मस्त शाम और कुसुम जैसा ज़ाम
प्रेषक : मोहित रोक्को देसी बॉय
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मोहित है, मैं दिल्ली से हूँ और मैं लेकर आया हूँ आप सबके लिए एक सच्ची घटना जो मेरे साथ हुई और मेरा जीवन सफल हो गया।
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना साईट का नया पाठक हूँ और यह मेरी पहली कहानी है जो एकदम सच्ची घटना है।
मैं जिस बिल्डिंग में रहता हूँ, वहाँ तीन मस्त कंचा आइटम रहती हैं। उनमें से दो तो शादीशुदा हैं और एक जवान कच्ची कलि.. मुझे तो उनमें से कोई भी मिल जाये, मैं बस यही मनाता था। लेकिन मेरा लंड सबसे जल्दी तो कुसुम भाभी के लिए ही खड़ा होता था। कुसुम का पति सरकारी अफसर था और एक नम्बर का घूसखोर था, आये दिन लोग घूस लेकर उनके घर आते रहते थे और कुसुम को ठरकी निगाहों से देखा करते थे।
अब मैं आपको कुसुम भाभी के बारे में कुछ बताना चाहूँगा। कुसुम भाभी की दो बेटियाँ हैं, दोनों अभी छोटी हैं… लेकिन भाभी तो क़यामत हैं। उनके जिस्म का सबसे आकर्षक भाग है उनकी चूचियाँ। यारो, क्या कमाल चूचियाँ हैं उनकी, वो चाहे कुछ भी पहन ले लेकिन उनकी चूचियों पर से नज़र हटाना नहीं बनता है। उनके फिगर के बारे में बताऊँ आपको तो 38-30-38 होगा… भारी नितम्ब और बड़ी बड़ी चूचियाँ। बस ऐसा समझ लीजिये कि एक बार मिल जाये तो आप सब कुछ भूल जायेंगे।
मैं एक अरसे से उनके नाम से मुठ मारा करता था पर ऐसा कोई मौका ही नहीं मिलता था जिससे मुझे उनकी चूत मिल जाये। हमारी बिल्डिंग में सबसे ज़ादा पैसा उन्हीं के पास था तो एक से बढ़कर एक कपड़े पहनाता था उनका पति उन्हें। उनके पति श्री राघवेन्द्र अक्सर शहर से बाहर आते जाते रहते हैं मगर उनका एक दोस्त ज़रूर था जिसका बहुत ज्यादा आना जाना था उनके घर पर।
एक बार मैंने देखा कि रघु अंकल शहर से बाहर गये हैं मगर फिर भी उनका दोस्त अक्सर आता जाता है। तो मैं जानबूझ कर उनके घर गया और छुप कर छत के रास्ते थे खिड़की पर नज़र डाली तो देखा कि रघु अंकल का दोस्त मुरली कुसुम भाभी के ऊपर चढ़ा हुआ था और उनको पागलों की तरह चोद रहा था। यह नजारा देख कर तो मेरे होश ही उड़ गये, मैं चाहता था वहाँ और खड़े रहना पर हिम्मत नहीं कर पाया और वहाँ से भाग आया और अपने घर पर आ गया।
पहली बार मुझे कुसुम भाभी के नग्न जिस्म के दर्शन हुए थे, तुरंत मैंने कंप्यूटर खोला और मुठ मारी, तब जाकर कुछ ठंडक पहुँची। फिर मैं अक्सर मुरली को उनके घर आते हुए देखता कभी रात में कभी दिन में, और उसको मन ही मन कोसता। लेकिन मैं क्या कर सकता था।
फिर एक दिन मैंने योजना बनाई, जब मुरली कुसुम भाभी को चोद रहा था तो मैंने खिड़की पर से उस पूरी चुदाई को अपने डिज़िटल कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया और उस रिकॉर्डिंग को देख कर सड़का मारने लगा।
ऐसे ही समय बीतता गया और एक दिन कुसुम भाभी मेरे घर आई और मेरी मम्मी से मेरे लिए अपनी बेटी शालू को टयूशन पढ़वाने की बात करने लगी। मेरी मम्मी ने भी हामी भर दी और मैं उनके घर शालू को पढ़ाने जाने लगा। उनकी वो चुदाई मेरे फ़ोन में तो थी ही पर मेरी हिम्मत नहीं होती थी उनसे कहने की।
धीरे धीरे दो महीने में मैं और कुसुम आंटी ठीक ठाक दोस्त बन गये थे और अक्सर मुझे छेड़ते हुए पूछती थी मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में और मैं शर्माता था।
