खुशबू भाभी के कामुक बदन की मादकता

(Khushboo Bhabhi Ke Kamuk Badan Ki Madakta)

संजय सिंह 2016-09-10 Comments

अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स कहानी के सभी पाठकों को संजय का नमस्कार!
मैं दिखने में हल्का सांवला और 5’10” गठीला और छरहरा शरीर का हूँ। मैं 2 वर्षों से नियमित रूप से अन्तर्वासना की कामुकता भरी कहानियों को पढ़ रहा हूँ।

बात उन दिनों की है.. जब मैं एम ए की पढ़ाई कर रहा था। उस समय मैं किराए पर कमरा लेकर शहर में रहता था और अपनी पढ़ाई में बिज़ी रहता था।
पास में ही मेरे कमरे के बगल में ही एक फैमिली रहती थी, वे केवल दो ही लोग थे.. अभी शायद ‘न्यू कपल’ थे।

एक दिन मेरे कमरे में पानी ख़त्म हो गया तो मैं उनके यहाँ पीने का पानी लेने गया।
दरवाजे पर घंटी बजाई तो थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला।

जैसे ही दरवाजा खुला.. मैं सामने एक सुंदर लड़की की उम्र की नवविवाहिता को देख कर देखता ही रह गया।
तभी उसने पूछा- क्या काम है?
तो मुझे एकदम से होश आया.. और मैंने पानी लेने के लिए बोला।

वो मुस्कराने लगी.. और पानी देने के लिए तैयार हो गई और मुझे अन्दर आने को कहा। इसी दरमियान उसने मुझसे पूछा- तुम क्या करते हो?
तो मैं बोला- पढ़ता हूँ।

और बस इसी प्रकार उससे धीरे धीरे बातचीत होना शुरू हो गया।
अब कभी कुछ चीज़ की उसको ज़रूरत पड़ती तो कॉल कर देती थी और मैं उसकी जरूरत का सामान ला देता या कुछ काम भी कर देता था।
इसी क्रम में बातचीत करने से पता चला कि उसके पति अक्सर बिजनेस के सिलसिले में बाहर ही रहते थे।

बाद में एक दिन उसके पति से भी मुलाकात हुई और उनसे भी बातचीत होने लगी।
इस प्रकार मैं उस घर का विश्वस्त व्यक्ति बन गया।

मैं उससे इतना घुल मिल गया कि अब मैं खाली समय में उसके घर टीवी देखने भी चला जाता था।
मैं उसे भाभी ही कहता था।

मुझे अभी तक उसका नाम नहीं मालूम था।

एक दिन ऐसे ही शाम के करीब 5 बजे भाभी ने कॉल करके मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो संजय?
मैं बोला- कुछ नहीं ऐसे ही पढ़ाई कर रहा हूँ.. लेकिन अब पढ़ने का मन नहीं कर रहा है।
तो वो बोली- मेरा भी मन नहीं लग रहा है.. कोई नहीं है, यहीं पर आ जाओ किताब लेकर, पढ़ना भी और मैं भी तुमसे बात करती रहूंगी, मेरा भी मन लगा रहेगा।

तो मैंने ‘हाँ’ कर दी और उसके घर चल दिया।
उसके घर पर जाते ही जैसे मैंने दरवाजे पर उसे देखा तो आज वो कुछ अलग ही नज़र आ रही थी।

मैं भाभी को कुछ देर तक देखता ही रह गया। वो सफ़ेद रंग की पारदर्शी नाइटी पहने हुए थी और अन्दर लाल रंग की ब्रा और पैन्टी साफ-साफ दिख रही थी।

उसका रंग एकदम गोरा दूधिया था.. और उसके होंठ सुर्ख लाल थे।
वो दिखने में एकदम अप्सरा जैसी थी।

तभी भाभी अचानक टोकते हुए बोली- क्या हुआ संजय? क्या इतने गौर से देख रहे हो? मुझे इस से पहले कभी नहीं देखा क्या?
मैंने उससे नज़रें मिलाते हुए कहा- आज आप कुछ ज़्यादा ही सुंदर दिख रही हैं।
तो वो खुश हो कर बोली- सच में?
मैं बोला- हाँ..

