पड़ोसन भाभी ने घर बुला कर चूत चुदाई

(Padosan Bhabhi Ne Ghar Bula Kar Chut Chudai)

अन्तर्वासना के सभी भाइयों, गदराई और चुदासी भाभियों.. नई चुदक्कड़ लड़कियों और सेक्सी लण्ड की भूखी आंटियों को मेरा नमस्कार। मैं अनंत विक्रम सिंह एक बार फिर आपके पास अपनी एक नई और ताज़ी कहानी लेकर आया हूँ।

पहले मैं आप सबका शुक्रिया अदा करना चाहूँगा.. जो आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी
नखरे वाली चाची की बेरहम चुदाई
को इतना सराहा।

मेरी नई कहानी अभी एक हफ्ते पुरानी बात पर आधारित है।
चाची के जाने के बाद मैं गर्लफ्रेंड न होने की वजह से किसी लड़की की चुदाई के लिए तरस रहा था।

मैं लखनऊ में जिस एरिया में कमरा लेकर रहता हूँ.. वो पॉश एरिया है.. वहाँ अधिकतर बड़े-बड़े लोगों के मकान हैं। मेरे मकान के साथ जो घर है.. वो सिंचाई विभाग के इंजीनियर का घर है। उनके परिवार में वो.. उनकी पत्नी और दो बेटे व बहुएँ हैं।

उनका बड़ा बेटा ठेकेदार है और छोटा वाला गैस एजेंसी चलाता है।
उनकी दोनों बहुएँ घर पर रहती है, बड़ी बहू की उम्र 38 साल है.. उसका एक 8 साल का लड़का भी है।
छोटी बहू की उम्र 28 साल है.. उसका अभी कोई बच्चा नहीं है।

दोनों ही भाभियाँ बहुत ही सेक्सी औरतें हैं। मैं हमेशा से उन दोनों को चोदना चाहता हूँ.. और उनमें से कोई भी जब छत पर कपड़े फैलाने आती है.. तब मैं अक्सर उन्हें घूर कर देखता भी हूँ।

मेरा रूम सबसे ऊपर वाली मंजिल पर है.. तो मैं अधिकतर छत पर ही रहता हूँ।

मैं उनकी छोटी बहू, जिसका नाम रीमा था.. उसको बहुत घूरता था।
कोई 8-10 दिन पहले जब वो कपड़े फैला रही थी.. तो मैं अपनी छत से उसकी चूचियां ताड़ रहा था। उसने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया था।
उस दिन वो पल्लू ठीक करते हुए चली गई।

शाम को जब मैं दुकान से दूध लेकर लौट रहा था.. तो वो भी दूध लेकर वापस आ रही थी। उस समय पानी भी बरस रहा था.. तो मैंने अपनी बाइक रोक कर उससे पूछा- मैं आपको घर तक छोड़ दूँ?

वो राज़ी हो गई.. क्योंकि बगल में रहने की वजह से हम लोग एक-दूसरे को पहचानते हैं।
उसको घर लेकर आते समय मैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को बहुत अच्छे से अपनी पीठ पर रगड़ खाता हुआ महसूस कर रहा था।

घर पर उतरते समय मैंने उसको बोल भी दिया- भाभी, आप बहुत प्यारी हैं।
तो वो मुसकुराते हुए दुपट्टा सही करते हुए अन्दर चली गई।

उस दिन के बाद से वो जब भी छत पर आती मुझसे नजर मिलाने लगी थी.. तो मुझे लगा कि मुझे कुछ सिग्नल मिल रहे हैं।

मैंने भी उससे ‘हाय हैलो’ और हालचाल लेना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे हमारी अच्छी बात होने लगी।
मैं अंकल-आंटी और भैया लोग से भी नमस्ते करने लगा।

एक दिन अंकल-आंटी अपने छोटे लड़के के साथ वैष्णो देवी यात्रा पर चले गए।

मैं बहुत खुश था.. क्योंकि बड़े भैया ठेकेदारी की वजह से देर रात आते थे लेकिन थे वो बहुत हरामी.. मेरी उनसे बहुत फटती थी।

अब भाभी के भी चाल-चलन कुछ अज़ीब से हो गए थे, वो मुझे बहुत सेक्सी निगाह से देखती थी।
शाम को दूध लेकर लौटते समय मैंने उनको छेड़ दिया कि भाभी दस दिनों के लिए भाई तो हैं नहीं.. आपका मन कैसे लगता है?

