पड़ोसन भाभी की भूख और मेरे लौड़े की प्यास
(Nangi Bhabhi Ki Garam Chut)
नंगी भाभी की गर्म चूत का मजा मुझे मिला जब मैंने भाभी को चूत में उंगली करती देख लिया. भाभी बहुत गर्म हो रही थी तो उनके पास चला गया और सेक्स का मजा लिया.
दोस्तो, मेरा नाम अक्षय सिंह है. मैं मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में रहता हूं और मेरी उम्र 20 साल है.
मेरे परिवार में मेरे पापा-मम्मी और एक छोटी बहन है.
मैं अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों का नियमित पाठक हूं.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है नंगी भाभी की गर्म चूत चुदाई की!
मेरे पापा के ऑफिस के सहकर्मी हमारे पड़ोस में ही रहते हैं.
हमारे घरों की छत आपस में मिलती है.
उनके परिवार में वे, उनकी पत्नी शिखा और एक 2 साल की बेटी है. उन दोनों की शादी को ज्यादा टाइम नहीं हुआ है.
शिखा जी की उम्र 27 साल है और वह एक स्कूल में टीचर हैं.
मैं मेडिकल की पढ़ाई कर रहा हूं. मेरा लिंग काफी बड़ा है और जब यह खड़ा होता है तो काले सांप के जैसा लगता है.
और मैं बॉडी बिल्डिंग का भी शौक रखता हूं और एक अच्छे शरीर का जवान लड़का हूं.
बात करीब एक साल पुरानी है और तब की है, जब मैंने बारहवीं की परीक्षा पास की थी और मेडिकल के एंट्रेंस की तैयारी कर रहा था.
उस समय सर्दियां चल रही थीं और मैं छत पर धूप में पढ़ाई करता था.
बाजू में छत पर शिखा भाभी की ब्रा और पैंटी सूखती थी. मैं अक्सर उस पर मुठ मारकर अपना माल उनकी ब्रा पर उनकी बोबे वाली जगह पर छोड़ दिया करता था.
अब मैं आपको शिखा भाभी के बारे में बता देता हूं. वह एकदम सेक्सी जवान औरत थीं और मुझे बड़ी भूखी नजरों से देखा करती थीं.
उनका साइज 34-28-36 का था जो मुझे बाद में चुदाई के वक्त पता चला.
उनके मम्मे और गांड की गोलाई को देखकर ही मेरा लौड़ा फनफनाने लगता था.
एक दिन मैं ऐसे ही पढ़ने के लिए छत पर गया और उनकी ब्रा को देखकर मुट्ठी मारने का मन हुआ.
मैं जैसे ही उनकी छत पर गया, मुझे वासना भरी सिसकारियों की आवाज सुनाई देने लगी.
इन आवाजों को मैं खूब पहचानता था क्योंकि ब्लू फिल्मों में चुदते वक्त लड़कियों की ऐसी आवाजों को मैंने सुना था.
एक पल को तो मैं ठिठका कि क्या करना चाहिए.
फिर मैंने उनकी छत पर जो सीढ़ियों के ऊपर शेड बनाया था, उसमें से झांक कर नीचे देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
शिखा भाभी ने अपनी सलवार घुटनों तक कर रखी थी. वह अपने एक हाथ से अपनी चूत में उंगली कर रही थीं और दूसरे हाथ से अपने एक मम्मे को मसल रही थीं.
उनके मुँह से कोई नाम निकल रहा था.
मैंने ध्यान दिया तो वे बार बार मेरा नाम ही ले रही थीं.
मुझे उन्हें चोदने का ये मौका अच्छा लगा इसलिए मैंने सोचा कि अगर मैं इन्हें अभी चोद दूं तो फिर मैं हमेशा इनका भोग कर सकता हूं.
मैं तुरंत उनके सामने जाकर खड़ा हो गया.
मुझे देखते ही उनके चेहरे का रंग उड़ गया.
मैं तुरंत उनके ऊपर टूट पड़ा और मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वे भी बहुत ज्यादा गर्म थीं इसलिए वे भी मेरा साथ देने लगीं.
मैंने फटाफट अपना लोअर निकाला और अपना काला नाग उनके हाथ में रख दिया.
वे पहले तो मेरे लौड़े को देख कर डर गईं, पर उस वक्त भाभी की चूत में आग लगी हुई थी … तो वे बिना कुछ सोचे समझे मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
उनके मुँह की गर्मी पाकर मेरे लौड़े में झनझनी सी दौड़ गई और मैं उस वक्त जन्नत की सैर करने लगा था.
मैं इतना ज्यादा जोश में आ गया कि मैंने उनका मुँह पकड़ कर अपना लौड़ा उनके गले में ठूंस दिया.
भाभी की आंखों से आंसू निकल आए पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और तेज तेज धक्के मारने लगा.
चूंकि मेरे अन्दर भी उत्तेजना भरी हुई तो मैं ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया और उनके गले में ही झड़ गया.
उन्होंने भी कोई प्रतिवाद नहीं किया और वे मेरे लौड़े के पूरे रस को स्वाद लेती हुई पी गईं.
