अकेली भाभी की प्यासी चूत की चुदाई
(Hot Chut Xxx Kahani)
हॉट चूत Xxx कहानी में पढ़ें कि मैंने जयपुर में कमरा किराये पर लिया तो मालिक की बहू मुझ पर डोरे डालने लगी क्योंकि उसका पति पुणे में जॉब करता था. मैंने उस भाभी की गर्म चूत कैसे चोदी?
मेरा नाम देव है. मैं कोटा राजस्थान का निवासी हूं. मैं एक स्टूडेंट हूं.
मेरी लम्बाई 6 फुट की है और जिम जाने की वजह से बाडी भी काफी शानदार है. मतलब किसी भी चूत का भोसड़ा बना सकता हूं.
यह हॉट चूत Xxx कहानी इसी साल जनवरी महीने की है.
मैं नया नया जयपुर आया था.
मैं एक कॉलोनी में कमरा देखने के लिए गया.
यह मकान रिटायर्ड कर्नल का मकान था.
मैंने घण्टी बजाई तो एक 60 साल की आंटी आईं.
उन्होंने दरवाज़ा खोला.
वे काफी सुडौल शरीर की थीं.
मैं रूम लेने के लिए बहुत देर से घूम रहा था इसलिए पेशाब लगने लगी थी.
उसी वजह से मेरे लंड ने भी थोड़ा कड़क होकर अपना आकार बना लिया था.
आंटी का सारा ध्यान मेरे लौड़े के उभार पर था.
उन्होंने लौड़े को देखते हुए कहा- हूऊं?
मैंने भी सकपकाते हुए कहा- जी मेम, वो मुझे रूम किराये पर लेना था, इसीलिए आपको परेशान किया. क्या आपके घर में कोई कमरा किराए के लिए खाली है?
उन्होंने कहा- एक मिनट रुको.
फिर घूम कर अपने पति को आवाज दी.
कुछ ही पल बाद एक 65 वर्ष के सर बाहर आए.
आप तो जानते ही हैं कि फौजी लोग कैसे होते हैं. उनको देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये कहीं से भी बुड्डे हैं.
वो तो अंकल ने अपने बाल डाई नहीं किये थे, जिस वजह से उनके बालों की सफेदी ने उन्हें बुड्ढा दिखा दिया था.
उन्होंने पूछा- कहां से हो, क्या कर रहे हो, तुम्हारी जाति क्या है?
मैंने सब कुछ बता दिया; अपना आधार कार्ड भी दिखा दिया.
उन्होंने रूम बताया और कहा कि तुम *** हो, इसलिए रूम दे रहा हूं.
मैंने कहा- सर *** में ऐसा क्या है?
उन्होंने कहा- वे दिल के साफ होते हैं और धोखा नहीं देते हैं.
मैंने कहा- हां, ये बात तो है सर.
उनके परिवार में कर्नल साहब उनकी पत्नी, बेटा और उनके बेटे की बहू ही थे.
जब मैंने कमरा लिया था, तब बहू अपने पीहर गई हुई थी.
उनका बेटा पुणे की सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था.
मेरे वहां रहने के दस दिन के बाद उनकी बहू वापस आ गई थी.
उसका नाम विनीता था.
मुझे रहते हुए लगभग 2 महीने हो गए थे.
उस दौरान मेरी कई बार विनीता भाभी से नजर मिली.
वे भी मुझे देख कर हल्के से मुस्करा देती थीं.
मुझे भी पता था कि कहीं ना कहीं मछली फंसने को मचल रही है.
मैं ठहरा गांव का गबरू, बचपन से ही भिन्न भिन्न आकार प्रकार की चूतों का स्वाद लिए बैठा था.
गांव में न जाने कितनी लड़कियों और चाचियों को पनघट पर या जंगल में चोद चुका था.
हां गांव में शादीशुदा जवान भाभी एक भी नहीं मिली थी, जिसे अपने लौड़े के नीचे लेकर पेला हो.
दरअसल *** का गांव था, तो गबरू जवान मर्द अपनी महरारुओं की जम कर लेते थे.
