कब जुदा होंगे
मेरा नाम संगीता है। मैं गुजरात के धोलका नामक शहर से हूँ. मेरा रंग गोरा, बदन 38-28-36 है, जिससे दिखने में तो कोई भी मुझे खूबसूरत कह सकता है।
घर में मेरे अलावा मम्मी-पापा और मेरा भाई है जो मुझ से दो साल छोटा है।
राजपूत परिवारों में लड़की पर बहुत सारे बंधन होते हैं पर मेरे पापा आधुनिक विचारों वाले है इसलिए मेरे ऊपर कोई बंधन नहीं था, मैं आजाद ख्यालों वाली लड़की हूँ।
यह मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी है। मेरे पापा गुजरात विद्युत बोर्ड में इंजिनियर हैं, मेरे पापा का ट्रांसफर अहमदाबाद हुआ था, तब की यह बात है, मैं बारहवीं साइंस में पढ़ती थी, उम्र 18 से कुछ ऊपर थी।
अहमदाबाद में हमारे बगल वाले घर में एक विधर्मी परिवार रहता था, उस परिवार में एक विधवा औरत श्रीमती रोज़ी मेकवान और उसका बेटा डेविड थे।
श्रीमती रोज़ी की उम्र 55 के आसपास होगी डेविड 35 साल का था। वह दिखने में काला था लेकिन उसका शरीर एक दम हट्टा-कट्टा और कसरती था। उसकी तब तक शादी नहीं हुई थी, वह किसी शोरूम में सेल्समैन की नौकरी करता था।
हम लोग जब से रहने आये थे तब से ही हमारे उनके साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध थे, मेरी सहेलियों ने मुझे बताया था कि डेविड एक नंबर का चालू है, उसके कई लड़कियों के साथ उसके अफ़ेयर हैं पर मैं उन बातों में कोई रस लेती नहीं थी।
एक बार शाम को मैं टयूशन से घर लौट रही थी, अंधेरा हो चुका था, मुख्य सड़क से मुड़ने के बाद थोड़ा रास्ता सुनसान आता है, वहाँ 4-5 रोमियो किस्म के लड़के मुझे अकेली पाकर छेड़ने लगे।
तभी डेविड वहाँ आ पहुँचा, उसने उन लड़कों को अच्छी तरह धोया और मुझे सही-सलामत घर पहुँचा दिया। पहले मैंने कभी उसे नोटिस नहीं किया था लेकिन अब मुझे वह बॉलीवुड के किसी हीरो जैसा लगने लगा।
रात को मैं ऊपर वाले कमरे में पढ़ती और सोती थी, डेविड खाने के बाद टहलने के लिए छत पर आया करता था। मैंने उसे पास बुलाया और गुण्डों से बचाने के लिए शुक्रिया बोला।
उसने बोला इसमें शुक्रिया की क्या बात है, यह तो मेरा फ़र्ज़ था।
मुझे काफी अच्छा लगा।
उसने बोला- संगीता, मैंने जब से तुम्हें देखा है, मैं अपने होश खो बैठा हूँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, क्या तुम मेरा प्यार स्वीकार करोगी?
मैं सोच में पड़ गई, हालाँकि वो मुझे अच्छा लगने लगा था पर मैंने उसे कहा- सोच कर बताऊंगी।
दूसरे दिन जब वो छत पर आया तो मुझसे पूछा- कुछ सोचा?
मैंने जब कहा कि मैं भी उससे प्यार करती हूँ तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा, उसने मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी।
मैं भी उसे लिपट गई।
हम दोनों साथ साथ घूमे, पिक्चर देखी, हम अक्सर कांकरिया तालाब के किनारे बैठ कर एक दूसरे में खो जाते थे।
एक बार रात के 11 बजे वो मेरे कमरे में आया और रोज़ की तरह मुझे बाँहों में भर कर चूमने लगा। मैं उसकी गोद में बैठ गई।
वह धीरे धीरे मेरे स्तन दबा रहा था, हम दोनों प्यार भरी बातो में मस्त थे। उसके कड़क लंड को में अपने चूतड़ों की दरार पर महसूस कर रही थी।
वो मेरी नाइटी के हुक खोलने लगा।
मैंने कहा- जानू, क्या कर रहे हो?
उसने कुछ न बोलते हुए मेरी नाइटी उतार दी। अब मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी।
उसने ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को सहलाया, बोला- भगवान ने क्या हुस्न दिया है!
