पड़ोसन भाभी की गर्म चूत की चुदाई
(Indian Bhabhi Porn Kahani)
इंडियन भाभी पोर्न कहानी में मेरे गाँव में आई एक नई भाभी को चोद दिया. वे मेरे पड़ोस में रहती थी, उनका पति निकम्मा था, मैं उनके काम कर दिया करता था.
दोस्तो, मैं राज औरंगाबाद महाराष्ट्र से हूँ.
मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ और मेरी उम्र 29 साल है.
अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं मैं … मैं इस पर रोज अपडेट होने वाली सारी सेक्स कहानियां पढ़ता हूं और हर चुदाई कहानी को इंजॉय भी करता हूं.
आज मैं अपनी एक सच्ची घटना इस इंडियन भाभी पोर्न कहानी के रूप में आप लोगों के बीच प्रस्तुत कर रहा हूं.
मेरा लंड भारतीय पुरुषों के जैसा ही है … अर्थात न ज्यादा बड़ा, न ज्यादा छोटा.
पर मैं जिस भी भाभी या लड़की को चोदता हूँ तो उसका पानी निकालने के साथ साथ उसकी चीखें भी निकाल देता हूँ और चूत को भी पूरी मस्त कर देता हूँ.
ये सेक्स कहानी करीब 10 साल पहले की है, जब मैं जवान हुआ ही था.
तब मैं एक छोटे से गांव में रहता था, जहाँ कोई ज्यादा संसाधन नहीं थे.
हम लोग टीवी देखने ले लिए भी गांव में जिसके यहां टीवी होता था, वहां जाते थे.
बात तब की है जब हमारे गांव में सोफिया नाम की एक भाभी आईं, जिसके घर में शादी के दहेज में मिला टीवी भी आया था.
उनका मेरी पड़ोसन होने के कारण मुझे टीवी देखने जाने की विशेष छूट थी.
इसके एवज में मुझे उनका कुछ सामान आदि बाजार से लाना होता था, जो वे मुझे बता देती थीं.
सोफिया देखने में जरा सांवली थीं, पर बड़ी गदराई हुई छमिया थीं.
भाभी की गांड तो मानो ऐसी फूली हुई थी कि क्या ही कहूँ.
साली एक ही ठुमके में किसी के भी लंड को खड़ा कर दे, ऐसी गांड हिलाती थी.
मुझे सेक्स का ज्ञान जल्दी ही प्राप्त हो गया था.
यह ज्ञान पाते ही मैंने अपने एक दोस्त के साथ गांड चुदाई का मजा लेना आरंभ कर दिया था.
समय ऐसे ही बीतता गया और मैं भाभी के यहां टीवी देखने के लिए रोज जाने लगा.
भाभी को भैया के लंड से एक लड़का भी प्राप्त हो गया था, जो दो साल का हो गया था.
लड़का होने से भाभी और भी मस्ता गई थीं, उनकी चूचियां भी रसभरी हो गई थीं.
वे जब भी कुछ काम करतीं तो मैं उनको देखकर अपने लंड को सहला लेता था और उनके नाम की मुठ भी मार लेता था.
भाभी का पति भी पूरा बेवड़ा था, कुछ ज्यादा कमाता धमाता नहीं था, बस जुआ शराब में अपनी जिंदगी नष्ट कर रहा था.
उनका भाभी का कमरा कुछ खास बड़ा नहीं था. उनके कमरे का साइज़ 10×10 का रहा होगा.
भाभी एक स्कूल में जॉब करने लगी थीं तो उधर से ही उनको आमदनी हो जाती थी.
कुछ ही दिनों बाद भाभी की अपने पति से लड़ाई हो गई और अब वे अपने पति से अलग कमरे में रहने लगी थीं.
इधर मेरा भी भाभी के यहां आना जाना कुछ ज्यादा हो गया था.
कभी कभी देर रात तक मैं उनके यहां टीवी देखता रहता था और भाभी भी मुझे बोल देतीं- जब जाना हो, तो मुझे उठा देना. मैं दरवाजा लगाने के लिए उठ जाऊंगी.
एक दिन की बात है. हर रोज की तरह भाभी सो गई थीं.
वे मुझे बोलकर सो गई थीं और मैं टीवी देख रहा था.
उसमें ‘आशिक बनाया आपने’ मूवी चल रही थी.
तब रात के ग्यारह बज चुके थे.
भाभी भी मस्त अपनी गांड उठाकर सोई हुई थीं.
मूवी के हॉट सीन मुझे बार बार भाभी की साड़ी की ओर भटका रहे थे.
भाभी मुझसे दो फिट की दूरी पर सोई हुई थीं.
मैं भी मूवी देखकर लंड को सहला सहला कर टाइट कर चुका था और मन बना चुका था कि आज भाभी के घर ज्यादा देर तक रूककर भाभी को चोद दूंगा.
मैंने जैसे ही लेटने की कोशिश की तो भाभी पेशाब करने के लिए उठ गईं.
