गदराई लंगड़ी घोड़ी-4

वीर सिंह 2014-03-25 Comments

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बबिता ने फिर से अपने दोनों हाथ अपने घुटनों पर रख लिए और बेसब्री से मेरे से अपनी गाण्ड चटवाने के लिए चूतड़ और पीछे को निकाल दिए। मैंने बहुत सारा थूक उसकी गाण्ड की दरार में थूका तो थूक फिसलकर नीचे गिरने लगा, तो मैंने उसके दोनों चूतड़ झट से आपस में चिपका दिए।

फिर जब मैंने उसके चूतड़ों को फिर से खोला तो उसका मस्त भूरा छेद थूक से गीला होकर चमक रहा था। मैंने छेद में झट से अपनी जीभ घुसेड़ दी। बबिता एकदम से सिसकार पड़ी।

तभी बबिता ने मेरे हाथ अपने नंगे चूतड़ों से हटाए और झट से पजामा ऊपर खींच लिया। उसे शायद मम्मी की आहट आ गई थी। वो तुरंत रसोई में घुस कर पानी पीने लगी। तभी मम्मी आ गईं।

अगर बबिता सही टाइम पर नहीं हटती, तो मम्मी मुझे उस दिन जरूर पकड़ लेतीं और वो भी बबिता की गाण्ड चाटते हुए।

बहुत गड़बड़ हो जाती यार!

मैं भी नीचे बैठ कर वीडियो गेम खेलने का नाटक करने लगा और अपने खड़े लंड को शांत करने की कोशिश करने लगा। मेरी नज़रें अभी भी बबिता की गाण्ड पर ही थीं। वो रसोई में मम्मी की मदद कर रही थी और मैं उसकी मटकती गाण्ड को चोरी से देख रहा था।तभी मुझे उसके पजामे के ऊपर एक बड़ा सा गीला दाग बनता नज़र आया। उसकी गाण्ड में लगा थूक उसके पजामे को गीला कर रहा था। कुतिया ने कच्छी तो पहनी ही नहीं थी।

अब एक नई दिक्क़त आ गई। डर लग रहा था कि कहीं बबिता का गीला पजामा मम्मी न देख लें, पर तभी मम्मी 2 मिनट के लिए रूम में चली गईं और मैंने जल्दी से बबिता को बता दिया कि उसका पजामा मेरे थूक से गीला हो गया है। वो थोड़ी घबरा गई और मम्मी के आने के बाद उनके सामने सीधे ही खड़े-खड़े बात की और फिर रंडी मुझे गर्म करती हुई छम-छम करती हुई ऊपर भाग गई।

मैं भी डिनर करके ऊपर बबिता के पास पहुँचा। मेरे उसके कमरे में पहुँचते ही उस कुतिया ने अपने बिस्तर पर घोड़ी बन कर फिर से घुटनों तक पजामा नीचे खींच दिया और मैं किसी पागल कुत्ते की तरह उस कुतिया के साइड में बैठ गया और उनकी नंगी गाण्ड को अपने हाथों से फैला लिया। बबिता की हालत बहुत ख़राब लग रही थी। मैंने धीरे से उसकी गाण्ड का छेद छुआ। मस्त पिलपिला हो रहा था और उसकी गुदा फूल-पिचक रही थी। जैसे कि बार-बार आँख मार रही हो। मैं पागल हो गया और तुरंत अपने भूखे होंठ उसकी भूरी गुदा पे चिपका दिए।

“ओह्ह्ह… वीर खा जाओ ना इसे… ओफ्फ… उईईई… आराम से… अह्हह्हह… सीईईईईस्सस्स
“ओह्ह्ह… बबिता…वो शहद दो ना…और मज़ा आएगा।”
“नहीं आज शहद नहीं… आज कुछ और है मेरे पास तेरे लिए…”
“क्या?”
“तू पहले खेत वाले कमरे पर तो चल, लेकर आती हूँ।”
“बबिता एक बार यहीं चोद लेने दो ना…देखो तुम्हारी गाण्ड भी कितना कुलबुला रही है।”
“नहीं यहाँ नहीं…सेफ नहीं है यहाँ अभी और वैसे भी आज मेरा खूब चीखते और चिल्लाते हुए चुदने का मन है मेरे राजा…।”
“सारी रात चोदना…आज…तुझे मेरी कसम…!”
“चलो ठीक है जल्दी से आ जाओ खेत वाले कमरे पर और आते वक़्त मुंडेरी का गेट बंद कर देना।”

