पड़ोस के बाप बेटे- 4
(Indian Bhabhi Nude Story)
इंडियन भाभी न्यूड स्टोरी में एक जवान शादीशुदा लड़की ने अपने पड़ोस के जवान लड़के को अपनी ब्रा पैंटी दिखाकर अपनी ओर आकर्षित किया और उससे चुद गयी.
दोस्तो, मैं रोमा शर्मा अपनी स्टोरी का अगला भाग लेकर आई हूं।
मैं आपको अपनी चुदाई की कहानी के पिछले भाग
पड़ोसी अंकल के बेटे को पटाने की कोशिश
में बता रही थी जिसके तीसरे भाग में मैंने बताया था कि कैसे मैंने अपनी पैंटी अंकल के बेटे के घर में छोड़कर उसको चुदाई के लिए उकसाने की कोशिश की।
अब आगे इंडियन भाभी न्यूड स्टोरी:
अंकल से चुदाई करवाकर मैं जानबूझकर पैंटी को निखिल के रूम में छोड़कर आ गई।
मैं निखिल के इंतजार में थी कि कब वो घर लौटे।
शाम को निखिल अंकल के आने के पहले ही घर पहुंच गया।
मैंने उसे आते हुए देख लिया था।
जल्दी से मैं उसके घर पहुंची और बाहर खिड़की से ही अंदर झांकने लगी।
उसे मेरी ब्रा-पैंटी बेड के पास ही पड़ी मिली, जैसा कि मैं छोड़कर आई थी।
उसने पैंटी को उठाया और बोला- आज ये फिर से यहाँ, अब तो मुझे पूरा यक़ीन हो गया है कि ये ब्रा-पैंटी रोमा भाभी की ही है। क्योंकि उनके अलावा तो और कोई हमारे घर आता ही नहीं है। और आज मेरे ऑफिस जाने के बाद पक्का पापा ने रोमा भाभी की चुदाई की होगी। ये सब तो ठीक है लेकिन बार-बार यूँ उनका ब्रा-पैंटी को मेरे रूम में छोड़ जाना कुछ समझ नहीं आ रहा है। ये महज़ एक इत्तफाक है या बात कुछ और है?
निखिल ने फिर अपने कपड़े उतार दिए और मेरी ब्रा-पैंटी को हाथ में लेकर उसे कभी चूमता तो कभी सूँघता और मदहोश होने लगा।
वो मेरा नाम लेते हुए अपना लंड हिलाने लगा और मुठ मारने लगा।
उसके मुंह से निकल रहा था- ओह्ह भाभी … आह्ह भाभी … सेक्सी भाभी … एक बार मुझसे चुद लो … आह्ह!
ये सब दखने और सुनने के बाद मैं भी मन ही मन कहने लगी- हाँ निखिल, मैं भी तो तुम से चुदना चाहती हूँ।
मैं चूत की आग लिए घर आ गई।
फिर रात का खाना ले कर जब मैं उनके घर गई तो निखिल मुझे लगातार घूरे जा रहा था और मुस्करा भी रहा था।
वो मुझसे शायद कुछ कहना भी चाहता था लेकिन अंकल के साथ होने से कुछ कह नहीं पा रहा था।
उन्हें खाना खिला कर में घर आ गई।
अगले दिन जब मैं फिर से नाश्ता ले कर गई तो मुझे सिर्फ अंकल ही दिखाई दिए।
आज निखिल दिखाई नहीं दे रहा था।
मैंने अंकल से पूछा तो उन्होंने बताया कि उसकी तबियत ठीक नहीं है, सो रहा है।
अंकल ने नाश्ता किया और बोले- ठीक है, मैं ऑफिस निकलता हूं।
आज चुदाई तो हो नहीं सकती थी क्योंकि निखिल घर में ही था।
फिर मैं भी वहां से आ गई।
फिर करीब एक बजे मुझे निखिल का फोन आया- हैलो रोमा भाभी!
मैं- हाँ निखिल बोलो, अंकल ने बताया था कि तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है, सिर में भी दर्द है, अब कैसे हो?
