मदमस्त शेख आंटी की चुदाई
(Madmast Shekh Aunty Ki Chudai)
अन्तर्वासना पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरा विक्रम ठाकुर है और मैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में रहता हूं. मैं जाति से ठाकुर हूँ, इसलिए मेरी कद काठी एक हट्टे कट्टे मर्द जैसी है.
आप लोग समझ ही सकते हो कि ठाकुरों के लड़के कैसे होते हैं. मैं नियमित रूप से जिम जाता हूं. मुझे बॉडी बिल्डिंग का शौक है. मैं अन्तर्वासना का बड़ा फैन हूँ और इधर प्रकाशित हर चुदाई की कहानी को रोज पढ़ता हूँ.
मुझे इधर की कहानियों से लगा कि क्यों न मैं अपनी भी एक आपबीती को कहानी बना कर लिखूँ.
यह घटना कुछ इस प्रकार हुई थी कि मैं उस समय अपनी बीए की पढ़ाई कर रहा था. मेरा रूम, मकान की चौथी मंजिल पर था और मेरे घर के सामने वाले घर में एक आंटी रहती थीं, जो इस कहानी की नायिका हैं.
आपको, मैं आंटी के बारे में बता देता हूँ. आंटी का नाम सबीना शेख था, उनकी उम्र 42 साल की रही होगी. उनके नाम से ही आप उनकी खूबसूरती का अंदाज़ा लगा सकते हैं.
सबीना आंटी की ऊंचाई लगभग 5 फुट 4 इंच की रही होगी. उनका गोरा मखमली जिस्म, बड़ी बड़ी आंखें, आंखों में गहरा काजलनुमा सुरमा, किसी भी मर्द का लंड खड़ा करा देने पूरी तरह से सक्षम था. सबीना आंटी के चुचे 38 इंच के थे, जो मैंने बाद में उन्हीं से पूछा था. उनके बड़े बड़े कसे हुए चुचे, हल्का सा निकला हुआ पेट और नीचे बड़ी मोटी गांड, जिसका साइज 42 इंच का था. उनकी उभारदार गांड.. हिलते हुए मोटे मोटे चूतड़, मेरा लंड रोज ही खड़ा कर देते थे.
मुझे उनकी फिगर देख कर लगभग रोज ही मुठ मार कर तसल्ली करनी पड़ती थी. सबीना आंटी जब बुरके में चलती थीं तो उनकी मोटी मजबूत गांड मुझे आमंत्रित करती थी कि विक्रम आ जा.. और चोद डाल मुझे. आंटी की मोटी माँसल जांघें देख कर लगता था कि इनको दांतों से नोंच नोंच के खा जाऊं, पर क्या करूँ अभी मामला सैट नहीं हुआ था.
फिर धीरे धीरे मैंने पता लगाना चालू किया, तो पता चला आंटी का शौहर सऊदी में जॉब करता है, यहां सबीना आंटी अकेली अपने बच्चों के साथ रहती हैं. आंटी के एक बेटा एक बेटी थी. सबीना आंटी का शौहर एक साल में आता था. यह जानकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा, ये सोच कर ही खड़ा हो गया कि सबीना की चूत कितनी प्यासी होगी. मैंने मन ही मन ठान लिया सबीना आंटी को चोद कर ही मानूँगा.
एक दिन मुझे मौका मिल गया. मेरे घर का गैस सिलिंडर खत्म हो गया तो माँ ने सबीना आंटी से बात की कि अगर आपके पास गैस का एक्स्ट्रा सिलिंडर हो, तो आप दे दो, हमारा आते ही हम आपको भिजवा देंगे.
तो आंटी मान गईं और बोलीं- आप किसी को भेज दो, मुझसे भरा सिलिंडर नहीं उठाया जाएगा.
माँ बोलीं- आप रुको … मैं विक्रम को भेजती हूँ.
