नौसिखिया बनकर बुर चोदी

मस्ती चोर 2015-04-01 Comments

Nausikhiya Ban kar Bur Chodi

मैं सुदर्शन एक बार फिर अपनी जिंदगी के अनछुए पहलू लेकर हाजिर हूँ। यह घटना जब की तब चुदाई की दुनिया से मेरा परिचय हो चुका था। आंटी ने मुझे चोदने में मास्टर बना दिया था। अधिक जानकारी हेतु यह कहानी पढ़ें।

मेरी जिन्दगी चुदाई-प्रेक्टिकल की लैब

मेरे बगल में एक परिवार रहता था उसमें चार भाई और दो बहनें रहते थे, बचपन से मैं उन दो बहनों में रीता के काफी करीब रहा।

उन दिनों मैं कॉलेज में पढ़ रहा था, मुझे टाईफाईड बुखार हो गया तो दस दिन कॉलेज नहीं जा सका था, तबियत ठीक होने पर अपने पिछड़े कोर्स को पूरा करने के लिए मैंने रीता दीदी की मदद माँगी.. उनकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और वो घर पर रहती थीं।

रीता दीदी बोली- ठीक है.. पर जूस पिलाना पड़ेगा।

मैंने कहा- ठीक है।

जब काम हो गया तो वे मुझे अपने कमरे में ले गई, उनका कमरा अलग था, वहाँ वो बोलीं- अब जूस पिलाओ।

मैंने कहा- मैं बाजार से ले आता हूँ।

वो स्कर्ट पहने हुए थीं, दीदी ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं, बोली- मुझे तो ये वाला रस पीना है…

मैं सकते में आ गया और समझ गया कि इसको चुदास उठी है। मैंने सोचा नौसिखिया बन कर मजा लेता हूँ। थोड़ी देर बाद उसने अपना चेहरा.. मेरे चेहरे से हटाया और मेरे हाफ पैंट के अन्दर हाथ डालकर मेरा खिलौना पकड़ा।

मैंने कहा- यह आप क्या कर रही हो?

दीदी ने कहा- मैं एक मजेदार खेल खेल रही हूँ।

मैंने झूठ बोला- अच्छा.. मुझे तो इसके बारे में कुछ पता नहीं है.. ये खेल कैसे खेलते हैं।

दीदी ने कहा- मैं तुझे सब सिखा दूँगी।

उन्होंने मेरे पैंट और चड्डी को उतार दिया और पानी का छींटा मारकर मेरे लंड को साफ कर पौंछा, फिर मुँह में लेने लगी।

मैंने कहा- यह गंदा है।

दीदी बोली- जब तुम छोटे थे.. तब भी मैं तुम्हारी नुन्नी की चुम्मी लेती थी।

फिर वो लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। वो बीच-बीच में लंड के छेद को जीभ की नोक से छेड़ देती.. तो ऐसा लगता कि बस जान ही निकल गई। रीता दीदी मेरे लंड के चारों ओर अपने जीभ को लपेट कर चूस रही थीं। मेरा पूरा लंड उनके थूक से सनकर गीला हो गया था।

वो बीच-बीच में दांतों से हल्का दबा देती थीं.. तो मुझे बहुत सनसनी होती थी और अच्छा लग रहा था। मेरे शरीर का खून भारी मात्रा में लंड की ओर खिंचता सा महसूस हुआ और मैंने अगले ही पल वीर्य की धार उनके मुँह में छोड़ दी।

दीदी ने तब तक मेरा लंड बाहर नहीं निकाला.. जब तक वीर्य की आखिरी बूँद को चूस नहीं लिया, फिर बोलीं- मेरी नुन्नू (बुर) देखोगे।

मैंने कहा- हाँ।

उसने अपनी स्कर्ट को उतारा.. फिर चड्डी उतारी और मेरे सामने नंगी हो गईं।

मुझे उनके पेट और दोनों जाँघों के मिलन स्थल पर एक तिकोनी फूली हुई संरचना दिखाई दी.. जिसमें बीचों बीच चीरा लगा था और उसके ऊपरी सिरे पर दुल्हन के घूंघट जैसी संरचना में दाना (CILT) छिपा हुआ था।