बात असल में यह थी दोस्तो, उन्होंने शाम आठ बजे का टाइम रखा था मुझे शालू को पढ़ाने के लिए और उस समय ज्यादातर रघु अंकल घर पर ही होते थे। मगर मुझे ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और एक दिन वो शहर से बाहर गये अपने किसी काम से।
शाम को जब मैं उनके घर पहुँचा तो उन्होंने मस्त लाल रंग का सलवार सूट पहना था जिसमें उनके उभार देखते ही बन रहे थे।
मैंने शालू को पढ़ाना शुरू किया तो भाभी चाय ले आई रोज की तरह, लेकिन फिर शालू ने बताया कि उसे एक दोस्त के बर्थडे में जाना है। पहले तो मैं हिचकिचाया लेकिन फिर सोचा कि ऐसा मौका शायद दोबारा ना मिले तो मैंने कुसुम आंटी से कह दिया कि आज वो जा सकती है।
शालू खुश होकर चली गई, मैं तब तक चाय पी रहा था, मैंने तुरंत चाय छोड़ी और हिम्मत कर के भाभी को पीछे से पकड़ लिया और जानवरों की तरह चूमने लगा।
पर तभी वो पल्टी और मुझे धक्का दिया और जोर से एक तमाचा मारा। मेरा गाल लाल हो गया था।
कुसुम- तुम्हारी हिम्मत कैसी हुई मेरे साथ ऐसी हरकत करने की?
वो चिल्ला रही थी मुझ पर…
मेरे पसीने छूटने लगे, फिर मैंने सोचा कि यार अपने पास तो ब्रह्मास्त्र है, यह कब काम आयेगा।
कुसुम- अभी बताती हूँ तुमको, तुम्हारी मम्मी से शिकायत करती हूँ, कहीं का नहीं छोडूंगी तुम्हें ! ज़रा से हो नहीं और हिम्मत तो देखो?
मैंने आराम से अपनी जेब से मोबाइल निकाला और कहा- भाभी, आप शांत हो जाइये, मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ और एक बार आपको पाना चाहता था बस इसीलिए ऐसा किया मैंने ! और मैं आपको कुछ दिखाना चाह रहा था !
यह कह कर मैंने मोबाइल उनको दिखाया जिसमें वही विडियो चला दिया जिसमें मुरली उन्हें जम कर चोद रहा था। अब तो भाभी के होश उड़ गये तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- भाभी, आप मम्मी को बता दीजिये फिर मैं भी चुप कैसे रहूँगा, या फिर आप एक बार मेरी बात मान लीजिये और मुझे सिर्फ एक बार !
भाभी बीच में ही मुझे रोकते हुए बोलीं- तुम तो बड़े चालक निकले रे मोहित, अब मैं क्या करूँ?
मैं- अरे भाभी, कहाँ आप वो मुरली के साथ करवाती हैं, जब मैं हूँ आपकी ही बिल्डिंग में !
यह बात सुन कर भाभी शर्म से लाल हो गई और कहा- चलो देखते हैं, अगर तुम मुरली से ज्यादा दमदार निकले तो तुम्ही सही !
मेरा तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था, मैंने भाभी को गोद में उठाया और चल पड़ा बेडरूम की ओर। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
बेडरूम में पहुँच कर हम बेतहाशा एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे… कुसुम की चुन्नी तो मैंने निकाल फेकी और चूचियों की दरार का दीदार किया।
फिर मैंने कमीज ऊपर की तो उसने अन्दर काली ब्रा पहन रखी थी। कमीज उतरने के बाद उसने मेरा मुँह अपनी चूचियों में छुपा लिया। मेरा पूरा चेहरा उसकी चूचियों में समा गया था। ब्रा हटा कर मैं उसके मम्मे चूसने लगा जो मेरा सपना था.. और साथ ही साथ उसकी बड़ी सी गांड पर हाथ फेर रहा था। इसके साथ ही मैंने धीरे धीरे उसके बदन से सारे कपड़े अलग करने शुरू किये, उसकी पजामी उतारी तो अन्दर काली पैंटी थी… उसको देख कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, इस जल्दी में मेरी शर्ट हल्की सी फट भी गई।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके कबूतरों को अपने मुँह में ले लिया। वो शायद मेरा लौड़ा लेने के लिए बेताब थी। तभी मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह के पास रखा और बोला- ले भाभी चूस ले !