मैं अपने खेत पर पहुँच गया और अपने कमरे में बबिता का इंतज़ार करने लगा। मैंने अभी कपड़े भी नहीं उतारे थे, क्यूंकि खेत का दरवाज़ा अभी तक खुला था और नंगा होना सुरक्षित नहीं था।

तभी मुझे बबिता सामने गेट बंद करती दिखाई पड़ी। मैं कमरे में झट से अपने कपड़े उतारने लगा और पूरा नंगा ही भागता हुआ गेट के पास जाने लगा जहाँ बबिता अभी भी खड़ी थी।

रात के 9 बज रहे थे और हमें अब कोई रोकने वाला नहीं था। मैं जब बबिता के पास पहुंचा तो वो तुरंत कूद कर मेरी गोदी में चढ़ गई।

मेरी तो लंड की नसें फटने को हो गईं। एकदम से दोपहर वाला नज़ारा याद आ गया, जब मेरी लंगड़ी मधु दीदी इस तरह मेरी गोदी में चढ़ गई थी। उस हरामजादी ने अभी भी वही पजामा और टी-शर्ट पहन रखा था।

“अब कमरे में ले चल वीर जल्दी से… चल तुझे भूगोल की क्लास देती हूँ…”
और बबिता बड़े ही सेक्सी स्टाइल में हंसने लगी।

मैं बबिता गोदी में उठा के कमरे की तरफ चलने लगा। मैंने उसके चूतड़ दोनों हाथों से थाम रखे थे। कमरे में पहुँच कर बबिता ने मेरी गोद में चढ़े हुए ही कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। अब कोई डर नहीं था। सबसे पहले मैंने बबिता को अपने बेड पर खड़ा किया और उसे पूरा नंगा हो जाने को कहा।

बबिता मटकते मटकते अपना पजामा उतारने लगी और फिर टी-शर्ट उतारकर बिल्कुल मादरजात नंगी हो गई। उसके बाल खुले थे और पैरों में बजने वाली पाजेब थीं। उस दिन उसके इस पाज़ेब वाले आईडिया ने एक नई रंगत ला दी थी।

“तुम्हें मीठी चूत पसंद है ना?” बबिता ने पूछा।
“मीठी चूत मतलब?”
“अरे तुम ही तो कह रहे थे कि मेरी चूत बहुत मीठी लगती है तुम्हें!”
“हाँ, वो तो है बबिता!”
“बस तो आओ और चूसो मेरी मीठी चूत!” वो पलंग पर टाँगें चौड़ी करके लेटने लगी।
“अरे रुको पलंग पर नहीं, वहाँ मेज पर लेटो। मैं इस लाजवाब चूत को कुर्सी पर बैठ कर चाटूँगा।”

वो जल्दी से मेज पर चढ़ गई और मैं कुर्सी पर बैठ गया। काश दीदी के साथ भी इतना आजाद होकर सेक्स कर पाता। कितना अच्छा लग रहा था। मैं बिल्कुल नंगा और मेरे साथ इतनी मस्त गदराई नंगी औरत मेरे साथ मेरे रूम में थी। चुदाई का मज़ा ही बिल्कुल बिंदास होकर करने का है। बिना डर के चुदाई खूब ज़ोरों से होती है।

खैर बबिता मेज के किनारे पर बैठ गई और मैं कुर्सी बिल्कुल उसके सामने रख कर बैठ गया। मेरे सामने उसकी मस्त चूत ऐसे नंगी नंगी परोसी रखी थी, जैसे खाने की मेज पर कोई डिश रखी हो। वास्तव में वो थी भी एक डिश, एक बहुत ही बढ़िया डिश। सच में अगर मर्द के सामने नंगी-नंगी चूतें इस तरह परोस के रखी हों, तो कुछ और खाने की जरूरत ही नहीं है। मर्दों के लिए तो नंगी चूतों से बढ़कर दुनिया में कोई और दूसरी डिश हो ही नहीं सकती।

“प्पौऊऊन्क्क्छछ्ह… प्पुह्ह्ह” मैंने पूरी चूत को मुँह में भर लिया। दोनों हाथों से बबिता की जाँघें पकड़ लीं और चूत के लोथड़ों को ज़ोर-ज़ोर से चुभलाने और चूसने लगा। बबिता की तो हालत ख़राब होने लगी, यार उसकी चूत बड़ी मस्त थी। कितनी बार मैं उस चूत का अपने लंड से बैंड बजा चुका था, पर फिर भी उस चूत में हर बार एक नई कशिश लगती थी।