तो वो बोली- मन नहीं लगता तो क्या करूँ.. अब और कोई है भी तो नहीं… बड़ी भाभी तो दिन भर अपने बच्चे के पीछे लगी रहती हैं।
मैं बोला- आप कहो तो मैं अकेलापन दूर कर दूँ आपका?
बोली- वो कैसे.. क्या मतलब है तुम्हारा?

मेरी तो बुरी तरह फट गई.. मैंने कहा- कुछ नहीं।

घर पहुँच कर उन्होंने मेरा नंबर लिया और अपना मुझे दिया और बोली- तुम ऊपर रहते हो ना.. रात के 2 बजे बात करना मुझसे.. तब मैं बताऊँगी कि क्या करना है।

अब तो मैं ख़ुशी के मारे एकदम पागल हो रहा था.. और रात का इंतज़ार करने लगा।
उस रात के लिए अपने रूम मेट को एक दोस्त के कमरे पर भेज दिया।

भाभी के साथ चुदाई की सोच कर मैंने एक बार उनके नाम पर मुट्ठ भी मार ली।

रात 11 बजे बड़े भाई आ गए और 12 बजे तक उनके घर में अँधेरा हो गया मतलब सब लोग सो चुके थे।
छोटी भाभी अकेली थी.. तो उसने मुझे एक बजे ही फ़ोन कर दिया।

मैंने तुरंत फ़ोन उठा लिया.. तो वो बोली- ऊपर से छत फांद कर मेरी छत पर आ जाओ.. मैं दरवाजा खोल रही हूँ।
मैंने तुरंत कंडोम का पैकेट लिया और उनकी छत पर कूद गया।
सामने भाभी दरवाजा खोले खड़ी थी।

फिर उसने दरवाजा बंद किया और मुझे लेकर अपने कमरे में आ गई और कमरे को अन्दर से बंद कर लिया।
मैं थोड़ा डर भी रहा था।

बोली- डरो मत, भैया भाभी नीचे हैं और वो सो चुके हैं।

बस अब मुझसे तो सब्र हो ही नहीं रहा था, मैंने तुरंत भाभी को दबोच लिया और दीवार से सटा कर उसको खूब चूमने-चाटने लगा। उस समय उसने काले रंग का सूट पहन रखा था.. जिसमें वो गोरी-गोरी बड़ी सेक्सी माल लग रही थी।
भाभी भी होंठ चूसने में पूरा साथ देने लगी।

मैं दोनों हाथ से उसकी चूचियाँ जोर-जोर से दबाने लगा.. जिससे वो ‘आआह.. धीरे.. नहीं.. दर्द हो रहा..’ जैसी आवाज निकालने लगी.. जिससे मेरा जोश और बढ़ गया।

एक बात थी.. बच्चा न होने की वजह से उसका फिगर बहुत सेक्सी था। पतली कमर और बड़ी-बड़ी 36 नाप की चूचियाँ और गाण्ड तो 38 या 40 की होगी।

मैंने तुरंत उसका कुरता और सलवार उतार दिया.. और खुद का भी लोअर टी-शर्ट उतार कर फेंक दिया।
भाभी काली ब्रा-पैंटी में एक खूबसूरत सेक्सी मॉडल लग रही थी।
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मैं 2-3 मिनट तक तो सिर्फ खड़े होकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ ताड़ता रहा.. फिर उसको गोद में उठा कर बिस्तर पर ला कर पटक दिया।
मैंने उसकी ब्रा और पैंटी भी तुरंत उतार दी और खुद भी नंगा हो गया।

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लम्बा लण्ड उसकी चूचियों के बीच में रख के रगड़ने लगा।
उसने उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूची भी खूब टाइट कर लीं.. जिससे मुझे मजा आने लगा, मैं लण्ड को चूचियों में फंसा कर आगे-पीछे करते हुए लौड़े को उसके मुँह तक मारने लगा।

फिर कुछ ही झटकों के बाद मैंने एक झटके से उठ कर लण्ड उसके मुँह में डाल दिया.. जिसे उसने गुस्से से निकाल दिया, वो बोली- प्लीज, ये मत करो।

मैंने उसको अपनी गोद में बैठा कर फिर से चूमना-चाटना और चूची की मालिश शुरू कर दी।

कुछ ही मिनट बाद मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे कस कर पकड़ लिया और एक हाथ उसकी शेव्ड चूत पर रख कर 2 उंगलियां चूत में डाल दीं।
वो गनगना गई..

मैं उसकी चूत में उंगलियों को खूब जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगा.. जिससे वो एकदम से पगला कर छटपटाने लगी लेकिन मैंने उसको कस कर पकड़ा हुआ था तो वो खुद को छुड़ा नहीं पाई।

मैं जैसे-जैसे उंगली की रफ़्तार बढ़ा रहा था। उसका सेक्सी चेहरा गोद में होने की वजह से मेरे चेहरे के ठीक सामने था। वो जोर-जोर से ‘आआ..ह्ह्ह.. लव यू ओह्ह्ह.. यस फ़क मी..’ सीत्कार करने लगी।
उसको ऐसा करते देख कर मेरा लौड़ा और टाइट हो रहा था।

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर बोला- अब बस करो.. अब मेरी चूत चोद भी दो।

मैंने एक बार फिर से उसकी चूची प्यार से दबाई और चूसी और उसको बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया।
अब मैंने उसकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर ‘घच्च’ से पूरा लण्ड एक बार में ठूंस दिया..
उसकी तो चीख निकल गई।

फिर मैंने उसको धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। जब उसको आराम हो गया.. तब मैंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी।
मैं जोश में कंडोम लगाना ही भूल गया।

कुछ मिनट तक पेलने के बाद मैंने उसको अपने ऊपर बैठा लिया और मैं नीचे लेट गया। अब उसने भी उछल-उछल कर चुदना शुरू कर दिया और मैंने भी अंधाधुंध चुदाई चालू कर दी।

उसकी गर्म चूत में लौड़ा पेलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसकी उछलती हुई चूचियों को देख कर मैंने लपक कर उसकी एक चूची मुँह में ले ली और खूब जमके चूसी।

भाभी इस चुदाई से एकदम गदगद हो गई, उसने अपने सारे बाल मेरे चेहरे पर डाल दिए और मस्ती से चुदने लगी।
पूरे कमरे में उसकी आवाजें गूँज रही थीं ‘आआहह.. यस.. श्ह्ह्ह.. चुदी मैं आज.. बहुत अच्छे मेरे राजा.. चोद डालो आज.. एक-एक कोना हिला दो मेरी चूत का.. आह्ह..’

जब थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उसको नीचे लिटा लिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसकी रगड़ कर जोरदार चुदाई शुरू कर दी।

कुछ ही देर में बाद मैं झड़ना शुरू हुआ.. मैंने सारा माल भाभी की बच्चेदानी में उतार दिया।
इसी के साथ वो भी झड़ गई।

हम दोनों बुरी तरह पसीने से भीग गए थे और हाँफ रहे थे।
झड़ने के बाद भी मैं उससे लिपट कर उसको प्यार करता रहा।
रात के पौने दो बज गए थे.. पर हम दोनों एक-दूसरे को चूमने-चाटने में लगे थे।

बातों में मैंने उससे पूछा- भैया से खुश हो या नहीं?
तो वो बोली- हाँ.. वो पहले तो बहुत करते थे.. पर अब काम की वजह से कम करते हैं। इसलिए मैंने तुम्हारा सहारा लिया और तुमने मुझे भैया से ज्यादा ख़ुशी दे दी है.. आगे भी आते रहना!

मैंने उससे पूछा- अगर जुगाड़ लगवा दो तो… मेरा एक बार बड़ी भाभी को भी चोदने का मन है।
वो बोली- इस बारे में उनसे कभी बात नहीं हुई.. पूछ कर बताऊँगी।

फिर मुझे उसकी चूचियाँ चूस-चूस कर जोश आ गया.. तो मैंने उसकी गाण्ड मारने की इज़ाज़त मांगी.. लेकिन उसने मना कर दिया।

फिर मैंने उसको अपनी गोद में बैठा कर एक बार और चूत चोदी।
इस बार मैंने रफ़्तार दुगनी कर दी और चूची भी मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। इससे उसका चेहरा बहुत अधिक जोश में मेरे सामने हो गया था।

‘आह्ह.. आह्ह.. ओह्ह.. उईई.. माँ..’ वो इस बार जिस तरह से सीत्कार रही थी.. उससे मुझे और भी ज्यादा जोश आ रहा था, मैंने उसको और तेजी से चोदना शुरू कर दिया।
वो 5 मिनट बाद झड़ गई और उसकी कुछ ही मिनट बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।

फिर हम दोनों बाथरूम जा कर फ्रेश हुए और मैं उससे फिर मिलने का वादा कर के अपनी छत पर आ गया।

इस घटना को अभी 6 दिन ही हुए हैं। अब देखो उसके साथ दुबारा चुदाई का कब मौका मिलता है।

अगर आप लोग को कहानी पसंद आई हो तो आप लोग मुझसे बात करके अपनी सलाह दे सकते हैं कि मैं उस बड़ी भाभी को कैसे चोदूँ?
[email protected]

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