कुसुम- वाह रे, यह तो जवान हो गया है।
मैंने कहा- तेरे लिए ही तो जवान हुआ है मेरी जान !
और वो हंस दी…
मैंने उसकी हंसी रुकने से पहले ही अपना आठ इंची उसके मुँह में दे दिया और वो एक मंझी हुई खिलाड़िन की तरह उसे चूसने लगी।
मैं क्या बताऊँ मुझे कितना मज़ा आ रहा था… साथ ही साथ उसके मम्मे भी दबा रहा था। वो इतनी बढ़िया तरीके से चूस रही थी कि दस मिनट में मैं उसके मुँह में झड़ गया और वो सारा वीर्य पी गई और मेरा लौड़ा चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
फिर अगले दस पन्द्रह मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को यूँ ही चूमते और चाटते रहे और मेरा लौड़ा जल्दी ही फिर से तैयार कर दिया कुसुम ने।
फिर हम 69 पोजीशन में आ गए और मैंने पहली बार उसकी चूत को चखा, मैं उसकी चूत को आइसक्रीम की तरह चाट रहा था और मेरे लौड़े को कुल्फी की तरह..
पूरा कमरा अहहा ह्ह्ह्हाहा आआअह्ह्ह औऔऊउईई औईई मन्नन आआऐईइ की आवाज़ों से गुँजायमान हो रहा था।
कुसुम- मोहित, अब रहा नहीं जा रहा है, इस तितली की प्यास बुझा दो अब !
मैं समझ गया और कुसुम के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और कहा- ये ले साली कुतिया छिनाल, मां की लौड़ी, रण्डी।”
वो भी गालियों पर उतर आई और मुझे देने लगी- ला भोसड़ी के, हरामी यहाँ पढ़ाने आता है या चूत मारने?
मैं- आता हूँ रण्डी तेरी चूत मारने, और कितनो से मरवाएगी.. साली बहनचोद रांड अह हहहः.. तेरी बहन को सड़क पे नंगी करके चोदूँ कुतिया !
फिर मैंने उसको कुतिया बनाया और जम कर पूरी ताकत से चोदना शुरू किया, वो चिल्लाने लगी, मुझे डर था कहीं आवाज़ कोई सुन ना ले लेकिन उस समय यह सब कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
मेरे धक्के बहुत तेज़ हो गए और मैंने अपने वीर्य की धार उसकी फ़ुद्दी में मार दी।
उसके बार कुसुम ने मेरा लौड़ा चूस चूस कर फिर खड़ा करा और मैंने उसकी गांड मारी… मुझे गांड मारने में ज्यादा मज़ा आया।
शायद सारा खेल मिनट तक चला होगा, हमारी चुदाई में ऐसा कोई आसन नहीं बचा होगा जिसमें मैंने उसको ठोका नहीं।
फिर मैंने कपड़े पहन लिए क्योंकि उसकी बेटी के आने का समय हो रहा था।
फिर मैं रोज़ कॉलेज से आ कर दोपहर में कुसुम को चोदने जाता क्योंकि उस वक़्त उसकी बेटी स्कूल में रहती थी और शाम को पढ़ाने जाता और हमारे बीच काफी आँख मिचौली चलती।
उसने मेरी चोदने की कला से खुश होकर पैसे देने शुरू कर दिए थे। वो मुझे हर महीने 15-20 हज़ार दे देती… और उसके बाद मैंने कुसुम की मदद से हमारी बिल्डिंग की दूसरी माल संगीता भाभी को कैसे चोदा वो अगली कहानी में बताऊँगा लेकिन कुसुम को चोदने का मेरा सपना तो सच हो ही गया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी, आपको कैसी लगी मुझे ज़रूर बताइयेगा।
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