मां और बेटियां चुद गईं मेरे लंड से- 1
(Hot Aunty Chudai Kahani)
हॉट आंटी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने कमरा किराए पर लिया तो वहां की मालकिन ने अपनी लेगिंग में छेद करके मुझे अपनी चूत दिखाकर पटाया और चूत चुदवा ली.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विशाल है.
यह सेक्स कहानी तब की है, जब मैं बी.टेक. के पहले साल में था.
गांव में कॉलेज न होने के कारण मुझे शहर में जाना पड़ा. उधर मैंने एक किराए के मकान की तलाश की.
मुझे जिनका मकान मिला, उस परिवार में चार सदस्य थे. अंकल करीब पचास साल के रहे होंगे.
उनकी बीवी चालीस साल से कुछ ज्यादा रही होंगी … और उनकी दो बेटियां 21 और 23 साल की थीं.
वे दोनों बी.कॉम. कर रही थीं.
उनकी छत पर एक कमरा खाली था, सो वो उन्होंने मुझे किराए पर दे दिया.
मैं एक हफ्ते बाद उस रूम में शिफ्ट हो गया.
घर पर जब पहुंचा, तो देखा कि अंकल गमलों की गुड़ाई कर रहे थे.
उन्होंने मुझे गेट पर देखा और आगे बढ़कर आए.
अंकल- आओ बेटा विशाल, आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई तुम्हें?
मैं- नहीं अंकल, कोई दिक्कत नहीं हुई. सब बढ़िया रहा.
अंकल- चलो फिर तो सही है. मैंने ऊपर वाला कमरा साफ करवा दिया है. जाने से पहले चाय नाश्ता करते जाना.
मैं- अरे नहीं अंकल, मैं बाहर से कर लूँगा.
अंकल- अरे नहीं, तुम इतना लंबा सफ़र तय करके यहां आए हो. चाय और नाश्ता तो करना ही होगा.
मैं- ठीक है अंकल. बहुत बहुत शुक्रिया.
वे मुझे हॉल में ले गए और हम दोनों सोफे पर बैठ गए.
अंकल- अरे ऊषा सुनती हो, देखो हमारे नए किरायदार आए हैं. इनके लिए चाय नाश्ता ले आओ.
थोड़ी देर बाद आंटी चाय नाश्ता लेकर हॉल में आ गईं.
क्या बताऊँ दोस्तों, आंटी क्या लग रही थीं.
ऊषा आंटी बड़े स्तनों और सुडौल गांड वाली महिला थीं.
वे रोज योगा करती थीं, जिसके कारण वो इस उम्र में भी किसी मॉडल से कम नहीं लगती थीं.
उन्होंने उस वक़्त पारदर्शी साड़ी और बड़े गले का ब्लाउज पहन रखा था, जो कि मुझ पर कयामत ढा रहा था.
आंटी- अरे विशाल आ गए तुम. लो ये चाय पी लो और नाश्ता कर लो. तुम्हारे अंकल तो तुम्हारी तारीफ करते नहीं थकते. उन्होंने मुझे बताया कि तुमने इस कॉलेज में दाखिला लेने के लिए कितनी मेहनत की है.
आप सभी को मैं बता दूँ कि जिस कॉलेज में मेरा दाखिला हुआ था, उसमें प्रवेश लेना सबके बस की बात नहीं.
एक सीट के लिए हर साल सौ से ज्यादा आवेदन आते हैं.
शायद यही वजह थी कि अंकल ने मुझे अपने घर का ऊपर वाला कमरा रहने के लिए दिया था.
वे मुझे एक होनहार ओर मेहनती लड़का समझते थे.
होनहार ओर मेहनती तो मैं था, पर साथ ही मुझे चूत चोदने और पॉर्न देखने का भी बड़ा शौक था.
गांव में मैंने काफ़ी सारी औरतों की चूतें ढीली की हैं और काफ़ी लड़कियों की सील तोड़ी है.
मैं- तारीफ़ के लिए शुक्रिया अंकल … और आंटी जी, नाश्ता और चाय एक नंबर बनी है. इस मेहमान नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
अंकल- अरे कोई बात नहीं बेटा. तुम्हें जब भी घर का बना खाना खाना हो, मुझे बोल देना. तुम्हारी आंटी बना देगी, क्यों ऊषा?
आंटी- अरे हां हां … क्यों नहीं.
तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी और दो परी जैसी सुंदर लड़कियों ने घर में प्रवेश किया.
दोनों ने ट्रैक सूट और पैंट पहना हुआ था.
आंटी- अरे मोनिका, टीना आ गयी तुम जॉगिंग करके … देखो ये हमारे नए किराएदार आए हैं. विशाल नाम है. एफ.ई.टी कॉलेज में फर्स्ट इयर इंजीनियरिंग के स्टूडेंट हैं.
टीना- ओह माय गॉड … एफ.ई.टी. कॉलेज? क्या बात है. हाय विशाल, मैं टीना, बी.कॉम. फर्स्ट ईयर में हूँ.
मोनिका- हे हाय विशाल, मैं मोनिका. थर्ड ईयर बी.कॉम. में हूँ.
मैं अपना होश संभालते हुए- हे हाय गाइस … नाइस टू मीट यू.
दोस्तो, पसीने के कारण दोनों बहनों के चूचे ट्रैकसूट में से साफ साफ दिख रहे थे.
खैर … मैंने उनको ज़्यादा देखा नहीं क्योंकि अगर देखता तो मेरी पैंट का तंबू बनना तय था.
मैंने सबको शुक्रिया कहा और अपने कमरे की ओर चल दिया.
ऊपर जाकर सब सैट किया और बाहर घूमने चला गया.
रात को होटल में खाना खाकर घर चल दिया और इस तरह ये दिन बीत गया.
दूसरे दिन सुबह मैं जल्दी उठ गया.
मुँह धोकर मैंने कमरे का गेट खोला तो देखा सामने ऊषा आंटी छत पर योगा कर रही थीं.
मैंने आंटी को गुड मॉर्निंग कहा.
मैं- गुड मॉर्निंग आंटी. आप इतनी सुबह उठ कर योगा करती हो, ये तो बहुत सराहनीय है!
आंटी मुस्कुराती हुई बोलीं- थैंक्स बेटा. तुम भी आ जाओ, मैं तुम्हें भी सिखा देती हूँ. योगा इज गुड फॉर हैल्थ.
मैं- ठीक है आंटी, एक मिनट दीजिए. मैं चेंज करके आता हूँ.
मैं अपने कमरे में गया और ट्रैक पैंट व सूट पहन कर आंटी के पास चला गया.
मैं- आंटी जी मैं रेडी हूँ, अब शुरू करते हैं.
आंटी- ठीक है विशाल. तो पहले सूर्यासन करते हैं.
आंटी ने मुझे डेमो दिया और सूर्यासन के पोज़ में आ गईं.
दोस्तो … जैसे ही वो नीचे झुकीं, उनके दोनों गोल चूचे मेरे सामने थे.
उनके टॉप का गला थोड़ा बड़ा था जिसमें से आंटी के दोनों चूचे साफ साफ दिख रहे थे.
मैंने खुद पर कंट्रोल किया और आंटी को फॉलो करते हुए सूर्यासन को खुद से दोहराने लगा.
फिर हमने अनुलोम विलोम किया … और कुछ देर बाद एक ऐसा योग आसन आया, जिसमें दोनों टांगों को फैलाना था.
इस योगासन का नाम वाइड-लेग्ड फॉर्वर्ड बेंड था.
हमने शुरुआत की.
मैंने उस पोज़ को शुरू किया. आंटी ने भी अपनी टांगें फैलाईं और मेरी टांगों से सटा दीं.
मैं नीचे की ओर देख रहा था, तो मेरी नजर आंटी की चूत की ओर आ गयी, जो कि मेरे बिल्कुल सामने थी.
मैंने गौर से देखा तो पाया कि आंटी की पैंटी में एक छेद बना हुआ था, जिसमें से उनकी गुलाबी चूत दिख रही थी.
मुझे यह भी जान पड़ा कि आंटी ने अन्दर निक्कर नहीं पहनी थी.
शायद आंटी इस बात से बेख़बर थीं कि उनकी पैंटी में एक छेद है, जिसमें से उनकी गुलाबी चूत साफ साफ दिख रही है.
चूत देखते देखते कब मेरा लंड खड़ा हो गया, पता ही नहीं चला.
मेरा लंड बिल्कुल आंटी के सामने सलामी दे रहा था, जिसको आंटी ने देख लिया.
वो मुझसे बोलीं- बेटा विशाल, कैसा लग रहा है?
मैं- बहुत बढ़िया आंटी.
