निशा का प्रारब्ध-3
किशन अपने दोस्त किरायेदार की बहन निशा को चोदने के लिए बेताब था। वो फ्रिज से मक्खन उठा लाया और अपने सुपारे पर लगाने लगा। निशा उसके फ़ूले हुये कड़े लंड को देख फिर से डरने लगी क्योंकि उसको पता था कि अब किशन उसकी नाज़ुक चूत का बुरा हाल बनाएगा। लेकिन उसको अब चुदाई से मिलने वाले आनन्द को भी महसूस करने का मन था। इस आनन्द के बारे में उसने अपनी सहेलियों से सुना था, और किताबों में पढ़ा और देखा भी था।
किशन ने सुपाड़े पर मक्खन लगाने के बाद निशा को पकड़ उसकी चाटने से लाल हो चुकी चूत पर भी मक्खन मला और उसकी नाज़ुक कमसिन चूत की फांकों को एक हाथ फैलाया और अपने अपनी एक उंगली को उसकी बुर में मक्खन के साथ घुसेड़ दिया उसकी एक ऊँगली सट से अंदर चली गई अब किशन ने निशा को सीधा लेटा कर उसके पैरों को चौड़ा किया और उसकी चूत के मुहाने पर अपना मूसल जैसा लंड रख दिया, निशा की तरफ देखा और उससे कहा- जरा सा दर्द होगा बेबी तुमको, फिर देखना कितना मजा आएगा… ठीक है?
और यह कहते हुये किशन ने अपने लौड़े को जरा सा धक्का दिया मक्खन से सराबोर उसका लंड और चूत के खूनी मिलन का आगाज हो गया !!!
निशा दर्द से चीख पड़ी लेकिन किशन का लंड धीरे धीरे उसकी चूत में जगह बनाता हुआ घुसता रहा। उसको ऐसी नाज़ुक चूत चोदने में इतना मज़ा आ रहा था कि उससे रहा नहीं गया और उसने एक तेज धक्का लगा दिया। निशा को दर्द से छटपटा उठी लेकिन किशन ने उसके मुहँ पर अपने होंठों को जमा दिया और उसके होंठों को चूसते हुये हौले हौले धक्के लगाने लगा।
ज़्यादा आनन्द सहन ना हो पाने के कारण किशन को लगा कि वो झड़ जाएगा तब वो अपनी पूरी इच्छा शक्ति लगा कर रुक गया और निशा के होंठ चूसने लगा। कुछ देर में संभालने के बाद फिर से अपने धक्के शुरु कर दिये और निशा को भी तब तक अपनी चूत में दर्द कम हो कर मस्ती का एहसास होने लगा था, आख़िर वो भी एक जवान और चुदाई की प्यासी लड़की थी।
उसको मज़ा आने लगा और जब उसने अपनी आँखों को बंद करके किताब में चुदाई करवाती हुई औरत को याद किया तो एक अज़ीब सी सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी जिससे किशन को उसकी बुर को चोदने में और भी आसानी होने लगी।
निशा ने अब अपनी बाहों को किशन के गले में डाल अपनी टाँगों को खोल उसको जकड़ लिया, उसको बेतहाशा चूमने लगी और अपनी कमर को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी… आअहह भैया और ज़ोर से चोदो, फक मी हार्ड…
और निशा ना जाने कितनी बार उस चुदाई की आँधी में झड़ गई…
लेकिन किशन उसको लगातार चोदता ही रहा.. किशन के जबरदस्त धक्के वो बर्दास्त ना कर पाई और लगभग बेहोश सी हो गई… आखिरकर किशन भी अंत में कुछ ज़ोरदार धक्के मार कर झटके लेते हुए उसके ऊपर निढाल हो गया। झड़ जाने बाद किशन निशा के लगभग बेहोश पड़े शरीर पर लेटे हुये उसकी चूचियों से मज़ा लेता रहा फिर उठ कर नंगा ही बाहर चला गया।
बाहर सविता उसका इंतज़ार कर रही थी। किशन की तृप्त आँखों में देख वो समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है।
“चोद आए मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को?”
किशन खुशी से उसको चूमता हुआ बोला- हाँ मेरी जान, चोद दिया साली को, बहुत रो रही थी।
सविता वासना के जोश में घुटने के बल किशन के सामने बैठ गई और उसका रसभरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। लंड पर निशा की चूत का पानी और किशन के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था, जिसको पूरा साफ कर के ही उठी।
किशन कपड़े पहन कर ऑफीस जाने के लिए तैयार हुआ, फिर अपनी कामुक जुगाड़ सविता से पूछा- अब तुम क्या करोगी?