निखिल- हाँ भाभी, रात से ही कुछ तबियत ठीक नहीं थी। बहुत थकान थी इसलिए सिर में भी दर्द था।
मैं- अब कैसा है सिर का दर्द?
निखिल- अब ठीक है।
मैं- बोलो किसी काम से फ़ोन किया था क्या?
निखिल- हाँ भाभी, मुझे बहुत भूख लग रही है। क्या आप मेरे लिए कुछ खाने का ला सकती हो?
मैं- हाँ क्यों नहीं, मैं अभी तुम्हारे लिए खाना ले कर आती हूँ।
फिर मैं उसके लिए खाना ले कर गई तो उसने दरवाजा खोला और मुझे अंदर आने का कहा।
अंदर जा कर मैंने डाइनिंग टेबल पर खाना रखा और निखिल को बता दिया।
फिर मैं जाने लगी तो उसने मुझे रोक कर कहा- रुको भाभी, आपका कुछ सामान मेरे पास है, उसे लेते जाइये।
उसके हाथ में मेरी ब्रा-पैंटी थी।
मैं थोड़ी सहेम गई।
फिर संभलकर बोली- तुम्हें कैसे पता कि ये मेरी ही है?
वो बोला- आपकी छत पर मैंने इनको कई बार सूखते देखा है और मुझे ये भी पता चल गया है कि ये यहां पर कैसे आई हैं।
मैंने शर्म से लाल होकर पूछा- क्या पता चल गया है?
वो बोला- यही कि पापा आपको चोदते हैं। चुदवाने के बाद आप इनको यहीं भूल जाती हो।
ये सुनकर मैंने शर्म से सिर नीचे कर लिया।
मन ही मन मैं कह रही थी- ये यहां जानबूझकर छोड़ीं गई थीं।
तभी निखिल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- बोलो न भाभी! सही कह रहा हूं न मैं?
जानती तो मैं सब कुछ थी, मगर थोड़ा नाटक करते हुए बोली- प्लीज़ निखिल, ये बात तुम किसी से भी मत बोलना, मुझ से गलती हो गई है। तुम मुझे माफ़ कर दो।
निखिल बोला- ठीक है भाभीजी, मैं ये बात किसी से नहीं कहूंगा। लेकिन मेरी एक शर्त है।
मैं- क्या शर्त?
निखिल- शर्त ये है कि मैं आप को इस ब्रा-पैंटी में देखना चाहता हूँ।
मैं- ये तुम क्या बोल रहे हो निखिल!
और मैं मन ही मन कहने लगी कि यही तो मैं भी चाहती हूं.
निखिल- जी हाँ, भाभीजी।
मैं- ये नहीं हो सकता। अगर नहीं हो सकता तो फिर मैं सबको बता दूंगा।
लेकिन मैं भी तो यही चाह रही थी इसलिए थोड़ा नाटक करने के बाद मैं मान गई।
निखिल- चलो एक-एक करके अपने कपड़े निकालिये भाभीजी।
फिर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे किया तो निखिल ने मेरे पल्लू को पकड़ लिया और खीच कर मेरे साड़ी उतार दी।
मुझे उस खेल में बहुत मजा आ रहा था।
निखिल की हवस भरी आंखें फटी जा रही थीं।
मुझे अधनंगी देखने के लिए वो ललचा रहा था।
फिर मैंने अपने ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किये और मेरी काले रंग की ब्रा उसमें से अब दिखने लगी थी।
मैंने अपना ब्लाउज उतार कर सोफे पर रख दिया।
फिर मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा और उसे भी खींच दिया।
पेटीकोट भी मेरी मखमली कमर से सरकता हुआ नीचे ज़मीन पर गिर गया।
मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में आ गयी थी।
मुझे अब खुद पर बहुत शर्म भी आ रही थी क्योंकि मैं निखिल के सामने अधनंगी थी और वो मुझे घूरे जा रहा था, और मैं कुछ नहीं कर सकती थी।
मैं मेरी ब्रा में 34″ के गोल मटोल लाल बूब्स को संभाल रही थी और मेरी पैंटी मेरे पिघलते हुए यौवन को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
निखिल मुझे ही देख रहा था।
वह 5 मिनट तक मुझे अधनंगी ऐसे ही घूरता रहा।
मैंने अपनी दोनों आँखें नीचे झुका रखी थीं।
निखिल हँसने लगा और बोला- भाभी, अब बचे हुए कपड़े भी उतार दो आप! और अपने यौवन के दर्शन करवा दो।
चाहती तो में भी यही थी कि निखिल के सामने पूरी नंगी हो जाऊं लेकिन मैंने फिर थोड़ा नाटक किया और उस से कहा- तुमने सिर्फ मुझे ब्रा-पैंटी में देखने की बात कही थी। और अब तुम मुझे पूरी नंगी करना चाहते हो?