आंटी मुस्कुराती हुई- ग्रेट बेटा … आज इतना ही. कल फिर से नया पोज़ सिखाऊंगी.
मैं उनकी चूत की ओर देखे जा रहा था. इस बात से बेख़बर कि वो कुछ कह रही हैं.
जैसे ही उन्होंने मेरी नजरों को देखा कि मैं उनकी चूत की ओर देख रहा हूँ, उन्होंने झट से अपने पैंटी को देखा, जिसमें से उनकी गुलाबी चूत दिख रही थी.
उन्होंने झट से अपनी चूत को हाथ से ढका और शर्माने लगीं.
मेरा तो खुद पर काबू खो चुका था. मैंने झट से आंटी को पकड़ा और उनके चूचे दबाने लगा.
आंटी- आह बेटा … एक मिनट रुको तो … पहले अन्दर कमरे में चलो. यहां कोई देख लेगा.
हॉट आंटी चुदाई के लिए तैयार थी … यह सुनते ही जैसे में सातवें आसमान पर पहुंच गया.
मैंने झट से आंटी का हाथ पकड़ा और उन्हें लगभग घसीटता हुआ अपने कमरे में ले गया.
आपको मैं यहाँ बता दूँ कि मैं अपने साथ एक कॉन्डोम का डिब्बा हमेशा रखता हूँ. चूत कब और कहां मिल जाए, इसका कोई भरोसा नहीं.
कमरे के अन्दर आते ही मैंने कुण्डी लगा दी और आंटी को दबोच कर बेड पर लेटा दिया.
मैंने झट से उनकी पैंटी नीचे खींच ली और उनकी रसीली गुलाबी चूत मेरे सामने थी, मैंने उसको चाटना शुरू कर दिया.
आंटी- ओह मर गयी, फक फक … आह सक इट बेटा … आह धीरे से बेटा विशाल … ऊँह … मैं कहीं भागी नहीं जा रही … आह चाट लो मेरी चूत को आह और अपना बाद लौड़ा भी मुझे दिखाओ बेटा आह फक मी विशाल बेटा. आह चाट ले मेरी गुलाबी रसीली चूत को. पी जा इसका मीठा पानी!
मैं- साली रंडी, आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा. तेरी इस गुलाबी चूत को मसल कर रख दूँगा. तेरी गांड भी मार दूँगा कुतिया आह. तुझ पर तो पहले से ही मेरी नजर थी आह साली आंटी.
आंटी- आह मेरी जान, मैं तो पहली ही नजर में तुझ पर मर मिटी थी … आह बना दे मेरी चूत का भोसड़ा. ये चूत अब बस तुम्हारी है. मैं तो तुम्हारे लौड़े से कबसे चुदवाना चाहती थी. मैंने ही आज बिना पैंटी के योगा करने की सोची और पैंटी में छेद भी मैंने ही बनाया था. चाट ले अपनी आंटी की चूत बेटा … चोद दे इसको … आह बहुत दिनों से प्यासी है ये छम्मक छल्लो.
मैं लगभग 15 मिनट तक चूत को पागलों की तरह चूसता रहा, जिसके कारण आंटी झड़ गईं.
आंटी- ऊई माँ आह … पी जा बेटे इस पानी को.
दोस्तो, क्या मीठा और मदहोश कर देने वाला रस था आंटी की चूत का … क्या बताऊँ … मैंने आंटी की चूत से निकला एक एक बूँद को गटक लिया.
अब मैं आंटी से हटा और बक्से से कॉन्डोम का पैकेट निकाला.
आंटी- ओ हो लगता है पूरी तैयारी के साथ आए हो … लगता है तुमको भी मेरी चूत जल्द से जल्द मारनी थी!
मैं मुस्कुराते हुए बोला- हां जानेमन, मैं बताया ना कि जब पहली बार देखा था तभी मन बना लिया था कि आपको तो पेलना ही है. कल जब मैं नाश्ता कर रहा था, तभी आपके दूध देख कर मन बना लिया था कि आपको बजाना है. इसी लिए कल बाहर से कॉन्डोम का पैकेट खरीद लाया था.
आंटी- तो देर किस बात की है मेरी जान … आ जा और बजा दे बाजा आज अपनी आंटी की चूत को … बना दे इसका भोसड़ा.
आंटी ने कॉन्डोम का रैपर खोला और अपने हाथ से कॉन्डोम को मेरे लंड पर चढ़ा दिया.