मैं उस समय अपने कमरे में पढ़ रहा था. माँ आईं और बोलीं- बेटा तू सबीना आंटी के घर से गैस सिलिंडर उठा ला. मैंने उनसे बात कर ली है, वो मान गयी हैं.
मेरे तो मानो मन में लड्डू फूटने लगे, मैं चल दिया. जैसे ही आंटी के गेट पर मैंने डोर बेल बजाई और सबीना आंटी गेट खोलने आईं, मैं उन्हें देखता ही रह गया. आंटी ने अभी नाइटी पहनी हुई थी, वो भी एकदम पतली और कुछ गीली सी भी थी. उन्हें देख कर लगा जैसे आंटी कपड़े धोकर आयी हों. इस पतली सफेद नाइटी में आंटी के ब्राउन निप्पल चमक रहे थे. मैं तो कड़क निप्पल देखता ही रह गया.
तभी आंटी बोलीं- तुम ही विक्रम हो?
तो मैंने बोला- जी आंटी, मैं ही विक्रम हूँ.
इतना बोल कर आंटी बोलीं- ओके अन्दर आ जाओ, सिलिंडर अन्दर स्टोर रूम में रखा है.
इतना बोल कर आंटी आगे आगे चलने लगीं और मैं उनके पीछे पीछे. गीली नाइटी में आंटी की मोटी मदमस्त गांड और उनकी ब्लैक पेंटी कहर ढा रही थी. मैं तो बस आंटी की मटकती हुई गांड देखे जा रहा था. आंटी की गांड को देखते देखते हम स्टोर रूम पहुंच गए.
आंटी ने मुझे इशारा करते हुए कहा- ये वाला है.. इसे उठा लो.
यह कहते हुए आंटी खुद उसको पकड़ने की लिए झुकी. उसी वक्त में आंटी के झुक जाने अनजाने वही हुआ, जो मैं चाहता था. मेरा हाथ आंटी के हाथ पर रख गया. मुझे मानो करंट लग गया हो कितना नाजुक मखमली स्पर्श था.
मैंने सॉरी कहा.
आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा- कोई बात नहीं.. वैसे तुम करते क्या हो? बहुत कम बाहर दिखते हो?
तो मैं बोला- आंटी मैं बीए कर रहा हूँ, तो ज्यादा समय पढ़ाई को देता हूं.
आंटी बोलीं- गुड … मुझे ऐसे लड़के बहुत पसंद हैं … तुम बुरा न मानो तो तुम्हारे लिए एक काम है, तुम करना चाहो तो कहूँ?
मैंने तुरंत हां कर दिया- काम तो बताओ आप?
तो आंटी बोलीं- क्या तुम मेरे बच्चों को ट्यूशन दे दोगे?
मैं बोला- हां क्यों नहीं.
तो आंटी बोलीं- कितना फीस लोगे?
मैंने मजाक में बोल दिया- आपसे कैसी फीस?
तो आंटी मुस्कुराते हुए बोलीं- मुझसे क्यों नहीं?
मैंने बात टालते हुए बोल दिया- आप पड़ोसन जो ठहरीं.
आंटी हँस पड़ीं, तभी मेरी नज़र आंटी के फ़ोन पर पड़ी जो आंटी के हाथ में था. उसमें आंटी की फेसबुक प्रोफाइल ओपन थी. मैंने तुरंत उसका यूजर नाम पढ़ लिया और आंटी को थैंक्यू बोल कर सिलिंडर लेकर घर आ गया.
घर आते ही मैंने आंटी को रिक्वेस्ट भेज दी. लगे हाथ आंटी ने एक्सेप्ट भी कर ली और आंटी का ही मैसेज भी आ गया- अरे वाह … इतनी जल्दी प्रोफाइल भी खोज ली?
मैंने स्माइल वाला इमोजी भेज दिया, तो आंटी ने भी स्माइल का इमोजी भेज दिया.
फिर मैंने ही पहल करनी जरूरी समझी मैंने बोला- सबीना, एक बात बोलूँ?
