मेरी चालू बीवी-27
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left मेरी चालू बीवी-26
-
keyboard_arrow_right मेरी चालू बीवी-28
-
View all stories in series
इमरान
मैंने भी अंदर देखा…
एक और सरप्राइज तैयार था…
अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे…
मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ…
अंदर बैडरूम के अंदर अरविन्द अंकल केवल एक सिल्की लुंगी में थे…
वैसे वो पहले भी कई बार ऐसे ही आ जाते थे…
पर आज उनकी बाँहों में मेरी सेक्सी बीवी मचल रही थी…
मैंने पीछे हटती मधु को रोक लिया… उसको मुँह पर उंगली रख श्ह्ह्ह्ह का इशारा कर चुप रहने को कहा..
वो भी बिल्कुल भी आवाज न कर मेरे साथ ही लगकर खड़ी हो गई…
सलोनी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी.. अंकल ने उसको पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ा था…
मैंने अपनी साँसों को कुछ नियंत्रित करते हुए उन दोनों की हरकतों पर ध्यान दिया…
अंकल की हाइट ज्यादा थी… तो कुछ अपनी टांगों को मोड़कर नीचे हो गए थे…
ऐसा उन्होंने अपने लण्ड को सलोनी की गाण्ड पर सेट करने के लिए किया था…
अंकल का लण्ड सलोनी की मखमली, गद्देदार गाण्ड से चिपका था और वो अपनी कमर को लगातार हिलाकर लण्ड को रगड़ रहे थे…
दोनों इस मजेदार रगड़ का मजा ले रहे थे…
मुझे नहीं पता कि बीच में उनकी क्या स्थिति थी…
सलोनी की झुकी होने से यह साफ़ था… कि उसकी ड्रेस उसके चूतड़ से खिसक ऊपर को हो गई होगी…
इसका मतलब अंकल के लण्ड का अहसास उसको कच्छी के ऊपर से हो रहा होगा…
पर मुझे यह नहीं पता था कि अंकल का लण्ड लुंगी से बाहर था या अंदर… अंकल ने अंडरवियर पहना था या नहीं…
इन सभी बात से मैं अनजान था…
तभी मेरी नजर ड्रेसिंग टेबल के दर्पण पर पड़ी… अंकल के बाँहों में चिपकी सलोनी की चूचियों पर उनका सीधा हाथ पूरी तरह लिपटा था और वो अपने पंजे से सलोनी की बायीं मस्त चूची को मसल रहे थे…
यहाँ तक होता तब भी ठीक था… पर…
अंकल का दायाँ हाथ आगे से उसकी ड्रेस के अंदर… सलोनी की टांगों के बीच था…
उनके हाथ के हिलने से सलोनी की ड्रेस ऊपर नीचे हो रही थी…
और यह महसूस हो रहा था… कि अंकल बड़े कलात्मक तरीके से मेरी इस बेकरार बीवी सलोनी की प्यारी चूत से छेड़छाड़ कर रहे हैं…
अब मैंने उनकी बातों को सुनने का प्रयास किया…
सलोनी- ओह अंकल मत करो ना… सब यहीं हैं…
सलोनी- अंकल प्लीज छोड़ दो ना… अंकुर आ गए तो क्या सोचेंगे…
अंकल- अरे वो नीचे है… मैंने खुद देखा था… तभी तो आया…
सलोनी- ओह्ह्ह… मधु भी तो है…
अंकल- अह्ह्ह… हाआआआ… व…वो रसोई में है…
अंकल- आह्ह्हा… अह्ह्ह… यार… ये बता कि कैसा लग रहा है???
सलोनी- आपका अच्छा ख़ासा तो है…
अंकल- केवल तेरे गरम बदन से ही इतना बड़ा हुआ है… वरना तेरी आंटी के पास इतना बड़ा नहीं होता…
तभी सलोनी ने अपना बायाँ हाथ पीछे कर…
सलोनी- ओह अंकल कितना बड़ा है…
ओह उसने अंकल का लण्ड पकड़ा था…
वो थोड़ा साइड में हुए… तो मैंने देखा कि अंकल का लण्ड लुंगी से बाहर था…
सलोनी ने उनके लण्ड पर अपना हाथ फिराया… और उसको लुंगी के अंदर कर दिया…
सलोनी- सच अंकल आप बिल्कुल निराश मत हो… आपका अंकुर से भी बड़ा और मजबूत है…
अंकल- पर तुम्हारी आंटी के सामने यह धोखा दे देता है… सच बेटा… कल तुमको नंगी देख… कई महीने बाद मैं उसको संतुष्ट कर पाया… पर यकीन मानो मैं तेरे को सोच कर ही उसको चोद रहा था…
सलोनी- धत्त अंकल कैसी बात करते हो… अब आप जाओ… अंकुर आते ही होंगे…
अंकल बाहर को आने लगे… मैंने मधु को तुरंत रसोई में किया… और खुद दरवाजे से ऐसे अंदर को आया कि… अभी आ ही रहा हूँ…
मैं- ओह अंकलजी नमस्ते…
अंकल हड़बड़ाते हुए- हा ह ह हाँ बेटा… कैसे हो?
