पड़ोसन आंटी की गांड मारी तेल लगा के

(Hard Gand Sex Kahani)

अक्ष सिंह 2024-02-01 Comments

हार्ड गांड सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने पड़ोस में रहने वाली आंटी की चूत दबा के मार ली तो चूत में दर्द होने लगा. तब मैंने आंटी की गांड मारने की सोची. वे मना करने लगी पर …

दोस्तो, मेरी पिछली कहानी
पड़ोसन भाभी की भूख और मेरे लौड़े की प्यास
में आपने मेरी और मेरी पड़ोसन शिखा आंटी की पहली चुदाई के बारे में जाना.

अब आगे की हार्ड गांड सेक्स कहानी का मजा लें.

हमारी पहली चुदाई के बाद हम बैठ कर बातें करने लगे थे.

शिखा- तो तुमने इससे पहले किस किसको चोदा है?
मैं- मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को एक बार चोदा है लेकिन मुझे उसे चोदने में ज्यादा मजा नहीं आया क्योंकि उसे बहुत दर्द हुआ. फिर मुझे मुठ मार कर अपने आपको शांत करना पड़ा.

शिखा- मेरा पति भी मुझे कभी ठीक से चोद नहीं पाया और मेरी बेटी भी ऑपरेशन से ही हुई है. तो मेरी चूत अभी कुंवारी जैसी ही है. लेकिन आज तुमने मुझे चुदाई का असली मजा दिया है. अब मैं तुम्हारी पर्सनल रखैल बन कर रहूंगी.
मैं- अरे आप तो मेरी रानी हैं और हमेशा मेरे लौड़े को खुश रखने वाली रांड बन कर रहेंगी.

हमारी बातें अभी चालू ही थीं कि तभी उनकी बेटी रोने लगी.
वे उसे गोद में लेकर उसे दूध पिलाने लगीं.

उनका एक थन उनकी बेटी चूस रही थी.
यह देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं उनका दूसरा थन चूसने लगा.
साथ ही मैं अपनी एक उंगली से उनकी चूत के दाने को भी कुरेदने लगा.

आंटी के मुँह से ‘आह्हह आआह्ह मम्मी ईई आह्हह ओओह … बसस्स आंह्ह … रुको ना…’ जैसी आवाजें निकलने लगीं.
पर मैं नहीं रुका.

वे जल्दी ही बहुत गर्म हो गईं और उन्होंने अपनी बेटी को गोद से उतार कर बिस्तर पर लेटा दिया.

फिर वे उसके ऊपर घोड़ी जैसे झुक कर उसे दूध पिलाने लगीं.
आंटी ने मुझसे कहा- अब सही आसन बन गया है. तुम मुझे चोद दो.

मैं उनके मुँह के पास आकर अपना लंड उनके होंठों पर छुलाने लगा.
वे मेरा इशारा समझ गईं और उन्होंने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया.

क्या मस्त नजारा था.
बेटी मां का थन चूस रही थी और मां मेरा लौड़ा चूस रही थी!

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनके मुँह से लौड़ा निकाल कर चूत के पास आ गया.

वैसे तो मैंने अभी बस उनको एक ही बार चोदा था इसलिए उनकी चूत अभी भी कसी हुई थी.
फिर भी मैंने उनकी चूत को अपनी दो उंगलियों से खोल कर उसमें अपना लौड़ा फिट कर दिया.

उन्होंने मुझसे कहा- आराम से डालना.

पर मुझे औरतों को दर्द देने में मजा आता है.
मैंने उनकी कमर को पकड़ कर हल्का सा धक्का लगाया और मेरा सुपारा उनकी चूत में घुस गया.

उनके मुँह से ‘आह्हह आआह्ह मम्मीईई आह्हह ओओह … बसस्स आंह्ह मम्मीई ईईइ ईईई मर गई …’ की आवाज निकल गई.
मैंने उनकी कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लौड़ा उनकी चूत में जड़ तक समा गया.

इस हमले को वे झेल नहीं पाईं और बिस्तर पर गिर गईं.
उनकी बेटी उनके नीचे दब गई.

आंटी दर्द से तड़फ उठीं- मम्मीई ईईइ मर गई … आआह बचा लो आआह मैं मर जाऊंगी आह निकाल लोओ … आह मेरी फट गई आंह!

उनकी इन आवाजों से मुझे खुशी मिल रही थी और मेरा लौड़ा उनकी चूत में घुसा रहा.
थोड़ी देर बाद वे उठीं और आंखों में आंसू लिए फिर से घोड़ी बन गईं.

मैंने उनसे माफी मांगी और अपनी चुदाई चालू कर दी.

थोड़ी देर बाद उन्हें भी मजा आने लगा.
नीचे उनकी बेटी उनका दूध पी रही थी और पीछे मैं उनकी चूत मार रहा था.

