कुंवारी तृप्ति
(Kunvari Tripti)
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मेरा नाम प्रतीक है, मेरी उम्र 21 साल है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मैं सेक्स का बहत शौक़ीन हूँ। मेरे लण्ड आकार 7 इंच, काफी मोटा है जो किसी लड़की को अच्छी तरह से संतुष्ट कर दे।
मैं आज आपको एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ जो कुछ ही दिन पहले की है। मैं अलवर आया था इंजीनियरिंग करने के लिए, मुझे मेरे घर वालों ने एक कमरा किराए पर दिलवा दिया। उस घर के मालिक की एक बेटी थी उसका नाम तृप्ति था जो मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती थी, उसके बारे में क्या बताऊँ मैं !
एकदम गोरा रंग, कसम से क्या लगती थी 36-25-37, उसके मम्मे इतने कसे हुए थे जिनको देखकर हर कोई पागल हो जाए।
वो बहुत सीधी लड़की थी, किसी भी लड़के से बात नहीं करती थी। हमारी भी बहुत कम बात होती थी।
धीरे धीरे मैंने उससे पूछा -तुम्हारा कोई बॉयफ़्रेन्ड है क्या?
उसने मना कर दिया कि मुझे इन सब चीजों में दिलचस्पी नहीं है।
मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगा, मेरे कमरे से उसका कमरा भी थोड़ा दीखता था, रोज मैं कॉलेज से आकार उसको कपड़े बदलते देखता।
वाह ! क्या चूतड़ थे उसके जिनको जितना सहलाओ, कम है।
एक दिन रात को हमारे कॉलेज में पार्टी थी, वो अपनी एक सहेली के साथ घूम रही थी, मैं उसका पीछा कर रहा था।
क्या लग रही थी वो उस दिन कसी जींस और कसे हुए टॉप में !
तभी अचानक बिजली चली गई। चारों तरफ अँधेरा हो गया, सब चिल्लाने लगे, मैंने मौके का फायदा उठाया और तृप्ति के मुँह पर हाथ रख कर उसको एक तरफ़ ले गया कुछ दिख तो नहीं रहा था, मैंने उसको पीछे से पकड़ कर उसके मम्मे भींच दिए।
वो चिल्लाने लगी पर इतना शोर था कि उसकी आवाज़ तो सुनाई ही नहीं दी। मैंने उसकी जींस में अपना हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिया, वो एकदम से मचल गई और भाग गई।
उस दिन मैंने घर आकर खूब मुठ मारी।
अगले दिन जब मैं उसको कॉलेज से आने के बाद देख रहा था तो देखा कि वो अपनी चूत में उंगली घुसाने की कोशिश कर रही थी और मजे ले रही थी।
एक दिन शाम को वो घर में अकेली थी तो मैं एकदम से नीचे उसके कमरे में घुस गया तो देखा वो आँखें बंद करके उंगली कर रही थी।
जैसे ही उसने मुझे देखा, वो बहुत डर गई और शर्मिंदा सी हो गई।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया, उसने पजामा और टीशर्ट पहन रखी थी, वो कहने लगी- प्लीज़ किसी को बताना मत ! मैंने कहा- ऐसा हर लड़की करती है !
और धीरे धीरे मैं उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।
फिर मेरा हाथ उसके मम्मों पर चला गया, वो गर्म होने लगी, हमने खूब चूमा एक दूसरे को। मैंने उसके कपड़े उसके जिस्म से अलग कर दिए और उसको ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। वाह क्या लग रही थी वो मचलती हुई !
मेरा लंड पैंट के अन्दर नहीं समा रहा था, सो मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया।
मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया और उसके होंठों पर रगड़ने लगा। उसने मेरे लंड को प्यार से देखा और उसे चूमने लगी।
उसने बिना वक़्त गंवाए मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में रख लिया। मुझको ऐसा लगा मानो मैं जन्नत में हूँ। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसके मुँह के अन्दर था और मैं उसके मुँह को झटके मार मार कर चोद रहा था।
फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गये। मेरा मुँह उसकी चूत को चाट रहा था और उसका मुँह मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रहा था।
अब हम लोग अपने आपे में नहीं थे और अब रुक भी नहीं सकते थे सो मैंने अपना लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया। उसकी चूत पानी निकलने के कारण चिकनी हो चुकी थी तो मैंने अपना लण्ड जैसे ही थोड़ा अन्दर डाला, वो चिल्ला उठी।
मैंने और अन्दर किया तो उसकी सील टूट गई थी, वो बहुत तेज रोने लगी।
अब मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में था। मेरा लंड उत्तेजना से मोटा हो गया था और उसकी चूत में रगड़ खा रहा था। हम लोगों को बहुत ही मज़ा आ रहा था। मैं अपने लंड से उसकी चूत में धक्के मार रहा था और वो भी चूतड़ उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम लोग झड़ने लगे। उसने मेरे लंड को अपनी चूत दबा के अन्दर ही फंसा रखा था और वो अपनी चूत से मेरे लंड को दबा रही थी।
फिर कुछ देर वैसे ही लेट कर सो गए। थोड़ी देर बाद मैं उठा और कपड़े पहन कर तैयार हो गया। वो अभी भी बिना कपड़ों के लेटे लेटे मुझको देख रही थी।
उसके बाद हमको जब भी मौका मिलता हम सेक्स करते और सिलसिला लगभग रोज ही चलता। जब तक वो मेरे साथ रही हम लोगों ने हर आसन का मज़ा लिया। जितने तरीके हो सकते थे हमने आजमाए
वो कुंवारी चूत आज भी बहुत याद आती है।
आज मेरी वो दोस्त मेरे साथ नहीं है पर आज भी वो मुझको बहुत याद आती है। मैं चाहता हूँ कि अगर वो इस कहानी को पढ़ रही है तो वापस मेरे पास आ जाये। मैंने अब उसको पहले से भी ज्यादा मज़ा दूँगा। मेरा लंड आज भी उसकी याद में खड़ा हो जाता है
आपको यह कहानी कैसी लगी, मुझे जरुर मेल करके बताएँ।
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