तो आंटी बोली- आंटी से सीधा सबीना पर आ गया.. बहुत जल्दी में हो.. आज ही दिखे और इतने खुल गए.
मैं बोला- आपको आंटी बोलना आपकी खूबसूरती को गाली देने जैसा होगा.
तो आंटी मेरी इस बात पर हँस पड़ीं और हमारी बात होने लगी.
धीरे धीरे हम खुल गए.
एक दिन मैंने बोला- आंटी एक बात पूछूं?
आंटी बोलीं- हां पूछो.
मैंने कहा- आप अंकल के बिना कैसे रह लेती हो?
आंटी बोलीं- रहना तो है ही यार.
यह लिख कर उन्होंने सैड वाला इमोजी भेज दिया. हम खुल चुके थे.
मैं बोला- क्या मैं आपसे कुछ पर्सनल प्रश्न कर सकता हूँ.. आपकी इजाजत हो तो?
आंटी बोलीं- ओके पूछो, क्या पूछना है?
मैंने पूछा- आंटी अपने लास्ट टाइम सेक्स कब किया था?
तो आंटी बोलीं- ये कैसा प्रश्न है विक्रम?
मैंने बोला- अपने प्रॉमिस किया है उत्तर दो.
तो आंटी बोलीं- सेक्स किये हुए मुझे एक साल से ज्यादा हो गया.
मैं तो जानता ही था, मैंने नाटक करते हुए बोला- क्या आंटी.. आप कैसे मैनेज करती हो?
तो आंटी बोलीं- तो क्या करूँ.. मजबूरी है.
मैंने बोला- मेरा दूसरा प्रश्न.. आपका फिगर साइज क्या है?
आंटी बोलीं- मतलब?
मैं बोला- बूब्स का साइज?
आंटी का जबाब था- पूरा 38.
तब मुझे पता चला कि ये दूध की फैक्ट्री कितनी बड़ी है.
मैंने दूसरा सवाल किया- गांड का?
तो बोलीं- कैसी लैंग्वेज इस्तेमाल कर रहे हो तुम?
मैंने बोला- आप उत्तर दो.
आंटी बोलीं- मेरी गांड 42 इंच की है.
मैंने ‘हौव्व्व्व.. इत्ती बड़ी..’ लिख दिया तो वो हँस पड़ीं और बोलीं- क्यों?
मैं बोला- इतनी बड़ी?
तो बोलीं- अब उम्र भी तो हो गयी है.
मैंने बोला- दो लास्ट प्रश्न … क्या आपका मन नहीं करता सेक्स का?
तो उत्तर आया- हां करता है!
और लास्ट सवाल था- आपको कैसा लंड पसंद है.. बड़ा या छोटा?
तो आंटी हंसी और बोलीं- बड़ा … और अब बाय.
मगर मैंने बिना देर किए अपने तने हुए 8 इंच लंबे 4 इंच मोटे मूसल से लंड की फोटो सेंड कर दी.
दूसरे दिन आंटी सुबह छत पर टहल रही थीं. आंटी ने मुझे देख कर स्माइल दी तो मैंने भी स्माइल दे दी. आंटी लोअर टीशर्ट में थीं. उनका भरा हुआ गदराया जिस्म थुलथुला रहा था. मेरा लंड तो उन्हें देख कर ही तन गया. मैंने फ़ेसबुक खोली तो देखा फ़ोटो सीन हो चुका था और आंटी का मैसेज था कि विक्रम तुम बहुत गंदे हो.. और साथ में स्माइल का इमोजी था.
मैं समझ चुका था कि मेरा आधा काम हो चुका है. मैंने टहलते हुए मैसेज किया कि आपका शरीफों से मन नहीं भरा.. अब एक गंदा वाला भी ट्राय कर लो.. जन्नत मिलेगी.
मैंने आंटी को ऑनलाइन आने को इशारा किया. आंटी ऑनलाइन आईं और मैसेज किया- अच्छा जी ऐसी बात है.