मैंने दोनों हाथों से उनकी नुन्नू (बुर) को फैलाकर देखा.. वो पूरी तरह गीली थी, मेरा लंड चूसने के दौरान.. उसने बहुत उत्तेजित होकर पानी छोड़ दिया था.. पर मैंने अनजान बनते हुए पूछा- दीदी आपकी नुन्नू में पसीना बहुत आ रहा है।

वो उठीं और पानी से अपनी बुर में छींटा मारकर उसको पोंछा और बोलीं- ले.. अब इसे चाट..

वो चित्त लेट गईं और मैं आज्ञाकारी शिष्य की भाँति उनकी रसीली बुर को चाटने लगा, दीदी अपनी टाँगों में मेरे सिर को दबा-दबा कर बुर चटवाने लगीं।

मेरा लंड पुनः खड़ा हो चुका था। उत्तेजनावश मैं उनके हल्के नमकीन पानी को कुत्ते की तरह चपर-चपर चाटने लगा.. कभी पानी का बहाव अधिक हो जाता रहा।

दीदी ने अपनी दोनों टाँगें मोड़ कर उठा लीं और बोलीं- अपनी नुन्नी मेरे नुन्नू के छेद में डालो..

मैं जानबूझकर ऐसे डालता रहा कि लंड बुर में ना जाए तो दीदी झुंझला कर बोलीं- तुम लेटो.. और अपने लंड को सीधा पकड़कर रखो।

मैंने वैसे ही अवस्था बनाई, दीदी अपनी बुर को फैलाकर उसके मुँह को मेरे लंड के सुपारे पर सैट करते हुए धीरे-धीरे बैठने लगीं.. जब लवड़ा जड़ तक घुस गया तो थोड़ी देर रूकने के बाद उठक-बैठक करके.. मुझे चोदने लगीं।

कुछ देर बाद जब वो थक गई.. तो बोलीं- अब मैं नीचे लेटती हूँ.. तुम चोदो।

उन्होंने बुर की बगल के चमड़े को फैलाकर छेद खोल दिया.. मैंने लंड को सैट करके जोर से धक्का मारा.. उनकी गीली बुर और बुर रस में भीगे होने के कारण पूरा लंड एक बार में अन्दर तक घुस गया। फिर मैं फुल स्पीड में धक्के लगाने लगा। मेरे चेहरे से पसीना.. उनके चेहरे पर टपक रहा था। अंत में मैं झड़ गया।

वे पहले तृप्त हो चुकी थीं। मैं निढाल होकर उनके ऊपर ही लेट गया.. वो मेरे सर में हाथ से दुलारने लगीं।

इस प्रकार मेरा उनका चुदाई का संबंध डेढ़ वर्ष चला.. इस बीच उनके संबंध उनके हमउम्र के अन्य लड़के से हो गया लेकिन वो आज भी मुझसे बड़ी चाव से चुदवाती हैं।

एक दिन उनके प्रेमी के बारे में उनके घर पता चला और उनके भाईयों ने उनको पीटा। चूंकि मैं उनसे पाँच वर्ष छोटा था.. साथ ही भाई-बहन की तरह बचपन से साथ थे.. अतः मैं कभी पकड़ा नहीं गया। मेरी उनके साथ चुदाई बेरोक-टोक चलती रही।

एक दिन वो अपने प्रेमी के साथ भाग गईं और आज तक लौट कर नहीं आईं।

रीता दीदी आप जहाँ भी हो.. मेरी कहानी अगर पढ़ें.. तो मुझे ईमेल करें.. मैं आपसे मिलना चाहता हूँ।

इस कहानी में बुर के लिए नुन्नू शब्द इसलिए किया गया.. क्योंकि रीता दीदी बुर को नुन्नू ही कहती थीं और अगर वो इस कहानी को पढ़ रही होंगीं.. तो जान सकेंगी कि मैं उनका छोटू प्रेमी हूँ।

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