उन्होंने मेरा मुरझाया हुआ लौड़ा अपने मुँह से निकाला और मेरी आंखों में देखते हुए उसे चाट चाट कर साफ कर दिया.
उनकी इस कामुक अदा को देख कर मेरे लौड़े में वापस से हल्का हल्का सा तनाव आने लगा था.
फिर हम दोनों बैठ कर बात करने लगे.
मैंने उनसे इस तरह अचानक आ जाने के लिए माफी मांगी क्योंकि मुझे लग रहा था कि कहीं वे मुझसे शिकायती लहजे में बात न करने लगें.
उन्होंने कहा- इसमें माफी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है. ये सब मैंने जानबूझ कर ही किया था.
मुझे कुछ समझ में नहीं आया.
उन्होंने मुझे बताया कि उनके पति उन्हें ठीक से चोद नहीं पाते हैं और उनका लंड भी छोटा व पतला है. वे जल्दी झड़ भी जाते हैं.
मैं उनकी बातों को बड़ी गौर से सुन रहा था.
मैंने उनसे सवाल किया- आपको मेरा ख्याल कैसे आया? मतलब आप मेरा नाम क्यों ले रही थीं?
उन्होंने बताया कि उन्होंने मुझे उनकी ब्रा में मुठ मारते हुए देख लिया था और उसी समय से उनको मेरा लौड़ा अपनी चूत में लेने की इच्छा थी. इसलिए आज जानबूझ कर छत पर मेरे आने के टाइम पर आकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने के इस तरह से रिझाया था.
मुझे भी लगा कि अब कोई दिक्कत नहीं है. इसलिए मैं भी उनसे खुल कर बात करने लगा.
मैंने उन्हें बताया कि मैं भी आपको काफी पसंद करता हूँ और न जाने कब से आपको चोदना चाहता था.
उन्होंने भी मेरे गले में हाथ डाल कर कहा- मैं भी तेरा लौड़ा अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही हूं मेरे राजा.
मैंने भी उनको अपनी बांहों मे कस लिया और उनके होंठों को चूमने लगा.
उसी वक्त मुझे अंकल की याद आई कि उनका क्या स्टेटस है. कहीं वे न आ जाएं.
उस पर भाभी ने मुझे बताया कि उनके पति अपने काम के सिलसिले में 4 दिन के लिए बाहर गए हैं. अब हम दोनों को किसी बात की कोई चिंता नहीं है. बस तुम अपने घर में कुछ ऐसा कह कर इंतजाम कर आओ ताकि हमारे मिलन में कोई व्यवधान न आए.
मैंने उनसे कहा- हां ठीक है, मैं भी अपने घर में कुछ इंतजाम करके आता हूँ.
छत के रास्ते से वापस अपने घर में जाकर मैंने मम्मी को बताया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब हो गई है और वह अस्पताल में भर्ती है. उसके घर वाले भी यहां नहीं हैं, तो मुझे उसके पास जाना होगा.
मम्मी पापा ने भी मना नहीं किया और जाने का कह दिया.
मैं अपने कुछ कपड़े लेकर घर से निकला और सावधानी से अपने ही पड़ोस वाले घर में आ गया.
बस फिर क्या था, हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.
भाभी और मैं एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े.
मैं भाभी के होंठों को चबा जाना चाहता था इसलिए बेदर्दी से उनके होंठों को अपने होंठों में भर कर चबाते हुए चूस रहा था.
उन्हें दर्द हो रहा था तो मैंने उन्हें छोड़ दिया.
उन्होंने मुझसे कहा- बड़ा जोर से चबा लिया है राजा … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ … आराम से करो.
मैंने उनका कहा मान लिया.
फिर हम दोनों एक दूसरे के कपड़े उतार कर नग्न हो गए और मैं भाभी की चूचियां चूसने लगा.
भाभी को भी मेरे मुँह में अपने दूध देने में बड़ा मजा आ रहा था.
उनकी चूत एकदम सफाचट थी तो मैं अपने हाथ से उनकी चूत को सहला रहा था और उसके दाने को अपनी दो उंगलियों से पकड़ कर मींज रहा था.
भाभी को नीचे और ऊपर एक साथ मजा मिल रहा था और वे काफी गर्मा गई थीं.
जल्द ही भाभी ने मेरे लौड़े को मुँह में ले लिया तो मैंने उनसे 69 की पोजिशन में आने कहा.
भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और उन्होंने अपनी टांगें खोल कर अपनी चूत मेरे मुँह पर लगा दी.
मैं प्यासा कुत्ता सा उनकी चूत को चाटने लगा था और भाभी मेरे लौड़े को गन्ना समझ कर चूसने में लगी थीं.
भाभी अपनी चूत चटवाते समय अपने मुँह से मादक सिसकारियों की आवाज निकाल रही थीं जिससे वे बार बार मेरे लौड़े को मुँह से निकाल कर उसे बाहर से चाटने लगती थीं.
फिर वे मेरे टट्टों को चाटने लगी थीं.