खैर … कर्नल साब की बहू लौड़े की लालसा में मेरी तरफ देखने लगी थी.
धीरे धीरे मैं भी घर के सब लोगों से घुल मिल गया था.
आंटी का नाम कुसुम लता था.
उनको लेकर उनकी ही कार से मार्केट लेकर चले जाना, अब मेरा स्थायी काम हो गया था.
मेरा रुख कुछ ऐसा हो गया था, जैसे मैं कर्नल साब के परिवार का सदस्य ही हूँ.
ऐसे ही एक दिन कर्नल साहब बोले- मुझे ट्रेनिंग देने देहरादून (उत्तराखंड) जाना है. मुझे वहां लगभग 3 महीने तक रहना पड़ेगा, तुम सबका ख्याल रखना.
मैंने कहा- हां जी अंकल क्यों नहीं, आप बेफिक्र रहें.
मैं कर्नल साहब को रेलवे स्टेशन छोड़कर आ गया, कार को कम्पाउन्ड में लगाकर अन्दर आ गया.
मेरा कमरा ऊपर था.
ऊपर छत पर 2 रूम बने हुए थे.
एक में मैं रहता था और एक में पुराना कबाड़ पड़ा हुआ था.
मैंने आवाज लगाई- विनीता भाभी, कार की चाबी कहां रख दूँ?
कोई आवाज नहीं आई.
मुझे लगा कि वे अपने रूम में होंगी, तो मैं उनके रूम में ही चला गया.
जैसे ही मैं अन्दर गया उसी वक्त वह बाथरूम से टॉवल लपेटकर बाहर आई थीं.
मैंने उनको देखा और उन्होंने मुझे!
मेरी नजरें उनके 34 की साइज के मम्मों से ही नहीं हटी.
भाभी का दूध सा गोरा बदन, बड़े बड़े उभार. नजारा देख कर मेरा लंड तो तुरंत दिल्ली की कुतुबमीनार बन गया.
उन्होंने अंगड़ाई लेते हुए कहा- क्या हुआ देव?
वे मुझे इसी नाम से बुलाती थीं.
मैंने कहा- चाबी कहां रख दूँ?
विनीता भाभी ने कहा- जहां रखनी चाहिए, वहीं रख दो ना!
ये कह कर उन्होंने एक कातिलाना अंदाज में मुस्कराहट दे दी.
मेरा मन किया अभी का अभी चाबी डालकर ताले का होल बड़ा कर दूँ.
लेकिन थूक का घूंट निगलते हुए कहा- मुझे नहीं पता कि चाबी कहां रखते हैं. तभी तो आपसे पूछने चला आया.
उन्होंने अपने बाल पीछे करते हुए और छाती को थोड़ा ऊपर करते हुए कहा- इतने भी भोले मत बनो कि चाबी कहां रखते हैं, ये नहीं पता है!
उनके इस अंदाज से मैं सकपकाते हुए बाहर आ गया.
तभी बाहर गेट खुलने की आवाज आई तो देखा कि कुसुमलता आंटी बाहर से अन्दर आ गई थीं.
मैंने उनको चाबी दी और ऊपर अपने कमरे में आ गया.
कमरे में आकर भाभी को याद करके लंड हिलाने लगा.
उस टाइम इतनी उत्तेजना महसूस कर रहा था … और साथ नॉटी भाभी की मादक अंगड़ाई को याद कर रहा था कि बस मुँह आह विनीता भाभी, आह विनीता भाभी एक बार मेरे लंड के नीचे आ जाओ … फिर बताऊंगा कि कहां रखते हैं चाबी और कैसे खोलते हैं ताला!
तभी मैंने महसूस किया कि कोई बाहर खड़ा है.
मैंने सोचा की विनीता भाभी जरूर कपड़े सूखने डालने आई होंगी.