मैंने बोला- हां.
लगे हाथ मैंने आंटी से फ़ोन नंबर मांग लिया. उन्होंने दे दिया. रात में खाना खाने के बाद 10 बजे आंटी ऑनलाइन आईं. मैं उनकी ही राह देख रहा था.
आते ही आंटी का मैसेज आया- हाय अभी तक जग रहे हो?
मैंने बोला- हां, आपसे बात किये बिना नींद नहीं आती.
तो वो हँस पड़ीं और बोलीं- क्या बात है.. शादी कर लो तुम.. अब तुम्हें जरूरत है.
मैंने आंख मारते हुए बोला- किसकी जरूरत है मुझे?
तो बोलीं- बीवी की.
मैंने बोला- तुम हो न.
इस पर सबीना आंटी हंस पड़ीं और बोलीं- मैं किसी और की हूँ जनाब.
मैंने बोला- वो तो रहता ही नहीं है.. खेत सूखा पड़ा है.. पानी देने वाला गायब है. अभी टाइम पर पानी नहीं मिला खेत को, तो फसल खराब हो जाएगी, तो क्यों न मैं पानी लगा दूँ.
आंटी हंस पड़ीं और बोलीं- तुम अभी छोटे हो.. पानी लगाने के लिए अनुभव जरूरी है जनाब.
मैं बोला- मैंने इससे पहले भी कई खेतों में पानी लगाए हैं, विवाह नहीं हुआ तो क्या बारातें तो बहुत देखी हैं.
आंटी हँस पड़ीं और छूटते ही बोलीं- तो आ जाओ … लगा लो पानी … खेत भी बहुत प्यासा है.
ये सुनते ही, मेरी तो मानो सांस रुक गयी, मैं बोला- सच?
सबीना आंटी बोलीं- हां आ जाओ जल्दी से.
मैंने भी तुरंत माँ से बोला- माँ दोस्त का एक्सीडेंट हो गया है.
मैंने पहली बार झूठ बोला- मैं जा रहा हूँ सुबह आऊंगा.
मैंने आंटी को कॉल किया और बोला कंडोम नहीं है, इतनी रात में मिलने से भी रहा.
आंटी बोलीं- कोई बात नहीं.. आ जाओ, मैं सब संभाल लूँगी.. मैं गेट पर हूँ जल्दी आओ.
मैं आंटी के गेट पर पहुंचा, आंटी नाइटी में खड़ी थीं. उनकी सिल्क की रेड कलर की नाइटी एकदम कसी हुई थी. मैं उनको देखता ही रह गया.
आंटी बोलीं- अन्दर आ जाओ, कोई देख लेगा.
मैं अन्दर हुआ, तो आंटी ने गेट लॉक कर दिया.
मैंने पूछा- बच्चे?
वे बोलीं- सो गए.
मैंने तुरंत आंटी को गोद में उठा लिया. उनकी बाहें मेरे गले में थीं और मैं उनके होंठों को चूसे जा रहा था.
साली छिनाल इतनी भारी थी, अब पता लग रहा था कि इसके चूतड़ इतने मोटे क्यों हैं. रांड आंटी को कमरे के अन्दर ले जाकर मैंने उनको उनके बेडरूम में उतारा. मुझे से उतरते ही आंटी किसी प्यासी दुल्हन की तरह मेरे सीने से चिपक गईं.
वो बोलीं- ओह्ह विक्रम … मेरा तन बदन जल रहा है, आग लग चुकी है मेरे ज़िस्म में … जल्दी से बुझा दो इसे.
मैंने आंटी के बल पकड़े और उनकी आँखों में आंखें डाल कर देखा; साली आंटी हवस में जल रही थी. उनके होंठ मुझे देख कर थरथरा रहे थे. मैंने अपनी एक उंगली से उनके होंठों की लिपस्टिक रगड़नी चालू कर दी. साली ने तुरंत मुँह खोल दिया, जैसे मेरी उंगली नहीं.. लंड हो.
