बचपन की भाभी को जवानी में चोदा
हैलो दोस्तो मैं राजा। आप लोग तो मुझे पहचान ही गये होंगे। मेरी दो कहानियों के जवाब में आप लोगों का ढेर सारा मेल आया। इसके लिये आप लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद।
अब चलते हैं कहानी की तरफ़। यह मेरी तीसरी सच्ची घटना है। यह घटना लगभग ५ साल पहले की है। एक दिन मैं अपने उस भाभी के घर गया जिसका नाम पूनम (बदला हुआ नाम) है। यह मेरी कोलोनी में ही रहती है और मुझे बचपन से जानति है। मैं बचपन से उसके घर आया जाया करता था। मैं अक्सर पूनम के मस्त जवानी के बारे में सोचा करता और मन ही मन उसको चोदा करता था। लेकिन उसके तरफ़ से कभी कोई इशारा नहीं मिला था। हां सिर्फ़ इतना था कि वो अक्सर मेरे सामने और दूसरों के सामने मेरी तारीफ़ किया करती थी। तो मैं जब उसके घर पहुंचा तो वो बहुत परेशान थी और उसके पति भी दो तीन दिनो के लिये कहीं बाहर गये हुए थे। मैने पूछा तो पूनम ने कहा कि उसके सर में बहुत दर्द हो रहा है। मैने कहा मैं आप को मेरी मोटरसाइकिल मैं डाक्टर के पास ले चलता हूं। फिर घर बंद करके मैने उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और होस्पीटल की तरफ़ चल पड़ा। इतने दिनो में आज पहली बार वो मेरे इतने करीब थी। उसका चूची मेरी पीठ पर पूरी तरह से चिपकी हुई थी। मैने पूनम से कहा तुम्हारे सर में दर्द है तुम्हें चक्कर भी आ सकता है इसलिये तुम मुझे अच्छे से पकड़ लो।
पूनम एक हाथ को दाहिने तरफ़ से घुमा कर मेरे दायें जांघ पर रख दिया। मेरी सांसे तेज तेज चल रही थी। मोटरसाइकिल भी तेज चल रही थी। तभी पूनम मुझसे पूछी कि दूसरे हाथ से भी किया वो मुझे पकड़ ले। मैने कहा हां पकड़ लो। अब वो दोनो हाथों से मुझे दोनो तरफ़ से पकड़े हुए थी। उसकी दोनो चूचियों को अब मैं पूरी तरह से अपनी पीठ पेर महसूस कर रहा। मोटरसाइकिल मेरी तेज चल रही थी। जिसके कारण उसकी साड़ी हवा से ऊपर उठ रही थी। मैने अपने हाथ उसके जांघ पर रख कर उसकी साड़ी को दोनो जांघों के बीच में घुसा दी। तभी उसने अपनी जांघों को दबा कर मेरे हाथ को फंसा लिया और मुझे पीछे से और जोर से पकड़ लिया। मैं पीछे मुड़ कर पूनम को देखा तो वो मुस्कुरा दी। मैने उससे कहा आप को डाक्टर के सुई की ज़रूरत नहीं है। आप को कुछ और की ज़रूरत है।/
इतना कह कर मैने अपनी गाड़ी वापस मोड़ ली। और इस बार दुगनी तेज़ी से वापस पूनम के घर पहुंचा। घर पहुंचते ही मैने घर के दरवाज़े बंद किये और पूनम की साड़ी उतार कर उसे ले जाकर सीधा बेड पर पटक दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और अपने होंठ से उसे होंठ को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। फिर मैने उसके ब्लाउज़, ब्रा और पेटीकोट को उतार कर फेंक दिया। अब वो बिल्कुल नंगी बिस्तर पर पड़ी थी। मैने कई बार उसे सपनो में चोदा था। लेकिन पूनम अन्दर से इतनी खूबसुरत है यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उसकी गोरी गोरी तांगें पतली कमर बड़ी बड़ी चूची और उस पर पिंक कलर का निप्पल। मेरे सामने जैसे कोई परी नंगी लेटी हो और मैं उसे चोदने जा रहा हूं। मैं सपने को सच होता देख इतना उत्तेजित था कि मैं जल्द से जल्द अपनी गरमी का अहसास उसे करा देना चाहता था। मैं अपनी पैंट और टी शर्ट उतार दी और उसके सर के पास बैठ गया और अपने लंड को उसके मुँह में डाल दिया। फिर मैं अपने मुँह से उसकी चिकनी बुर को चाटने लगा।
