कैसे की मैंने दोस्त की मम्मी की चूत की चुदाई-3
(Kaise Ki Maine dost Ki Mummi Ki Choot Ki Chudai- Part 3)
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अब तक आपने पढ़ा..
मेरे मोहल्ले के रोहित भैया और मैं आपस में खुले हुए थे और भैया ने मेरी माँ को भी अपने मूसल लंड के जाल में फंसा लिया था।
अब आगे..
भैया तो किसी भूखे शेर की तरह लपके ‘हाँ आंटी जरूर..’
इससे पहले की मम्मी वहाँ से हट पातीं.. कि भैया मम्मी के ठीक पीछे आ गए और वहीं से डब्बे की तरफ हाथ बढ़ाया।
मम्मी ने भैया को अपने पीछे देखा तो समझ गईं कि अब निकलना मुश्किल है.. बल्कि यूं कहें कि शायद वो चाहती भी यही थीं। अब माँ वहीं स्लेब पर आगे की तरफ झुक गईं।
दोस्तो, मैं अपनी ही माँ के बारे में एकदम सच कह रहा हूँ.. क्या कामुक नजारा था। आगे झुकने की वजह से माँ की गांड और बाहर को निकल आई थी। ऐसे जैसे पोर्न मूवी में लड़कियाँ खड़े-खड़े थोड़ा आगे झुक कर, गांड पीछे निकाल कर चुदवाती हैं।
तभी भैया ने अपना खेल खेला.. बोले- पहुँच नहीं पा रहा हूँ।
यह कह कर भैया मम्मी के और करीब आ गए, अब भैया ने अपने लंड को बिल्कुल ठीक नाप कर मम्मी की गांड और चूत वाले हिस्से पर लगा दिया।
भैया का मूसल लंड लगने से मम्मी एकदम से काँप उठीं और उन्होंने स्लैब के किनारे को जोर से पकड़ किया। मम्मी की साँसें जोर जोर से चल रही थीं.. मानो अब उनसे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था।
तभी भैया मम्मी से चिपक गए और अब उन्होंने अपना पूरा लंड मम्मी की चूत वाले हिस्से में दबा दिया। उन दोनों के कपड़े इतनी बारीक़ थे कि शायद लंड और चूत एक-दूसरे को अच्छे से महसूस कर पा रहे होंगे।
मेरी माँ की आँखों में वासना की भूख बढ़ती जा रही थी, उनकी चुदास अब एकदम साफ़ दिख रही थी।
इधर भैया डब्बे तक पहुँचाने का बहाना बनाते हुए मम्मी को वहीं कपड़ों से ऊपर से ही रगड़ते हुए चोद रहे थे।
अब मुझे भैया के लंड का उभार साफ-साफ दिख रहा था.. भैया का लंड एकदम कड़क हो गया था। इधर दोनों में से कोई भी ये खेल रोकना नहीं चाह रहा था।
अब भैया का लंड एकदम टेंट बना चुका था और जैसे ही मम्मी को लंड की सख्ती महसूस हुई.. वो किसी गरम कुतिया की तरह और आगे की तरफ झुक कर अपनी गांड भैया के लंड में घुसाने लगीं।
अब भैया का खड़ा लंड ठीक मम्मी की गांड की दरार में से होकर उनकी चूत वाले हिस्से में घुसा जा रहा था और वहाँ से मम्मी की नाइटी अन्दर को घुसी हुई दिख रही थी।
इधर मम्मी मदहोश हुई जा रही थीं कि तभी भैया ने डब्बा उतार कर मम्मी के आगे रख दिया.. चाय का तो पता ही नहीं क्या हुआ।
जैसे ही डब्बा सामने आया.. मम्मी का होश वापिस आया और वो सीधी हो गईं, लेकिन भैया अभी भी ठीक मम्मी के पीछे चिपके खड़े थे।
मम्मी अब भी भैया के लंड को महसूस कर रही थीं।
तभी भैया ने मम्मी से कहा- और क्या उतारूँ आंटी जी?
यह सवाल सुनते ही मम्मी शर्म से सर झुक लिया।
भैया ने मम्मी की कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और मम्मी के कान में बोला- कहो तो ये नाइटी भी उतार दूँ!