उंगली आंटी के मुँह में मैंने आराम से डाल दी. आंटी बिना बोले आंखों में आंखें डाल कर मेरी उंगली चूस रही थीं.
तभी मैंने महसूस किया कि आंटी का हाथ अपने आप मेरे ट्रैक पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगा था. मेरा लंड सबीना आंटी के हाथों का स्पर्श पाते ही फनफनाने लगा. उनके चूचुक खड़े हो चुके थे, जिससे पता चल रहा था कि उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.
मैंने देर न करते हुए आंटी के बालों को पकड़ कर उनके ऊपर वाले होंठ को अपने मुँह में ले लिया और प्यार से चूसने लगा. फिर बिना जल्दबाजी किये पहले एक बार चुम्बन दिया और अपने होंठ को हटा लिया. फिर उनको प्यार से देखा और दुबारा से मैं आंटी के होंठ चूसने लगा.
आंटी भी किसी प्यासी रांड की तरह मेरे नीचे वाले होंठ को चूसे जा रही थीं. फिर मैंने आंटी के नीचे वाले होंठ को चूसना चालू किया. पूरे कमरे में हम दोनों की गरम गरम आवाज़ गूंज रही थीं. उनकी वासना देखते ही बन रही थी.. वो कितनी प्यासी और चुदासी सी लग रही थीं
मैंने आंटी की जीभ चूसते हुए उसके होंठ पर काट लिया, जिसके उनके मुँह से आवाज़ निकल आयी- हहहह … विक्रम क्या कर रहे हो? आज से मैं तेरी ही हूँ… जब मन करे तब रौंद देना मेरी चर्बीदार जवानी को!
इतना सुनते ही मेरा जोश डबल हो गया. मैंने उनको दीवार से टिकाया और उनकी नाइटी उठा के उनके घुटनों के पीछे के हिस्से को चाटने लगा.
शेख आंटी पागल सी होने लगीं और चिल्लाने लगीं- अहहहह ह्म्म्म विक्रम चोद दो मुझे!
मैं ये सब सुनकर जोश से भर गया था. मैंने एक झटके में आंटी की नाइटी उतार दी और उनके बालों को हटा कर उनकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए. मैं आंटी की गर्दन को चूमते हुए चाटने लगा. मेरे दोनों हाथ उनके हाथों को जकड़े हुए थे और मैं उनकी गर्दन पर चाट रहा था.
साथ ही मैं कहीं कहीं उनको अपने दांतों से लव बाईट भी दे रहा था. धीरे धीरे मैं आंटी को चाटते हुए और ऊपर पहुंचा. मैं उनके कान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मेरा मोटा खड़ा लंड आंटी की गांड की दरार चूम रहा था. आंटी पागल हो चुकी थीं.
मैंने उन्हें उठा के बेड पर पटक दिया. अब मैं उनकी टांगें फैला कर जांघों के अंदरूनी हिस्से को सहलाने लगा. साथ ही मैंने अपने एक हाथ से उनके चुचों को भर लिया और उनको नींबू की तरह निचोड़ने लगा, उनके निप्पल को उंगलियों से रगड़ने लगा.
ऐसा करते ही आंटी की सिसकारी निकल पड़ी- याल्ला.. जनाब विक्रम सिंह.. आज चोद दो मेरी बरसों से प्यासी चूत को.. आहहहह लंड से चोदो विक्रम.. प्लीज..
मैंने उनकी एक न सुनी और उनकी चूत में दो उंगलियां डाल दीं और उनकी चुत को अपनी उंगलियों से चोदने लगा. उनकी चूत के दाने को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
ऐसा करते ही सबीना आंटी बिन पानी की मछली की तरह फड़फड़ाने लगीं. उन्होंने तकिया को अपने मुँह में भर लिया और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं. थोड़ी देर में सबीना आंटी की चूत का पानी मेरे मुँह में था. मैंने उनकी चुत को चाट कर साफ किया.