गांव में उस टाइम बाथरूम जैसा कुछ नहीं होता था तो भाभी घर के बाहर जाकर पेशाब करने लगीं और मैंने धीरे से दरवाजा खोलकर पहली बार भाभी गांड देखी … जो दिखने में बहुत हॉट और बड़ी थी.
भाभी पेशाब करके उठीं तो मैं जल्दी से अन्दर को हो गया.
वे आईं और उन्होंने मुझसे पूछा- सोना नहीं है क्या? इतनी रात हो गई है. अब तक टीवी देख रहा है!
मैंने कहा- आप सो जाएं भाभी, आप कहें तो मैं भी लेट जाता हूँ.
न जाने कैसे मेरे मुँह से यह बात निकल गई और कमाल की बात यह कि भाभी ने भी हां कह दिया- ठीक है, मेरे पास आकर लेट जाओ.
मैं भी बिना कुछ सोचे या कहे, भाभी के साथ ही लेट गया. मैं उनसे बस एक फिट की दूरी पर लेट गया था.
कुछ देर बाद भाभी सो गईं तो मैंने मूवी देखते देखते फिर से लंड को सहलाया और टाइट कर लिया.
इस बार मैं हिम्मत करके भाभी के पैरों के पास अपना पैर ले गया और उनके पैर पर रख दिया.
भाभी गहरी नींद में थीं.
मैंने धीरे से पैर को और थोड़ा ऊपर किया और उनकी साड़ी थोड़ी सी ऊपर यानि घुटनों तक हो गई.
कुछ देर मैं ऐसे ही लेटा रहा और ऐसे नाटक करके आंखें मूँद लीं, जैसे मैं अब सो गया हूँ.
फिर मैंने भाभी की गांड पर अपना हाथ रख दिया.
इससे भाभी थोड़ी सी हिलीं पर कोई खास फर्क नहीं हुआ.
इस बार दस मिनट बाद मैंने भाभी की साड़ी थोड़ी अपने हाथ से ऊपर को की, पर वह थोड़ी सी ही हो सकी.
मैं इंतजार कर रहा था कि भाभी करवट लें, तो चांस मारूं.
मैंने उनकी गांड को थोड़ा दबाया जिससे मुझे उनका कोई भी प्रतिरोध नहीं मिला.
इससे मेरी हिम्मत और थोड़ी सी बढ़ गई.
फिर मैंने ऊपर की तरफ देखा.
उधर सोफिया भाभी की साड़ी थोड़ी ऊपर को थी, उसमें धीरे से अपना हाथ डाला और ऐसे घुसेड़े रखा जिससे भाभी को यह लगे कि नींद में हो गया.
इसी तरह बार बार ऊपर नीचे करते रहने के कुछ देर बाद उनकी गांड मेरे हाथ में आ गई.
क्या बताऊं दोस्तो, उनकी गांड का हाथ पर स्पर्श पाकर मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया था.
अब मैंने अपना संयम छोड़ दिया और उनकी गांड को सहलाना चालू कर दिया.
फिर धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.
इतने पर भी भाभी की तरफ से कोई विरोध न हुआ तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
अब मैंने अपनी एक उंगली भाभी की चूत में की.
मुझे उनकी चूत एकदम पानी पानी सी लगी.
इससे मुझे अंदाजा हो गया था कि सोफिया भाभी सोई नहीं हैं.
मैंने कुछ देर किए अपनी उंगली उनकी चूत में डाली और निकाल ली.
भाभी भी गर्म हो चुकी थीं पर वह अनजान बन रही थीं.
तभी उन्होंने करवट ली और पीठ के बल होकर चित सो गईं.
अब उनके दूध और नाभि मुझे दिखाई दी और मैं भी चुदास से भर गया.
इस बार मैंने भाभी की साड़ी अपने हाथ से ऊपर की और सीधे उनके पैर खोलने का प्रयास किया.
इस बार भाभी मुझे नाटक दिखा रही थीं और वे अपने पैर खोल नहीं रही थीं.
मैंने झटका दिया और उनकी टांगों को खोल दिया.
उनकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी तो उनकी नंगी चूत बिना चड्डी के मेरे सामने थी.
भाभी की चूत पर हल्की हल्की झांटें थीं.
मैंने चूत से रस टपकता देखा, तो झट से मैंने अपने पैंट की ज़िप खोली और लंड निकाल कर सीधा सोफिया भाभी के ऊपर चढ़ गया.
वे कुछ समझ पातीं, तब तक तो मैंने उनकी चूत में लंड डाल दिया.
गीली चूत में मेरा लोहे सा कड़क लंड सरसराता हुआ अन्दर तक घुसता चला गया.
वे लंड अन्दर लेते ही सिहर गईं और उनके कंठ से दबी हुई ‘आह मर गई’ की आवाज निकल आई.
वे मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं मगर अब तक मेरा लंड चुदाई में लग गया था.
मैं सोफिया भाभी की मलाई सी रसभरी चूत को चोदता रहा.
