निशा का प्रारब्ध-2
करीब 20 मिनट की मस्त चुदाई लीला के बाद किशन ने अपना माल सविता की चूत में छोड़ दिया चुदाई के बाद किशन ने सविता से एक सिगरेट सुलगाने के लिये कहा सविता ने किशन की पैंट में से सिगरेट निकाल कर बड़ी अदा से सिगरेट अपने होंटो से लगा कर माचिस से सुलगाई और खुद ही एक जोरदार सुट्टा लगा कर किशन की तरफ सिगरेट बढ़ा दी और फिर दोनो सोचने लगे कि निशा को कैसे पटरी पर लाया जाये, शुरूआत कैसे की जाए।
तभी सविता ने कहा- कल मैं किसी भी बहाने निशा को स्कूल नहीं जाने दूँगी और अपने बेडरूम के तकिये के नीचे नंगी तस्वीरों वाली पत्रिका रख कर उसको कमरे की साफ सफाई के काम में लगा कर वो कुछ घंटों के लिए मार्केट चली जाऊँगी। निशा जब बिस्तर की चादर ठीक करेगी तब उस किताब को ज़रूर पढ़ेगी और यही वक्त होगा जब तुम वहाँ पहुँचोगे, और फिर प्यार से, उसकी मर्जी से उसको चोदकर फिर ऑफ़िस के लिए निकल जाना। फिर मैं आकर दर्द से रोती उस मासूम छोकरी को पूछने और सहलाने के बहाने खुद भी भोगूँगी।
उस रात निशा की मस्त जवानी को चोदने के ख्याल से किशन को नींद भी नहीं आई और उसकी जुगाड़ सविता भी उस रात उससे चुदने नहीं आई।
सुबह किशन ने नहा धोकर ऑफ़िस में फोन किया कि वो आज लेट आएगा और उधर रात को किशन के साथ सम्भोग न करने के कारण सविता भी निशा के साथ देर तक जागती रही और उससे बातें करके उसे भी जगाये रही। इससे हुआ यह कि निशा सुबह स्कूल जाने के लिये समय पर ही नहीं उठी और सविता ने निशा को जगाया ही नहीं जिसके कारण उसका स्कूल टाइम निकल गया।
और अब कुछ देर सुबह की दिनचर्या समाप्त होने के बाद सविता ने नाश्ते में सविता ने हलवा बनाया और उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला कर निशा को बड़े प्यार से हलवा खिलाया, फ़िर अपने बिस्तर के तकिये के नीचे चुदाई की कहानियों और तस्वीरों वाली किताब रखकर निशा से बोली- निशा, मुझको बाजार जाना है, काफ़ी खरीददारी करनी है, इसलिए देर हो जाएगी, जरा मेरा कमरा ठीक कर देना, चादर, तकिया कवर भी बदल देना, उधर अलमारी में सब रखा है, मुझे आने में कुछ देर हो जायेगी।
“ठीक है !” निशा ने हलवा खाते हुए सहमति में सर हिलाया- जी भाभी, आप जाओ, मैं सब ठीक से कर लूँगी।
सविता घर से बाहर चली गई और निशा कमरे में जाकर अपने काम में जुट गई। दवा का असर निशा के ऊपर होने लगा था उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक उसके हाथ उसकी मुसम्मियों को क्यों सहलाने लगे हैं।
जब निशा अंदर चली गई तब सविता ने घर के बाहर खड़े किशन से कहा- जाओ डार्लिंग, मज़े करो आज अपनी धर्म बहन को चोद लो। वो रोए चिल्लाये पर तुम उसकी परवाह मत करना। किशन को आँख मारकर वो दरवाज़ा बंद कर के चली गई।
दस मिनट बाद किशन ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये और अपने फनफनाते लौड़े को अपने हाथ से सहलाया और बुदबुदाया- चल आज तुझे जबरदस्त चूत मिलने वाली है !
और उसने अपनी कमर से सिर्फ एक लुंगी बाँध ली और उसे भी नीचे से उठा कर लौड़े के ऊपर दोहरा बाँध लिया ताकि उसके लंड का उभार आसानी से न दिखे और फिर धीरे से अंदर जा कर देखा तो निशा बिस्तर पर बैठ कर नंगी चुदाई की तस्वीरों वाली देख अपनी गोरी टाँगों को आपस में रग़ड रही थी। उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था।
किशन उसके पास पहुँचा और बोला- देखूँ तो मेरी बहना क्या पढ़ रही है?
