भाभी ने कुंवारी लड़की की चूत चुदवा दी-1
(Bhabhi Ne Kunvari Ladki Ki Chut Chudwa Di- Part 1)
दोस्तो, आपने मेरी पिछली कहानी
पड़ोसन भाभी मस्ती से चुदी
पढ़ी थी. उसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं एक और सच्ची घटना पर आधारित सेक्स कहानी लिख रहा हूं.
मेरी तो भाभी के साथ मस्त चुदाई चल ही रही थी, दिन भी अच्छे से गुजर रहे थे. क्योंकि भाभी के हस्बेंड तो अक्सर बाहर ही रहते थे. इसलिए मुझे ऐसा मुझे लगता था कि भाभी मेरी ही बीवी हो गई थीं. मैं उनकी भरपूर चुदाई करता था. भाभी भी मेरी इस चुदाई से पूर्ण रूप से खुश थीं. हम दोनों की जिन्दगी ऐसे ही मस्ती से कट रही थी.
लेकिन कहते हैं ना कि मन को हर वक्त कुछ नया चाहिए होता है. इस बात को भाभी भी समझ गई थीं और उन्हें शायद यह डर सताने लगा था कि कहीं मैं उसे छोड़ न दूं. हालांकि मेरे मन में अभी ऐसा कोई इरादा नहीं था, लेकिन फिर भी उनको डर था.
हुआ यूं कि भाभी के यहां एक पड़ोस की लड़की मोना आती थी. वो लड़की देखने में तो इतनी सुंदर नहीं थी, लेकिन फिगर से बड़ी मस्त और बिल्कुल कमसिन लगती थी. उसका रंग गहरा सांवला था. कोई 5.5 फिट लम्बी थी, हल्का और दुबला शरीर था. उसकी कमर 28 की होगी. उसकी उम्र 20 साल के आसपास की होगी. कुल मिलाकर अच्छी माल जैसी फंटिया थी. उससे दो तीन बार भेंट हो चुकी थी.
मोना के साथ की चुदाई की कहानी दस महीने पहले की है. तो शायद अब तो उसके चूचे 32 इंच के हो गए होंगे.
वह भाभी के घर बराबर आती जाती थी. मुझे भी अगर मन नहीं लगता था, तो मैं भी भाभी के यहां ही समय पास करता था. बल्कि यूं कहूँ कि मैं लगभग हर समय भाभी के घर ही बना रहता था.
वो लड़की जब भी भाभी के घर आती थी, तो मैं उसे देखते ही उससे बात करने लगता था. उसी दौरान जब मैं भाभी से मजाक करता था, तो वह भी मेरे साथ मिलकर मजाक करने लगती थी.
धीरे-धीरे मेरी उससे कुछ ज्यादा ही बात होने लगी. पहले मेरी बात का वो उतना जवाब नहीं देती थी, लेकिन जब से मैं उसके सामने भाभी से नॉनवेज टाइप का मजाक कर देता था, तो वो भी मुस्कुराने लगती थी.
उसके बाद वह धीरे धीरे मेरे से खुलने लगी और अब वो मेरी हर बात का मुस्कुराकर जवाब देने लगी थी. मुझे भी अच्छा लग रहा था. उसकी कातिल मुस्कान देखकर तो कभी कभी मन करता था कि इसको यहीं पटक कर चोद दूं. लेकिन भाभी के घर में उसे चोदूं कैसे, ऐसा ना हो कि कहीं भाभी से बात बिगड़ जाए और भाभी की चूत भी ना मिले. इसलिए मैं कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता था. तब भी मेरा ध्यान उसकी तरफ हो गया था.
इसका असर मेरी और भाभी की चुदाई पर भी पड़ा. भाभी शायद इस बात को समझ गई थीं. अब वह मेरे और उस लड़की के बीच में होने वाली जुगलबंदी को समझने लगी थीं.
चूंकि मुझसे जब मोना का मन लगने लगा, तो वो भी भाभी के घर कुछ ज्यादा ही आने लगी थी. मैं तो अक्सर भाभी के घर रहता ही था. जब भी वो चाहती थी, उसकी मुलाक़ात मुझे उधर हो जाती थी.
मैंने भी उसकी आंखों में मेरे लिए होने वाले आकर्षण को पढ़ लिया था. इसलिए मैं भी उससे और ज्यादा बात करने लगा था. अब तो मैं कभी-कभी उसे आंख भी मार देता था, तो वह मुस्कुरा कर जवाब देती थी.
एक बार ऐसा ही हुआ. उस दिन वो भाभी के घर पहुंची ही थी. संजोग से मैं भी भाभी के यहां आ रहा था. भाभी के घर के गेट पर हम दोनों की मुलाकात हो गई. जैसे ही गेट पर हम दोनों पहुंचे, वह मुझे देखकर मुस्कुरा दी.
उस समय सितंबर का महीना था. इस टाइम कुत्ते कुतियों का रोमांस अपने चरम पर रहता है. उस समय भाभी के गेट के बाहर ही कई कुत्ते थे और एक कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर उसको चोद रहा था.