तो मैंने भी थोड़ा आवाज का वोल्यूम बढ़ाकर कहा- आह विनीता भाभी एक बार चाबी तो रखवा लो … तेरी गांड फाड़ दूंगा. आह कितनी सेक्सी हो जानू तुम … एक बार मेरा लौड़ा चूस लो आह विनीता जानू … तुझे अपनी रंडी बना लूंगा … तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा. मुझे अपना कुत्ता बना लो भाभी … कुत्ते की तरह तेरी चूत को चाट चाट कर पूरा पानी पी जाऊंगा.
उसी समय बारी बारी से दो घटनाएं हुईं.
एक तो ये कि मेरे लंड से एक जोरदार पिचकारी निकली और दरवाजे की तरफ जाकर गिरकर नीचे की ओर इकट्ठी हो गई.
दूसरी घटना ये हुई कि उसी समय एक उंगली दरवाजे के नीचे आई और लंड के पानी को उंगली में लेकर वापस चली गई.
अभी मैं कुछ समझ पाता कि भाभी की चटखारा लेने की आह की आवाज आई और उसके बाद भाभी गाना गुनुनाती हुई नीचे चली गईं.
गाना भी साला जूही चावला और अनिल कपूर की फिल्म अंदाज का था.
‘मैं माल गाड़ी तू धक्का लगा.’
मैं समझ गया था कि आग दोनों तरफ लग चुकी है, बस पहल करने वाला जरा हिम्मती होना चाहिए.
उसी शाम को विनीता भाभी छत पर आईं और घूमने लगीं.
मैं भी दरवाजा खोल कर कुर्सी पर बैठकर पढ़ने लगा.
दिन में हुई घटना के कारण मैं थोड़ा शर्मीलापन सा महसूस कर रहा था.
भाभी छत पर घूम घूम कर अपनी गांड और कमर के पूरे दर्शन दे रही थीं.
मैं भी उनको कुत्ते जैसी लार टपकाता हुआअ ताड़ रहा था और बीच बीच मैं पढ़ रहा था.
लेकिन पढ़ने में कहां दिमाग लग रहा था … बस गांड फट रही थी तो कुछ कर ही नहीं पा रहा था.
ऐसे ही दो दिन गुजर गए.
आग दोनों में भड़क चुकी थी लेकिन बोले कौन … मुझे भी डर था कि कहीं मामला नहीं बना तो दिक्कत हो जाएगी.
तभी उस दिन आंटी ऊपर आईं और बोलीं- विनीता को बाजार में कुछ काम है, उसे लेकर चले जाना.
मैंने कहा- हां ठीक है आंटी.
उस दिन भाभी ने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी और काला लोकट ब्लाउज, जिसमें से उनके मम्मे कुछ ज्यादा ही दिख रहे थे.
मैंने कार स्टार्ट की और भाभी आगे की सीट पर बैठ गईं.
तब मैंने मोबाइल कनेक्ट करके गाना लगा दिया. तभी जिस्म-2 का गाना चल गया.
ये जिस्म है तो क्या,
रूह का लिबास है.
ये दर्द है तो क्या
इश्क की तलाश है.
मतलब पूरा गर्म माहौल बन गया था.
तभी अचानक भाभी ने कहा- लगता है चाबी पर जंग लग गया है. उसी कारण आजकल घिसाई चल रही है. जंग लगे पानी को दरवाजे पर डाल रहे हो!
मेरा भी माहौल बन गया था तो मैंने भी कह दिया- लगता है पानी बड़ा टेस्टी था!
तभी विनीता भाभी ने आव देखा ना ताव और मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़कर कहा- इस पानी को मैं पूरी जिंदगी पीना चाहती हूं.
विनीता भाभी का लंड पकड़ते ही मेरे शरीर पर तो जैसे करंट दौड़ गया था.
लंड कुतुबमीनार बन गया.
मैं कार चलाते चलाते एक हाथ से भाभी के बूब्स पर रख कर हौले हौले से दबाने लगा.
तभी भाभी ने मेरी पैंट की चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया. लंड बाहर निकलकर एकदम से खड़ा हो गया.
लौड़ा देखकर विनीता भाभी की आंखें फटी की फटी रह गईं.
वे बोलीं- इतना बड़ा और मोटा … साला बेकार में ही जंग खा रहा है.