पूनम भी शायद मुझे इतना करीब पाकर इतनी उत्तेजित हो रही थी कि उसकी चूत से बुरी तरह से पानी निकल रहा था और वो कमर उठा उठा कर अपने बुर को चटवा रही थी। अचानक उसने अपने दोनो जांघों से और अपने हाठों से मेरे सर को पूरी ताकत से अपनी बुर पर दबाने लगी। मैं समझ गया कि उसकी चूत से पानी झड़ने वाला है। मैं भी उसके मुँह पे लंड ज़ोर ज़ोर से मारना शुरु कर दिया। और फिर अचानक लंड की गरमी और बुर की गरमी एक साथ बाहर निकलने लगी। मेरे लंड के पानी से उसका पूरा मुँह भर गया था जो उसने बड़े प्यार से पी लिया। लंड से पानी गिरने के बाद मैने पूनम को उल्टा लेटने को कहा तो वो उल्टा लेट गयी। उसकी गांड बिल्कुल मेरे सामने थी। मैं पहली बार उसकी गांड देख रहा। उसकी गांड इतनी चिकनी थी कि मेरा लंड गांड दर्शन करके फिर से तैयार हो गया था चुदाई के लिये।
मैने अपने लंड को पूनम की चूत के पास ले जा कर रख दिया फिर अपने दोनो हाथों से उसकी गांड को फैला दिया। उसकी पिंक पिंक बुर और गांड मुझे चोदने के लिये आमन्त्रित कर रहे थे। मैने अपने लंड को उसकी बुर पर रक कर ज़ोर का एक धक्का मारा और पूरा को पूरा लंड पूनम की चूत में घुस गया। पूनम भी पूरे रांड की तरह मुझसे चुदवा रही थी। मैं ५ मिनट तक उसकी चूत को चोदता रहा। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकालता फिर अंदर करता। इससे पूनम को काफ़ी मज़ा आ रहा था वो गांड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी। फिर मैने अपना लंड निकाल कर बिस्तर पर लेट गया। अब पूनम की बारी थी। वो मेरे ऊपर आ कर मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी बुर में डाल कर मेरे ऊपर बैठ गयी और ऊपर नीचे होने लगी। उसकी चूचियां उसके साथ साथ ऊपर नीचे हो रही थी। मेरे हाथ कभी उसकी चूचियों पर जाते तो कभी उसके पेट पर फिर अचानक वो थोड़ा आगे झुक गयी और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगी। मैं भी अब लंड का पानी उसकी चूत में छोड़ने के लिये तैयार था। मैं भी नीचे से ज़ोर ज़ोर से उसकी बुर में लंड घुसाने लगा। कमरे में लंड और बुर के टकराने की आवाज़ बिल्कुल साफ़ सुनायी दे रही थी। हम दोनो अब पूरी तेज़ी से एक दूसरे को चोद रहे थे फिर मैं उसे पटक कर उसके ऊपर आ गया और उसके दोनो पैरों को फैला कर फ़ुल स्पीड से पूनम की चुदाई शुरु कर दी। २०-२५ झटके के बाद लंड से पानी निकाल कर पूनम की बुर को भर दिया।
पूनम की आंखों में अब संतुष्टि थी। उसके सर का दर्द भी जा चुका था। फिर मैने उससे पूछा कि मैं इतने दिनो से आपके घर पे आता हू लेकिन आपने कभी बताया क्यों नहीं कि आप मुझसे चुदवाना चाहती हैं। तो उसने कहा कि उसके पति पहले उसे हफ़्ते में एक बार तो ज़रूर चोदते थे लेकिन अब महीना गुजर जाता है तो भी उनका चोदने का मूड नहीं होता है।
फिर मैने उनको पूछा आज जो कुछ हुआ वो पहले से आपने ऐसा सोच रखा था या ये जो कुछ हुआ वो अचानक हुआ। तो उसने कहा जो भी हुआ वो बिल्कुल अचानक हुआ। लेकिन जो हुआ वो अच्छा हुआ।
और दोस्तों शायद आप लोगों को यकीन न हो लेकिन आज भी मैं साल में एक दो बार जब उस कोलोनी में जाता हूं तो पूनम को चोद कर ही आता हूं। क्योंकि दिन में उनके पति ओफ़िस में होते है और अचानक कभी आ भी गये तो वो बुरा नहीं मानते कि मैं उनके घर में क्यों हूं क्योंकि मैं तो बहुत छोटे से उनके घर पे आता रहा हूं।
What did you think of this story??
Comments