निशा सकपका कर किताब छुपाने लगी, तब किशन ने किताब उसके हाथ से ले ली जिसमें एक औरत को तीन पुरुष चूत, गांड और मुँह में चोद रहे थे।
किशन ने निशा को एक थप्पड़ मारा और चिल्लाया- तो तू आजकल ऐसी किताबे पढ़ती है? बेशरम लड़की, तब ही ऐसे ही चुदवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ।
निशा रोने लगी और उसने कहा- यह किताब मुझको तकिये के नीचे से मिली है, मैंने आज पहली बार ऐसी किताब देखी है।
लेकिन किशन ने उसकी नहीं सुनी और उसको अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके कपड़े निकाल दिए। किशन उसकी गोल गोल, कड़ी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। कामोत्तेजक दवा के असर के कारण थोड़ी देर में निशा को भी मज़ा आने लगा और उसने अपने आप को अपने भाई के हवाले कर दिया।
तभी किशन ने उसकी चूची को बहुत ज़ोर से मसल दिया। निशा चीख पड़ी- भैया, यह तुम्हारी बहन की ही चूची है, ज़रा धीरे से दबाओ ना।
किशन इतना सुनकर और भी पागल हो गया और अपनी लुंगी भी उतार दी, निशा उसके हल्लबी लंड को देख सहम गई और बोली- भैया इतने बड़े लंड से तो मेरी चूत तो फट जाएगी, प्लीज़ मुझे मत चोदो ! मैं अपने हाथ से आपकी मुट्ठ मार देती हूँ।
तब किशन ने कहा- मेरी बहना रानी, बहुत प्यार से तेरी चूत की सील तोडूंगा, तू चिंता मत कर..
और उसने अपना मुँह निशा की चूत की फांकों पर लगा दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
निशा मदहोश होने लगी। धीरे धीरे निशा के मुँह से रुलाई की जगह मादक सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी चूत पसीजने लगी और उसका कुंआरा बदन मस्ती के कारण कंपकपाने लगा। उसने अपने भाई का सर पकड़ अपनी बुर पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार लेकर बोली- भैया, मेरी बुर को और ज़ोर से चूसो, जीभ डाल दो मेरी चूत के अंदर !
निशा की चूत पर हल्के हल्के झांटों के रेशे थे जो बहुत ही रेशमी और मुलायम थे, वासना की आग में जल रहे किशन को निशा की झांटों में अपनी जीभ फिराने में बहुत मजा आ रहा था, उसके दायें हाथ में निशा की एक गोल गोल चूची थी जिसको किशन बड़े ही मजे से हॉर्न जैसे मसक रहा था, उसको ऐसा लग रहा था जैसे निशा का दुद्दू दबाने से ही उसकी बुर में से नमकीन पानी छूट रहा हो जितना दुद्दू को मसलो, उतना अधिक रस निशा की चूत से निकलेगा।
कामवासना से सिसकते वो अपने भाई का मुँह चोदने लगी। किशन ने देखा कि उसकी छोटी धर्म बहन की चूत से मादक सुगंध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है। उस शहद को वो प्यार से चाटने लगा। उसकी जीभ जब निशा के कड़े लाल कली जैसे क्लाइटॉरिस पर से गुज़रती तो निशा मस्ती में अपनी जांघें अपने भाई के सर को दोनों बाहों से जकड़ कर अपनी गांड उछालने लगती।
कुछ ही देर में निशा एक मीठी चीख के साथ झड़ गई। उसकी चूत से नमकीन शहद की नदी बहने लगी जिसे किशन बड़ी बेताबी से चाटने लगा। उसको अपनी बहन के चूत का पानी इतना अच्छा लगा कि वो निशा की चूत को वैसे ही बहुत देर तक चाटता रहा और निशा जल्दी ही फिर से वासना के खुमार में मस्त हो गई।
अब निशा पूरी तरह से किशन के काबू में आ चुकी थी, उसके मन से किशन का भय निकल चुका था, उसने मद भरी आवाज में किशन से कहा- भैया अब मैं तो झड़ गई हूँ ! अब तुम क्या करोगे? लाओ, मैं अपने हाथ से आपके लौड़े का पानी निकाल देती हूँ। किशन बोला- नहीं रे, मेरी छुटकी अभी देखना तेरी चूत फिर से गर्म कर दूँगा मैं, जैसे रोज रात को तेरी भाभी को कई कई बार चोदता हूँ न ! मैं उसी तरह तुझको भी आज पूरा मजा दूंगा।
निशा मुस्कुरा उठी, बोली- मुझे मालूम है, और मैंने खिड़की से कई बार आप दोनों की चुदाईलीला भी देखी है।
अब किशन निशा को चोदने के लिए बेताब था। वो फ्रिज से मक्खन उठा लाया और अपने सुपाड़े पर लगाने लगा। निशा उसके सूजे हुये कड़े लंड को देख फिर से डरने लगी क्योंकि उसको पता था कि अब उसका भाई उसकी नाज़ुक चूत का बुरा हाल बनाएगा। लेकिन उसको अब चुदाई से मिलने वाले आनंद को भी महसूस करने का मन था। इस आनंद के बारे में उसने अपनी सहेलियों से सुना था, और किताबों में पढ़ा और देखा भी था।
कहानी जारी रहेगी।
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