मैं चूत को होंठों से पकड़-पकड़ कर चूस रहा था और चूस के जब छोड़ता तो ज़ोर से “पुन्च्छ्ह” की आवाज़ करता। फिर से उस नंगी चूत की मोटी फाँक को होंठों में दबा लेता। मेरी इस हरकत से बबिता ने अपनी टाँगें हवा में उठा कर खड़ी कर लीं। मैंने उसकी जाँघों को ज़ोर से पकड़ा था और उसकी चूत को बड़ी मस्ती में चूस रहा था। बबिता सिसियाती हुई झड़ गई। मैं उसका रस चाटने के लिए उसकी चूत में जीभ डालने लगा।

आज उसका रस सचमुच बड़ा मीठा लग रहा था। मैंने अपने हाथों के अंगूठे से उसकी चूत के मोटे पुत्तों को फैला रखा था और चूत के अंदर के हिस्से को चाट रहा था। चूत अभी भी झड़ने की वज़ह से हौले-हौले फुदक रही थी। मैं उसके मूतने वाले छेद को भी चाट रहा था और उसकी क्लिट को भी। चूत से बहुत मीठा जूस निकल रहा था। मुझे लगा कुछ तो अलग है आज।

“उफ्फ्फ्फ़ बबिता आज कितनी मीठी लग रही है ये चूत वाऊऊ ‘पुन्छ्ह… पुन्छ्ह्ह… पुन्छ्ह्ह… पुन्छ्ह्ह… पुन्छ्ह्ह…क्या किया है तुमने?”

सच में बड़ा मज़ा आ रहा था सेक्स का… 20 मिनट से मैं एक जवान नंगी चूत का लुत्फ़ अपने होंठों से उठा रहा था। वो भी जब वो चूत ना ही मेरी किसी गर्ल-फ्रेंड की थी, ना ही किसी रंडी की। वो तो मेरे लंड की दीवानी मेरी किरायेदारनी की चूत थी। पता नहीं आज कुतिया क्या खाकर आई थी कि जो उसकी चूत से इतना मीठा रस निकल रहा था।

तभी मैंने देखा की उसकी चूत के अंदर कुछ सफेद सफेद सा घुसा हुआ है।
“यह तुम्हारी चूत में क्या घुसा हुआ है बबिता?”
मैं बबिता की तरफ देखते हुए उससे पूछा। वो कातिलाना मुस्कान दे रही थी।
“सरप्राइज… घुसा हुआ है मेरी चूत में आज!”
“तो बाहर निकालो न इसे अपनी चूत से… प्लीज… देखना है मुझे… वाअऊऊओ… कितना सेक्सी है ये सब!”
“खुद ही निकाल लो। सरप्राइज तो खुद ही खोलना पड़ता है।”

इतना कहते ही मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा।
“उईइ… उंगली से नहीं… चूत में लंड डालकर चोदो इस निगोड़ी चूत को… सरप्राइज अपने आप बाहर आ जायेगा।”
मैं फैला फैला कर चूत में झांक-झांक कर देख रहा था कि अंदर क्या है? चूत में कुछ घुसा हुआ था।
“मेरा लंड चूस के गीला तो कर दो फिर चोदूँगा।”
“मेरी चूत पूरी गीली है… तुम लंड डालो तो सही! पहले लंड डाल कर अपना सरप्राइज बाहर निकालो फिर एक और सरप्राइज है तुम्हारे लिए। आज की रात सरप्राइज की रात है।”
“अच्छा ठीक है तुम मेज से उतर कर कुर्सी पर घोड़ी बन जाओ। पीछे से चोदने का मन है।”
“नहीं…ऐसे ही मेज पर मेरी टाँगें फैला कर लंड डालो। घोड़ी बनकर भी चुदवाऊँगी, पर वो दूसरे सरप्राइज के टाइम।”

मेरी समझ नहीं आ रहा था कि आज उस चुदक्कड़ मस्त औरत के मन में क्या है! एक तो मेरी हालत दीदी की वज़ह से पहले ही ख़राब थी। दीदी को और चोदने का मन था पर मौका नहीं मिला। मेरा भी लंड अब चूत-चूत चिल्ला रहा था। मैं कुर्सी से खड़ा हो गया और ज़ोर से मेज पर अपनी फूली हुई चूत फैलाए बैठी उस नंगी कुतिया को टेबल के किनारे पर खींच लिया। बबिता के चूतड़ टेबल के एक कोने पर टिके थे और वो अपनी कोहनियों के बल अपने जिस्म को टेबल पर टिका कर मेरी तरफ देख रही थी।

