लौड़े की बदकिस्मती
(Laude Ki Badkismati)
मैं बचपन से ही मस्तराम टाईप की कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक़ीन था। सबसे ज्यादा मज़ा तो तब आता था.. जब कोई लड़की किसी भी बहाने से किसी लड़के से मिलती थी और बातों-बातों में लड़का उससे छूता था.. फिर लड़की के मना करने पर भी.. वो उसके चूचे पकड़ने की कोशिश करता था। लड़की मना करती भी थी और वो चाहती भी थी कि लड़का ऐसा करे भी..
ये सब पढ़ कर मेरा लण्ड ख़ड़ा हो जाता था और गोलियाँ सिकुड़ने लगती थीं.. मेरा मन तो यही होता था कि जैसे ही कोई लड़की दिखे.. बस उसे पकड़ कर वो सब करके.. मैं भी मज़े लूँ.. पर ऐसा मौका कभी नहीं आया।
खैर.. जैसे-तैसे बारहवीं पास की.. और मैं बारहवीं पास करके लखनऊ में पढ़ने आया। तब तक मैंने अपने दोस्तों से सुन रखा था कि लड़कियाँ बहुत गरम होती हैं। अगर कोई लड़की एक बार भी किसी लड़के से चुद जाए.. तो वो बार-बार चुदने के लिए तैयार हो जाती है और जिस लड़के से वो पहले चुदी है.. वो उसे टाइम पर ना मिले और उसी वक्त कोई और उसी लड़की को लाइन मारे और हिम्मत करके उसे छुए और कोशिश करके उसके चूचे या चूत को छू ले.. तो इस बात ज़्यादा चान्स है कि वो उस दूसरे लड़के से भी चुदवा लेगी.. क्योंकि चुदने और चुदाने का नशा बहुत ज़्यादा होता है। वो कंट्रोल भी नहीं होता.. उस समय तो बस कोई भी मिल जाए.. चाहे काली हो या गोरी.. छोटी या मोटी हो या फिर बूढ़ी ही क्यों न हो.. बस उस समय चूत होनी चाहिए और मेरे जीवन में ये सच भी निकला।
कैसे.. आइए पढ़ते हैं..
एक बार मैं बस में जा रहा था.. तभी भीड़ ज़्यादा होने से.. मैं एक लड़की के पीछे पहुँच गया.. बस में झटके लगने की वजह से उसका पिछवाड़ा मेरे लण्ड से लड़ने लगा। पहले तो मुझे कुछ भी ना महसूस हुआ.. पर बाद में लगा कि उसको मुझसे लड़ने पर कोई परेशानी ना थी।
मुझे भी मज़ा आया.. तो धीरे से मैंने उसके पीछे गाण्ड पर.. अपनी पैन्ट की जेब में उंगली डाल कर उंगली को उसकी गाण्ड की दरार पर रगड़ने लगा, तब भी उसने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैं बेख़ौफ़ उसको तब तक सहलाता रहा.. जब तक मैं बस से उतर नहीं गया।
ना ज़ाने उस दिन क्या भगवान का अभिशाप लगा कि किसी दवा के जैसा रिएक्शन हुआ और मेरा लण्ड खड़ा होना बंद हो गया।
मैं जहाँ किराए पर रहता था.. वहाँ एक भाभी थी। उनकी नई-नई शादी होने की वजह से उनकी चूड़ी और पायल की आवाज़ साफ बता देती थी कि वो कहाँ पर हैं।
वो बहुत अच्छी तो नहीं थी और उनकी लम्बाई भी कम थी। उनको सामने से देख कर कोई ये भी नहीं कह सकता कि उनकी चूचियाँ भी हैं.. पर पीछे से देखने पर वो माल लगती थी। उनकी गाण्ड बहुत चौड़ी थी। कुल मिला कर उनमें एक आकर्षण था।
सुबह-सुबह मैं उनकी चूड़ियों की आवाज़ सुन कर ही हाथ में मंजन लेकर बाहर निकल आता था.. जैसे मुझे उनका ही इंतजार रहता हो।
वो रोज 5 बजे सुबह झाड़ू लगाने छत से नीचे उतरती थी। जब भी वो झाड़ू लगाती थी.. मैं उनकी गाण्ड देखकर मस्त हो जाता था और कुल्ला करके बाथरूम में उनके नाम की मुठ मार लेता था।
एक दिन मैं सुबह उठा तो वो झुक कर झाड़ू लगा रही थी.. मैं उनके पास में गया तो उनको लगा कि मैं उनसे बाहर जाने का रास्ता माँग रहा हूँ।
वो बोली- बस 2 मिनट रूको.. मैं झाड़ू लगा लूँ।
मैं उनके एकदम नज़दीक पहुँच गया.. मुझे उनकी गाण्ड देख कर रहा नहीं गया और मैंने मन में ठान लिया था कि आज उनकी गाण्ड जरूर छूऊँगा.. चाहे जो हो जाए।
