया।
उन्होंने सूरज का नंबर खोजा और नंबर मिलाया, कहा- जल्दी से घर आ जाओ, कुछ बात करनी है।
वो तुरंत घर आ गया। सूरज के आते ही उन्होंने उसे बैठाया।
सूरज ने पूछा- महेश तो है नहीं, फिर क्यों बुलाया?
रिंकी ने कहा- जो उस दिन तुम कर रहे थे उसके बारे में बताने के लिए।
सूरज घबरा गया, कहने लगा- क्या तुम दोनों ने वो सब देखा था?
पिंकी ने कहा- हाँ । कि कैसे महेश ने तुम्हारी और तुमने महेश की…
इतना ही कहा था कि सूरज बोल पड़ा- प्लीज किसी को बताना मत।
रिंकी ने कहा- अरे, यह तो इतनी गन्दी बात है कि किसी को बताई नहीं जा सकती, पर बतानी पड़ेगी, अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचते हो और हमारे बारे में भी? सूरज कहने लगा- नहीं तुम जो मांगो, मैं दे दूंगा पर किसी से कहना मत।
तो रिंकी ने कहा- चल तुझे हम यह सजा देती हैं कि हमारे साथ भी वही कर जो तू करने की कह रहा था पर हमारे भाई को या किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
सूरज की तो बल्ले बल्ले हो गई। एक साथ दो नए माल, जहाँ उसे एक भी नसीब होने के फ़ाके थे, वहाँ दो मिल गए।
सूरज ने कहा- चलो ठीक है, मैं किसी को नहीं बताऊँगा।
पिंकी ने कहा- पहले चलो, तीनो नहाते हैं फिर करेंगे।
सूरज ने कहा- मैं कपड़े क्या पहनूँगा?
तो पिंकी ने कहा- अबे, कपड़े पहन कर कौन नहा रहा है, तीनो नंगे नहायेंगे।तीनो नंगे बाथरूम में नहाये खूब रगड़ रगड़ के एक दूसरे को नहलाया। फिर तीनो बेडरूम में आये और दोनों बहनों ने सूरज को लिटा दिया। कपड़े उतारने की तो जरुरत थी नहीं, पहले से ही उतरे पड़े थे। रिंकी उसका लण्ड चूस रही थी और पिंकी उसके होठ चूम रही थी। फिर दोनों के जगह बदल ली। रिंकी उसके होंठ चूस रही थी और पिंकी सूरज का लण्ड चूस रही थी।
फिर दोनों लेट गई और सूरज ने बारी बारी से दोनों के मम्मे दबाये, चूसे और चूत चाटी।
अब दोनों को सब्र नहीं हो रहा था, रिंकी ने कहा- मैं बड़ी हूँ, पहले मुझे चोद।
तो सूरज ने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का दिया। अभी सुपारा ही अन्दर गया था कि रिंकी दर्द के मारे चीखने लगी।
सूरज ने कहा- रिंकी, पहली बार ऐसा होता है। थोड़ा दर्द सहो, बाद में मजा आएगा।
फिर एक और धक्का दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया और रिंकी की चूत से खून निकालने लगा। और तीसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर चला गया। रिंकी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। पिंकी उसके पास लेट गई और उसे प्यार करने लगी, उसकी चूची सहलाने लगी और फिर चूसने लगी।
जब रिंकी का दर्द कम हुआ तो सूरज ने धक्के देने चालू किये। पन्द्रह मिनट के बाद रिंकी और सूरज दोनों ने अपना पानी निकाल दिया। सूरज ने रिंकी की चूत से अपना लण्ड निकाला और बगल में लेट कर आराम करने लगा। रिंकी भी चुपचाप सांस ले रही थी, पूरे कमरे में दोनों की साँसों की आवाज ही आ रही थी।
तभी पिंकी ने कहा- क्यों सूरज, अभी थक गए? अभी तो मैं बाकी हूँ। और रिंकी भी शायद और करेगी।
तो रिंकी ने कहा- नहीं, अब मैं नहीं करुँगी और किसी दिन कर लूँगी। अभी तू कर ले, तेरी बारी है।
तो पिंकी ने उसका लण्ड साफ़ किया और चूसने लगी। पाँच मिनट में उसका लण्ड फिर खड़ा हो गया। और फिर पिंकी की चूत पर लण्ड रख कर एक धक्का दिया और आधा लण्ड चला गया और उसकी सील टूट गई। उसकी चूत से भी खून निकाल रहा था, वो रोने लगी थी।
रिंकी उसके पास आई और उसके होंठ चूसने लगी। तभी सूरज ने एक और धक्का दिया और पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।
पिंकी की तो जैसे साँस रुक गई हो कुछ समय के लिए।
सूरज ने उसके चूचे सहलाये और रिंकी उसके होंठ चूम रही थी और उसकी चूची दबा रही थी।
दस मिनट बाद थोड़ा आराम मिला तो वो अपने आप गाण्ड उठा उठा कर चुदने लगी और सूरज ने भी धक्के चालू किए। सूरज पिंकी को तेज तेज चोद रहा था। बीस मिनट हो गए थे, रिंकी झर चुकी थी अब उसे दर्द होने लगा था, कहने लगी- दर्द हो रहा है, निकाल लो।
तो सूरज ने कहा- अभी मेरा नहीं हुआ, कैसे निकाल लूँ।
तो रिंकी पीछे आई और सूरज की गाण्ड में उंगली डाल दी। सूरज चिहुंका।
रिंकी अपनी उंगली आगे-पीछे कर रही थी। सूरज को उत्तेजना ज्यादा हुई और वो कुछ ही देर ने पिंकी की चूत में झर गया और निढाल होकर पड़ गया।
तीनो नंगे पड़े थे। पूरा बिस्तर खून से लाल हो गया था।
सूरज उठा और कपड़े पहने और चला गया। दोनों बहनें भी उठी, कपड़े पहने, बिस्तर धोया, साफ़ किया और बाते करने लगी- साले को एक दिन में ही दो कच्ची सील तोड़ने का मौका मिल गया !
पिंकी ने कहा- चलो, एक बात तो है ! घर की बात घर में रही, कहीं बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ी और मजा भी मिल गया।
रिंकी ने कहा- हाँ, वो तो है।
तब से दोनों ने ठान लिया कि जहाँ मौका मिले वहाँ मजा ले लेंगी।
रिंकी के बारहवीं होने तक दोनों ने सूरज के लण्ड से मौज की और किसी को पता भी नहीं चला। बारहवीं के बाद रिंकी अपने मामा के घर चली गई, वहाँ कॉलेज में दाखिला ले लिया। वहाँ उसके मामा-मामी और उनका एक बेटा विवेक जिसकी उम्र 22 साल थी। यहाँ पिंकी अकेली रह गई और बारहवीं की पढ़ाई करने लगी। सूरज भी और कहीं चला गया था।
पिंकी रात को बस उंगली करती और सो जाती। कभी कभार पेन या मोमबत्ती से काम चलाती।
कहानी जारी रहेगी।
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