इस स्टाइल में चुदते हुए वो अक्सर मुझे इस तरह देखती थी। जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसता था तो उसे मेरे चेहरे के वो भाव देख कर बड़ा मज़ा आता था। वो कहती थी कि मेरा चेहरा देख कर उसे ऐसा लगता था जैसे मैं किसी स्वर्ग में पहुँच गया हूँ और यह सही भी है। इतना तड़पने के बाद जब लंड चूत में घुसता है तो वाकयी चूत में जन्नत का अहसास होता है।

मैंने उसके पैर पकड़ लिए और थोड़ा आगे ख़िसक कर अपने बुरी तरह फूले लंड को उसकी चूत पर रख दिया।
“मेरी जान… अपने ये खूबसूरत पैर मेरी कमर पे लपेट लो।”
मैंने उसके पैर छोड़ दिए और उसने अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए। मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उसकी चूत की मोटी फाँकों पे हल्की थपकियाँ देने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

“इतना तड़पाते हैं किसी को… हूह्ह… इतना तड़पाते हैं…!” मैं बबिता की चूत की फाँकों पर लंड से थप्पड़ मार रहा था और चूत से ऐसे कह रहा था जैसे मेरा लंड ही उसकी चूत से कह रहा हो।
“ओह्ह… कैसा रबर जैसे तन्ना रहा है तेरा लंड वीर… उफ़्फ़… अब और मत तड़पा… चोद ना अब… उईईई… लाल हो गई मेरी चूत… बस कर… अब चोद!”
मैंने आख़िरी बार उसकी लाल हो चुकी चूत पर लंड का थप्पड़ मारा और फिर अपना सुपारा उसकी चूत में फिट कर दिया।
सुपाड़ा घुसते ही उसकी नज़र मुझसे मिलीं और उसने कहा, “नॉटी… बाबू… उफ्फ्फ्फ़… स्स्स्स… चोदो!”

मेरा लंड 3 इंच ही अंदर गया होगा कि मुझे उसकी चूत में कुछ रूकावट लगी। मैं तुरंत समझ गया कि यह रूकावट ही मेरा सरप्राइज है। पर यह चुदैल औरत भी पागल थी। अब लंड डालकर कैसे निकालूँ इसे, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था।
मैं लंड को चूत में और अंदर डालने की कोशिश करने लगा तो लंड चूत में अटक जाता। कोई सॉफ्ट और चिकनी सी चीज़ घुसी हुई थी चूत में।

“ओह्ह… बबिता लंड तो अंदर ही नहीं जा रहा… उफ्फ्फ… प्लीज निकालो न इसे बाहर जो भी है तुम्हारी चूत में।”
“नो..नो..नो..नो… दम है तो उसे अपने लंड से निकालो। अब चीते की मांद में कोई और घुस जाये तो चीता खुद ही उसे बाहर निकालता है।”

उसके इतना कहते ही मैंने ज़ोर से लंड अंदर डालने की सोची क्यूंकि मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता था। चोदना था मुझे उस फूली चूत को अब। बुरी तरह चोदना था। चोद-चोद के सुजा देना था।
मैंने ज़ोर से धक्का मारा।
“आःह …मर गई… ऊहूऊउ… ये क्या कर दिया।”

मेरा लंड चूत में पूरा घुस गया और वो चीज़ अभी भी बबिता की चूत में थी पर अब लंड के आगे नहीं बल्कि लंड के साइड में हो गई थी। मेरे लंड और उस चीज़ के एक साथ उस चुदक्कड़ चूत में घुसे होने की वज़ह से चूत बहुत ज्यादा कस हो गई। जब उसकी चूत में मेरा लंड इस तरह जाकर फंस गया तो बबिता की तो आँखों से मोती भी टपक गए, “आःह्ह… वीर… मेरे निप्पल मरोड़ो उफफ्फ… तुम तो फाड़ कर रख दोगे आज मेरी इस चूत को… उफफ्फ… कितना तगड़ा पुश किया तुमने।”
“पर यह है क्या बबिता..! इतना चिकना सा और मोटा सा। कुछ भी कहो बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे किसी कुंवारी चूत में लंडफंसा हो… ऊह्ह्हू ऊऊ…वऊऊओ.. यू आर ग्रेट… क्या मस्त… चुदक्कड़ औरत हो तुम…”
“तुमने कभी चोदी है कोई कुंवारी लड़की?”
बबिता ने तुरंत सवाल दाग दिया।

