बाथरूम से छत तक
हेलो दोस्तो ! मैं अरशद, एक बार फिर से आपका अन्तर्वासना में स्वागत करता हूँ। सभी पढ़ने वालों को नमस्कार ! आप सभी का धन्यवाद कि आपने मेरी कहानी “मेरा पहला अनुभव” को काफी सराहा।
बात करीब तीन से चार महीने पहले की है। मेरे घर के बगल वाले घर में एक महिला कल्याण का कार्यालय खुला है। उसमें 3 परिवार रहते हैं, 2 परिवार नीचे और एक ऊपर। बात यूँ हुई कि उस दिन दोपहर को मेरी गर्लफ्रेंड का फ़ोन आया और मैं छत पर टहल कर बात करने लगा।
बातों-बातों में उसने मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- नहाने जा रहा हूँ।
वासना की खुमारी में वो मुझसे सेक्सी बातें करने लगी, तब उसका फ़ोन कट गया और मैं जोश में यह सोच कर नीचे आया कि मूठ मारूँगा और फिर नहाऊँगा। मगर जब मैंने कपड़े उतारे तो देखा कि मेरी झांटें काफी बड़ी हो गई हैं तो मैंने सोचा कि पहले इसे बना लूं फिर मूठ मारूँगा।
मैं जैसे ही रेज़र उठाने के लिए नीचे झुका तो मेरी निगाह बाहर की तरफ गई। क्योंकि घर में कोई था नहीं, तो मैंने बाथरूम का दरवाज़ा नहीं बंद किया था। मैंने देखा कि ऊपर वाले माले पहने वाली एक औरत मुझे झाँक रही थी। देखने में थोड़ी साँवली थी, मगर फिगर मस्त थी, बड़ी गांड, मस्त चूची फिगर 30-34-32 तो मेरे बदन में अजब सी गुदगुदी दौड़ गई।
फिर मैं पूरा नंगा हुआ और धीरे धीरे अपनी झांटें बनाने लगा और बीच बीच में झांक भी लेता था।
वो औरत मुझे चुपके चुपके देख रही थी। फिर मैंने देखा कि वो अपनी चूची एक हाथ से दबाने लगी, कुछ देर बाद वो अपनी चूत सहलाने लगी और फिर चली गई।
मैंने भी अपना काम ख़त्म किया और नहा कर बाहर आ गया।
फिर अगले दिन मैं अपने एक दोस्त से बात करते हुए छत पर गया तो देखा वो बैठी थी और फिर जब भी वो देखती तो अजीब कातिल अदा से मुस्कुराती।
फिर दो दिन बाद मैं फिर से छत पर गया तो वो किसी रिश्तेदार से बातें कर रही थी और फिर फ़ोन पर बोली कि लोग बिना कपड़ों के ज्यादा अच्छे लगते हैं।
और जब मैंने उसे देखा तो हँसने लगी।
करीब 3-4 दिन बाद मेरे घर में फिर कोई नहीं था तो मैं ऐसे ही छत पर गया, देखा कि वो बैठी है तो नीचे आ कर नहाने के लिए जाने लगा।
इतने में बाथरूम की खिड़की से देखता हूँ कि वो मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई है।
मैंने आराम से कपड़े उतारे, काफी देर तक मूठ मारी, इतनी देर में उसकी पलक एक बार भी नहीं झपकी। थोड़ी देर बाद जब मैं मोबाइल पर बात करता हुआ छत पर गया तो वो मुस्कुराती हुई बोली- ऐसे करते रहेंगे तो हाथ में दर्द हो जाएगा, कभी हमारे होंठों को भी आइसक्रीम खिलाइए !
और मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई।
फिर अगले दिन मैं जब ऊपर गया तो मैंने उससे पूछा- आप कल क्या कह रही थीं?
तो उसने कहा- रात में घर पर आइये, सब समझा दूँगी।
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे, लेकिन मैंने ऊपर से कहा- रात में आपके पति नहीं रहेंगे क्या?
उसने कहा- नहीं, वो गाँव गए हैं, दो दिन बाद आयेंगे।
फिर मैं करीब सात बजे छत पर गया। हमारी छत मिली हुई है बस बीच में एक दीवार है, मैं उसे कूद गया। सामने जन्नत की हूर सी खड़ी थी वो !
उसने मुझे वो जगह दिखाई जहाँ से उसे मेरा सब कुछ दिखता था जैसे कि मुझे पता ही नहीं था, लेकिन कुछ राजों को राज ही रहने देते हैं।
अगला सवाल जैसे ही उसने पूछा, मुझे लग गया कि आज तो आग दोनों तरफ लगी है प्यारे।
उसने सीधे पूछा- कितने दिनों पर साफ़ होता है आपका जंगल? दूर से तो बस यही लगता है कि झाड़ियों के बीच कोई छोटी सी टहनी है, जरा हमें नजदीक से तो दिखाइए आपके पास क्या है, नारियल का पेड़, या केले का तना, या दोनों।
मैंने कहा- देख लो लेकिन हमें भी तो अपने अंगूरों के दर्शन कराओ।
उसने ऊपर वाले मन से कहा- कोई आ जायेगा !
