देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब-7
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब-6
-
keyboard_arrow_right देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब-8
-
View all stories in series
प्रेषक : मुन्ना भाई एम बी ए
फिर वो अपने घुटने के बल मेरे लण्ड के सामने बैठ गई, उसने मेरे लण्ड को एक हाथ से हलके से पकड़ा।
मैंने उससे कहा- जरा ताकत लगा कर पकड़ो इसे ! और ऊपर नीचे करो ! यही सब कुछ है।
वो धीरे-धीरे मुठ मारने लगी।
फिर मैंने कहा- त्वचा को थोड़ा और पीछे करो तो पूरा सुपारा बाहर निकल आएगा।
उसने वैसा ही किया और मेरा पूरा सुपारा बाहर आ गया, जिसको देखते ही वो बोली- यह तो पूरा ही गुलाबी है, आपका लण्ड तो काफी सांवला है और सुपारा गुलाबी ! यह तो गजब का कॉम्बीनेशन है, आई जस्ट लव इट।
मैंने कहा- तुमको पसन्द है ?
उसने अपना मुँह ऊपर करके बड़ी-2 आँखों से देखा और सर हिला कर बोली- हाँ !
मैंने कहा- अब इसे चूसो।
तो उसने झिझकते हुए आधे सुपारे को मुँह में लिया और अपनी जुबान उसके अग्र भाग पर फिराने लगी। मैंने लण्ड को थोड़ा सा उसके मुँह में अचानक घुसेड़ दिया। उसके मुँह से ओह्ह्ह की आवाज आई।
उसने कहा- बदमाशी मत करिये, नहीं तो उल्टी आ जाएगी।
मैंने कहा- ठीक है, तुम आराम से, लेकिन कस कर चूसो।
तो उसने थोड़ी और हिम्मत दिखाई और पूरा सुपारा मुँह में ले लिया और अपने सिर को आगे पीछे करने लगी।
थोड़ी देर तक तो वो अपने तरीके से मेरे लण्ड को चूसती रही, फिर मैंने कहा- रुको ! मैं तुमको सही लण्ड चूसने का तरीका बताता हूँ।
वो बोली- हाँ बताइये !
मैंने कहा- पहले अपनी जुबान से सुपारे को थोड़ी देर चाटो, फिर पूरी जुबान को अपने निचले होंठ को दबाते हुए बाहर करो और ज्यादा से ज्यादा अपना मुँह खोलो, फिर लण्ड को अपने मुँह के अन्दर लो, तो पूरा का पूरा लण्ड तुम्हरे मुँह मे आसानी से चला जायेगा। शुरू में थोड़ा जायेगा लेकिन जब तुम दो-चार बार करोगी तो पूरा लण्ड अपने मुँह में ले सकोगी तब तुम्हें मजा आयेगा।
वो बोली- मैं कोशिश करती हूँ !
और जैसा मैंने उसको बताया, वैसे ही मेरे लण्ड को चूसने लगी। कोई पांच मिनट में ही उसने मेरा आधा लण्ड अपने मुँह के अन्दर ले कर सर को आगे पीछे करने लगी। मेरा लण्ड तो और कड़क हो गया, मैं भी धीरे-धीरे उसके मुँह को खड़े-खड़े चोदने लगा और झुक कर उसकी चूची दबाने लगा और घुन्डी को उंगलियों से मीसने लगा।
थोड़ी ही देर में वो मस्त होने लगी और अपने एक हाथ से बुर को सहलाने लगी। मैं समझ गया कि वो अब पूरी तरह गर्म हो चुकी है क्योंकि वह मस्त हो कर लण्ड को चूसे जा रही थी। फिर मैंने उसका सर पकड़ा और उसके मुँह को कायदे से चोदने लगा। बीच-बीच में वो अपने मुँह से पूरा लण्ड बाहर निकाल कर लम्बी सांस ले लेती थी और फिर मैं मुँह को चोदने लगता।
यह कार्यक्रम लगभग 15 मिनट चला। फिर मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने सोचा कि अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल लूँ और बाहर ही झड़ जाऊँ, क्योंकि किरण पहली बार लण्ड चूस रही थी, पता नहीं उसको वीर्य का स्वाद कैसा लगे। लेकिन फिर मैंने सोचा कि उसको कोई विकल्प न दूँ तो ज्यादा ठीक रहेगा, जो होगा वो देखा जाएगा।
यही सोच कर मैं उसके मुँह को और तेजी के साथ चोदने लगा और 5-6 धक्कों के बाद जब मेरा माल निकलने को हुआ तो मैं एकदम से रुक गया और अपना लण्ड किरण के मुँह में ही रहने दिया और सारा वीर्य उसके मुँह में निकालने लगा। पहले तो किरण की समझ में कुछ नहीं आया। लेकिन जैसे ही वीर्य उसकी जुबान पर लगा वैसे ही उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और जो वीर्य उसके मुँह में था उसको उसने बगल में थूक दिया और फिर मेरे लण्ड से निकलते हुए वीर्य को बड़े ध्यान से देखते हुए बोली- आप ने बताया नहीं कि आप डिस्चार्ज होने वाले हैं !