मैं- ठीक… हूँ और आप?
अंकल- मैं भी बेटा… बस तुम्हारी आंटी के सर में दर्द था… तो गोली लेने आ गया था…
मैं- अरे तो क्या हुआ…??? आप ही का घर है…
अंकल- अच्छा सलोनी बेटा… मैं चलता हूँ फिर… बाय !
सलोनी- बाय…
वो दरवाजा बंद करके मुझसे बोली- …गए वो लोग… अब फिर क्या कह रहे थे…
मैं बैडरूम में जाते हुए- …कुछ नहीं… अब फिर कभी आएंगे…
सलोनी रसोई में जाते हुए…
सलोनी- ठीक है… आप चेंज कर लो… मैं खाना लगवाती हूँ…
मैं- ह्म्म्म्म्म
बैडरूम में जाते ही मुझे एक और झटका लगता है…
मुझे याद था सलोनी ने जो कच्छी पहनी थी… वो ड्रेसिंग टेबल पर रखी थी…
इसका मतलब वो इतनी छोटी ड्रेस में बिना कच्छी के ही है…
मैं उसकी कच्छी को अपने हाथ में लेकर अभी कुछ देर पहले हुए दृश्य के बारे में सोचने लगा…
सलोनी झुकी हुई है… उसकी ड्रेस कमर तक सिमटी है… उसके नंगे चूतड़ से अंकल का लण्ड चिपका है… जो उन्होंने लुंगी से बाहर निकाल लिया है… कितनी हिम्मत आ गई है दोनों में… दरवाजा खुला छोड़… मधु घर पर ही है… मैं भी दूर नहीं हूँ… और दोनों कैसे अपने नंगे अंगों को मिलाकर मजे ले रहे थे…
अभी एक सवाल और मेरे दिमाग में आ रहा था… सलोनी ने कच्छी खुद उतारी थी… या अंकल में इतनी हिम्मत आ गई थी…
ये दोनों कितना आगे बढ़ गए हैं… ये सब अभी सस्पेंस ही था…
मैंने अपना कुरता पजामा… निकाल… बरमूडा पहन लिया…
गर्मी बहुत थी… इसलिए अंडरवियर भी उतार दिया…
मैं फिर से रसोई में चला गया…
मधु खाना लगा रही थी… और सलोनी झुकी हुई कुछ कर रही थी…
मेरी नजर सीधे उसके नंगे चूतड़ पर ही जाती है…
उसके गोल मटोल… दूध जैसे चूतड़… खिले हुए मेरे सामने थे..
केवल चूतड़ ही नहीं… उसके इस अवस्था में झुके होने से उसके चूतड़ों के दोनों भाग से… सलोनी की छोटी सी कोमल चूत भी झाँक रही थी…
मैं अपने हाथ से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए सीधे अपनी दो उंगलियाँ उसकी सुरमई चूत के छेद पर रख देता हूँ…
मेरी उंगली को एक अलग सा अहसास होता है…
उँगलियों पर कुछ गीलापन… जो शायद उसके चूत का रस था… पर कुछ चिपचिपा और सूखा सा रस भी लगता है…
मेरे दिमाग में फितूर तो जाग ही गया था…
क्या यह सूखा रस अंकल का था… क्या पता अंकल ने अपना लण्ड सलोनी की चूत के ऊपर भी घिसा हो…
और उनका कुछ प्रीकम यहाँ लग गया हो…
सलोनी उस समय ऐसे ही तो झुकी थी… और जहाँ तक मैं समझता हूँ… इस अवस्था में तो जरूर अंकल का लण्ड… सलोनी के चूत के छेद पर ही दस्तक दे रहा होगा…
पता नहीं मैं क्या-क्या सोच रहा था… और ये सब सोचते हुए… ये सुसरा मेरा लण्ड भी खड़ा हो रहा था…
क्या पता… अंकल का लण्ड ने सलोनी की चूत के ऊपर ही ऊपर घिसा था.. या कही कुछ अंदर भी किया हो…
तभी सलोनी एकदम से खड़ी हो जाती है… और मधु की ओर देखते हुए- …क्या करते हो??
मैं बिना शरमाये और ना सुनते हुए- …क्या हुआ जान?? यह कच्छी कब निकाल दी?
सलोनी पहले तो कुछ चुप रहती है… फिर… खुद ही- …अरे नहीं… मैं तो कपड़े बदलने ही गई थी… कि तभी अंकल आ गए…
मैं हँसते हुए- …हा हा… तो क्या जान… कहीं अंकल ने तो नहीं देख लिया कुछ… हा हा…
मेरी बात पर एकदम से मधु भी हंस पड़ती है…
सलोनी उसको गुस्से से देखती है- तू क्यों हंस रही है… और हटो अब आप… मैं आती हूँ… आप बैठो… पहले खाना खा लेते हैं…
और बिना कुछ कहे वो बैडरूम में चली जाती है…
हम दोनों को ही उसकी इस नखरीली अदा पर हंसी आ रही थी…
मैंने देखा मधु मेरे बरमुडे को ध्यान से देख रही है…
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments