पड़ोसन आंटी की चूत की ड्राइविंग
(Padosan Aunty Ki Choot Ki Driving)
प्रणाम दोस्तो, मेरा नाम रंजीत है.. मैं 25 साल का नौजवान हूँ। मैं मुंबई के पास के एरिया में रहता हूँ।
मैं पहली बार अन्तर्वासना पर कहानी भेज रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी।
बात दो साल पहले की है.. मैं 23 साल का था, मेरे पड़ोस में एक शकीला आंटी रहती थीं। आंटी की फैमिली में आंटी, उनके पति और उनका 8 साल का बेटा रहता था। आंटी के पति ड्राइवर थे.. तो वे कभी-कभी 2-3 दिन घर नहीं आ पाते थे। उनकी अनुपस्थिति में घर पर आंटी और उनका बेटा दोनों ही रहते थे।
एक दिन ऐसा ही हुआ.. आंटी के पति 3 दिन के लिए बाहर गए थे, आंटी घर पर अकेली थीं। मैं खाना खाकर बाहर घूमने के लिए निकला ही था मेरे पास आंटी का फोन आया- मेरी कमर में मोच आई है और सोहल के पापा भी घर पर नहीं हैं.. तू मेरा एक काम कर दे। अभी तुरंत जा कर मेडिकल स्टोर से कुछ दवाई (मेडिसिन) लेके आ।
मैं आंटी से बोला- आप परेशान मत हो.. मैं मेडिकल स्टोर से तुरंत दवाई लेकर आता हूँ।
जब मैं दवा लेकर आंटी के घर पर गया तो आंटी बोलीं- बैठ..
मैं बैठ गया और आंटी से पूछा- अभी कैसा दर्द कर रहा है?
आंटी बोलीं- बहुत दर्द कर रहा है.. ना ठीक से चल पा रही हूँ, ना बैठ पा रही हूँ।
कुछ देर बाद आंटी बोलीं- तू मेरा और एक काम कर दे।
मैं बोला- हाँ बोलिए आंटी कौन सा काम?
आंटी बोलीं- ज़रा मेरी कमर में तेल लगा के मालिश कर दे।
मैं बोला- ठीक है आंटी.. आप लेट जाओ।
मैं आंटी के बारे में बताता हूँ, आंटी की उम्र करीबन 38 साल है, उनका शरीर एकदम गोरा है। आंटी की गांड भी इतनी मोटी दिखती है जैसे अंकल आंटी की हर दिन गांड मारते हों।
जब मैं आंटी की मालिश कर रहा था.. तो आंटी ने साड़ी पहनी हुई थी। मालिश करते-करते जब मैं आंटी के गोरे बदन में हाथ फेर रहा था.. तो मेरा भी लंड एकदम टाइट हो गया फिर भी मैं अपने आपको कंट्रोल करके खुद को काबू में किए रहा था।
लेकिन उस वक्त में कंट्रोल के बाहर हो गया.. जब मैं आंटी की कमर रगड़ रहा था और आंटी की मोटी गांड की दरार में मेरा लंड टच हो रहा था, यह बात आंटी को भी मालूम हो चुकी थी।
तभी आंटी ने अचानक मुझसे एक सवाल किया- रंजीत तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैं आंटी से बोला- नहीं आंटी..
तभी आंटी एक सवाल किया- तभी तू इतना गर्म हो गया है।
मैं यह सुन कर थोड़ा चौंक गया और आंटी को बोला- आप क्या बोली आंटी?
आंटी हँसते-हँसते बोलीं- कुछ नहीं.. तू अपना काम करता रह!
थोड़ी देर बाद मैं आंटी से बोला- आंटी अब कैसा लग रहा है?