वो लंड चूसने लगीं.
दस मिनट की चुसाई के बाद लंड गीला हो चुका था.
मैंने आंटी की टांगों को नीचे खींचा और लंड को उनकी चूत पर टिका दिया.
मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा आधा लंड आंटी की चूत में घुसता चला गया.
उनकी चूत बहुत गर्म थी, मानो जैसे आग की भट्टी हो.
आंटी- ऊई मां मर गयी रे … निकाल इसको बाहर बेटा.
मैंने आंटी की एक ना सुनी और दूसरा धक्का दे दिया जिससे पूरा लंड आंटी की चूत में जा पहुंचा.
मुझे पता था कि आंटी फिर से चीखने वाली हैं तो मैंने धक्का देते ही उनको चूम लिया और चूसना चालू कर दिया.
मैंने अब अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी थी.
आंटी को भी अब मज़ा आने लगा था.
मैं- चलो आंटी, घोड़ी बन जाओ.
आंटी- जो हुकुम मेरी जान. ले बन गयी मैं घोड़ी … चोद दे मुझे अब. डाल दे अपना मूसल मेरी इस गुलाबी चूत में.
मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और आंटी की गुलाबी चूत को पेलना शुरू कर दिया.
आंटी हाँफती हुई कहने लगीं- आह चोद साले कुत्ते … चोद दे मुझे … बना दे इस चूत का भोसड़ा.
मैंने आंटी को तरह तरह की पोजीशन में चोदा और आखिरकार मैं चरम सीमा तक पहुंच गया.
झट से मैंने अपने लंड से कॉन्डोम निकाल दिया और लंड को आंटी के मुँह में दे दिया.
मेरा सारा का सारा माल आंटी ने एक ही बार में गटक लिया.
आंटी माल को गटकती हुई बोलीं- हॅम … इट्स सो यम्मी बेटा.
मैंने आंटी की गांड पर ज़ोर से तमाचा मारा और बाथरूम में चला गया. वो भी मेरे साथ आ गईं और हम दोनों ने अपने आपको साफ कर लिया.
आंटी- बेटा, आज जो तूने मुझे जो सुख दिया है, वो आज तक किसी ने नहीं दिया. तेरा लंड आज तक के मेरे लिए हुए लंडों में सबसे बड़ा और मजबूत लंड है. आज से तू नाश्ता नीचे हमारे साथ ही करेगा. सुबह नौ बजे तेरे अंकल ऑफिस चले जाते हैं, उसके बाद मेरी तुम जब चाहे जम कर चुदाई करना.
मैंने भी हां में जवाब दिया.
कुछ दिनों तक मैं आंटी की चूत जम कर बजाता रहा.
अंकल चले जाते, मोनिका और टीना बाहर वॉकिंग के लिए जाती थीं, उस दौरान मैं और आंटी बिंदास चोदम चोदी करते थे.
पर एक दिन कहानी बदल गयी.
मुझे और आंटी को उनकी बड़ी बेटी मोनिका ने चुदाई करते देख लिया.
बात कुछ यूं हुई कि इस बार आंटी ने मेनगेट को बंद करना भूल गईं और मोनिका बिना डोरबेल बजाए अन्दर आ गयी.
उसने कमरे के अन्दर देखा कि कैसे मैं उसकी मम्मी की चूत बजा रहा हूँ.
मैंने उसको देखा तो शॉक हो गया.
आंटी का मुँह मेरी तरफ था तो वो मस्त होकर चुदाई करवा रही थीं. वो इस बात से बेख़बर थीं कि उनकी बड़ी बेटी दरवाजे से उनकी चुदाई देख रही है.
मैंने मोनिका की आंखों में देखा और उसको चुप रहने का इशारा किया.
मगर मोनिका तो पूरी की पूरी शॉक में थी.
मेरी भी फटी पड़ी थी.
अपनी मॉम की चुदाई देखने के बाद मोनिका का क्या रिएक्शन था, वो मैं अगले भाग में बताऊँगा.
दोस्तो, अभी तक की यह हॉट आंटी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, ज़रूर बताइएगा. इससे मुझे आगे का भाग लिखने में प्रेरणा मिलेगी.
धन्यवाद.
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हॉट आंटी चुदाई कहानी का अगला भाग: मां और बेटियां चुद गईं मेरे लंड से- 1
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