फिर ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे स्तनों को चूसने लगा।
मेरी छाती जोर से धड़क रही थी।
मेरे स्तनों को खूब चूसने के बाद डेविड मेरी पेंटी को निकालने लगा। मैंने उसे रोकते हुए कहा- तुम भी अपने कपड़े उतारो।
उसने अपने कपड़े उतार दिए। जब अंडरवियर उतारी तो उसका 8 इंच का काला लंड लोहे के डण्डे की तरह खड़ा था।
मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी, मैंने अपनी पेंटी उतार फेंकी और उसके काले लंड को सहलाने लगी। उसने मुझे लेट जाने को कहा।
मैं लेट गई, वो मुझ पर छाने लगा, मेरे मुँह को पकड़ कर होठों को चूसने लगा, एक हाथ से उससे अपने लंड को मेरी योनि के मुँह पर रखा, उसके लंड का टॉप गद्देदार था। धीरे से वह अपना लंड अन्दर डालने लगा। मुझे थोड़ा दर्द हुआ क्योंकि मेरी झिल्ली टूटी थी।
अब डेविड ने अपना पूरा लंड जोरदार धक्के से पेला तो मैं हक्की बक्की रह गई, वह मुझे धमाधम चोदने लगा।
अब मुझे भी मजा आने लगा, मैं कूल्हे उठा उठा कर उसका साथ देने लगी। मैं अपने हाथ उसकी पसीने से तर पीठ पर फेरने लगी। उसने मेरे स्तन चूम कर शाबाशी दी।
मैं दो बार झड़ चुकी थी पर मेरा जानू अब भी टिका था, वह बोला- संगीता, जब से तुझे देखा है, मेरा लंड जैसे आग से जल रहा था, आज इसको ठंडा करने का नौका मिला है, तू बहुत मस्त माल है मेरी रानी।
मैंने प्यार से उसकी पीठ थापी और बोली- जानू, तू अपने लंड की आग को मेरी चूत में जी भर के ठंडा कर ले, मैं तुम्हारी ही हूँ।
वो अभी भी मुझे जोर से चोद रहा था। मैं जानती थी कि वो कई लड़कियों को भोग चुका है, इसीलिए अभी भी टिका है।
आधा घंटा चोदने के बाद डेविड मेरी चूत में ही झड़ गया, मैं उसके गर्म-गर्म वीर्य को अपनी चूत में महसूस कर रही थी।
हम दोनों पसीने से तरबतर थे, डेविड अभी भी मुझ पर था और उसका लंड भी मेरी चूत में था, वो मेरे होंठ और स्तन चूस रहा था, मैं उसकी पीठ सहला रही थी।
ये दोनों तो कब जुदा होंगे, यह जान कर डेविड का लंड खुद ही मेरी चूत से बाहर आ गया, हम अलग हो गए, पसीना पोंछा और डेविड ने मुझे फिर से बाहों में भर कर एक लम्बा चुम्मा दिया, फिर गुड नाईट कह कर चला गया।
उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, हम चुदाई का आनन्द लेते थे। मुझे वो बहुत अच्छा लगता था, मैं उसे बहुत प्यार करती थी। उसके बगैर मुझे एक दिन भी अच्छा नहीं लगता था। उसने मुझे कहा- शादी कर लेते हैं।
मैं भी उससे शादी करना चाहती थी पर घर वालों को कैसे मनायें।
इसलिए हमने भाग कर शादी कर ली। मेरे मामी-पापा बहुत नाराज़ हुए क्योंकि मैंने विधर्मी से शादी की थी। मैंने फ़ोन पर उनको बताया कि भले ही मैंने विधर्मी से शादी की है पर मैं हमेशा अपने धर्म में ही रहूँगी।
एकाध साल के बाद वो मान गए और हम दोनों को घर बुलाया।
शादी के दो साल बाद मैंने अपने पहले बच्चे क्रिस्टोफर को जन्म दिया तो मम्मी-पापा, डेविड और मेरी सास बहुत खुश हुए।
पापा ने डेविड को पल्सर बाइक तोहफे में दी। तीन साल बाद मैंने अपने दूसरे बेटे डोनाल्ड को जन्म दिया।
आज मैं अपने बच्चों और पति के साथ बहुत खुश हूँ।
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