मैंने अपना हाथ उनके पिछवाड़े के बीचों-बीच रखा और हल्का सा ज़ोर देकर उंगलियाँ अन्दर की ओर दबाईं तो मुझे लगा कि उनकी साड़ी बहुत पतली है.. जिसके कारण मेरे हाथ को उनकी गाण्ड का छेद मिल गया।
मैंने अपनी उंगली उसमें दबाई.. तो वो तिलमिला कर खड़ी हो गई।
मैं जल्दी से बाहर निकल गया और 2 घंटे बाद वापस आया।
मैं तो डर ही गया था कि कहीं अगर उन्होंने शिकायत कर दी तो बात घर तक जाएगी.. पर उन्होंने किसी से कुछ भी ना कहा.. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब तो बस मेरा पढ़ाई में मन ही ना लगे.. जब देखो तो उनकी चूड़ियों की आवाज़ सुनने को बेकरार रहने लगा।
एक दिन ऊपर कोई नहीं था.. मैं किसी काम से ऊपर गया.. तो बाथरूम से किसी के नहाने की आवाज़ आ रही थी।
मैंने पास जाकर देखा तो दरवाजे के छेद से साफ दिख रहा था कि भाभी पूरी तरह से नंगी हो कर नहा रही हैं।
मेरे तो होश उड़ गए और मेरा पप्पू तन गया। ऊपर कोई था नहीं.. तो मैं वहीं रुक कर देखने लगा।
मैंने उनका नंगा बदन देखा.. तो मेरे विचार बदल गए.. मुझे उनकी चूचियों का आकर सही और पूरा गोल दिख रहा था। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल भी दिख रहे थे। कद में छोटी होने के कारण उनका नंगा बदन एकदम गठीला दिख रहा था। मैं तो कभी नहीं सोच सकता था कि जिसकी चूचियाँ कपड़े पहनने पर ना के समान दिखती हो.. वो इतनी प्यारी और आकर्षक होगी।
तभी बाथरूम से आवाज़ आई- कौन है?
मैं डर के मारे बिना कुछ बोले नीचे उतर आया.. शायद नीचे उतरने की आवाज़ सुनकर उन्हें पता चल गया होगा कि ये मैं ही हो सकता हूँ।
अब तो जब भी मैं पानी मांगने जाता.. तो यही मौका ढूँढ़ता कि किसी तरह से उनको छू सकूँ।
एक दिन वो कंबल ओढ़ कर सो रही थी.. मैंने अंकल से कहा- भाभी कहाँ हैं?
तो वो बोले- क्यों.. क्या काम है?
मैंने बोला- ठंडा पानी चाहिए..
वो बोले- अन्दर के कमरे में हैं।
यह कह कर अंकल बाहर किसी काम से चले गए।
मैंने वहाँ देखा कि वो सो रही थी.. तो मैंने उन्हें जगाने के लिए कंबल में हाथ डाल कर उनकी चूत को छूने की कोशिश की.. हाथ को तब तक उनके बदन से नहीं छूने दिया.. जब तक मेरा हाथ चूत तक ना पहुँच जाए।
फिर आहिस्ते से मैंने उनकी चूत खोजनी शुरू की।
मेरी उंगलियां एकदम सही जगह पर पहुँच गई थीं.. उनकी चूत का एहसास होते ही मेरा बदन मस्त हो गया.. मैंने हल्की सी उंगली उस पर सहलाई.. तो वो हल्का सा हिली.. मैंने अच्छे से उसे छुआ वो दो फांकों में बंटी हुई थी।
मुझे बहुत अच्छा लगा.. मेरी किस्मत अच्छी थी कि आज उनकी चूत भी छू ली।
पर मेरे चूत छूते ही वो जाग गई और बिस्तर से उठ कर दूसरे कमरे में जाने लगीं।
मैंने उनसे बोला- मैं तो बस आपको जगा रहा था।
उन्होंने कुछ नहीं बोला और मेरे ठंडा पानी मांगने पर उन्होंने फ्रिज से निकाल कर एक बोतल दे दी। मैं अपने कमरे में आ गया।
मुझे नहीं पता कि वो क्या सोच रही होगी.. पर मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी।
किस्मत से एक दिन वो एक तोते का बच्चा लेकर आ रही थी बच्चा उनके हाथ से छूट गया.. उसने अपने पंख फड़फड़ाए और सीधा मेरे कमरे में आ गया।
भाभी भी पीछे-पीछे ‘पंखा बन्द करो..’ बोलते हुए मेरे कमरे में आ गईं और बोलीं- जरा तोते के बच्चे को पकड़ दीजिए।
मैंने लौड़ा सहलाते हुए बोला- कहाँ है?
वो बोलीं- उड़ते-उड़ते आप के कमरे में आ गया है।
मैंने दो अर्थ वाले अंदाज में बोला- मैं पंखा बंद करता हूँ.. आप कमरे का दरवाजा बंद करिए.. नहीं तो ये भाग जाएगा।
अब तोते को पकड़ने के चक्कर में हम दोनों लोग एक-दो बार आपस में टकराए.. पर तोता बार-बार हाथ से निकल कर दूसरी तरफ़ चला जाए..