वो बोला- हाँ मैं तुम्हें नंगी करना चाहता हूँ, चलो … जल्दी करो!
मैंने नज़र झुकाई और अपना हाथ पीछे लेकर गई और ब्रा का हुक खोल दिया।
मेरी ब्रा लूज़ हो गयी और नीचे को लटक गयी।
मैंने अपने दोनों कंधों से ब्रा उतार कर सोफे पर रख दी।
मेरे रस भरे बूब्स एकदम निखिल के सामने थे। मेरे गुलाबी निप्पल अब तक खड़े हो चुके थे।
फिर मैंने अपने दोनों हाथ पैंटी के अंदर डाले और पैंटी को मेरी चिकनी जांघों के बीच में से खींचते हुए नीचे झुक कर मेरे पैरों तक ले आयी और मैंने पैंटी भी उतार दी।
इस वक़्त मैं निखिल के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी।
मेरे बदन पर एक भी बाल नहीं था, शीशे की तरह मेरा बदन चमक रहा था।
इंडियन भाभी न्यूड हो चुकी थी.
नंगी करने के बाद निखिल मुझे चोदे बिना नहीं रह सकता था और मैं ये बात जानती थी।
मुझे पता चल गया था कि अब मेरी चुदाई होने वाली है। फिर निखिल मेरे पास आया। मेरी गर्दन नीचे झुकी हुई थी।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपनी तरफ खींचा।
फिर मेरी ठुड्डी पर हाथ रखा और मेरा चेहरा ऊपर उठाया और बोला- चलें … हम दोनों अब बेडरूम में … भाभीजी?
मैंने कहा- प्लीज ये खेल यहीं खत्म कर दो तुम!
तो निखिल बोला- पापा के साथ तो तुमने ये खेल बहुत खेला है भाभीजी, आज मेरे साथ भी खेल लो।
निखिल ने मेरी जुल्फों को मेरे कान के पीछे किया और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले गया।
मेरे सारे कपड़े हॉल में ही पड़े हुए थे।
बेडरूम में जाते ही निखिल ने दरवाजा हल्का सा बंद कर दिया। फिर उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया।
मैं खुद चाह रही थी कि निखिल मुझे चोदे।
अब मैंने इन पलों का आनंद उठाने की सोची और शर्म का नाटक खत्म कर दिया।
उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपनी भीगी हुई चूत पर रख दिया जो कि भट्टी की तरह एकदम गर्म हो चुकी थी।
ये निखिल के लंड से सिकाई मांग रही थी।
इस पर निखिल मुस्करा गया।
उसने मुझे अपनी बांहों में उठाया और बेड पर ले जाकर पटक दिया।
फिर निखिल खुद भी बेड पर आ गया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
मैंने निखिल को अपनी बांहों मे भर लिया और मैंने उसके चेहरे और जिस्म पर मेरे गुलाबी होंठों से चुम्बनों की झड़ी लगा दी।
मैं उसे पागलों की तरह उसके माथे पर, उसके गालों पर चूमे जा रही थी और मेरा एक हाथ उसके बालों को सहला रहा था।
निखिल ने मेरे होंठों पर किस करते हुए मुझसे कहा- रोमा भाभी, तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारा बदन किसी जलपरी की तरह भरा हुआ है। तुम्हारे यह गोल-मटोल तने हुए बूब्स तुम्हारी सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
