दो जवान बहनें पिंकी और रिंकी-2

This story is part of a series:

प्रेषक : राजवीर

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि पिंकी ने मुझे अपने परिवार के सेक्सी माहौल के बारे में और अपनी बहन रिंकी के साथ अपने पहले यौनान्द के बारे में बताया।

तभी पिंकी ने कहा- मेरी पैंटी गीली हो गई है ! आगे क्या हुआ, रिंकी बताएगी, मैं अभी जाती हूँ।

अब रिंकी की जुबानी :

इस तरह हम दोनों बहनें रात को मजे करती थी, एक-दूसरी को मसलती-चूमती, चूत में उंगली करती। मगर इस बीच हमें यह पता नहीं था कि कोई हमें देख रहा है। वो और कोई नहीं हमारा बड़ा भाई महेश। वो रोज दरवाजे के छेद से देखता था कि उसकी छोटी बहनें क्या कर रही हैं और वो हमें देख कर मुठ मारता।

एक दिन हमने कमरा बंद नहीं किया और सोचा कि देखें हमारा भाई क्या करता है। हम दोनों सोने का नाटक करने लगी।

महेश ने पहले देखा कि क्या हो रहा है, जब उसने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है तो वो दरवाजा खोल कर अंदर आ गया। पहले उसने हमारे नाम लेकर दोनों को धीरे से आवाज लगाई, यह देखने के लिए कि दोनों सो रही है या नहीं।

उसे जब पूरा यकीन हो गया कि हम दोनों सो रही है तो वो पिंकी के पास गया। हम दोनों ने और दिनों की तरह एक निक्कर और एक छोटा सा टॉप पहना हुआ था, अंदर ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी। पिंकी सांस ले रही थी तो उसकी चूची उठ रही थी। महेश ने धीरे से पिंकी के गालों पर हाथ लगाया और सहलाया। पिंकी की तरफ़ से कुछ हरकत न होने पर महेश पिंकी के होंठ फिर चूचों पर आया धीरे से दबाया। धीरे धीरे वो हम दोनों चूचियाँ दबाने लगा। उसने भी एक निक्कर पहनी हुई थी। उसने अपना लण्ड निकाल लिया और कभी उसकी चूचियाँ दबाता तो कभी अपना लण्ड सहलाता। बीच बीच में देखता भी रहा कि कही मैं या पिंकी जाग ना जाएँ पर उसे क्या मालूम था कि हम दोनों ही जाग रही हैं और सोने का नाटक कर रही हैं।

फिर उसने पिंकी की टॉप ऊपर कर दी और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, अपना लण्ड जोर जोर से हिलाने लगा। फिर वो उसकी चूची चूसने लगा। फिर वो बिस्तर पर आ गया और लण्ड हिलाने लगा और थोड़ी ही देर में पिंकी के पेट पर अपना पानी निकाल दिया। फ़िर कपड़े से साफ़ करके उसका टॉप नीचे करके कमरा बंद करके चला गया।

उस दिन पिंकी का पहला अनुभव था जिसे मैं भी महसूस करना चाहती थी इसलिए पिंकी जींस और फुल टी-शर्ट ब्रा-पैंटी सारा कुछ पहन कर लेटी और मैं जानबूझ कर बिना ब्रा-पैंटी के एक छोटा स्कर्ट और शर्ट पहन कर लेटी। उस दिन भी हमने कमरा खुला छोड़ दिया तकि महेश अंदर आ सके।

वही हुआ जिसका हम दोनों को इन्तजार था, दोनों जाग रही थी। पिंकी ने पूरे कपड़े पहने हुए थे और मैंने दिखाने के लिए एक घुटना मोड़ लिया ताकि महेश मुझे बिना पैंटी के देख सके औए मुझसे मजे ले सके। साथ ही मैंने कमीज के दो बटन भी खोल के रखे थे जिससे मेरी चूचियों का थोड़ा भाग दिख रहा था। महेश सीधे मेरे पास आया और पिछले दिन की तरह आवाज लगा कर देखा, फिर मेरी जांघों को सहलाने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरे कमीज के सारे बटन खोल दिए। मेरे दोनो कबूतर आजाद हो गए महेश उन्हें दबाने लगा,

फिर कुछ देर बाद मेरे चुचूकों को चूसने लगा। फिर उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे हाथ में पकड़ा कर खुद हिलने लगा।

मैंने लण्ड पहली बार हाथ में लिया था तो मैं थोड़ा डर सी गई। फिर महेश ने मेरी स्कर्ट खोल कर घुटनों तक सरका दी। मेरी नंगी चूत देख कर उसका लण्ड और भी कड़क हो गया जो पहले ही मेरे हाथ में था। उसने मेरी टांगों को थोड़ा सा खोला और चूत पर हल्का सा चुम्बन किया, फिर हाथ से सहलाने लगा।

मैं भी गर्म होने लगी थी। अब वो पूरा बिस्तर पर आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। रगड़ रगड़ कर उसने चूत लाल कर दी और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।

फिर थोड़ी देर में वो मेरी चूत के ऊपर ही झर गया और अपना लण्ड मेरी स्कर्ट से साफ़ करके मुझे वैसा ही छोड़ गया। जाते जाते महेश पिंकी के गालों पर चुम्बन किया और हल्के से चूची दबा गया।

मैं कुछ देर बाद उठी अपने को साफ़ किया, पिंकी भी उठी, कमरा बंद किया और हम दोनों एक साथ बैठ गई।

मैंने कहा- यार, मजा तो आया पर आधे मजे में छोड़ कर चला गया खुद का निकाल कर !

फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट गई और दोनों ने एक दूसरे की चूत में उंगली की और सो गई।

कहानी जारी रहेगी।

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