आंटी का मीठा मीठा दर्द-2
(Aunty Ka Meetha Dard-2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left आंटी का मीठा मीठा दर्द -1
-
View all stories in series
प्रेषक : राज मेहता
हाय दोस्तो, मुझे यकीन नहीं होता कि आठ महीने बाद मेरी कहानी को गुरूजी का आशीर्वाद मिलेगा। आप अब आगे की कहानी का मजा लीजिये ….पर जो नए हैं वो आंटी का मीठा मीठा दर्द-1
पढ़ लें ! इसके बाद आगे की कहानी पढ़ें।
तो दोस्तो, उसके बाद आंटी मुझसे अलग होने लगी पर मेरा मूसल देव तो तन कर खड़ा था तो मैंने आंटी को कहा- अब मैं क्या करूँ?
वो भी मेरा और मौके का पूरा मजा लेना चाहती थी इसलिए बोली- अब क्या मेरी गाण्ड मारोगे?
मैंने आंटी को कहा- नेक काम में देर किस बात की?
वो कहने लगी- तेरे अंकल ने आज तक मेरी गाण्ड नहीं मारी ! उनको यह सब गन्दा लगता है। पर तुमको ?
मैं थोड़ा खुल चुका था, मैं बोला- मैंने आज से पहले कभी किसी की चूत नहीं मारी थी तो गाण्ड मारने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। आप मारने दो तो ?
वो कुछ ना बोली, मैं जाने के लिए तैयार होने लगा। मन तो बहुत कर रहा था कि वो रुकने को कह दे पर जबरदस्ती भी नहीं कर सकते थे। अगर ना कर दे तो क्योंकि मुझे पता था कि गाण्ड मारने में तो मजा आता है पर मरवाने वाली की गाण्ड फ़ट जाती है, मतलब नई गाण्ड में दर्द बहुत होता है। मैं इस बात को जानता था इसलिए मैं कुछ ना बोला और जाने लगा।
आंटी थोड़ी देर की चुप्पी के बाद बोली- तुम्हारा मतलब पूरा हो गया तो चल दिए ? चाय तो पीते जाओ।
मैंने सोचा- चलो चाय तो पीते जायें ! उसके बाद देखेंगे।
वो मेरे लिए चाय बना कर लाई एकदम मेरी पसंद की ज्यादा चीनी, ज्यादा दूध !
चाय पीते-पीते मैं उनके चहरे को देख रहा था, वो मुँह से कुछ नहीं कह रही थी पर उनकी आँखें सब कुछ कह रही थी, उनकी आँखें इतने नशीली हो रही थी कि मेरा जाने को मन नहीं कर रहा था।
कुछ देर मैं उन्हें एकटक देखता रहा। मेरा लंड देव अब वापिस अपने दंड रूप में आने लगे थे। उन्हें भी इस बात का अहसास हो गया था, मेरी मचलन को वो समझते हुए वो बोली- अगर दर्द हुआ तो कभी पास भी नहीं आने दूंगी !
मैंने स्वीकृति में सर हिला दिया।
इसके बाद मैंने उनसे कहा- घर में घी तो होगा ही?
उन्होंने कहा- ले आओ !
वो एक कटोरी में घी लेकर आई। अब मैंने जल्दी से उनके कपड़े उतारे और उनकी गाण्ड में घी लगाया। उनकी गाण्ड एकदम चिकनी हो गई थी जिसको देख कर मेर लंड खड़ा हो गया। अब मैंने उनकी गाण्ड में उंगली घुमानी चालू कर दी।
उनकी सिसकारियाँ चालू हो गई, वो अपनी गाण्ड हिलाने लगी थी, अब उन्हें भी मजा आने लगा था।
मैंने धीरे से उनकी गाण्ड में अपनी उंगली घुसा दी। वो हल्के से बोली- धीरे से डाल !
मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना चालू रखा। अब वो भी अपनी गाण्ड उचकाने लगी थी।
मैंने पूछा- अब लंड डाल दूँ?
उन्होंने अपनी गाण्ड उचका दी।
मैंने अपना लण्ड घी से चुपड़ कर उनकी गाण्ड के छोटे से छेद पर टिका दिया और बिल्कुल हौले-हौले उनकी गाण्ड में घुसाने लगा। वो भी मस्त हो चुकी थी, वो अपने स्तनों को बिस्तर पर रख कर पैर नीचे रखे थी मैं धीरे धीरे अपना लण्ड उनके अन्दर सरकाने की कोशिश कर रहा था कि वो अचानक पीछे को धक्का देकर मेरे लंड पर चिपक गई और जोर से चीख पड़ी।
मेरा पूरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस चुका था।
मैं रुक गया।
थोड़ी देर बाद वो सामान्य हुई तब मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिया।
अब हम दोनों को मजा आने लगा था।
मैं धक्के पे धक्के लगा रहा था, मेरी सांसें बहुत तेज हो चुकी थीं, हम दोनों के जिस्म एकदम गर्म हो चुके थे, मेरे गले में थूक अटकने लगा था। मैंने उनके मुँह को पकड़ कर चूमने की कोशिश की।
जब हमारे मुँह और सांसें मिली तो दिल की धड़कनें रुकने लगीं।
शायद इसी को मजे की अंतिम सीमा कहते हैं।
उनकी गाण्ड का छेद बड़ा हो गया था। दस-पंद्रह मिनट तक धक्के लगाने के बाद मेरे लंड देव ने आंटी की गाण्ड में मधुर रस निकाल दिया।
अब आंटी और मैं दोनों थक चुके थे।
मैं अपने कपड़े पहन कर अपने घर आ गया।
जब अगले दिन उनसे मिला तो मुझे बोली- कल मजा तो बहुत आया पर मेरी गाण्ड फट गई !
दोस्तो, इंदौर की फिजा भी अब बहुत सेक्सी हो गई है ! कड़कियों का वो तंग जींस पहन कर निकलना, उनकी गाण्ड के दोनों पाटों का हिलना दिल हिला कर रख देता है।
उस दिन का मजा आ आह !
जब भी याद करता हूँ मेरा लंड देव हिलौरें मारने लगता है।
तो दोस्तो, इस प्रकार मेरी छुट्टी बीती ..
…..तो मित्रो, अब तो लंड देव की जय बोलनी पड़ेगी !
सब बोलो लंड देव की जय ..
What did you think of this story??
Comments