मैं मोना की नजरों को उसी वक्त नोट कर लिया था, जब वह भाभी के गेट की तरफ आ रही थी. वो बड़ी गौर से चुदाई देख रही थी. लेकिन जब उसकी नजर मुझ पर पड़ी, तो शर्मा कर वह भाभी के घर में अन्दर भाग गई. उस वक्त संयोग से भाभी बाथरूम में थीं. मैं भी अन्दर घुस गया. मोना ‘भाभी भाभी …’ करती हुई अन्दर गई थी.
भाभी ने अन्दर से ही कहा- अभी मुझे बाथरूम में टाइम लगेगा. कुछ कपड़े धोने हैं और नहाना भी है. तुम बाहर ही रूको, मैं आती हूँ.
मोना भाभी की बात सुनकर सोफे पर बैठ गई. उसे अन्दर से बेचैनी होती महसूस साफ़ दिख रही थी. मैं भी अन्दर आ गया, लेकिन मुझसे वह नजर नहीं मिला रही थी.
मैंने ही आगे बढ़ते हुए पूछा- क्या हुआ मोना? इतना क्यों शरमा रही हो?
ये कह कर मैंने उसे आंख मार दी.
उसने एक नजर उठाकर मुझे देखा और फिर नजर झुका कर मुस्कुराने लगी. मैं तो सुन ही चुका था कि भाभी बाथरूम में हैं, मुझे लगा एक मौका उपलब्ध है, क्यों ना बात को आगे बढ़ाया जाए.
मैंने उससे कहा- अरे यार इसमें शर्माना क्या … ये तो जानवर हैं, कहीं पर भी चालू हो जाते हैं … इसके लिए क्या कर सकते हैं. वैसे भी इस सबका मौसम तो चल ही रहा है. अभी हम लोग तो आदमी हैं. हम लोग तो रोड पर चालू नहीं हो सकते हैं. हम लोगों के लिए मजे करने के लिए तो अलग से रूम होना जरूरी होता है.
यही सब बात करते हुए मैं उसके चेहरे को देख रहा था. मेरी बातों से वो और ज्यादा शरमा गई थी.
वो मुझसे बोली- आप भी न जाने क्या बोल रहे हैं.
मैंने सोचा कि शायद इससे बात बनने वाली है तो मैं उसके पास जाकर बैठ गया.
फिर मैं उससे धीरे से बोला- इतना क्यों शर्माती हो … तुम्हारा भी तो बॉयफ्रेंड होगा ही … तुमने भी तो ये खेल किया होगा.
वह मुझे नजर उठा कर आंखें बड़ी करके देखने लगी.
इस पर मैंने पूछा- क्या हुआ?
तब उसने नजर झुका कर कहा- मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है. मैंने कभी कुछ नहीं किया है.
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. उसने हाथ झटक लिया. मैंने फिर से हाथ पकड़ा, उसने फिर से झटका … लेकिन वह कहीं जा नहीं रही थी और शर्मा रही थी.
मैंने जब तीसरी बार हाथ पकड़ा, तो उसने मेरी आंखों में आंखें डाल कर पूछा- क्या है?
मैंने कहा- तुम्हारे मन में भी तो हलचल होती होगी.
उसने नजर झुका ली तो मैंने उससे कहा- कुछ तो बोलो ना?
उसने धीमी आवाज में ही आंखें झुकाकर कहा- हां.
ये सुनकर मैं उसके और पास आ गया. मैंने भी मौका पर चौका मार कर बोला- मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो.
वो बोली- आप भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी. मैंने उसको अपने पास खींच लिया और उसके होंठों पर किस करने लगा.
थोड़ी देर साथ देने के बाद मोना बोली- छोड़ो … भाभी आ जाएंगी, तो लफड़ा हो जाएगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
वो मुस्कुराने लगी.
फिर मैंने उससे पूछा- क्या मैं तुम्हारे साथ वो खेल कर सकता हूं.
उसने मेरी तरफ देखा और सवालिया अंदाज में हाथ के इशारे से पूछा कि कौन सा खेल.
मैं अपने एक हाथ की दो उंगलियों से छेद सा बनाया और दूसरे हाथ की एक उंगली को छेद में डालने का इशारा करते हुए कहा- चुदाई …
मोना मुस्कुरा दी. पर पहले तो वो ना सर हिला कर ना बोली. फिर मेरे दो तीन बार पूछने पर उसने कहा- पर जगह कहां है?
मैंने कहा- यहीं.
तो उसने कहा- भाभी करने देंगी. वो कुछ बोलेंगी तो?
मैंने कहा- वो सब तुम मेरे ऊपर छोड़ दो … मैं सब मैनेज कर लूंगा. वैसे भी तुम तो देखती हो ही कि मैं भाभी से कितना खुल कर मज़ाक कर लेता हूं और तुम देख भी चुकी हो भाभी के साथ में बहुत कुछ कर देता हूं.
मोना बोली- इसीलिए तो कह रही हूं.