सविता बोली- पहले उसकी चूत चुसूंगी जिसमें तुम्हारा यह मस्त रस भरा हुआ है, फिर उससे अपनी चुसवाऊँगी। हम लड़कियों के पास मज़ा लेने के लिए बहुत से प्यारे प्यारे अंग हैं, आज ही सब सिखा दूँगी उसको !
निशा होश में आ गई थी और बेड पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी। चुदवाने की प्यास ख़त्म हो जाने पर अब उसकी चुदी हुई चूत में बहुत दर्द हो रहा था।
सविता उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी- क्या हुआ मेरी निशा रानी को? तू नंगी क्यों पड़ी है और तेरी टाँगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?
निशा शर्म से रो दी- भाभी, किशन भैया ने आज मुझे चोद डाला।
सविता ने नाटक करते हुए कहा- ओह ! ज़रा देखूँ तो, और वो निशा की चूत को झुक कर देखने लगी। उसकी चुदी हुई चूत को देखकर सविता की चूत भी गीली होने लगी, सविता बोली- चिंता मत कर तेरी चूत फटी नहीं, बस थोड़ी खूल गई है, पर क्या तू पहले भी किसी से चुद चुकी है? तुझको खून क्यों नहीं निकला?
निशा बोली- नहीं भाभी, वो तो स्कूल में मैं जिम्नास्टिक करती हूँ तो उसी में मेरी झिल्ली फट चुकी थी।
सविता बोली- अच्छा इसी कारण तुझको खून नहीं निकला ! खैर तुझे दर्द और जलन हो रही होगी, मैं अभी ठीक कर देती हूँ।
ऐसा कहकर उसने निशा की चूत पर अपना हाथ फेरना शुरू किया तो निशा को फिर से अच्छा लगने लगा और उसने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया अब सविता को समझ में आ गया कि इसकी चूत को मेरा हाथ फिराना अच्छा लग रहा है, सो वो उसको चूमने लगी। फिर उसको जीभ से दो तीन बार चाटा, ख़ासकर लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फेरी। निशा चहक उठी- भाभी, यह क्या कर रही हो? “कुछ नहीं, बस, तेरा दर्द कम कर रही हूँ, तुझे अच्छा नहीं लग रहा?” सविता ने उसकी चिकनी जाँघों को सहलाते हुये कहा।
“बहुत अच्छा लग रहा है भाभी, और करो ना !”
सविता ने झुक कर उसको चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया। निशा काफ़ी गर्म हो गई और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी चूत सविता के मुँह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी। सविता ने उसकी चूत को फैला कर बीच में अपनी जीभ डाल कर तेज़ी से उसकी चूत चोदने लगी तो निशा इस आनन्द को बर्दाश्त नहीं कर पाई और झड़ गई।
फिर सविता ने अपने कपड़े उतार कर उसको भी अपनी चूत चाटने को बोला। निशा वैसे भी ऐसा करना चाहती थी क्योंकि उसकी एक सहेली लेस्बीयन थी जो अपनी कहानी अक्सर बताया करती थी। तभी से निशा की भी इच्छा थी कि वो भी कभी ्किसी सखी-सहेली या अपनी भाभी के साथ यह खेल खेले।
निशा ने अपनी पूरी मस्ती से सविता के साथ इस लेस्बियन सुख के तालाब में गोते लगाये और सविता को खुल कर यह भी बता दिया- भाभी, मुझको किशन भैया और तुम्हारे सम्बन्धों के बारे सब कुछ मालूम है और मैं खुद आपके साथ किशन का लौड़ा अपनी चूत में पिलवाना चाहती थी ! यह तो सब आपकी मेहरबानी से आराम से हो गया नहीं तो वो खुद ही रोज किशन के सामने झुक कर अपने दुद्दुओं का नजारा दिखा कर उसके लौड़े को अपने काबू में करना चाहती थी।
तो दोस्तो, उस पूरी दोपहर ननद और भाभी एक दूसरे की चूचियाँ और चूत दबाती और मसलती रही और एक दूसरे को संतुष्ट करती रही। और जब रात हुई तो एक बार फिर से सेक्स का मस्त खेल किशन, सविता और निशा तीनों के बीच चला। अब तो उनकी यह नियमित दिनचर्या का एक अंग बन गया है।
इस कहानी में सविता ने किशन के दोस्तों और उनकी बीवियों को कैसे शामिल किया, यह मैं आपको जरुर सुनाऊँगा, पर अभी विदा लेता हूँ, मुझे आपके कमेंट्स का बड़ी बेसब्री से इन्तजार रहेगा, आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।
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