दो जवान बेटियों की मम्मी की अन्तर्वासना- 8
(Indian Sexy Bhabhi Ki Vasna Ki Kahani)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left दो जवान बेटियों की मम्मी की अन्तर्वासना- 7
-
keyboard_arrow_right दो जवान बेटियों की मम्मी की अन्तर्वासना- 9
-
View all stories in series
इंडियन सेक्सी भाभी की वासना की कहानी में पढ़ें कि भाभी ने चालबाजी से बेटियों के सामने ही मुझे उनके कमरे में आने की इजाजत दे चुदाई का रास्ता साफ़ कर लिया.
मैं लगभग 1:00 बजे अपना सामान लेकर सरोज भाभी के मकान में पहुंच गया और ऊपर वाले कमरे में अपना सामान रख दिया.
सरोज भाभी ने अपनी सफाई वाली मेड से उस रूम की साफ सफाई करवा दी थी.
अब आगे की इंडियन सेक्सी भाभी की वासना की कहानी:
उसी वक्त मेरे रूम में सरोज भाभी, नेहा और बिन्दू भी आ गई.
मैंने सरोज भाभी से कहा- भाभी, मैं इस कमरे में अपना सामान रख रहा हूँ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस कमरे में आप लोग नहीं आओ जाओगे. आप लोगों का जब जी करे तब इस कमरे में आप आ सकते हैं. मैं ताला नहीं लगाऊंगा और बिन्दू भी जब चाहे इसमें पढ़ सकती है.
भाभी खुश हो गई और मुझसे कहने लगी- राज, मुझे तुम्हारी यह बात बहुत अच्छी लगी. सारे घर को तुम भी अपना ही घर समझो और तुम्हें जहां सोना है वहां सो जाया करना. नीचे ड्राइंग रूम में दीवान पर सोना हो तो दीवान पर सो जाना.
कुछ सोचने के बाद भाभी कहने लगी- तुम्हें इस मकान में रखने का हमारा मकसद यही है कि हमें कोई बाहर का आदमी जैसे रोहित या उसके दोस्त अकेले समझकर नेहा, बंटू और हम सबको परेशान न करें. दरअसल जब रोहित बंटू को लेकर जा रहा था तो हम उस बात से बहुत घबरा गए थे और उस दिन तुम नहीं होते तो हमारा बहुत बुरा हाल होना था. हो सकता है रोहित बंटू को उठाने की दोबारा कोशिश करे. इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम नीचे दीवान पर सोना चाहो तो हमें अच्छा लगेगा और हम अपने आपको ज्यादा सेफ महसूस करेंगे. तुम दिन भर अपने कमरे में या इस घर में जहाँ मर्जी रहो लेकिन रात को सोते वक्त यहीं दीवान पर कल रात की तरह से सो जाया करो, बाकी तुम्हारी मर्जी है.
भाभी की इस बेहतरीन चाल ने सबको हैरान करके निरुत्तर कर दिया.
मैंने भाभी से कहा- ठीक है भाभी, जैसा आपको ठीक लगे, वैसा कर लेंगे.
कुछ देर में सब नीचे चले गए. मैं अपने बेड पर लेट गया. कमरे में एक अलमारी में बिन्दू की किताबें रह गई थीं.
लगभग 3:00 बजे का टाइम था. बिन्दू मेरे कमरे में आई और बोली- मैंने अपनी एक बुक लेनी है.
कमरे के बाहर जाकर मैंने देखा, वहाँ कोई नहीं था.
मैंने बिन्दू को पकड़ लिया और उसके होठों को किस करने लगा. मैंने बिन्दू के दोनों मम्मों को पकड़ा और उन्हें जोर जोर से दबाने लगा. बिन्दू एकदम से निढाल होकर मेरी बांहों में आ गई.
बिन्दू कहने लगी- हो सकता है कोई ऊपर आ जाए, जो भी करना है जल्दी करो.
मैंने बिन्दू से कहा- कोई बात नहीं, हम जब भी मिलेंगे तो इसी तरह ही थोड़ी प्यार मोहब्बत की बातें फटाफट कर लिया करेंगे. जिस दिन घर में कोई नहीं होगा उस दिन मैं तुम्हारी चूत का उद्घाटन करूँगा.
बिन्दू ने आंखें बंद करके इशारे से हाँ कर दी.
मैंने बिन्दू की निक्कर में उभरी हुई चूत को अपनी मुट्ठी में दबा लिया. बिन्दू आ… आ… ई… ई…सी… करने लगी.
एक बार फिर मैंने बाहर जा कर देखा. वहाँ से सीढ़ियों के नीचे तक का सारा दिखाई देता था.
मैंने बिन्दू को बांहों में उठा लिया और उसकी चूत और जांघों के हिस्से को अपनी जांघों और लण्ड पर टिका दिया. बिन्दू अपनी चूत को मेरे लण्ड पर जोर ज़ोर से रगड़ने लगी. मैंने निक्कर में उभरी हुई बिन्दू की मोटी चूत पर अपना लण्ड रख दिया और बिन्दू को दीवार के सहारे लगा लिया.