और यह कहते हुए भैया धीरे धीरे अपने दोनों हाथ कमर से होते हुए मम्मी की मुलायम चूचियों पर ले आए और उन्होंने बड़े प्यार से मम्मी की चूचियों को सहलाया.. फिर हल्के से माँ की बड़ी-बड़ी घुंडियों को उमेठ दिया.. जिससे मम्मी के मुँह से एक और बड़ी कामुक ‘आह..’ निकल पड़ी।
‘उम्म रोहित..’ कहते हुए मम्मी ने घूमते हुए अपना सर भैया की चौड़ी छाती में रख दिया मानो कह रही हों कि अब ये रंडी तुम्हारी हुई.. बना लो मुझे आज अपनी कुतिया और अपने मूसल से मेरी चूत को चोद चोद कर घायल कर दो।
तभी गली में कोई कुत्ता भौंका और दोनों एकदम से डर गए.. इस अचानक आवाज से मैं भी डर गया। वे दोनों तुरंत होश में आए और अलग हो गए.. मैं भी वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गया।
तभी दोनों कमरे में आए, मम्मी की शक्ल ऐसी थी मानो किसी कोठे की मशहूर रंडी हों.. उनकी आँखों में वासना भरी हुई साफ़ दिख रही थी।
मेरी नज़र मम्मी के घुंडियों पर गई, एकदम तनी हुईं.. लगभग एक इंच लंबी बाहर की तरफ उठी थीं। ऐसा मैंने अपनी माँ को कभी नहीं देखा था।
भैया मुझसे बोले- सोनू तुम्हें मूवीज चाहिए थी न.. एक काम करो मेरे रूम में जाओ.. लैपटॉप में 50 मूवीज हैं.. सब कॉपी कर लो।
मम्मी वहाँ से दूसरे कमरे में जाने लगीं.. तो मैंने देखा कि माँ के पीछे ठीक गांड वाले हिस्से में बहुत सारा गीलापन है।
अतः मैंने समझ लिया कि ये क्या है.. ये मेरी माँ की चूत से निकला हुआ रस था.. हाँ ये वही है.. आह..
मैं समझ गया कि भैया मुझे वहाँ से भेजना चाहते हैं ताकि माँ खुल कर चुदवा सकें।
भैया ने मुझे आँख मारी और मैं समझ गया कि भैया का कोई प्लान है।
मैं वहाँ से निकल गया, तभी मुझे व्हाट्सएप्प पर भैया का मैसेज आया कि वो मम्मी के साथ अन्दर के कमरे में जाएंगे.. इस मैसेज का मतलब था कि मैं बालकनी से अन्दर आकर सब देख सकता हूँ।
मैं जल्दी से भैया के रूम से लगी बालकनी से अपने घर में कूद गया और फिर चुपचाप अन्दर आ गया। मुझे मेरी माँ की मादक आवाज आ रही थी.. मानो वो कोई गाय की तरह चुदने के लिए रंभा रही हों।
मेरा हाथ खुद अपने लंड पर चला गया।
एक औरत जब कामुक होती है, तो उसकी आवाज में जो कामुकता भरी होती है.. वो अन्तर्वासना मैं साफ-साफ महसूस कर पा रहा था। मैं खुद इतना अधिक कामोत्तेजित था और मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड फट पड़ेगा।
मैंने धीरे से कमरे के अन्दर झाँका, भैया ने माँ को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया था और खुद उनके ऊपर छा गए थे। भैया मेरी माँ के पंखुड़ी जैसे होंठों को बेतहाशा चूस रहे थे।
मेरी माँ ने भी भैया का सर पकड़ रखा था। माँ की बेकरारी यूं दिख रही थी मानो आज वो किसी भूखी शेरनी की तरह हों। तभी भैया ने मम्मी की नाइटी नीचे से उठानी शुरू की.. मेरी साँसें अब भारी होने लगी थीं।
नाइटी मम्मी की जाँघों तक उठ चुकी थी.. मेरी माँ की एकदम दूध सी गोरी गदरायी सुडौल टांगें थीं। तभी नाइटी मम्मी के शरीर से अलग हो गई।
आआअह्ह.. मेरी माँ एक कामदेवी लग रही थीं.. उनका दूध सा गोरा बदन.. बड़ी सी एक रस भरी गांड.. फिर एक सुराही सी कमर.. जिस पर एक काला धागा नज़र और फिर मेरी माँ के तने हुए दूध, आआआह्ह.. एकदम लंड झड़ा देने वाला नजारा था।