मेरा लंड 7 इंच के लगभग लंबा है जो किसी भी भाभी, लड़की औरत की चूत फाड़ने के लिए हमेशा तैयार रहता है.
भाभी ने झुककर लंड मुँह में भर लिया और चटखारा लेकर बोलीं- आह देव कितना तड़पाया है तुमने!
मेरे मुँह से भी स्वत: निकलने लगा- आह विनीता भाभी … क्या लंड चूसती हो … और अन्दर लेकर चूसो ना भाभी … आह विनी आह!
तभी मैंने देखा कि कुछ कार वाले और बाइक वालों को हम नजर आ रहे थे क्योंकि उधर से आने वाली कार और बाइक वालों की नजर अन्दर ही जा रही थी.
मैंने भाभी को उठाते हुए कहा- यार अभी नहीं … हम दोनों रास्ते में हैं. सब देख रहे हैं.
भाभी ने देखा तो बोलीं- हां, ठीक है.
मैंने थोड़ा उठते हुए लंड को एडजस्ट करके अन्दर किया.
भाभी ने अपना हाथ चैन के अन्दर डाल दिया और सहलाने लगीं.
मेरे अन्दर इतनी वासना आ गई थी और भाभी के अन्दर भी आग लगी पड़ी थी.
मैंने पास में ही एक होटल में गाड़ी पार्क कर दी और कहा- इधर रूम ले लेते हैं.
भाभी ने कहा- हां जल्दी से ले लो.
मैंने कहा- आंटी को क्या बोलेंगे?
भाभी बोलीं- उसकी चिंता तुम मत करो.
मैंने कार पार्किंग पर लगा कर एक रूम बुक कर लिया.
रूम के अन्दर आते ही भाभी ने मुझे बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
वे मुझे ऐसे चूमने लगीं, काटने लगीं कि बस खेल शुरू हो गया.
उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार कर मेरे सीने पर घुंडियों को चूसने लगीं, उन्हें दांत से काटने लगीं.
मुझे भी कोई होश नहीं रहा. मुझे लगा कि पता नहीं ये प्यार है या वासना की हवस है … शायद हवस ही थी.
फिर भाभी मेरी गर्दन को चूमने ओर चाटने लगीं.
मैंने भी भाभी के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा, चूसने लगा.
तभी भाभी ने अपनी ब्रा को उतार दिया और बूब्स मेरे मुँह में देने लगीं. मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाने लगीं.
यह सबसे खतरनाक वाला समय होता है जब एक स्त्री आपके सिर पर हाथ घुमाती हुई अपने निप्पलों को चूसने दे, सिर को मम्मों के ऊपर दबाए.
ये पल सबसे अनमोल होते हैं.
ठीक इसी पल मुझे महसूस हुआ कि कहीं ना कहीं भाभी के अन्दर मेरे लिए प्यार भी मौजूद है.
मैंने भाभी को एकदम उठाकर करवट लेकर नीचे कर दिया और किस करते करते बूब्स को चूसने, सहलाने लगा.
हम एक दूसरे की जीभ को ऐसे चाट और चूस रहे थे मानो यही सब कुछ है.
कभी वह अपनी पूरी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल देतीं, तो कभी मैं.
ऐसा लग रहा था कि जीभ एक ही हो.
तभी मैंने भाभी के निप्पल चूसते चूसते हाथ ऊपर किया तो उनकी बगल से पसीने की सुगंध आ रही थी.
मैंने देखा तो हल्के हल्के बाल थे.
तो मैं अपनी जीभ भाभी के बगल में ले जाकर चाटने लगा.
बगल में चाटने से स्त्री को और उन्माद पैदा होता है.
भाभी जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं और बोलीं- आह देव आह … मुझे अपनी रंडी बना लो … अपनी रखैल बना लो … उस मादरचोद भड़वे से तो कुछ नहीं होता.
मतलब जब इंसान सेक्स के चरम पर होता है, तो अपनी सेक्स की सारी सच्चाई बता देता है.