पूरा जोर लगा कर मैंने बिन्दू की चूत में निक्कर के ऊपर से लण्ड ठोकने की कोशिश की. लण्ड के दबाव से निक्कर के ऊपर गहरा गढ़ा बन गया और बिन्दू आंख बंद करके चूत पर लण्ड का मजा लेने लगी.
मैंने उसके टॉप को ऊपर उठा कर चुचियों को बाहर निकाला और उन्हें दबाने और मसलने लगा. बिन्दू बड़े आराम और प्यार से यह सब करवाती रही.
बिन्दू से मैंने कहा- अब जरा तुम देख कर आओ कोई आ तो नहीं रहा.
वो बाहर गई और आ कर बोली- कोई नहीं है.
मैं बेड पर बैठ गया और मैंने बिन्दू की चुचियों को दोबारा निकाला और मुंह में भर कर पीने लगा.
मेरे सिर को पकड़ कर बिन्दू ने जोर से अपनी चूची पर दबा लिया. मैं बिन्दू की पतली नाइलोन की निक्कर के अंदर हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाने लगा. बिन्दू की चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
बिन्दू बोली- बस करो, अब कोई आ जायेगा.
मैंने उठकर दोबारा बाहर देखा, वहां कोई नहीं था. मैंने अपना तमतमाया हुआ लण्ड बाहर निकाला और बिन्दू के हाथ में पकड़ा दिया. बिन्दू लण्ड को हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.
यह वही कमरा था जिसमें मैंने बिन्दू को सेक्स करते हुए देखा था. उस कमरे की एक खिड़की बाहर छत पर सीढ़ियों के पास भी थी. मैंने उस खिड़की का एक दरवाजा थोड़ा खोला और उसमें इतनी झिरी बना ली जिससे कोई आये तो दिखाई दे जाए.
मैंने बिन्दू से कहा कि वह इस झिरी से बाहर देखती रहे और कोई आये तो बता देना.
बिन्दू झिरी में से देखने लगी.
मैंने उसे थोड़ा नीचे झुकने को कहा.
वह झुक गई.
मैंने उसे पीछे से पकड़ा और उसकी निक्कर उसके चूतड़ों से नीचे करके लण्ड को उसके पीछे से चूतड़ों के बीच में टिका दिया और उसे जांघों से पकड़ लिया. थोड़ी देर आगे पीछे करने के बाद लण्ड को उसकी चूत के छेद तक पहुँचा दिया.
मेरे लण्ड ने जैसे ही बिन्दू की चूत को टच किया वह आ… आ… करके सीधा खड़ी हो गई और लण्ड को अपने मोटे और गुदाज़ पटों में दबा लिया.
मैंने आगे से चूत की दरार में एक उंगली चला दी. जैसे ही मेरी उंगली बिन्दू की चूत के दाने पर पहुंची, बिन्दू ने आ… आ… किया और बोली- बेड पर लेट जाते हैं और आगे से डालो.
बिन्दू की बात सुनते ही मैंने बिन्दू को चूम लिया और उसको बेड पर ले जाने के लिए जैसे ही गोदी में उठाया तो बिन्दू को नेहा आती हुई दिखाई दी और वो बोली- नेहा है.
मैंने उसे छोड़ दिया और अपने लण्ड को ठीक करने के लिए अलमारी में किताबें देखने लगा.
नेहा- बिन्दू बहुत देर लगा दी? चलो मम्मी बुला रही है.
बिन्दू- राज से बातें करने लगी थी.
दरअसल मुझे बिन्दू को चोदने का पूरा मौका नहीं मिल रहा था और जल्दबाजी में मैं कुछ करना नहीं चाहता था, क्योंकि जल्दबाजी में आदमी अपना काम तो कर लेता है लेकिन लेडी का काम रह जाता है और फिर औरत उस आदमी से चिढ़ने लग जाती है.
सेक्स का फार्मूला है कि जब आप औरत को चोदो तो आपसे पहले उसका पानी निकलना चाहिए, तभी वह आपको सलाम करेगी.
बिन्दू चली गई.
मैं थोड़ा सो गया क्योंकि मैं पहली रात को भी कम सोया था और मुझे पता था आने वाली रात को सरोज के साथ जागना था और उसको चोदना था.
करीब रात 8 बजे बिन्दू मेरे कमरे में आई और बोली- नीचे मम्मी बुला रही हैं.
मैं नीचे गया तो भाभी बोली- अच्छी नींद ली है तुमने! करीब 5 बजे मैं तुम्हारे कमरे में गई थी तो तुम सो रहे थे. मैंने जगाना ठीक नहीं समझा. चलो, अभी 15 मिनट में खाना तैयार हो रहा है, सब साथ खाएंगे.
कुछ देर में हम सबने इकठ्ठे डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाया और कुछ देर गपशप की.
लगभग 10 बजे भाभी ने सभी से कहा- चलो, सब लोग अपने अपने कमरों में जाओ और सो जाओ.