इस पर मैंने भी कहा- निखिल, आज ये वक़्त तुम्हारा है। तुम मुझे महका दो। मुझे बहका दो। मेरे सपने को हकीकत में बदल दो और मेरी जिस्म की प्यास मिटा दो।
निखिल ने अपने होंठ मेरे भरे हुए रसीले होंठों पर रखे और उनसे बून्द बून्द करके अमृत चूसने लगा।
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी।
निखिल के दोनों हाँथों ने मेरे बूब्स के साथ खेलना शुरू कर दिया था।
उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरे निप्पलों को और ज्यादा सख्त होने पर मजबूर कर रहा था।
वो अपने नाखूनों से मेरे निप्पलों पर नोंच रहा था जो मुझे और कामुकता में ले जा रहा था।
उसकी यह कला इतनी मादक थी कि मैं उसकी बांहों में बिन पानी मछली की तरह मचलने लगी जिसका वो फायदा उठा रहा था।
दोनों महकते हुए बदनों के बीच अब गर्मी पैदा होना शुरू हो गई थी।
हमारा बदन पसीने की बूंदों से भीगना शुरू हो गया था।
निखिल अब मेरे बूब्स पर आ गया और अपने बड़े-बड़े हाथों को मेरे बूब्स पर रख कर उन्हें पुरजोर तरीके से मसलने लगा।
मैं आह … भरने लगी थी और सिसकारियाँ निकालने लगी।
मैंने अपने नाजुक से होंठों को अपने दांतों के बीच दबाया और उन्हें कटाने लगी।
हम दोनों की कामुकता एक अलग ही तूफ़ान मचा रही थी।
अब तक निखिल मेरे बूब्स पर आकर मेरे निप्पल्स को चूसने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा।
निखिल मेरे निप्पलों को चूसते हुए उनमें से दूध निकालने लगा और मेरे बूब्स मसलने लगा।
मैंने भी बेड पर उसे अपने जिस्म में समेट रखा था।
इसके बाद मैंने धीरे धीरे उसकी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और शर्ट भी उतार दी।
वो अभी भी मेरी बांहों में था।
अब मैंने उसे अपनी बांहों से अलग किया और उसका लोवर नीचे खींचकर उतार दिया।
उसका लंड उसके अंडरवियर में उफान मार रहा था और मेरी चुदाई करने के लिए एकदम तैयार था।
मगर मैं अभी चाहती थी कि निखिल मेरे बदन के साथ और खेले।
वो अपने होंठ मेरी गर्दन के पीछे रख मेरे गले को चूमने लगा।
मेरी गर्दन के पीछे से पसीने की बूंदें शुरू होती हुईं मेरे बूब्स के क्लीवेज से होती हुई मेरी नाभि में समा रही थीं।
निखिल मेरे पसीने की बूंदों को गर्दन से चूसते हुए धीरे धीरे मेरे सीने पर आ गया।
उसने अपने होंठ मेरे बूब्स पर रखे और बूब्स के क्लीवेज में से जो अमृत की बूंदों की धार बहती जा रही थी उन्हें पीने की कोशिश करने लगा।
मगर वो इस कोशिश में नाकाम रहा।
मेरे बूब्स का क्लीवेज काफ़ी गहरा है इसलिए उसके होंठ वहां तक नहीं पहुंच पा रहे थे।
मैंने निखिल की मदद करते हुए उसके दोनों हाथ मेरे बूब्स पर रखवाए और मेरे दोनों बूब्स को निखिल ने खोल दिया।