अब सबीना आंटी बोलीं- विक्रम, अब मेरी बारी है … तुम लेट जाओ.
मैं लेट गया और सबीना आंटी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह के अन्दर ले लिया और लंड चूसने लगीं. साली आंटी ऐसे चूस रही थीं मानो कब से लंड न देखा हो.
दस मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा लंड भी झड़ने वाला था, मैंने बोला- कहां गिराऊं?
तो बोलीं- मेरी मांग भर दो.. आज से मैं तेरी हूँ विक्रम.
उनके मुँह से ये सुनते ही मेरा फव्वारा छूटने को हो गया. मैंने लंड को उनकी मांग पर लगा कर अपने राजपूतानी वीर्य से आंटी की मांग भर दी.
इसके बाद हम दोनों नंगे ही लेट कर बात करने लगे. कुछ ही देर में आंटी मेरा लंड चूस कर खड़ा करने लगीं. दो मिनट में ही मेरा लंड खड़ा हो चुका था. इस बार मैंने उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा और बिना कंडोम का लंड एक ही झटके में सीधा चूत में पेल दिया.
आंटी की तो जैसे आंखें बाहर आ गयी थीं. वो चीख पड़ीं- मार डालेगा क्या.. आराम से चोद साले..
उनके मुँह से गाली सुनकर मैं जोश में आ गया और धकापेल चुदाई होने लगी. मैं इस वक्त पूरे जोश में था. मैं उनके दोनों चूचों को चूसते हुए रांड आंटी की चूत बजा रहा था. मेरे हर धक्के के साथ रांड आंटी के चुचे हिल रहे थे.
कुछ देर इस पोजीशन में चोदने के बाद मैंने सबीना आंटी को अपने ऊपर ले लिया- साली मादरचोद रंडी … तेरी मोटी गांड आज बजा के रख दूंगा कुतिया छिनाल.. ले लंड खा मादरचोदी!
सबीना आंटी भी रंडीपने पर उतर चुकी थीं- चोद न दल्ले … चोद अपनी शेख रांड को … भैन के लौड़े तुम साले हमें चोदने को ही बैठे रहते हो.. आज मौका है.. चोद डाल.. अपनी इस रांड की चूत का भोसड़ा बना दे.
आंटी न जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थीं और मैं उनको पेले जा रहा था.
सारे कमरे में फचफचफच की आवाज़ें गूंज रही थीं. सबीना आंटी का कराहना, उनकी हवस से भरी सिसकारियां, उनके बेडरूम को किसी रंडीखाने जैसा बना रहा था. वो दो बार पानी छोड़ चुकी थीं. उनकी गीली चुत में फचफचफच मची हुई थी. मेरा आने वाला था, मैंने बोला- कहां गिराऊं?
आंटी बोलीं- अन्दर छोड़.. तू पानी लगाने आया था न.. तो लगा साले.
मैंने अन्दर ही रस छोड़ दिया. मैंने बोला- मुझे मूतने जाना है.
साली कुतिया आंटी ने अपना मुँह खोल दिया और बोलीं- मुझे प्यास लगी है.. पिला दे.
मैंने उनके मुँह में अपना गरम गरम मूत भर दिया.
ऐसे ही मैंने आंटी को रात भर में चार बार चोदा. सुबह उठ उसे किस किया और घर आ गया.
उसके बाद तो सबीना आंटी मेरी रखैल बन चुकी थीं. जब मेरा मन करता, मैं उनको चोद देता.
तो मेरे प्यारे भाइयो, चुदासी आंटियो और भाभियो, आपको मेरी सबीना आंटी की चुदाई की कहानी कैसी लगी. बात कर मेरा हौसला बढ़ाएं, यह मेरी पहली कहानी है. कुछ गलती हुई हो तो अपनी गीली चूत से माफ कर देना.
अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें. मेरा ईमेल है.
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