तभी मुझे पता लगा कि विनीता भाभी का पति अभिनव समलैंगिक है और पुणे में ही रहता है. एक लड़के से उसके संबंध हैं और उससे वह अपनी गांड मरवाता है.
उसको जयपुर आए एक साल से ऊपर हो गया था.
विनीता भाभी की जरूरतों के लिए उसने बड़े बड़े डिल्डो और वाइब्रेटर भेज रखे थे.
लेकिन जो मजा लंड से चुदने में आता है, उसका आधे से भी आधा नहीं दे सकते है ये सब.
जो मजा लंड डलवाने में हैं और डालने में हैं, वह किसी भी नकली लंड जैसी चीज में नहीं है.
उन सबसे इंसान शांत तो हो जाता है, पर संतुष्ट नहीं.
मैं विनीता भाभी की दोनों बगल को चाट चाट कर गीला कर चुका था.
तभी विनीता भाभी बोलीं- देव, अब बर्दाश्त नहीं होता. प्लीज, डाल दो ना!
मैंने अपनी जींस को खोल दिया और भाभी ने अपना पेटीकोट.
भाभी बस एक छोटी सी पैंटी में थीं.
तभी मैंने बेड से नीचे उतरकर अपने सारे कपड़े उतार दिए.
अचानक मेरी नजर भाभी के जिस्म पर गई.
एकदम संगमरमर सा बदन, बड़े बड़े और सुडौल स्तन, जो एकदम तने हुए थे. लंबे और गोल गोल सुडौल पैर.
गले से लेकर सारे शरीर में बालों का नामोनिशान भी नहीं था.
मैं उनके ऊपर आ गया और पैरों के अंगूठे से लेकर उनके जिस्म का हर एक कोना चूसा और चाटा.
भाभी की हालत खराब हो गई थी.
वे अब तक झड़ चुकी थीं.
फिर भाभी ने अपनी पैंटी को उतार कर फेंक दिया और दोनों टांगों को ऊंची करके बीच में मुझे दबा लिया.
मैं तुरंत 69 की पोजिशन में आ गया और उनकी चूत चाटने लगा.
भाभी की चूत बहुत गीली हो रही थी.
उसमें से एक बहुत ही भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी.
लगभग वैसी ही जैसी बारिश के समय मिट्टी में से आती है.
मुझे वो खुशबू बहुत अच्छी लगती है.
मैं भाभी की चूत को चूसने लगा.
वे भी मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे एक बच्चा लॉलीपॉप चूस रहा हो.
भाभी लंड चूसने में मुझे कुछ ज्यादा ही अनुभवी लग रही थीं.
मैं उनकी चूत का ऊपर वाला दाना, जो सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है, उसी को मुँह में लेकर अन्दर बाहर कर रहा था.
इससे भाभी की हालत बहुत खराब हो गई थी और उन्होंने फिर से अपना पानी छोड़ दिया था.
मैं सारा का सारा पानी पी गया और चाट चाट कर Xxx चूत को साफ़ कर दिया.
भाभी ने भी मेरे लंड को चाट चाट कर पूरा खड़ा कर दिया था.
वे बोलीं- देव, मैं मर जाऊंगी … साले अब तो डाल दे हरामी.
मैंने भी अब ज्यादा वक्त नहीं करते हुए उनको नीचे लिटा दिया और तकिए को भाभी की गांड के नीचे रखते हुए लंड को पकड़कर भाभी की हॉट चूत पर टिका दिया.
तभी भाभी ने नीचे होकर चूत से लंड को धक्का दिया लेकिन लंड का सुपारा ही थोड़ा सा घुस पाया.
तभी मैंने जोर का झटका दे दिया.
मगर मेरा लंड सिर्फ थोड़ा सा अन्दर गया और भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह फाड़ दिया साले ने … आह निकालो … तुम्हारा बहुत बड़ा है … नहीं जाएगा.
मैंने मन ही मन में बोला कि बड़ा तो नहीं है … बस 7 इंच का है.
शायद भाभी का ही पहली बार इतने बड़े लंड से पाला पड़ा था.