अब मेरा क्लीवेज बड़ा हो चुका था जिसमें उसके होंठ आराम से युद्ध कर सकते थे और अमृत की बूंदों का आनंद ले सकते थे।
निखिल ने अपने होंठ मेरे क्लीवेज में रखे और वहां से चूसने लगा, उन पसीने की बूंदों को पीने लगा।
मैं बहुत गर्म हो चुकी थी और अपनी दोनों टांगों को उसकी पीठ पर रख कर उसे अपनी ओर दबा रही थी।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रखे और अपनी सारी उंगलियों के नाखूनों को उसकी पीठ में चुभो दिया और अपनी ओर उसे भींचने लगी।
निखिल मेरे क्लीवेज से धारा को चूसते हुए मेरी नाभि पर आ गया और मेरी नाभि को चूमने लगा।
इस वक़्त मैं एक अलग जन्नत का अहसास कर रही थी जिसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती।
हमारा फोरप्ले चलते हुए लगभग आधा घंटा हो चुका था।
मेरी चूत अब तक अपना रस छोड़ने को तैयार हो गई थी मगर मैंने खुद को संभाला हुआ था।
इतने में निखिल ने मुझे झट से पलट दिया और मेरी पीठ अब उसके सामने थी।
वो अपनी एक उंगली मेरी गर्दन से फेरते हुए मेरी कमर की गहराई तक चला गया।
इस हरकत ने मुझे और जोश में ला दिया।
निखिल ने अपने होंठ मेरे पीठ पर रखे और जगह जगह मेरी पीठ को चूमने लगा।
मैं भी अब निखिल के लंड को चूसना चाहती थी इसलिए पलट गई।
मैंने उसके अंडरवियर पर हाथ रखा और उसे खींचती हुई उसकी गठीली जांघों से नीचे ले आयी और उसे उतार कर नीचे फेंक दिया।
मैं उसके भीमकाय लंड को देख कर अचंभित थी और मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था।
मुस्कान के साथ मेरी नज़रें उसके बदन को निहार रही थीं।
उसका लगभग 7 इंच का लंड हवा में उफान मार रहा था।
फिर मैंने निखिल के लंड को अपने हाथों में ले लिया और उसे अचंभित नज़रों से देखने लगी।
फिर बिना कुछ सोचे समझे मैंने लंड को अपने मुँह में लेना चाहा मगर निखिल ने मुझे रोक दिया और बोले- अभी नहीं।
निखिल ने मुझे दोबारा बेड पर पटक दिया और मेरी दोनों टाँगें खोल दीं।
घुटनों के बल बैठकर निखिल ने मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया, उसके हाथों का स्पर्श बड़ा ही कमाल था।
अब निखिल नीचे झुका।
उसने मेरी चूत को सूंघा और अपनी उंगलियों से मेरी चूत का दरबार खोला और अपनी जीभ मेरी चूत की दोनों पंखुड़ियों पर रख दी।
फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दी।
निखिल की आधी जीभ मेरी चूत में थी।
वो अंदर ही अंदर मेरी चूत में अपनी जीभ हिला रहा था जिसकी वजह से मुझे बहुत मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद निखिल मेरी चूत पर किसी दीवाने की तरह टूट पड़ा और अपने होंठों से मेरी चूत को प्यार करने लगा।
मैं अब आहें भरने लगी थी- आह्ह निखिल … आह्ह … आह्ह … निखिल!