इसके बाद भाभी मुझे बैठा कर चाय बनाने चली गईं।

थोड़ी देर में ही वो वापस चाय ले कर आई, हम दोनों पास में ही बैठ कर चाय पीने लगे और टीवी देखने लगे।

थोड़ी देर सन्नाटा रहने के बाद वो बोली- आज तुम इतने शांत-शांत क्यों हो?
तो मैं बोला- कुछ नहीं.. आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं।
वो मुस्कुराने लगी और मुझसे पूछने लगी- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं बोला- नहीं..

वो बोली- इतने स्मार्ट दिखते हो.. गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई?
मैंने बोला- कोई आज तक सुंदर लड़की मिली ही नहीं..
इस पर भाभी बोली- मैं तुम्हें सुंदर लगती हूँ?
मैं बोला- आप तो बहुत सुंदर हैं।

इस पर अर्थपूर्ण ढंग से भाभी मुस्कराते हुए बोली- ठीक है.. तो आज से तुम मुझे ही अपना गर्लफ्रेंड बना लो..
मैं मुस्काराया और बोला- आप क्यों मज़ाक कर रही हैं?
वो बोली- मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ.. तुम मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाओगे?

मैंने तुरंत ‘हाँ’ कह दिया.. और वो मेरे ‘हाँ’ कहते ही मेरे नज़दीक आकर बैठ गई। हम दोनों साथ में चाय पी रहे थे और बातें भी कर रहे थे।

तभी अचानक वो मुझे देखने लगी और मुझे ही केवल देख रही थी।
तो मैंने उससे पूछा- क्या देख रही हैं.?
बोली- तुम कितने मासूम हो और सीधे भी हो.. लेकिन सेक्सी हो..

यह कह कर भाभी तिरछी नज़र से मुस्कराने लगी।
मैं समझ गया कि वो मुझसे मस्ती कर रही है, मैंने भी तुरंत कहा- आप भी कम सेक्सी नहीं हैं।

इस पर वो और मैं दोनों हँसने लगे।

तभी मैं रास्ता साफ देख कर उसकी बांहों को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
इस पर वो काफ़ी मदहोश हुए जा रही थी और अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाने लगी।

इस प्रकार हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।
होंठ चूसते हुए मैं उसकी पीठ पर हाथ से सहलाए जा रहा था और भाभी मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी।

कुछ ही पलों में पूरे जोश के साथ हम एक-दूसरे को चूस रहे थे।
मैं उसकी जीभ को और वो मेरी जीभ को स्पर्श करके सहला रहे थे।
इसमें हम दोनों को काफ़ी मज़े आ रहे थे।
करीब दस मिनट तक यह सिलसिला चलता रहा।

अब हम दोनों गर्म हो चुके थे।

तभी मैंने उसको गोद में उठाया और लेकर उसके बेडरूम में जाकर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद उसके बगल में लेट कर उसको चुम्बन करने लगा।

भाभी भी मुझे किस किए जा रही थी।
मैं उसके होंठों को.. आँखों को.. गालों पर चुम्बन किए जा रहा था, वो भी मुझे इसी प्रकार चूम रही थी।

मैंने चूमते हुए उसके और अपने पूरे कपड़े धीरे-धीरे उतार दिए, अब वो केवल ब्रा और पैन्टी में और मैं केवल अंडरवियर में ही था।

मैं भाभी को किस करते हुए नीचे उसके गले को किस करते हुए उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके दोनों मम्मों को किस करने लगा।
अब तक भाभी की आँखें बंद हो गई थीं और वो आनन्द में केवल हल्की-हल्की आवाज़ करने लगी थी।

मैंने उसको हल्का करवट दे करके उसकी ब्रा को भी धीरे से निकाल दिया।
अब उसके उरोज बिल्कुल नंगे थे।

मैं पहली बार किसी लड़की को इस प्रकार नंगी देख रहा था।
भाभी की चूचियां काफ़ी सुंदर थीं.. तथा निप्पल गुलाबी रंग के थे।
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वो इस वक्त इतनी कामुक लग रही थी कि उसके नुकीले और तने हुए निप्पलों को देख कर बुड्डे आदमी का भी लण्ड खड़ा हो जाए।

मैंने धीरे से उसके एक स्तन पर चुम्बन किया और उसके अग्र भाग को हल्के से अपने होंठों से दबा कर खींचा.. उससे वो चिहुंक पड़ी।