उनके मुँह से धीमी आवाज निकल रही थी- आह्हह आआह्ह मम्मीईई आह्हह ओओह … बसस्स आंह्ह!
इस दोहरे मजा को वह ज्यादा देर झेल नहीं पाईं और झड़ गईं.

अब उनकी बेटी भी सो चुकी थी तो वे उससे अलग होकर बिस्तर पर सीधी लेट गईं.

मैं भी उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनकी चूत में लंड सैट करके चुदाई करने लगा.

वे भी ‘आआहा आह …’ की मादक आवाजें निकालती हुई मेरा साथ देने लगीं.

थोड़ी देर बाद मैं उनके नीचे आ गया और वे मेरे लौड़े पर बैठ कर लंड की सवारी करने लगीं.

मैंने उन्हें झुका कर उनका एक दूध अपने मुँह में ले लिया.
उनका दूध कुछ ज्यादा ही निकलता था और काफी मीठा था.

इसी तरह करीब एक घंटा तक मैंने उन्हें अलग अलग आसान में जबरदस्त चोदा.

वे भी इस चुदाई में कई बार झड़ीं.

इसके बाद हम दोनों में ही ताकत नहीं बची थीं तो हम दोनों थक कर पसीने से सराबोर होकर वहीं सो गए.

करीब दो घंटे बाद मेरी नींद खुली.

मैंने देखा कि आंटी टांगें खोल कर सो रही थीं, उनकी चूत सूज कर कचौड़ी सी दिख रही थी.

उनकी डबल रोटी जैसी सूजी चूत देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लौड़ा फिट करके उनकी चूत की गहराई में उतार दिया.

इस अचानक हुए हमले से उनकी नींद टूट गई और उनके मुँह से एक तेज स्वर में शोर निकला- आआह बचा लो … आआह मैं मर जाऊंगी आह निकाल लो..ओ आह मेरी फट गई आंह … कैसा जालिम है आह आह आआह्ह मम्मीईई ऊफ्फ!

वह मना करती रहीं मगर मैंने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें काफी देर तक लगातार चोदा.
उनकी चूत से रस और मेरा वीर्य मिक्स होकर निकलने लगा.

उनसे उठा भी नहीं जा रहा था.
मैं ही उन्हें उठा कर बाथरूम में लेकर गया और उन्हें गर्म पानी से नहलाया.

उनकी चूत की सिकाई की, फिर उन्हें लाकर बिस्तर पर लिटाया.

मैंने उनसे पूछा कि आप क्या खाएंगी?
उन्होंने कहा- जो भी मंगवाना चाहो.

मैंने बाहर से खाना ऑर्डर कर दिया.
तब तक मैंने अपने घर पर भी बात कर ली और उन्होंने भी अपने पति से बात की.

फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया.
उसके बाद मैंने टीवी पर एक रोमांटिक पिक्चर लगा दी.

हम दोनों इस पूरे टाइम नंगे ही थे.

कुछ देर बाद उन्होंने अपनी बेटी को दूध पिलाया और सुला दिया.
मैं उन्हें बेडरूम में ले जाने लगा.

उन्होंने कहा- मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है और आज रात चूत नहीं चुदवा पाऊंगी.
मैंने उनसे कहा- आप आओ तो सही, मैं आपकी सिकाई कर देता हूँ और आप बेफिक्र रहें. मैं आज आपकी चूत नहीं चोदूंगा.

जब मैं यह कह रहा था, तब मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था.

उधर बाथरूम में ही एक सरसों के तेल की शीशी रखी थी, जिसमें दबाने से एक पतली धार से तेल बाहर आता था. उसे देख कर मेरी आंखें चमकने लगीं.

मैं उन्हें बेडरूम में लेकर गया और उनकी चूत की सिकाई करने लगा.
मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उनकी चूत में देकर उनके जी प्वाइंट को कुरेदने लगा.

उनके दूध मसलने और पीने लगा.
ऐसे ही मैं धीरे धीरे उन्हें गर्म करने लगा.

फिर मैंने उन्हें उल्टा कर दिया और उनकी पीठ चूमने लगा.
ऐसे ही मैं उनके ऊपर लेट गया.

अब वह मेरे नीचे औंधी लेटी हुई थीं और मैं उनकी गर्दन चूमने लगा.

कुछ देर बाद मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और उनकी गांड की दरार में उंगली को लगा कर उस भाग को सहलाने लगा.
जब उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मैं उनकी गांड में उंगली करने लगा.

उन्हें समझ आ गया कि मैं क्या करना चाहता हूँ.
वह मना करने लगीं कि जब आगे इतना दर्द हुआ तो पीछे तो मैं सहन ही नहीं कर पाऊंगी.

मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें समझाया कि चूत से ज्यादा गांड चुदाई में मजा आता है.
बड़ी मिन्नतों के बाद वह मानी.