तभी मैंने एक झटका दे दिया और आधा लंड अन्दर चला गया.
भाभी जोर जोर से मेरे मुँह पर थप्पड़ मारने लगीं और गालियां निकालती हुई बोलीं- निकाल मादरचोद … बहन के लौड़े … साले ने फाड़ डाली मेरी चूत!
मैं धीरे धीरे उनके निप्पल को चूसने लगा.
कुछ देर बाद भाभी कुछ नॉर्मल हुईं और मैं धीरे धीरे आधे लंड से ही चोदने लगा.
भाभी जहां कुछ देर पहले लंड बाहर निकालने की बोल रही थीं, वे अभी बोल रही थीं- आह थोड़ा और अन्दर डालो आह देव … आह देव जानू.
मैंने भी सही वक्त समझकर पूरा का पूरा लंड पेल दिया.
भाभी रोने लगीं और फिर से चिल्लाने लगीं.
मैं फिर से भाभी के निप्पल और गर्दन को चूसने लगा.
भाभी की आंखों में आंसू आ गए और कहने लगीं- पूरा गया क्या?
मैंने कहा- हां पूरा चला गया है.
मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा.
ज्यों ज्यों धक्कों की गति बढ़ रही थी, भाभी की कामुक सिसकारियां बढ़ती जा रही थीं.
भाभी गालियों में बात कर रही थीं.
मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था कि भाभी का ऐसा रूप भी हो सकता है.
भाभी लंड की गति के साथ ही अपनी कमर की गति भी लंड की दिशा में कर रही थीं, जिससे चुदाई का मजा दोगुना हो रहा था.
भाभी सिसकारियां लेती हुई बोल रही थीं- मैं रंडी हूं तेरी … कुतिया हूँ तेरी … आह अब रोज ऐसे ही चोदना मुझे भैन के लौड़े … मादरचोद.
मैं भी बोल रहा था- हां मेरी रंडी बहुत गर्मी है ना तुझमें … साली इतने दिन से लंड हिला कर काम चला रहा था. अब देखता हूँ.
भाभी बोलीं- भोसड़ी के तेरे लौड़े में ही दम नहीं था … मैं तो कब से चूत खोलकर तैयार थी.
कुछ देर बाद मैंने भाभी को डॉगी स्टाईल में किया और एक ही झटके में लंड पेल दिया.
वो ‘आह मर गई …’ कह कर लौड़े को गड़प कर गईं.
मैं खतरनाक तरीके से जोर जोर से चोदने लगा.
भाभी की कामुक सिसकारियां माहौल को और भी कामुक बना रही थीं.
मैंने भाभी को लगभग काफी देर तक चोदा और अंत में अपना पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया.
मैं थक कर उनके ऊपर लेट गया.
दोनों थक चुके थे, तो कब नींद आई … पता ही नहीं लगा.
आधा घंटा तक दोनों को कोई होश नहीं रहा.
जब उठे तो भाभी की चूत का भोसड़ा बन चुका था.
हमको लगभग 3 घंटे हो चुके थे.
तभी कुसुमलता आंटी का फोन आया तो भाभी ने कहा- मैं पार्लर आ गई थी वैक्सिंग में टाइम लग रहा है. बस आती हूँ.
यह कह कर भाभी ने फोन काट दिया.
मैंने कहा- अब बताओ क्या करना है? बाजार चलें या घर!
उन्होंने बोला- बाथरूम चलते हैं और उधर थोड़ा मजा करेंगे.
वे मुझे बाथरूम में ले गईं.
हम दोनों नंगे ही बाथरूम में घुस गए और एक दूसरे को अच्छे से नहला कर बाहर आ गए.
उधर चुदाई का मूड बन गया था लेकिन भाभी ने रात को कमरे में आने का कहा.
यह थी बहू की चुदाई की कहानी.
आशा करता हूं आपको हॉट चूत Xxx कहानी अच्छी लगी होगी.
मुझे अपने रिव्यू जरूर भेजें.
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लेखक की पिछली कहानी: कोटा की जवान भाभी मेरे लंड की दीवानी
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