सच में जिस तरह से वे मेरे एक टट्टे को मुँह में भर कर खींच रही थीं, उससे मेरे रक्त में उबाल आ रहा था और लौड़े में मस्त तनाव आता जा रहा था.
उसी से उत्तेजित होकर मैं उनकी चूत में अपनी पूरी जीभ घुसेड़ कर चूत की दीवारों को अपनी खुरदरी जीभ से रगड़ रहा था.
उनकी चूत का नमकीन स्वाद मुझे बड़ा बढ़िया लग रहा था.
हम दोनों कामांध हो चुके थे और हम दोनों को भी दीन दुनिया की कोई खबर नहीं रह गई थी.
हम दोनों की कामुक आवाजों का मधुर संगीत कमरे में गूंज रहा था ‘ऊऊ ऊईई ई मांआआ आआआह आआआ आराम से आआह …’
कुछ ही देर में भाभी से साहन न हुआ और वे मेरे मुँह में झड़ गईं.
मैं उनका सारा नमकीन पानी पी गया.
कुछ देर तक लगातार चूत चाटते रहने से भाभी की चूत में वापस करंट आ गया और वे चुदवाने के लिए मचलने लगीं.
अब मैं मिशनरी पोजीशन में आ गया.
उन्होंने कहा कि उनकी चूत अभी भी एक तरह से कुंवारी ही है. उनकी बेटी ऑपरेशन से हुई है और पति का लौड़ा भी छोटा है, तो आराम से चुदाई करना.
मैंने कहा- तो आपकी चूत कुंवारी कैसे हुई? क्या लंड का पानी इंजेक्शन से अन्दर लिया है.
वे हंसने लगीं और बोलीं- चुदाई होना और लंड का पानी अन्दर जाना दो अलग अलग बातें होती हैं. पति का पतला सा लंड मेरी चूत को सही से चोद ही नहीं पाया है. तुम्हारे लौड़े के सामने मेरे पति के लंड को लुल्ली ही कहना उचित रहेगा. इसी लिए तुमसे कह रही हूँ कि मेरी चूत तुम्हारे लौड़े के लिए अभी कुंवारी ही है.
मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि मैं आराम से करूंगा.
जबकि मेरे मन में इसका उल्टा ही चल रहा था. मुझे लड़कियों को दर्द देने में मजा आता है.
मैंने उनकी चूत पर ढेर सारा थूक गिरा दिया और अपने लौड़े को उनके मुँह में देकर उसे भी थूक से सराबोर कर लिया.
फिर मैंने उनकी चूत के छेद पर अपना लौड़ा रख कर एक धक्का मारा तो मेरे लौड़े का टोपा भाभी की चूत के अन्दर घुस गया.
उनकी तेज आह निकल गई तो मैं रुक गया.
उन्होंने दर्द भरी आवाज में मुझसे कहा कि आराम से डालो ना!
मैंने अपना लौड़ा पीछे खींच कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लौड़ा जड़ तक उनकी चूत में घुसता चला गया.
भाभी ‘ऊऊ ऊईई ई मांआआ … मर गई … फट गई मेरी … साले आराम से कर … आह फाड़ दी कुत्ते ने … ऊऊ ऊईई ई मांआआ आआआह आआआ आराम से आआह …’ चिल्लाने लगीं.
भाभी की चूत के चिथड़े उड़ गए और उनकी आंखों से आंसू निकल आए.
वह छटपटाती हुई कहने लगीं- आंह इसे बाहर निकालो ऊऊ ऊईई ई मांआआ … आआआह आआआ मैं मर गई … ऊऊ ऊईई ई मांआआ … मर गई …
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनकी आवाज को बंद कर दिया.
थोड़ी देर में ही वे शांत हो गईं और मैंने झटके देने शुरू कर दिए.
वे अपने मुँह से मादक आहें निकालने लगी थीं.
‘आह आआह आह … उफ़्फ़फ्फ ऊऊ … ऊह हहह … ऊऊ ऊईई ई मांआआ … मर गई … आराम से करो!’
मैं पेलने में लगा रहा. भाभी की चूत एकदम किसी कुंवारी नवयौवना के जैसी लग रही थी.
मेरे लौड़े को ऐसा लग रहा था मानो उसे किसी शिकंजे ने जकड़ा हुआ हो.
करीब 20 मिनट तक हमारी चुदाई चली और फिर मैं उनकी चूत में ही झड़ गया.
अगले चार दिन तक मैंने उन्हें अलग अलग पोजिशन में बहुत चोदा और उनकी चूत का भोसड़ा बना दिया.
उनके मम्मों को काट काट कर लाल कर दिया. वे ठीक से चल तक नहीं पा रही थीं.
फिर मैं अपने घर वापस आ गया और अब हम दोनों को जब भी टाइम मिलता, हम सेक्स करने लगे.
अगली सेक्स कहानी मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने उनकी कुंवारी गांड फाड़ी और उनकी गांड को कुंआ बना दिया.
आपको यह नंगी भाभी की गर्म चूत की कहानी कैसी लगी?
मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
तब तक के लिए सभी भाभियों को मेरे लौड़े का प्रणाम!
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