मैं ऋषिता की चूचियों का दीवाना

हैलो मेरा सभी अन्तर्वासना के पाठकों को प्यार भरा नमस्कार।

मेरा नाम निशांत है, बिहार का रहने वाला हूँ, मैं जयपुर में इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। मैं अन्तर्वासना का रेगुलर पाठक हूँ। मैंने सोचा कि मैं भी अन्तर्वासना पर अपनी आप-बीती लिखूँ। मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।

अब मैं अपनी बात पर आता हूँ। बात उस समय की है, जब मैं 18 साल का था और मैं 12वीं में पढ़ता था। हमारे यहाँ नए किरायेदार रहने आये थे। एक जोड़ा रहने आया था। उन दोनों की शादी को सिर्फ दो साल ही हुए थे।

भाभी का नाम ऋषिता है और उनकी उम्र 26 साल की है। भाभी बहुत ही सैक्सी हैं। उनकी चूचियाँ बड़ी हैं और उनके चूतड़ भी बहुत मस्त हैं एकदम गोल-गोल। जो उनको एक बार देख ले, उसका लौड़ा खड़ा हो जाए।

मेरी भाभी, माँ और ऋषिता में बहुत बनती थी तो ऋषिता हमारे यहाँ अक्सर आती रहती थी। कभी-कभी तो दिन भर हमारे यहाँ रहती थी। मैं उनको चोर नजर से देखा करता था और ऋषिता भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी।

ऋषिता का पति हफ्ते में 4 दिन बाहर रहता था। मेरी भाभी को एक साल का एक बेटा था। ऋषिता हमेशा उसके साथ खेलती रहती थी। मैं भी ऋषिता से हँसी मजाक करने लगा था। मैं भी उनके घर जाने लगा था।

एक दिन भाभी को कोई काम था तो उन्होंने मुझे मेरे भतीजे सोनू को ऋषिता के पास ले जाने को कहा। मैं सोनू को गोदी में लेकर ऋषिता भाभी के पास चला गया।

जब भाभी ने गेट खोला तब मैं उनको देखते ही रह गया। उन्होंने एक बहुत ही सैक्सी और ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उनकी आधी चूचियाँ दिख रहीं थी। मेरी नजर उनकी चूचियों पर टिक गई। उन्होंने तुरन्त मेरी नज़रों को भाँप लिया कि मैं क्या देख रहा हूँ।

उन्होंने मुझसे कहा- आओ निशांत !

मैं अन्दर गया। उन्होंने मुझसे सोनू को अपने गोदी में लिया। उस समय मैंने अपना हाथ उनकी चूची से लगा दिया।

भाभी मुझे देखने लगी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। तब से मैं हमेशा सोनू को गोदी में लेने देने के बहाने उनकी चूची को छू लेता।

इसी तरह चलता रहा। एक दिन मेरा पूरा परिवार सात दिन के लिए गाँव चले गए। मेरी माँ ने ऋषिता को मेरा ध्यान रखने को कहा।

सबके जाने के बाद ऋषिता भाभी मेरे यहाँ आईं और बोलीं- तुम मेरे यहाँ ही रहो क्योंकि तुम्हारे भैया भी 6 दिन के लिए शहर के बाहर गए हैं।

मैं भी भाभी के यहाँ रहने चला गया। मैं उनके यहाँ टीवी देखने लगा, तभी भाभी आईं। भाभी बहुत ही सैक्सी लग रही थीं। भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी।

मैंने उनसे पीने के लिए पानी माँगा। वे जब मेरे लिए पानी लाईं और मुझे देने के लिए झुकीं तभी उनकी साड़ी का पल्लू गिर गया। मेरी नजरें उनके वक्ष-स्थल पर टिक कर रह गईं।

मैं देखता रह गया। उन्होंने लो-कट ब्लॉउज पहना था जिसमें से उनकी आधी चूचियाँ दिख रही थीं।

मैं एकटक उनकी चूचियों को देख रहा था, तभी उन्होंने पूछा- क्या देख रहे हो?

मैं कुछ नहीं बोला।

उन्होंने बोला- मुझे पता है कि तुम मेरा क्या-क्या देखते रहते हो।

मैं बोला- मैं क्या-क्या देखता हूँ?

तो वो कुछ बोलीं तो नहीं पर एक कातिल सी मुस्कराहट फेंक कर किचन में चली गईं।

फिर उन्होंने मुझे किचन में बुलाया, कहने लगीं- आपको मुझमें क्या-क्या अच्छा लगता है?