लंड घुसेड़ने के दो ही मिनट बाद वे अपनी चूत का पानी छोड़ चुकी थीं और मेरे लंड के लगातार चलने से उनकी गीली हो चुकी चूत फ़च फ़च करने लगी थी.
अब मैंने सोफिया भाभी के दोनों पैर हवा में ऊपर उठाए और उन्हें धकापेल चोदने लगा.
दस मिनट की चुदाई के बाद मैं अब झड़ने वाला था.
सोफिया भाभी समझ चुकी थीं और वे इसलिए मुझे धकेलने लगी थीं कि कहीं मैं उनकी चूत में अपना पानी न छोड़ दूँ.
मगर मेरे जवान शरीर की ताकत के सामने भाभी कुछ न कर सकीं और मैंने कुछ करारे धक्के स्पीड से देने शुरू कर दिए.
मैंने जोर जोर से झटके देते हुए अपना सारा वीर्य सोफिया भाभी की चूत में निकाल दिया.
लंड के स्खलित होते ही मेरी ताकत कुछ कम हुई और उसी वक्त उन्होंने मुझे जल्दी से अपने ऊपर से धक्का देकर हटा दिया.
उन्होंने मुझसे अपने घर जाने को कहा और मैं वहां से चला गया.
मैं उस कुत्ते की तरह जीभ से अपने होंठ चाटते हुए चला गया जो किसी की नजर बचा कर मलाई चाट आया था.
दूसरे दिन सुबह जब सोफिया भाभी मिलीं, तब वे थोड़ा मुझे गुस्से में दिखीं.
लेकिन अगले ही पल वे मुस्कुरा दीं.
मुझे समझ में आ गया कि आज रात को फिर से सोफिया भाभी की चूत मेरे लंड से धन्य होगी.
मैंने उनसे कहा- भाभी, रात को मजा आया था न!
वे बोलीं- धत्त … तू तो बड़ा खराब है. मेरे अन्दर ही क्यों निकल गया था?
मैंने कहा- तो उससे क्या होता है?
भाभी बोलीं- उसी से तो बच्चा हो जाता है.
मुझे उस वक्त तक मालूम ही नहीं था कि वीर्य अन्दर टपकाने से बच्चा हो जाता है.
मैं तो गांड मारने के बाद हर बार अपने लंड का रस अन्दर ही टपकाता आया था, तो मुझे यही मालूम था कि रस अन्दर ही टपकाया जाता है.
मैंने कहा- यदि रस टपकाने से बच्चा हो जाता तो अब तक तो कई को बच्चा हो जाता!
यह सुनकर भाभी ने मुझसे पूछा- किस किस को चोद चुका है?
मैंने कहा- चूत तो पहली बार ही मारी है. अब तक तो गांड मारने का मौका ही मिलता रहा है.
भाभी हंस कर बोलीं- उधर रस टपकाने से थोड़े ही बच्चा होता है. वह तो आगे टपकाने से हो जाता है.
मैंने कहा- लेकिन भाभी, आपके साथ तो आगे ही करने से मजा आया.
वे बोलीं- हां मजा तो मुझे भी बहुत आया. पर यह बात किसी से कहना मत कि तूने मेरी चुदाई की है.
मैंने कहा- ठीक है भाभी. आज रात को फिर से दे देना.
वे हंस दीं और बोलीं- हां आ जाना.
ऐसे ही रात को मैं टीवी देखने भाभी के घर चला जाता और सोफिया भाभी को एक या दो बार चोद देता.
इंडियन भाभी पोर्न कारनामों से उनकी माहवारी रुक गई और भाभी परेशान हो गईं कि अब इस बच्चे को बाप का नाम कैसे दूँ.
दस दिन बाद भाभी ने अपने पति से बात करना शुरू कर दी और उनका पति उनको चोदने आने लगा.
एक महीने के बाद भाभी ने वापस अपने पति की जीपीएल कर दी.
मतलब उसकी गांड पर लात मार दी.
चूंकि मेरे वीर्य से सोफिया भाभी पहले ही पेट से हो चुकी थीं.
उनको एक लड़की भी हुई है, जिसकी शक्ल मुझ जैसी ही दिखती है.
अब भाभी मेरे पड़ोस से अपने गांव चली गयी हैं.
पर आज भी उनकी वह मोटी गदीली सी चूत और सांवली मोटी गांड याद आ जाती है … तो लंड खड़ा हो जाता है.
मैं हाथ से उनके नाम की मुठ मार लेता हूँ.
दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी थी आपको कैसी लगी. प्लीज मेल करके जरूर बताएं.
अगली सेक्स कहानी में आपसे जल्द मिलूँगा.
धन्यवाद भाभियो, आंटियो, लड़कियो और गांड मरवाने के शौकीन दोस्तो!
कैसी लगी मेरी इंडियन भाभी पोर्न कहानी, मुझे ईमेल पर फीडबैक जरूर देना.
मेल आईडी है
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