अब मैं कैसे बताता कि सिर्फ कुछ ही घंटों पहले मेरा लंड वाकई में एक कुंवारी लंगड़ी घोड़ी की चूत में था। मैंने आज ही तो मधु दीदी को घोड़ी बनाकर चोदा था।
पर मैंने कहा- नहीं बबिता, किसी कुंवारी को कभी नहीं चोदा। जब भी चोदा, सिर्फ तुमको ही चोदा है। कोई चुदवा दो न कुंवारी लड़की!
“वो इंतजाम भी कर दूँगी, पर तूने कुंवारी गाण्ड तो चोदी ही है।”
“नहीं बबिता मैंने कुंवारी गाण्ड भी नहीं मारी, मैंने तो सिर्फ़ तुम्हारी गाण्ड चोदी है, जब भी तुमने मौका दिया।”
“अरे भोंदू, मैं अपनी ही बात कर रही हूँ। मेरी चूत में तो कई लंड घुसे हैं, शादी के पहले भी, पर अपनी गाण्ड मारने का मज़ा तो मैंने सिर्फ तेरे लंड को दिया है। आती है ना मस्ती गाण्ड में लंड डालकर?”

“उऊँन्नंह..बबिता… हाआअन्न.. बहुत मज़ा आता है तुम्हारी गाण्ड चोदने में। आज भी खूब हुमच-हुमच के चोदूँगा… पहले चूत चोद लूँ।”
“आःह्ह्ह… धीरे… वीर..”
मैं ज़ोर-ज़ोर से चूत चोदने लगा। बड़ा ही अलग किस्म का मज़ा आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड के साथ कोई और लंड में उसकी चूत में घुसा हो। मैं खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्के पे धक्का मार रहा था। मेरी मेज भी हिल रही थी और बबिता तो उस चुदाई से बिल्कुल चीखें मारने लगी। ज़ोर-ज़ोर से हाय हाय और उईई उईई कर रही थी। मैंने उसकी चूची पे लगे मोटे-मोटे काले टुइयां जैसे निप्पल अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए और मरोड़ने लगा। बबिता मज़े से लेटी-लेटी झटके मारने लगी।

फिर वो ज़ोर से चीखी और बिलबिलाती और कांपती हुई झड़ गई। मैं अभी भी घपाघप चोदे जा रहा था। मेरे इतना ज़ोर से चोदने की वज़ह से या शायद उस कुतिया के झड़ने की वज़ह से बबिता की चूत से वो चीज़ बाहर को निकलने लगी। जब वो थोड़ी और बाहर को निकली चूत से तो देखा एक छिला हुआ केला चूत में घुसा था।
“ओ तेरी! तुमने तो केला डाल रखा है अपनी चूत में! उफ्फ्फ्फ़… ये तो बहुत गरम कर देने वाली हरकत है!” मैंने जोश में आकर करारे धक्के लगाने शुरू कर दिया। आधा केला उसकी चुदती चूत से निकलकर जमीन पर गिर गया। मैंने झट से लंड चूत से बाहर निकाला और केला उठा कर खाने लगा।
उफफ्फ… वो चूत से निकला केला था! सिर्फ चूत से ही नहीं निकला था बल्कि मेरे लंड से चुदा हुआ केला था।

मैंने पूरा केला खा लिया। बबिता मुझे देखती रही, केला खाकर मैं फिर से कुर्सी पर बैठ गया और उस कुतिया की चूत का मुआयना करने लगा। चूत चुदने के बाद और फूल गई थी और मुँह थोड़ा खुला हुआ था। मैंने चूत के पपोते अपनी उँगलियों से फैलाए और अंदर देखने लगा।
“क्या देख रहा है… अभी और सरप्राइज चाहिये क्या?”
हाँ बबिता… मस्त लगा ये चूत से निकला केला… उफ्फ्फ… पर इतना मीठा कैसे था ये केला भी?”
“मैंने चूत में डालने से पहले केले पर अच्छे से शहद लसेड़ दिया था।”
“आःह्ह… तुम मस्त हो आँटी… उफ्फ्फ… क्या-क्या करती रहती हो!”
“अभी तो एक और सरप्राइज है तेरे लिए..”
“वो क्या?”

कहानी जारी रहेगी।
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