अंकल ने गांड की सील तोड़ी
प्रेषक : राहुल
प्यारे दोस्तो !
मेरा नाम राहुल है, जी यह मेरी अन्तर्वासना में पहली दास्तान है।
सभी अन्तर्वासना-पाठकों को मेरा सलाम और गुरूजी को मेरी तरफ़ से प्रणाम !
मैं +२ में पढ़ता हूँ, गोरा, चिकना, बड़ी-बड़ी गोल-मोल गांड ! अभी मेरे शरीर में बाल नहीं आए, चिकना चुपड़ा बदन है मेरा, मेरी चाल भी लड़कियों जैसी है। मेरे कुछ सीनियर लड़कों ने मुझ से खाली क्लासरूम में खाली समय में अपने लौड़ों की मुठ मरवाई, एक दो बार मैंने उनके लंड भी चूसे।
अकेला घर में होता तो बहन की अलमारी से उसके ब्रा, पैंटी, टॉप पहन शीशे में देखता रहता। एक रोज़ उसकी अलमारी में मैंने एक व्यस्क-पत्रिका देखी जिसमें लड़के को लड़के से गांड मरवाते देखा और लड़की को लड़की के साथ करते देख मेरा दिल भी गांड मरवाने को करने लगा।
एक दिन शाम को सब बैठ चाय वगैरा पी रहे थे कि तभी गाँव से फ़ोन आया मेरे पापा के चचेरे भाई यानि मेरे चाचा का देहांत हो गया। मेरे पेपर नज़दीक थे, मैं और दादी रुक गए, और सभी गाँव चले गए, साथ वाले अंकल को रात हमारे घर रहने को कह गए।
अंकल बहुत ठरकी थे, यह सभी लोग बताते हैं। वो अकेले घर रहते थे पीछे से वो तो कामवाली को नहीं छोड़ते। मैंने और दादी ने खाना वगैरा खाया। मैं ब्रश करने की सोच रहा था कि अंकल ने बेल बजाई। उनको अन्दर आने को कह मैं गेट लॉक करके उनके पीछे ही अन्दर गया। मैंने अंकल को कहा- आप लॉबी वाला कमरा ले लो, मैंने बिस्तर लगा दिया है।
कह मैं अपने कमरे में गया। गर्मी की वजह से मैंने निकर पहन ली और सोचा कि सोने से पहले नहा लूँ। पसीना आया था, अच्छी नींद आयेगी।
दरवाज़ा खुला ही छोड़ मैंने कपड़े उतार डाले, सिर्फ़ चड्डी पहने शावर के नीचे खड़ा नहाने लगा। पानी से मेरी चड्डी गांड से चिपक गई। तभी पीछे से किसी ने मेरी दोनों गांड के चूतड़ों को सहला डाला, पीछे से जफ्फी डाल ली।
मैंने मुड़ कर देखा तो अंकल मुझे बाँहों में लेकर पीछे मेरे साथ चिपके हुए थे।
यह क्या कर रहे हो अंकल ?
तेरे साथ नहाने का मन है, शावर एक ही है, इसलिए सोचा कि तुझसे चिपक नहा लूं ! वैसे तू बहुत चिकना है, गांड बहुत सेक्सी है, ऐसे चूतड़ तो किसी लड़की के भी न होंगे। मुझे अपनी तरफ़ घुमा के मेरी छाती देख बोले- यार ! यह तो लड़की की तरह पोली पोली है और साले यह निपल तो लड़कियों जैसे हैं।
कहते ही पानी से भीगे मेरे निपल को चूसना चालू किया। मेरी गांड में कुछ कुछ होने लगा, मुझ से रुका नहीं गया। जब अंकल मुझे गरम कर रहे थे तो मेरा हाथ भी उनके लंड पे गया, मैं सहलाने लगा।
अंकल बोले- मसल थोड़ा !
मुझे नीचे कर मेरे मुँह में लंड डाल दिया। गीला लंड, गीला बदन वो मेरे सर को पकड़ आगे पीछे करने लगे। शावर बंद कर मैंने उनके बदन पर साबुन लगते हुए उनकी चड्डी उतार डाली, लंड पे साबुन लगा दिया और ख़ुद उनके शरीर से अपने बदन को रगड़ कर साबुन लगवा लिया। वो गांड में ऊँगली करने लगे, साबुन की वजह से उनकी दो ऊँगलियाँ कब घुस गई मालूम न पड़ा।
शॉवर में साबुन उतार अंकल तौलिए से पोंछ मुझे बिस्तर पे ले आए और बोले- लंड चूस ! मुठ मार !
मेरी दोनों टाँगे कंधों पे रख लंड मेरी गांड पे रगड़ते हुए धक्का मारा, फट से लंड घुस गया मेरी गाण्ड में। अंकल ने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था। मुझे मालूम था कि शुरू में दर्द होगा, मैंने अपने हाथ से अपना मुँह बंद कर रखा था। दूसरे धक्के में उनका आधा लंड घुस गया, मैं छटपटाने लगा दर्द से, टीस निकल रही थी कि तीसरे धक्के से लंड पूरा घुस गया।
लण्ड मेरी गाण्ड में फंस चुका था, अंकल ने निकाल के फ़िर डाला, तीन चार बार जब निकाल के डाला तो मुझे मजा आने लगा और उन्होंने मुझे छोड़ दिया। अब मैं नीचे से गांड उठा उठा उठा के चुदवाने लगा।
अंकल ने मुझे रात में तीन बार चोदा। सुबह मुझसे ठीक से चला नहीं गया, गांड पे सरसों का तेल लगाया फ़िर ठीक हुआ।
मैं स्कूल गया। शाम को पापा और अन्य लोग न लौटे तो अंकल को फ़िर रुकना था। दो रात में अंकल ने मुझे गांडू बना डाला। उसके बाद मौका मिलते में झट से उनके घर चला जाता, खूब चुदवाता, मौका रोज़ ही मिल जाता।
अंकल ने मुझे इतना चोदा कि मुझे उसके बाद गांड मरवाने का चस्का लग गया। आंटी के दुनिया से जाने के बाद ही अंकल को यह सब करना पड़ा था।
दोस्तो यह थी मेरी गांड में घुसे पहले लंड की ठुकाई !
मेरी गांड में दूसरा लंड किसका घुसा वो अगली बार लिखूंगा !
कभी अलविदा न कहना !
चलते चलते कोई लंड मिल जाए तो उसे गांड में डलवाना।
बाय बाय बाय ०३ जून, २००९
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