मैंने कहा- आपके बोलने का अंदाज, आपका स्टाइल, आपका रहने का तरीका।

भाभी बोलीं- मेरे जिस्म में आपको क्या अच्छा लगता है?

मैंने उनकी चूची की तरफ हाथ करके दिखाया। तब उन्होंने अपना पल्लू हटाते हुए कहा- मैं तुम्हारी हूँ।

मैंने उनको अपने पास खींचा और उनकी चूची दबाने लगा तो भाभी कहने लगीं- निशांत, ये सब बाद मैं करना अभी मुझे खाना बनाने दो।

मैंने कहा- आप खाना बनाओ, मैं तो बस आपकी चूची दबा रहा हूँ।

भाभी हँसते हुए मेरी तरफ देख कर कुछ नहीं बोलीं, बस खाना बनाने लगीं और मैं उनकी चूची के साथ खेलता रहा। मैंने उनका ब्लॉउज खोल दिया और बाद में ब्रा भी उतार दी। मैं उनकी चूचियाँ मींजता रहा, उनसे चिपक कर मैं उनको चूमता भी रहा।
मैं अपना लौड़ा उनकी पिछाड़ी में रगड़ रहा था। भाभी की भी सिसकारियाँ ले रहीं थीं।

भाभी ने खाना बना कर गैस बन्द कर दी और मेरी तरफ घूम कर बोलीं- तुम मानोगे नहीं।

उन्होंने मुझे अपने आगोश में ले लिया, मुझसे बोलीं- चलो बाथरूम में चल कर नहाते हैं।

बाथरूम में आकर मैंने उनके पूरे कपड़े उतार दिए और भाभी ने भी मुझे नंगा कर दिया। हम दोनों ही काम-वासना की अग्नि में जल रहे थे, फव्वारे की ठंडी बूँदें हमारा मन बहका रहीं थीं।

ऋषिता नीचे बैठ गई और मेरा लौड़ा चूसने लगी। मैंने भी उसकी चूत को अपनी उंगली पेल-पेल उनका पानी निकाल दिया, फिर गीले ही मैं और ऋषिता बेडरूम में चले गए।

बेडरूम में ऋषिता की चूचियों को मैंने खूब मसला वो बोली- उखाड़ कर ले जाना है क्या?

मैंने कहा- हाँ, तुम्हारी इन गेंदों ने मेरी नींदें चुराईं हैं, मैं इनको इनके किये की पूरी सजा दूँगा।

वो हँस पड़ी और बोली- इसके अलावा और भी कुछ होता है करने के लिए।

मैंने कहा- तुम चिंता मत करो रानी, मैं कुछ नहीं छोडूँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने अपना लण्ड उसके सामने लहराया। उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर लिया और चूस-चूस उसे बहुत कड़क कर दिया। मैंने उसकी चूत की फाँकों को फैलाया और अपना मूसल उसकी चूत के मुहाने पर रख कर भाभी की तरफ देखा और लौड़े को एक झटका मारा।

भाभी के थूक से और उनकी चूत के रस से चिकनाई इतनी अधिक थी कि मेरा लण्ड सट्ट से अन्दर घुस गया। ऋषिता के कण्ठ से एक मादक आह निकली, फिर मैंने अपने लौड़े को फुल स्पीड में दौड़ा दिया और ऋषिता के चिकनी सड़क पर मेरा लवड़ा बिना ब्रेक की गाड़ी जैसे दौड़ पड़ा।

मैं तो जन्नत की सैर करने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरे दोनों हाथों में उसके बड़े-बड़े उरोज थे और लौड़े के नीचे उसकी चिकनी चूत थी। मैंने उनकी जम के चुदाई की। ऋषिता को भी खूब मजा आ रहा था वो भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा रही थी।

मैंने करीब बीस मिनट तक उसकी चुदाई की और फिर मैंने ऋषिता को अपने ऊपर ले लिया। उसके लटकते पपीते मेरे मुँह में थे। कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए।

ऋषिता मेरी छाती पर ही ढेर हो गई। कुछ देर बाद वो उठी और बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे की आँखों में मुस्कुरा कर झाँक रहे थे।

उसके बाद भी हमने बहुत बार सैक्स किया।

आपको मेरी यह दास्तान कैसी लगी, आप लोग मुझे मेल कर सकते हैं।

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