वो मेरी चूत में अपनी जीभ से कलाबाजी दिखा रहा था और मुझे मजा दे रहा था।
मैं भी अपने दोनों हाथ उसके लम्बे बालों में फंसाकर उसे मेरी चूत की तरफ खींचने लगी।
निखिल बहुत मजे से मेरी चूत के साथ खेल रहा था।
मेरी चूत एकदम चिकनी हो गई थी। वो कभी मेरी चूत के दाने से खेलता तो कभी मेरी चूत अपने दाँतो से काटता।
मैं बहुत कामुक हो चुकी थी।
मेरी चूत तो पहले ही झड़ने को तैयार थी।
मेरा बदन अकड़ने लगा और मैंने निखिल से कहा- मैं झड़ने वाली हूं।
कुछ देर तक निखिल ने मेरी चूत को और जोर से चूसा।
मैं उसके होंठों पर ही झड़ने लगी।
उसने जीभ डाल डाल कर मेरा सारा अमृत निकाल दिया और मेरे अमृत की एक एक बून्द को पी गया।
फिर मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे और दोबारा से चूसने लगी।
साथ ही एक हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी।
मैंने निखिल को अब बांहों से अलग किया और खुद अब घुटनों के बल बैठ गई। मैंने उसको बेड पर लेटा दिया था।
उसका लंड अंकल के लंड की अपेक्षा काफी मजबूत, बड़ा और मोटा था।
निखिल के लंड को देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था।
अपना मुंह अब मैं निखिल के लंड के पास ले गई और मैंने अपने रसीले होंठ उसके लंड के टोपे पर रख दिए।
लंड के टोपे को मैंने एक बार चूसा जिसमें से बड़ी मादक महक आ रही थी।
मैंने अपने होंठों के बीच उसके लंड के टोपे को दबा लिया।
अब मैंने अपने दांतों से उसके टोपे पर धीरे से काटा।
मैंने फिर उसका लंड धीरे धीरे अपने रसीले होंठों से चूसते हुए पूरा अंदर ले लिया।
मैं उसके लंड के सुपारे को जोरदार तरीके से चूसने लगी।
मैं उसकी गांड को हाथों से सहलाने लगी।
वो आहें भरने लगा था।
अब उसके हाथ मेरे सिर पर आ गए और वो लंड को मेरे मुंह में दबाने लगा था।
मेरे मुंह की चुदाई उसके लंड से अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
लगभग 5 मिनट मुझे उसका लंड चूसते हुए हो गए थे, मैंने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उसे दोबारा वासना भरी नज़रों से देखा।
वो भी मुझे ही देख रहा था।
उसने मुझे लंड को दोबारा से मुँह में लेने के लिए इशारा किया और उसके इशारे को समझते हुए मैंने उसका लंड दोबारा से अपने मुँह में ले लिया।
फिर से मैं उसके लंड को चूसने लगी।
निखिल भी मेरा भरपूर साथ दे रहा था मानो के जैसे हम दोनों दो जिस्म और एक जान हो गए हों।
कुछ देर बाद निखिल ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और मुझे बेड पर सीधी लेटा दिया।
अब वो मेरी दोनों टांगों के पास आ गया और उसने मेरी दोनों टाँगें खोल कर अपने दोनों कंधों पर रख लीं।
मुझे समझ आ गया था कि ये कदम मेरे चरम सुख की प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
अब मेरी जमकर ठुकाई होने वाली थी।
निखिल ने अपना भीमकाय लंड मेरी मखमली चूत पर रखा और धीरे से एक धक्का लगाया जिससे उनके लंड का टोपा मेरी चूत की कलियों को खोलता हुआ पहली बार मेरे जिस्म में प्रवेश हुआ।
उसने एक और जोरदार धक्का मारा और चूत और लंड दोनों चिकने होने के कारण उसका पूरा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर तक उतर गया।
चूत और लंड का मिलन हो गया जिसकी वजह से मैं चीखी- आह … निखिल… धीरे करो!
उसने अपना पूरा लंड अंदर तक डाल दिया था और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो अब जमकर मेरी चूत में अपने लंड से धक्के लगाने लगा और मैं भी चीखती हुई उसका साथ देने लगी- आह्ह … निखिल … आह्ह … आआईई … आह्ह … उईई … आह्ह!