तो मैंने कहा- खुले दरवाजे से आएगा न, दरवाजा बंद करके आ जाओ।
जब दरवाजा बंद कर के लौटी तो बोली- यहाँ तो सोनू (उसका लड़का) सो रहा है कहीं हमारी कुश्ती से उठ न जाये।
मैंने कहा- ठीक है आओ छत पर चलते हैं, वहाँ बैटिंग करने में कोई असुविधा नहीं होगी।
हम ऊपर गए और फिर कुछ देर खड़े रहे, दोनों यही सोच रहे थे कि पहल कौन करेगा, लेकिन, भला नारी के सामने कौन पुरुष जीता है? उसने सीधा पूछा- अगर खड़े होने के लिए आये हैं तो आइये नीचे चलते हैं, हाँ अगर चादर बिछाने का काम शुरू करना है तो अब तक खड़े क्यों हैं?
मैं तो दंग रह गया, लेकिन अब तो खुला खेल फरक्काबादी।
मैंने उसके मोम्मों को धीरे धीरे मसलते हुए, उसके मक्खन जैसे होठों का रस पीना शुरू किया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी और उसके मोम्मे धीरे धीरे सख्त होकर जैसे मेरी छाती में छेद करने लगे। नीचे मेरा पप्पू भी ऊपर उड़ने को तैयार हो रहा था, उसे जैसे ही लगा कि ये लोहा अब तैयार होना चाहिए, लोअर के ऊपर से उसने मेरे लंड से खेलना चालू किया।
मैं धीरे धीरे उसके होठों को किस करने लगा और फिर उसकी गर्दन पर भी चुम्मों की बौछार कर दी, साथ के साथ उसकी पीठ सहलाने लगा।
फिर मैंने उसकी नाईटी उतारने को कहा तो उसने उतार दी और सिर्फ पैंटी में आ गई। मैंने फिर उसकी पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और वो पागल हुई जा रही थी और मेरा लंड सहलाये जा रही थी।
उसकी पैंटी गीली होने लगी तो मैं जहाँ पैंटी की एलास्टिक होती है उसे नीचे करके सहलाने लगा उसे मज़ा भी आ रहा था और गुदगुदी भी हो रही थी। फिर मैं उसे सहलाता रहा और अपना हाथ धीरे धीरे पैंटी में ले जाने लगा।
उसने झांटे एकदम साफ़ कर रखी थीं।
मैं उसकी चूत सहलाने लगा, तो वो सिहर गई, मैंने उससे कहा- सब मैं ही करूँगा या तुम भी कुछ?
तो उसने मुझे किस किया, मेरे होंठ चूसने लगी और फिर उसने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल दिया और बोली- हे भगवान् ! इतना मोटा?!? मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बस मज़ा आएगा !
फिर उसने मेरा लोअर उतार दिया और आगे पीछे करके खेलने लगी मेरे लंड से, मुझसे बोली- क्या मैं इसे किस कर सकती हूँ?
मैंने कहा- तुम्हारा है, जो करना है करो !
पहले उसने किस किया, 2-3 बार फिर मेरा टोपा अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं अपने पैर के अंगूठे से उसकी चूत सहला रहा था और हाथ से चूची।
फिर वो तेज़ तेज़ से मेरा लंड चूसने लगी। फिर मैंने उसकी नाइटी बिछाई और उसे लिटा दिया, फिर उसकी पैंटी उतार कर उसकी पूरी काया पर चुम्बन करने और चाटने लगा।
वो उत्तेजना से पागल हुई जा रही थी। फिर मैंने उसकी चूत पर चूमा तो वो सिहर उठी।
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। हम 69 की पोज़ीशन में आ गए। करीब पाँच मिनट बाद वो झड़ने लगी और थोड़ी देर में मैं भी उसके मुँह में झर गया।
वो मेरे लंड के साथ फिर से खेलने लगी और करीब दस मिनट बाद मेरा सोया साँप फिर से खड़ा हुआ। इस बार मैं लंड को उसकी टाँगों पर रगड़ने लगा। वो एक हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी और और मैं उसकी चूची को और हम एक दूसरे को लिप किस कर रहे थे। वो बार बार मेरा लंड अपनी चूत में घुसाने के लिए खींच रही थी।
फिर बोली- अब और कितना इंतज़ार करवाओगे?
मैं उठा और उससे पैर फैलाने को कहा।
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड रख कर एक झटका मारा तो उसकी चीख निकल गई। मैंने जल्दी से लंड बाहर निकला तो वो बोली- नहीं ! डालो, मगर आराम से !
मैं धीरे धीरे डालने लगा और पूरा लंड आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत में उतार दिया। वो सी सी करने लगी फिर मैं धक्के लगाने लगा। कभी मैं उसकी चूची सहलाता तो कभी उसका पेट। वो भी पूरे जोश में मेरा साथ दे रही थी और एक हाथ से मेरे गोटे से खेल रही थी।
फिर करीब 15 मिनट बाद वो झड़ गई और मैं भी जल्दी झड़ गया। वो मेरे साथ करीब आधे घंटे तक ऐसे ही लेटी रही और मेरे लंड से खेलती रही।
तब से जब भी वो अकेली होती है तो हमारा प्रोग्राम शुरू हो जाता है।
पढ़ते रहिए अन्तर्वासना।
बताइएगा ज़रूर कि आपको यह कहानी कैसी लगी।
सम्पादिका – पद्मपंखुरी
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