मैं उसकी तरफ अपने हाथ फैलाए, तो वह मेरे गले से लग गई और मुझे ‘आई लव यू …’ बोली. मैंने भी उसे रिप्लाई में ‘आई लव यू टू …’ बोला और कसके दबा लिया.
कुछ देर गले लगने के बाद मैंने उसे अलग किया और उसकी एक चूची को कसके दबा दिया.
वह आह करते हुए बोली- ये क्या कर रहे हैं?
मैं बोला- अब तो तुम मेरी हो गई हो … बस बयाना दे रहा था.
वो हंसने लगी.
मैं उसे किस करने लगा. वह मुझे भी रिप्लाई में किस करने लगी और मेरा साथ देने लगी. कुछ देर किस करने के बाद बाथरूम का नल बंद होने की आवाज आई और दरवाजा खुलने को हुआ. मैंने उसे खुद से अलग कर दिया.
फिर भी घबराहट तो थी ही. भाभी एकदम से बाहर निकलीं और उन्होंने हम दोनों की घबराहट देख ली.
भाभी ने मुस्कुरा कर मुझसे पूछा- अरे आप कब आए?
मैंने कहा- बस थोड़ी देर पहले.
भाभी ने शरारती मुस्कान देकर बोला- चलिए अच्छा है.
उसके बाद थोड़ी देर बात करने के बाद भाभी अन्दर चली गईं. कुछ देर बाद मोना भी चली गई. मैं भाभी के घर पर ही रुक गया.
अब लगभग शाम हो गई थी, तो मैंने सोचा कि अब तो भाभी के यहां से रात को ही जाऊंगा.
कुछ देर बाद हम दोनों का मूड बन गया और मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया.
जब मैं भाभी की चुदाई कर रहा था, तो भाभी बोलीं- वो तुम्हें पसंद है ना?
मैंने बोला- क्या … कौन?
भाभी बोलीं- मोना.
मैंने बोला- आपको कैसे पता?
भाभी गांड उठाते हुए बोलीं- मैंने तुम दोनों को किस करते हुए देख लिया था.
फिर वह उदास होकर बोलीं- कहीं तुम उसकी टाइप की चूत के चक्कर में मुझे तो चोदना नहीं छोड़ दोगे ना. मैं फिर से यूं ही प्यासी की प्यासी रह जाऊंगी.
मैंने लंड पेलना रोक दिया और भाभी को प्यार से देखने लगा.
इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता, भाभी बोलीं- तुम्हें उसे चोदना है, खूब चोदो … लेकिन मुझे भी चोदते रहना प्लीज.
भाभी मुझसे गिड़गिड़ाने सी लगीं.
मैंने भाभी को चूमते हुए अपने गले से लगा लिया और उनकी एक चूची को मसलते हुए बोला- भाभी मैं आपको कैसे छोड़ सकता हूं … आप ऐसा मत सोचो. हां जब आपने मुझे किस करते हुए देख लिया था, तो आपको बता दे रहा हूं … कि हां मुझे वह अच्छी लगती है. मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता हूं, लेकिन यह आपकी परमीशन के बिना संभव नहीं है.
वो बोलीं- कैसे?
मैं बोला- सेक्स करने के लिए जगह भी तो चाहिए. मैं जगह तो कहीं न कहीं ढूंढ लूंगा, पर मुझे आपकी रजामंदी जरूरी है.
भाभी ने चूत उठाते हुए हामी भर दी- यहीं चोद दो उसे.
मैं भी हामी भरते हुए कह दिया कि तो फिर पक्का रहा, मैं यहीं पर उसकी सील भी तोड़ दूंगा और आपकी भी चुदाई करूंगा.
भाभी मुस्कुराते हुए मेरे गले से लग गईं. भाभी बोलीं- हां मेरे राजा मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूं. उसे तो तूने पटा लिया है, लेकिन तुमसे नहीं भी पट पाती और तुम मुझसे उसके लिए कहते, तो मैं खुद उसे पटा कर तुम्हें देती. यदि तुम कहते कि तुमको उसकी चूत लेनी है, तो खुद उसको नंगी करके तुम्हारे लंड के नीचे ला देती.
मैं बहुत खुश हो गया था. उस रात मैंने भाभी की मस्त चुदाई की. उनको खूब चोदा.
भाभी भी खुश होते हुए बोली- तो कब उद्घाटन करना है उसकी चूत का … बोलो मैं सब सजा कर रखूंगी. वैसे भी मोना कभी-कभी अपनी पढ़ाई के काम से मेरे पास ही सो जाती है. उसकी चुदाई का खेल रात को ठीक रहेगा.
मैंने उन्हें बोला- आप जब चाहे करवा दो.
भाभी बोलीं- मेरे राजा, मैं कल ही उसके साथ तुम्हारी सुहागरात मनवा देती हूं.
मैंने कहा- जो हुकुम आपका भाभी.
मैं उनको चोद कर अपने रूम में आ गया.
कुंवारी लड़की की चूत की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: भाभी ने कुंवारी लड़की की चूत चुदवा दी-2
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