एक-दो बार तो मैंने जानबूझ कर भाभी की गाण्ड में उंगली कर दी.. वो उस बात पर ध्यान ना देकर तोता पकड़ने में लगी थीं। शायद उन्होंने ये सोच कर ध्यान ना दिया हो कि इतना तो चलता है.. हाथ तो कहीं भी लग सकता है।
इस पकड़ा-पकड़ी में मैंने उनको अच्छे से छू लिया था.. अब तो बस मेरा मन कर रहा था कि उनकी गोल चूचियों को अपने हाथ से दबा दूँ।
इस बार मैंने अपना हाथ सीधा उनकी चूचियों की ओर बढ़ाया.. ये देख कर वो समझ गईं कि मैं उनकी चूचियों को पकड़ने को हो रहा हूँ.. पर तब तक उनको समझने में देर हो गई थी।
इस बार मैंने उनकी चूचियों को पकड़ लिया था, पर पकड़ते ही दोनों चारपाई पर गिर गए। मेरे हाथ में उनके चूचे थे.. मौका अच्छा था मैंने उन्हें पकड़ लिया।
मैं जानता था कि इतना होने पर कुछ नहीं बोलेगी.. तो अब यही समझा जाए कि हरी झंडी है, मैं उन्हें अपने सपनों की रानी समझ कर कभी उनके चूचे दबाने लगा.. तो कभी चूत पर हाथ रगड़ने लगा।
वो धीरे से बोली- छोड़ो मुझे..
पर मैंने नहीं छोड़ा.. मुझे पता था कि एक बार अगर चुदाई का इंजन स्टार्ट कर दो.. तो मंज़िल तक पहुँचा ही देता है।
उन्हें भी लगा कि वो आज फंस गई हैं फिर वो धीरे-धीरे गर्म होने लगी। उन्होंने कुछ ना कहा और चुपचाप अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैं समझ गया कि वो भी गरम हो गई है। मैंने उन्हें एक चुम्बन किया.. तो उनका बदन गरम होने लगा।
अब मेरे हाथ उनके पूरे बदन को छूने में लगा हुआ था.. धीरे-धीरे मेरा हाथ उनकी पीठ पर गया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
ब्लाउज खुल गया.. वो ब्रा नहीं पहनती थी.. अब उनके चूचे खुली हवा में थे। मैंने जैसे बाथरूम में देखे थे.. उससे कहीं ज़्यादा कठोर मम्मे.. मेरे सीने पर गड़ रहे थे।
अब मैं समझ गया था कि वो चुदाई के पूरे मूड में आ गई है। मैंने उनके सारे कपड़े निकाल दिए और उनकी चूत चाटने लगा।
फिर मैंने अपने भी कपड़े उतार कर अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और अन्दर करने लगा.. पर मेरा लवड़ा अन्दर नहीं जा रहा था।
साला दवा का असर अब भी था.. लण्ड ज़रा सा अन्दर जाते ही मेरा पूरा बदन हीटर की तरह गरम हो गया और मैंने उबलते दूध की तरह पिचकारी निकाल दी.. मैं उनकी चूत को ढंग से नहीं ले पाया।
इस दौरान मैं एक हाथ से उनके चूचे मसलने का मज़ा भी ले रहा था। उसके मम्मे इतने ज़्यादा लाल हो गए थे कि शायद थोड़ी देर ओर मसलता तो शायद खून निकल आता।
फिर अपनी उंगली डाल कर मैंने उन्हें ठंडा करने की कोशिश की.. 5 मिनट तक उंगली करने के बाद.. उसमें से कुछ गीला-गीला सा बाहर निकला।
फिर वो ठंडी हो गई.. और मेरी तरफ घूर कर देखने लगी। शायद कह रही हो कि-
‘चोदन खोदन सब चले.. चोद ना पावा कोई।
जब चोदन की बारी आई.. लण्ड खड़ा ना होई…’
शायद उनकी प्यास बहुत अधिक थी और मैं बहुत बेबस और किस्मत से लाचार.. मैं भी शरमिंदा हो गया कि इतनी मुश्किल से ऐसा मौका मिला था पर मैं उन्हें खुश नहीं कर पाया।
फिर मैंने तोता पकड़ कर उन्हें दिया और कहा- ज़रा संभाल कर रखिएगा अपने तोते को।
फिर मैंने अपनी इस कमी को डाक्टर को बताया कि मैं किसी की ले नहीं पाता हूँ.. तो उन्होंने मुझे दवा दी और मैं कुछ ही दिन में सही हो गया।
अब मुझे अपने आपको एक बार टेस्ट करना है.. उसके लिए एक चूत की तलाश है.. अभी मेरी तलाश जारी है.. बस ज्यों ही लवड़े की ताकत टेस्ट हो गई तो फिर भाभी की बुर में लौड़ा लगा दूँगा।
मेरी इस कहानी पर आपके कमेंट्स का इन्तजार है।
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