कमरा मेरी सिसकारियों से गूंज उठा था।
मेरी आवाजों से वो भी जोश में आ चुका था।
वो लगातार अपने लंड से मेरी चूत में धक्के लगाकर अपना लंड पेले जा रहा था।
लगभग 10 मिनट उसे मेरी चुदाई करते हुए हो गए थे।
यहाँ मुझे चरम सुख की प्राप्ति हो रही थी।
उसने मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा हुआ था और अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों टांगों को पकड़ा हुआ था।
मैं निखिल के धक्के लगातार झेल रही थी।
धक्कों की वजह से मेरे बूब्स भी हिल रहे थे।
निखिल ने धक्के लगाते हुए अपनी आंखें मेरी आँखों से मिलाईं।
हम दोनों चुदाई और वासना में पूरी तरह डूब चुके थे।
फिर वो मेरी दोनों टांगों को मेरे चेहरे की ओर मोड़ते हुए मेरे चेहरे तक ले आया और धक्के लगाने लगा।
अब मेरी चूत के साथ-साथ मेरी दोनों टांगों में भी दर्द हो रहा था।
हम दोनों का चेहरा एक दूसरे से सिर्फ 3-4 इंच की दूरी पर था।
मैं शर्म के मारे निखिल से नज़रें चुरा रही थी।
निखिल बोला- मेरी आँखों में देखो।
उसके धक्के लगातार चालू थे।
मेरे मुँह से अभी इस वक़्त सिसकारियों की आवाजें कम हो गई थीं।
मैंने दोबारा उसकी आँखों में आँखें डालीं और उसने अपने दोनों होंठ मेरे होंठों पर रख कर जोरदार धक्का मारा।
मैं चीखना चाहती थी लेकिन होंठ पर होंठ थे इसलिए कुछ नहीं कर पायी।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
निखिल ने मेरी दोनों टाँगें मोड़ी हुई थीं और खुद उन पर चढ़ा हुआ था और नीचे से अपने लंड से धक्के लगा रहा था।
मुझे अब तक चुदते हुए काफी देर हो चुकी थी और मेरा बदन अकड़ने लगा था।
अपने चरम सुख को प्राप्त करने के लिए मैं तैयार थी।
मैं बेडशीट को पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी।
निखिल के धक्के लगातार जारी थे और कुछ ही मिनटों के बाद मैंने अपना अमृत रस उसके लंड पर ही त्याग दिया और उसका लंड पूरा मेरे रस से भीग गया।
निखिल अभी भी मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था और धक्का-पेल करते हुए मुझे चोद रहा था।
कुछ मिनट और चोदने के बाद निखिल का बदन भी अकड़ने लगा, वो भी अपना अमृत निकालने के लिए तैयार हो चुका था।
वो पूछने लगा- अंदर ही निकाल दूं?
मैंने कहा- नहीं, मुझे इन्हीं अमृत बूंदों का तो इंतजार है, इन्हें मैं पीना चाहती हूं।
निखिल ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और खुद घुटनों के बल बैठ गया।
फिर मुझे अपनी कुतिया बना कर अपने लंड के पास ले आया।
जैसे एक कुतिया बैठी होती है … ठीक उसी तरह मैं निखिल के लंड के पास ही बैठी थी।
उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुँह में धक्के लगाने लगा।
कुछ ही पल धक्के लगाने के बाद निखिल ने अपनी अमृत बूंदों का प्याला मेरे मुँह में छलका दिया।
उसके लंड से निकल रही अमृत की बून्द एक-एक करके मेरे गले से नीचे उतरती चली गई मानो जैसे मुझे सच में अमृत का अहसास हुआ हो।
निखिल का लंड इतना वीर्य निकाल रहा था कि मेरी प्यास बुझने लगी।
मेरा गला अंदर से तर हो गया।
पूरा झड़ने के बाद उसने मेरे मुंह से लंड को बाहर निकाल लिया।
हम दोनों निढाल होकर बेड पर लेट गए और एक दूसरे से चिपक गए।
इस पूरी चुदाई से हम दोनों इतने थक चुके थे कि कब हमारी आँख लग गई पता ही नहीं चला और हम सो गए।
दोस्तो, इस तरह से मैंने अंकल के बेटे निखिल का लंड भी अपनी चूत में लिया और उसके लम्बे मोटे लंड से चुदने के बाद मुझे बहुत संतुष्टि मिली। अब इसके आगे क्या हुआ, वो मैं कहानी के अगले भाग में आपको बताऊंगी।
आपको मेरी ये इंडियन भाभी न्यूड स्टोरी कैसी लगी, मुझे जरूर बताना।
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