वो अपने निप्पल को और अधिक मेरे मुँह में देने को आतुर सी हो उठी।
मैं भी उसको खींचते हुए चूसने लगा।

कुछ मिनट तक चूसने के बाद मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा, उसकी गहरी नाभि में भी जीभ डाल कर मैंने उसे किस किया।

भाभी आँखें बंद किए हुए थी और मेरे बालों में उंगलियों से सहला रही थी।
मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था।

अब मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी पैन्टी के पास मेरी नाक जाते ही भाभी की चूत की एक मदहोश कर देने वाली खुशबू से मेरा दिल खुश हो गया।

उसकी पैन्टी पर होंठ रखते ही मुझे पता चल गया कि उसकी पैन्टी गीली हो चुकी है। शायद वो एक बार झड़ चुकी थी।

मैं चूतरस से सराबोर भाभी की पैन्टी को ही ऊपर से चाटने लगा और उसके स्वाद से मदहोश होने लगा।

अब तक भाभी पूरी गर्म हो चुकी थी और मेरा सिर अपनी चूत की तरफ ज़ोर-ज़ोर से दबा रही थी।
लेकिन मैं उसे अभी और गर्म करना चाहता था।

अब मैं उसकी जाँघों को चूमने चाटने लगा और जाँघों से किस करते-करते उसके तलवों को भी किस किया।

भाभी अब आँखें खोल कर मुझे प्यासी नज़रों से देख रही थी और मानो कह रही थी कि अब मुझे मत तड़पाओ संजय और मुझे चोद डालो।

मैंने उसकी पैन्टी को धीरे-धीरे खींचना शुरू किया। वैसे तो उसकी चूत पैन्टी के ऊपर से ही साफ-साफ उभरी हुई दिख रही थी।

जब मैंने उसकी को पैन्टी खींचना शुरू किया.. तो देखा कि कुछ लिसलिसा सा पदार्थ उसकी पैन्टी से लग कर पतला तार सा बनाता हुआ खिंच रहा था। मुझे लगा कि ये बताता है कि वो एक बार झड़ चुकी है।

अब मैंने जब उसकी पैन्टी को निकाल दिया तो उसकी चूत से नज़रें ही नहीं हट रही थीं।
मैंने ऐसा नज़ारा अपने जीवन में कभी नहीं देखा था दोस्तो… उसकी चूत पर उसका रजरस लगा हुआ होने से चमक रहा था।

मैं उसकी मादक खुश्बू से ऐसे ही मदहोश हुए जा रहा था।
उसकी बिल्कुल गुलाबी और क्लीन शेव की हुई चिकनी चूत को देख कर मैं देखता ही रह गया।

कुछ देर के बाद मैं धीरे-धीरे अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा।
मेरे चूत चाटने से भाभी तो मानो उछल पड़ी।
मैंने उसकी तरफ देखा और पूछा- क्या हुआ?

भाभी बोली तो कुछ नहीं.. बस मेरा सिर अपनी चूत की तरफ़ दबाने लगी।
मैं भी उसकी चूत को दोनों अंगूठों से खोलकर उसके अन्दर जहाँ तक हो सकता था, अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा।

उसके पैर मेरे दोनों तरफ थे ओर मैं पैरों के बीच में चूत पर मुँह रखे हुए पड़ा था और उसकी चूत के रस का आनन्द ले रहा था।

कुछ मिनट तक चूत चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और थोड़े ही पलों में वो मेरे मुँह में ही अपनी पिचकारी छोड़ने लगी।
मैं भी उसके रस को मजे से पी गया।

अब भाभी निढाल हो कर पड़ी हुई थी, मैं उसके पास जाकर उसे फिर से किस करने लगा और थोड़ी ही देर में फिर से वो तैयार हो गई।

अब मेरा भी मन नहीं मान रहा था और अब उसे चोदने की इच्छा कर रही थी। मैंने नीचे जाकर उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर लेकर अपने लण्ड को उसकी चूत पर घिसने लगा।

कुछ पल यूं ही चूत के दाने को रगड़ने के बाद मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसड़ने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि उसमें घुस ही नहीं रहा था।