उन्होंने मुझसे कहा कि अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं नहीं करूँगी.
मैंने उनकी बात मान ली और फिर से उन्हें गर्म करने लगा.

तब मैंने उनसे गांड की दरार खोलने को कहा.

उन्होंने अपने दोनों हाथों से चूतड़ों को फैलाया और मुझे उनकी गांड का गुलाबी छेद दिखने लगा.

मैंने उस छेद पर पहले अपना थूक गिराया और एक उंगली से गांड को खोला.
उन्हें अच्छा लगने लगा. मैंने इस बार तेल की शीशी का मुँह उनकी गांड के छेद में किया और शीशी दबा दी.

काफी सारा तेल उनकी गांड में चला गया. अब मैं अपना लौड़ा सैट करके उनके ऊपर लेट गया.

मैंने उनसे पूछा कि डालूं?
तो उन्होंने हां कह दिया.

मैंने कहा- जरा गांड को ढीली किए रहना.
उन्होंने अपनी गांड को ढील दी और उसी समय मैंने थोड़ा सा जोर लगा दिया.

तेल की वजह से मेरा सुपारा गांड के पहले छल्ले के अन्दर फंस गया.

उनके मुँह से ‘उन्ह आआह आह दर्द हो रहा है … आह निकाल लो मैं मर जाऊंगी आह निकाल लोओ … आह मेरी फट जाएगी … आंह.’ की आवाजें निकालने लगीं.
मैंने झट से शीशी का मुँह लंड और गांड के जोड़ पर लगा दिया और तेल टपकाने लगा.

आंटी की गांड इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा सुपाड़ा छिल गया था और मुझे तेज जलन सी हो रही थी.
मैं थोड़ी देर रुक गया.

थोड़ी देर बाद जब वे थोड़ी सामान्य हुईं, तो उन्होंने मुझसे धीरे धीरे करने को कहा.
पर मैंने एक जोर का शॉट मारा और मेरा पूरा लौड़ा उनकी गांड में जड़ तक घुसता चला गया.

उनकी आंखें लाल हो गईं और वे लगभग बेहोश हो गईं.
मगर मैंने कोई दया नहीं दिखाई और अपना लौड़ा आधा बाहर निकाल कर फिर से उसे अन्दर ठूंस दिया. साथ ही तेल की शीशी से तेल टपकाता गया.

इस बार के दर्द की वजह से उनमें थोड़ी हलचल हुई और वे सुबकने लगीं.
मगर तेल ने गजब का काम किया था तो उन्हें लंड की मोटाई से मीठा मजा भी आने लगा था.

हालांकि आंटी मुझसे तेज स्वर में बोलीं- अपना लंड बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी … आ आहा आह आह्ह मम्मीई उफ्फ.
मगर मैं लंड को यूं ही गांड में हिलाते हुए उसे सैट करने लगा और तेल की चिकनाई भरने लगा.

फिर थोड़ी देर बाद वह जब सामान्य हुईं तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.

उन्हें हार्ड गांड सेक्स में अब भी दर्द हो रहा था, पर वह मेरा साथ देती रहीं.
उनकी गांड के कसाव को मेरा लौड़ा झेल नहीं पाया और मैं कुछ ही मिनट में ही झड़ गया.

जब मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो मेरा वीर्य और खून उनकी गांड से रिसने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं उन्हें बाथरूम लेकर गया क्योंकि उनसे तो उठा भी नहीं जा रहा था.
फिर हम दोनों सो गए.

उस रात मैंने एक बार और उनके साथ हार्ड गांड सेक्स किया.
दूसरे दिन से हमारे बीच चुदाई का वह खेल शुरू हुआ कि अगले तीन दिनों तक नहीं रुका.

उन 4 दिन हम दोनों ने कोई कपड़ा नहीं पहना. लगभग घर के हर हिस्से में चुदाई की, चाहे वह बाथरूम हो या किचन.

हम दोनों में से किसी को याद नहीं कि हमने कितनी बार चुदाई की.

उसके बाद मैं अपने घर आ गया और उनके भी पति आ गए.
मगर मुझे जब भी मौका मिलता, मैं उनकी चूत और गांड चोद देता हूँ.

अब तो वे भी चूत और गांड चुदाई में एक नम्बर की रंडी बन गई हैं. वे भी हर समय लौड़ा लेने के लिए बेताब रहती हैं.
हमारा ये चुदाई का सिलसिला आज भी चल रहा है. पर अब मुझे उनमें ज्यादा मजा नहीं आता.

अब मैं कोई नई माल ढूंढ रहा हूँ. जब नई चुत मिलेगी तो उसकी चुदाई की कहानी बाद में लिखूंगा.

यह हार्ड गांड सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
धन्यवाद.
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