अब उन दोनों के शरीर से कपड़े उतर चुके थे और दोनों ही एक-दूसरे को चूम रहे थे.. कभी काट रहे थे। इस वक़्त कमरे में लग रहा था कि मानो कामदेव और रति का प्रहार हुआ हो।
तभी भैया ने मम्मी को नीचे होने को कहा और माँ मेरी नीचे बैठ का भैया का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगीं। मम्मी के लाल लिपस्टिक वाले होंठ भैया के लंड के ऊपर-नीचे हो रहे थे।
इस वक़्त मम्मी की पीठ मेरी तरफ थी, मम्मी अपनी पंजे पर बैठ कर भैया का लंड चूस रही थीं.. जिससे उनकी गांड पीछे एकदम खुली हुई थी, उनका वो भूरा गांड का फूल सिकुड़ रहा था.. कभी खुल रहा था।
मेरा मन कर रहा था जाकर उसे चूस लूँ।
ठीक उसके नीचे, भूरे रंग की चूत की दो फांकें एकदम खुली नज़र आ रही थीं और उनके बीच सुर्ख लाल चूत, जो अपने कामरस से चमक रही थी।
भैया ने अब मम्मी को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर पलट दिया और खुद उनके ऊपर आ गए। अब वो पल आ चुका था.. जब मेरी अपनी माँ अपने घर सेज पर किसी और की रंडी बनने जा रही थीं।
भैया ने अपना लंड मम्मी की भट्टी जैसी गर्म चूत पर रख कर आगे पीछे रगड़ा तो मम्मी तड़प उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… रोहित.. डाल दो.. अअअ आह्ह..
मम्मी का कहना था कि तभी भैया ने एक ही झटके में अपना मूसल लंड मम्मी की चूत की गहराइयों में उतार दिया। इस एकदम से हुए प्रहार से मम्मी की चीख निकल गई ‘ओह्ह्ह्ह्ह माँ मर गई..!’
लेकिन फिर यह चीख कामुक आवाज में तब्दील हो गई ‘आआह्ह.. रोहिततत.. उम्म.. आह्ह्ह..’
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फिर कुछ देर की घमासान चुदाई के बाद माँ रोहित को ऊपर आकर घुड़सवारी करने लगीं।
उन दोनों के कंठ से गुर्राने के आवाजें आने लगीं ‘आअह्ह्ह्ह.. हाय मेरी कुतिया.. ऐसे ही.. आज तेरी चूत का भोसड़ा बना ही दूंगा..!’
माँ चुप थीं.. वे बस ‘आह.. आह्ह.. करते हुए अपनी चूत की खुजली मिटवा रही थीं। उनकी दोनों आँखें बंद थीं.. मानो वो किसी और दुनिया में विचार रही थीं।
तभी मैंने देखा रोहित के लंड के आसपास बहुत सारा सफ़ेद रंग का कामरस इकठ्ठा हो गया था.. वो मेरी माँ की चूत से निकला हुआ रस था।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद रोहित ने अपना वीर्य मेरी माँ की चूत में भर दिया।
माँ अब भी रोहित के ऊपर ही थीं।
भैया का लंड सिकुड़ कर चूत से बाहर आ गया और माँ की चूत से दोनों का मिला हुआ रस बाहर आने लगा।
दोनों काफी थक गए थे और काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे।
मैं भी वहाँ से जल्दी ही वापिस निकल गया।
इसके बाद ये चुदाई का सिलसिला चलता रहा और कुछ समय बाद भैया ने मुझे मेरी ही माँ का चूतरस चखाया।
उस सब को अभी भी जब सोचता हूँ तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
अब आगे रोहित की जुबानी..
तो दोस्तो, कैसे लगी ये दास्तान? मुझे जरूर बताएं।
कोई भी मुझसे बात करना चाहता हो.. तो मुझे ईमेल करे।
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