तब मैंने उससे क्रीम माँगी.. तो वो मुझ पर हँसते हुए ताने मारने लगी।
थोड़ी देर के बाद उसने बगल की टेबल की दराज में क्रीम की डिब्बी होने का कहा।

मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारी क्रीम लगाई और उसकी चूत पर भी ढेर सारी क्रीम लगा दी।

अब मैं फिर से उसकी दोनों टांगों को उठा कर कन्धों पर डाला और उसकी चूत में अपने लण्ड को पेलने लगा।

इस बार की ठोकर से बड़े आसानी से पहले मेरे लण्ड का सुपारा गया.. फिर अगले धक्के में थोड़ा लण्ड और अन्दर घुस गया.. और फिर अगले झटके में मैंने पूरा लौड़ा जड़ तक घुसा दिया।

दोस्तो लौड़े को चूत के अन्दर जाने के बाद मुझे जो मज़ा मिला.. उसे मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता।
अन्दर से अजीब तरह का खिंचाव महसूस कर रहा था, जो मुझे बहुत आनंदित कर रहा था।

मैंने लौड़े को कुछ देर ऐसे ही अन्दर पड़े रहने दिया और उसको अन्दर से महसूस करने लगा।

उधर भाभी ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूतड़ों को उठा-उठा धक्के दिए जा रही थी।

अब मैं भी उसके धक्कों में साथ देने लगा।
कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई के बाद अब हम दोनों तेज़ी के साथ धक्के देने लगे। तभी मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उससे बोला- भाभी अब मैं झड़ने वाला हूँ।

वो बोली- अन्दर ही झड़ना.. काफ़ी मज़ा आ रहा है.. अपने छोटू को बाहर मत निकालना मेरी जान!

थोड़ी देर में मेरी और उसकी साथ में ही छूट होने लगी.. अन्दर ही कुछ गीलापन महसूस होने लगा और इस तरह हम दोनों एक साथ खल्लास हो गए।

कुछ देर हम दोनों बेसुध पड़े रहे, फिर जब होश आया तो मैंने उससे कहा- अब नंगे ही किचन में जाकर चाय बनाइए और मुझे पिलाइए।

वो हँसते हुए मान गई और मेरी आँखों के सामने बाथरूम गई और फ्रेश होकर रसोई की ओर चल दी।

दोस्तो, उसे नंगी देख कर मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था और पहली बार ऐसे बिना शर्म के एक लड़की मेरे सामने नंगे चल रही थी।
ये सब देख कर मेरा मन फिर से उत्तेजित होने लगा और मेरा लण्ड खड़ा गया।

थोड़ी देर में वो सैंडविच और चाय लेकर आ गई।
मुझे इस तरह देख कर भाभी मुस्कराने लगी।

हम दोनों बैठ कर साथ में चाय पीने लगे और सैंडविच पहले भाभी को खिलाकर फिर उसका झूठा मैं खाने लगा।

मैंने उसकी तरफ देख कर पूछा- मजा आया भाभी जी?

भाभी मुझसे बोलने लगी- क्या बार-बार भाभी भाभी बोल रहे हो.. तुम अब मुझे मेरे नाम से बुलाओ, मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने उससे पूछा- किस नाम से पुकारूं तुमको?

उसने अपना नाम खुशबू बताया।
अब हम दोनों एक-दूसरे के नाम लेकर बुलाने लगे।

मैंने उससे पूछा- तुमने अपने पति के होते हुए मुझसे सेक्स क्यों किया?
वो बोली- मैं तुम्हें अपना दिल दे बैठी थी और तुम मुझे अच्छे लगते हो। तुम मुझसे वादा करो कि जब मैं बुलाऊँगी, तुम आओगे और मुझसे ऐसे ही प्यार किया करोगे।

तो मैंने उससे वादा किया और अपने कपड़े पहनने लगा।
लेकिन तभी वो बोली- कहाँ जा रहे हो?

मैंने अपने कमरे में जाने की बात कही तो इस पर भाभी बोली- आज यहीं रह जाओ.. मेरे पति 4-5 दिन के लिए बाहर गए हुए हैं।

मैं वहीं रुक गया और रात भर खूब मस्ती की।

इसके आगे क्या हुआ.. आगे की कहानी में लिखूंगा।

दोस्तो, आपको मेरी सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी.. अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें।
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