तो आंटी बोली- तूने तो मेरी कमर का एकदम डॉक्टर जैसे इलाज़ कर दिया.. बस कर अभी। तू बैठ.. मैं तेरे लिए शरबत बना कर लाती हूँ।
अब आंटी उठ कर अन्दर चली गईं। कुछ देर बाद आंटी शरबत बना कर लेके आईं.. तो आंटी ने पूरा शरबत मेरी पैंट पर गिरा दिया।
मैं एकदम से चौंक कर उठा और अपनी पैंट को साफ़ करने लगा। आंटी जल्दी से एक तौलिया से मेरी पैंट को पोंछने लगीं। उस वक्त मेरे लंड को आंटी के हाथ का स्पर्श होने लगा। आंटी और जानबूझकर मेरे लंड को रगड़ने लगीं.. शायद आंटी को यही चाहिए था लेकिन उनकी इस हरकत से मैं शर्मा गया।
मैं आंटी से बोला- आंटी रहने दो.. मैं बाथरूम में जा कर साफ कर लेता हूँ।
जब मैं बाथरूम में गया तो चूँकि मैं आंटी की हरकतों से गर्म हो गया था.. तो मैंने लंड निकाला और मुठ मारना चालू कर दी। मुझे जल्दी-जल्दी में बाथरूम का दरवाजा बंद करने का याद ही नहीं रहा था।
मैं जब अपना लंड हिला रहा था.. तो आंटी पीछे से देख रही थीं। वो बाथरूम में अन्दर आ गईं और बोलीं- ये क्या कर रहा है? ऐसे मत कर ला.. मैं तेरी दिक्कत खत्म कर देती हूँ।
अब आंटी मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगीं। मैं भी कुछ नहीं बोला.. जब मेरा पूरा पानी निकल गया.. तो मुझे शर्म आने लगी।
मैं आंटी के सामने में सर झुका कर खड़ा था।
तब आंटी बोलीं- अभी तुझे कुछ शांति मिली?
मैं कुछ नहीं बोला तो आंटी बोलीं- अभी मुझे शांत कर!
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
आंटी बोलीं- पहली बार है?
मैंने सिर्फ़ ‘हाँ’ में सिर हिलाया।
आंटी ने बाथरूम का दरवाजा बंद करके मेरे सामने अपनी साड़ी उठा कर अपनी चूत में उंगली डालने लगीं।
मैंने उनकी चूत में उनकी उंगली को अन्दर बाहर होता हुआ देख रहा था, थोड़ी देर बाद आंटी भी शांत हो गईं।
फिर आंटी ने मेरा लंड आंटी ने साफ किया और आंटी अपनी चूत साफ करने के मुझसे कहने लगीं।
मैंने आंटी की चूत पर हाथ फेरा और चूत को साफ करने लगा।
जब मैं आंटी की चूत साफ कर रहा था। उस वक्त आंटी की चूत पर जो बाल उगे थे.. उन बालों को हाथ लगाने में बड़ा मजा आ रहा था।
फिर आंटी अपनी चूत साफ करवाने के बाद बोलीं- कभी सेक्स किया है?
मैं बोला- नहीं..
आंटी- चल आज तेरे को सिखा देती सेक्स कैसे करते हैं।
आंटी मुझे लेकर बिस्तर पर आ गईं, इधर आकर आंटी ने मेरे कपड़े उतार दिए और मैं बिल्कुल नंगा हो गया।
आंटी बोलीं- अभी तू मेरे कपड़े उतार दे।
मैं पहले आंटी को बांहों में लेकर उनके होंठ चूसने लगा, आंटी भी मेरे होंठों का रस पीने लगीं। इसी चूमाचाटी को करते करते मैंने आंटी के पूरे कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों ही नंगे हो चुके थे।
आंटी बोलीं- अब देर मत कर.. तेरा लंड बहुत मस्त है.. इसे जल्दी से मेरी चूत में डाल कर मुझे चोद दे और शांत कर दे।
मैंने आंटी की चूत में जैसे ही अपना लंड पेला.. आंटी चिल्लाने लगीं- आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहउऊउ..
मुझे उनकी सीत्कारें सुन कर बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी देर की चुदाई के बाद हम दोनों पानी निकल गया और हम दोनों शांत होने लगे।
कुछ देर बिस्तर पर लेटने के बाद आंटी एक क्रीम लाईं और उन्होंने उसे अपनी चूत में लगा ली। थोड़ी देर बाद मैं देखता हूँ कि आंटी की काली चूत एकदम चिकनी हो गई।
फिर कुछ देर बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, अब आंटी मेरा लंड चूस रही थीं और मैं आंटी की चूत चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद आंटी की चूत में लंड डाल कर उनकी चूत की आग को फिर से शांत किया। इस बार मुझे बहुत मजा आया।
अब इस चुदाई के बाद से हम दोनों बिंदास चुदाई का खेल खेलने लगे, जब भी अंकल ड्राइविंग पर जाते मैं आंटी की चूत की ड्राइविंग कर लेता।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल कीजिएगा।
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