सभी जाने लगे तो भाभी ने बिना कोई चांस गवाए मुझसे कहा- राज, दीवान पर मैं तुम्हारे ओढ़ने की चादर रख देती हूँ, तुम यहीं सो जाओ.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, यहाँ मुझे रात को वाशरूम की दिक्कत होती है. आज सुबह मैं ऊपर मेरे कमरे में जाकर आया.
भाभी बोली- अरे तुमने कल क्यों नहीं बताया? और फिर सुबह तुम नेहा के रूम में चले जाते, यह तो जल्दी उठ जाती है, आज ऐसे करना, मैं अपना रूम अंदर से लॉक नहीं करूंगी, तुम जब चाहो मेरा बाथरूम यूज़ कर लेना, अब तुम इस घर के सदस्य हो, तुम में और इन बच्चों में क्या अंतर है.
मैं भाभी के पैतरों से हक्का बक्का रह गया. वे हर चाल को अपने पक्ष में किये जा रही थी. भाभी ने बाथरूम के बहाने रात को अपने बेडरूम में आने का भी मेरा रास्ता साफ कर दिया.
मैंने सभी को गुडनाइट बोला और दीवान पर चादर ओढ़ कर लेट गया. सभी आपस में गुडनाइट बोलकर अपने अपने कमरों में चले गए.
भाभी ने जैसे ही ड्राइंगरूम के दरवाजे की कुंडी लगाई, मैंने उन्हें पीछे से बांहों में भर लिया. भाभी बोली- थोड़ा सब्र करो, मेरी जान!
मैं- भाभी, बच्चों को बेवकूफ बनाने के आपको तो बड़े पैतरे आते हैं.
भाभी- राज, यदि खुल कर बात करो तो शक नहीं होता. और यदि कुछ चोरी से करने की कोशिश करो तो शक हो जाता है. अब मैंने हम दोनों के रात को मिलने का हर रास्ता साफ कर दिया है, मैं थोड़ा बाथरूम में फ्रेश हो लेती हूँ, तुम्हें 15- 20 मिनट बाद बुलाती हूँ.
लगभग आधे घंटे बाद भाभी ने बेडरूम का दरवाजा खोला तो मैं अंदर चला गया.
भाभी एकदम अप्सरा लग रही थी. उन्होंने नहाने के बाद अपने पूरे बदन पर बढ़िया क्रीम लोशन लगाया था जिससे उनका बदन महक रहा था.
उन्होंने चूतड़ों तक की बिल्कुल ही छोटी स्लीवलेस नाइटी पहन रखी थी जिसमें से उनका सेक्सी शरीर लगभग दिखाई दे रहा था. नाइटी उनकी बड़ी चुचियों के कारण उनके पेट पर छतरी की तरह उठी हुई थी. पीछे से चूतड़ों का आधा हिस्सा दिखाई दे रहा था और नाइटी उठी होने से चूत सारी दिखाई दे रही थी. उनकी केले के तने के समान जांघें और पांव गजब ढा रहे थे.
भाभी जी हमेशा अपने हाथ पांव की सुंदर गुदाज़ उंगलियों पर डार्क रेड कलर की नेल पॉलिश लगा कर रखती थी. भाभी ने मुझे देखते ही अपनी बांहें फैला दी, मैंने भाग कर भाभी के कोमल जिस्म को बांहों में भर कर उठा लिया और कई देर तक नीचे नहीं उतारा. भाभी मेरे स्पर्श से मस्त हो गई.
मैंने भाभी को नीचे खड़ा किया और अपने दोनों कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया. मैंने खड़े लौड़े को उनके पीछे जाकर उनकी गांड की गहराई में लगाया और दोनों हाथों से उनके मम्मे मसलने लगा.
भाभी बोली- राज, मैंने देखा है यह तुम्हारा मन पसंद पोज़ है.
मैंने पूछा- क्या आपको ये पोज पसंद नहीं?
भाभी- मुझे तो यह बहुत पसंद है, इससे मैं मस्त हो जाती हूँ.
हम ड्रेसिंग टेबल के शीशे के आगे खड़े थे.
भाभी ने कहा- थोड़ा लण्ड को पीछे करके दिखाओ.
मैंने चूतड़ों में से लण्ड बाहर निकाला, लण्ड इतनी सख्ती से ऊपर की तरफ खड़ा था कि भाभी एकदम पलटी और लण्ड को अपने हाथ में ले कर अपनी चूत पर अड़ा लिया और बोली- लण्ड राजा, आग तो इस छेद में लगी है और भाभी जोर जोर से लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी.
मैंने भाभी की नाइटी को ऊपर उठाया और भाभी के मम्मों को बुरी तरह से मसलने लगा.
भाभी बोली- राज, एक बार मुझे नीचे गिरा कर रगड़ कर चोद दो ताकि कुछ चैन पड़े, बाकी काम फिर रस लेकर सारी रात करते रहेंगे.
प्रिय पाठको, इंडियन सेक्सी भाभी की वासना की कहानी में पूरा मजा आ रहा है या नहीं? मुझे बताएं.
इंडियन सेक्सी भाभी की वासना की कहानी जारी रहेगी.
What did you think of this story??
Comments