पड़ोस वाले चाचा चाची के गुलछर्रे

friendoffemale 2012-11-05 Comments

प्रेषक : प्रणय

हेलो दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है। मैं अन्तर्वासना का प्रशंसक हूँ और आज इसी वजह से मैं मेरी कहानी लिखने जा रहा हूँ।

मेरा नाम प्रणय है। मैं गुजराती हूँ और मुझे घूमना अच्छा लगता है।

यह बात उन दिनों की है जब मैं पढ़ता था। दोस्तो, मैं सब लोगों के बारे में जानकारी इसलिये दूंगा क्यूंकि बिना जाने आपको पढ़ने में मजा नहीं आएगा। मैं उन दिनों गर्मी की छुट्टियों में अपने गाँव आया हुआ था। वहाँ पड़ोस में दो बहनें रहती थी, वो मेरी बड़ी अच्छी दोस्त थी, वैसे भी गाँव में कोई भी शहर से जाता है तो वो सबकी आँखों का तारा होता है। मैं ज़्यादातर उनके घर में ही रहता था, उनके घर में उनके पापा माँ और चाचा भी रहते थे। उनके पापा पोलिस में थे जो गोली लगने की वजह से दोनों पैर खो चुके थे, चाचा खेत संभालते थे। चाची की उम्र 25 साल थी, वो एकदम बिपासा की तरह दिखती थी।

हम सब दोपहर को छुपाछुपी खेल रहे थे और मैं बेडरूम के बेड की नीचे छुप गया था।

अचानक से चाची बाथरूम से नहा कर आई, मैंने पलंग नीचे छिपे रहने में ही अपनी भलाई समझी। थोड़ी देर में चाची साड़ी पहनने लगी बेडरूम पीछे की ओर था इसलिये चाची ने दरवाजा बंद नहीं किया था। जैसे चाची शीशे के सामने गई तो उन्हें ऐसा लगा कि बाहर से कोई झांक रहा है। उन्हें पता चल गया कि चाचा आज खेत से जल्दी आकर उन्हें देखने का मजा ले रहे थे। वो जल्दी से दरवाजे की और बढ़ी पर चाचा तब तक दरवाजे में आ चुके थे।

पहले तो चाची ने कहा- आप बाहर चले जाओ !

पर चाचा ने धीरे से कहा- क्यूँ तुम जख्मी पति को और जख्मी करना चाहती हो?

चाची गिड़गिड़ाने लगी पर चाचा ने एक न सुनी और दरवाजा बंद करके चाची की आधी पहनी हुई साड़ी निकाल दी और चुम्मियाँ लेने लगे। मैं तो यह देखते ही दंग रह गया क्यूंकि मुझे तब पता नहीं था कि सेक्स क्या होता है। मुझे सिर्फ उतना ही पता चल रहा था कि चाचा चाची से प्यार कर रहे है।

थोड़ी देर छुटने का प्रयास करने के बाद अब चाची भी उनका साथ देने लगी थी और वो भी चाचा को चूमने लगी थी। थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद चाचा ने चाची की चूचियों को मसलना शुरु किया जो ब्लाउज में समा ही नहीं रही थी, और दूसरी तरफ चाची उनके लंड को ऊपर से ही मसल रही थी। उतने में जोर से कपड़ा फटने की आवाज़ आई जो चाची का ब्लाउज फटने की थी और चाचा अब चाची की ब्रा निकाल रहे थे।

ब्रा खोलने के बाद चाचा ने तुरंत ही मम्मा मुँह में ले लिया और चूसने लगे।

पहले मुझे ऐसा लगा कि चाचा अभी भी छोटे बच्चों की तरह मम्मे से दूध पीते होंगे। पर मुझे तब कहाँ पता था कि वो तो सेक्स का मजा ले रहे थे। थोड़ी देर में चाची गर्म हो गई और चाचा की पैंट निकालने लगी।

चाचा का 8 इंच लम्बा लंड खड़ा देख कर चाची तो जैसे खुश ही हो गई और पहले तो वो पागलो की तरह लंड को चूमने लगी फिर अचानक से चाचा ने जोर से उनके होंठों के बीच में लंड रख दिया। चाची ऐसे लग रही थी थी जैसे सालों से उसने पानी भी न पिया हो। पर मुझे कहा मालूम था कि इस पानी की बात ही कुछ और है। चाची जोर से लंड चूसने लगी और तभी चाचा ने चाची को पूरी नंगी कर दिया, चूत में उंगली डालने लगे थे।

अचानक से चाचा बोले- साली रांड, तू तो मुर्झा गई है, आज तो तुझे फिर से मस्त कर दूँगा।

चाची- साले चूतिये, जो आज कर रहा है वो हर रोज भी तो कर सकता है।

चाचा अब चाची की चूत चूसने लगे थे जो पानी छोड़ रही थी।

चाची- साले लोंडे, अब कितना तड़पाएगा?

पर चाचा बोले- कमीनी, तूने मुझे कितना तड़पाया है तो मैं तुझे और दो मिनट नहीं तड़पा सकता?

चाची अब गिड़गिड़ाने लगी थी। तब चाचा जोर से चाची को उल्टा करके गांड में लंड डालने लगे तो चाची कूद मार कर खड़ी हो गई और बोली- अबे भड़वे, चूत में डाल, गांड नहीं मरानी मैंने !

और उलटी हो कर लंड पर चढ़ बैठी।

चाचा- रांड, तू बहुत कमीनी चीज़ है, मुझे पता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

चाचा जोर जोर से चोदने लगे, थोड़ी देर में दोनों ने पानी छोड़ दिया और थोड़ी देर में चाची ने घड़ी की ओर देखा तो बोलने लगी- चूतिये खड़ा हो, और सब साफ कर ! तेरे भाई को चाय देने का वक्त हो गया है।

यह सुनते ही चाचा झटपट कपड़े पहन कर चले गए और चाची फिर से बाथरूम की ओर जाने लगी। मैं खुश होकर खड़ा होने वाला था तभी चाची नीचे ब्रा और बाकी कपड़े उठाने झुकी, मुझे देखते ही वो घबरा गई और मुझे बाहर आने को कहा।

मैं डर के मारे कांपने लगा था पर मुझे कहाँ मालूम था कि चाची मुझसे डर गई है। उन्होंने फिर से दरवाजा बंद कर लिया और वैसे नंगी ही मुझे अपने गोद में बिठाने लगी। मैं बिना कुछ बोले ही बैठ गया और चाची ने मुझे चूमते चूमते कहा- बेटा, किसी को बताना मत कि हम क्या कर रहे थे !

और फिर अलमारी से टॉफ़ी निकाल कर देने लगी। मैं बहुत खुश था कि मैं गलत तरीके से पकड़ा नहीं गया था।

चाची मुझे कहने लगी- बेटा, जब भी कुछ खाने का मन हो तो मेरे पास आकर मुझसे मांग लेना पर यह बात किसी से मत कहना !

मैं खुश होते होते कमरे से निकल लिया।

कैसी लगी आपको मेरी कहानी, जानने का इंतजार रहेगा मुझे !

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