मैंने कहा- सॉरी यार, गलती हो गई।
फिर मैंने उससे पूछा- वीर्य का स्वाद कैसा है?
वो बोली- कुछ नमकीन सा, अजीब सा है।
मैंने पूछा- बहुत खराब तो नहीं है?
उसने कहा- नहीं, ठीक है ! पहली बार चखा है ना इसलिए थोड़ा अट्पटा सा लग रहा है।
तो मैंने कहा- जो मेरे लण्ड पर वीर्य लगा है उसे तुम चाट जाओ।
वो बोली- नहीं !
मैंने फिर जोर दिया तो मान गई और मेरे लण्ड को चूसने लगी और जितना भी वीर्य लगा था वो भी चाट गई।
फिर मैंने उसे पीठ के बल बिस्तर के किनारे लिटा दिया और खुद घुटनों के बल उसके टांगों के बीच फर्श पर बैठ गया फिर उसके पैर घुटनों से मोड़ कर फैलाये और अपनी जुबान बुर पर फिराई।
यकायक मुझे बंगलोर वाली दोस्त की सलाह याद आई, उसने कहा था कि अगर वो कुंवारी हो तो प्लेन कन्डोम प्रयोग करना और पहले उसकी बुर को उंगली से चोद कर अच्छी तरह तैयार करना, फिर बगैर रुके काफी देर तक चुदाई करना।
यही सोच कर मैं बुर की फाकों को फैला कर दाने को चाटने लगा और एक उंगली उसके बुर में घुसेड़ कर आगे-पीछे करने लगा। उसकी बुर पहले से ही बहुत गीली थी तो उंगली जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। वो बुर चुसाई और उंगली चुदाई का आँख बन्द करके मजा ले रही थी। उसके दोनों हाथ अपनी चूचियों को सहला रहे थे।
फिर मैं उसकी बुर को दो उंगलियों से चोदने लगा और अंगूठे से बुर के दाने को रगड़ने लगा। इससे उसकी बुर से चिकना गाढ़ा पदार्थ निकलने लगा और बह कर उसके गाण्ड के छेद से होता हुआ नीचे बिछी चार पर टपकने लगा। फिर मैंने अपने दूसरे हाथ की एक उंगली को बुर-रस से सराबोर किया और उसके गाण्ड में धीरे से खोंस दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर उचकाई और बोझिल आवाज में धीरे से कहा- मुन्ना प्लीज़ ! बदमाशी मत करो।
मैंने कहा- बस डार्लिंग एक मिनट।
कोई एक मिनट बाद मैंने अचानक अपनी चारों उन्गलियों को उसके बुर में घुसड़ दिया और अन्दर बाहर करने लगा। वो एकदम से अपने एक कोहनी के बल उठ बैठी और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मुन्ना प्लीज़ ! दर्द कर रहा है, छोड़ दीजिए प्लीज़ !
लेकिन मैं उसकी बुर और गाण्ड दोनो को ही अपनी उन्गलियों से चोदता रहा और बोला- बस डार्लिंग थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो। फिर तो मजा ही मजा है।
इस पर वो आआआह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह करते फिर लेट गई। मैं करीब 5 मिनट तक इसी तरह उसको चोदता रहा, वो आआआह्ह्ह्ह ऊउह्ह्ह्ह्ह करती रही, फिर गाण्ड को थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसने झटके से मेरे दोनों हाथ अपनी बुर और गाण्ड से निकाल दिया, और फिर उसका पेट एक दो बार फड़का और उसने जोर से कहा- आआआह्ह्ह्ह्ह फिर उसकी बुर से एक जबरदस्त फव्वारा फूट पड़ा। जिससे मेरा पूरा का पूरा चेहरा ही भीग गया और फिर उसने एक हाथ से अपनी बुर को जल्दी जल्दी रगड़ने लगी और एक बार फिर उसके मुँह से निकला- आआआह्ह्ह्ह्ह और इस बार उसकी बुर से हल्का सा फव्वारा फूटा फिर निढाल हो कर हांफते हुए करवट ले ली।
अगले भाग में समाप्त !
What did you think of this story??
Comments