प्रेम की रसधार में चूत चुदाई का मजा- 3
(Girlfriend Ready For Sex Play)
गर्लफ्रेंड सेक्स प्ले के लिए तैयार थी लेकिन हमें मौक़ा नहीं मिल रहा था. एक बार उसके घर वाले सब बाहर गए तो उसने मुझे अपने घर बुला लिया. तब हमने क्या कौतुक किये?
दोस्तो,
कहानी के पिछले भाग
विवाहिता प्रेमिका से पहली मुलाक़ात
में अब तक आपने पढ़ा था कि अश्लेषा से मैं उससे फोन पर बात करके घर आया था और उसके साथ हुई सेक्सी चैट से मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था. जिस वजह से मैंने अपने बाथरूम में आकर मुठ मारी, तब जाकर कुछ चैन मिला था.
अब आगे गर्लफ्रेंड संग सेक्स प्ले:
अब हम अच्छे दोस्त से एक कदम आगे आ गए थे.
अक्सर बातें करना, मिलने के बहाने ढूंढना. कभी उसने कुछ खास बनाया, कभी मैंने उसके लिए कुछ लिया या कभी बस हग करने के लिए मिल लेते.
पर चुदाई का कार्यक्रम सैट नहीं हो रहा था.
हम शायद बाकी कपल्स से कुछ अलग थे … या ये कहो कि मैं कैसे भी किसी भी हालत में उससे ऐसी परिस्थिति में नहीं डालना चाहता था कि उसको मेरे साथ रहने या प्यार किया, उस पर दुःख या पछतावा हो.
उसने कभी कोई फोटो या वीडियो कॉल किया तो मैंने कभी सेव नहीं किया.
कई बार तो मैंने उससे ही कहा कि डिलीट कर दो.
उसने कभी कभी बाथरूम से कॉल किया.
पर मैंने उसे समझाया कि ये सब नहीं करो. कभी प्रवीण ने नोटिस किया या कुछ भी ऐसा हो जाए, जो तुम्हारे घर और इज्जत पर बन जाए, ऐसा नहीं करना है.
हमारा रिश्ता बहुत अच्छा चल रहा था.
बस हम दोनों किस के आगे नहीं जा पा रहे थे.
हम दोनों अक्सर कार में मिलते थे.
मैं बैठता था, वह चलाती थी.
उसी दौरान कभी उसके बालों को, कानों पर किस करता, तो कभी गर्दन को सहलाता.
जब भी किस करने के लिए हमारे होंठ मिलते, तो दस मिनट से पहले तो अलग ही नहीं होते.
उसके होंठों को चूसना, गर्दन पर किस करना, प्यार जताना, उसके मुलायम और गोल चूचों को दबाना.
बस अभी तक इतना ही हो पाता था.
मैं कभी भी बाहर खुले में उसको कपड़े उतारने के लिए नहीं कहता था.
न ही चूचों को चूसने की जिद करता या चूत में उंगली करता था, बस ऊपर से सहला देता था.
क्योंकि सच में मुझे कोई देखे या उसके लिए गलत सोचे, ये सब बहुत ध्यान में रहता था.
हम फ़ोन पर एक दूसरे को छेड़ते, प्यार करते और कहते कि कब मौका मिलेगा कि हम खुल कर प्यार करें.
क्योंकि उसकी सासु माँ उसके साथ ही रहती थीं, इसलिए हम मिल नहीं पा रहे थे.
मेरी वाइफ का भी दिल्ली जाने का कोई प्लान नहीं हो रहा था, न ही कहीं बाहर कि मेरे घर ही कोई प्लान कर लें.
सच कहूँ तो मुझे यूं किसी होटल में जाना बिल्कुल पसंद नहीं, ऐसी जगह जाओ तो देखने वाला लड़की को जिस निगाह से देखता है … वह मुझे सच में बिल्कुल पसंद नहीं.
इसलिए बस मन मार कर कभी कभी गाड़ी में मिल लेते, किस करते और प्यास को और बढ़ा कर वापस अपने अपने घर चले आते.
एक दिन हम मूवी देखने गए.
हम एकदम चिपक कर बैठे थे.
चादर लिए एक दूसरे से ऐसे सिमट कर ऐसे बैठे थे कि दो नहीं, एक ही हों.
मैंने उसकी गर्दन पर हाथ से सहलाना शुरू किया तो उसने आंखें बंद कर लीं.
गर्दन से सहलाता हुआ मेरा हाथ उसकी कमर पर आ गया.
कमर से मैंने हाथ टी-शर्ट के अन्दर डाला तो उसने खुद को ऐसे कर लिया कि मैं आसानी से उसके चूचे छू सकूं.
अब मेरे हाथ उसके चूचों पर आ गया था.
उसकी सांसें तेज़ हो गयी थीं.
उस थिएटर में ज्यादा लोग नहीं थे, जो थे … वह भी हमारे जैसे ही थे.
इस वजह से आज कोई परेशानी नहीं थी.
अंधेरे में उसका चमकता बदन मुझे आमंत्रित कर रहा था.
मैं अपनी उंगलियों को उसके निप्पलों पर घुमा रहा था.
मेरी उंगली कार के वाइपर की तरह उसके चूचियों की कड़क घुंडियों पर आ जा रही थीं.
हर बार जब मैं उन पर दबाव डालता, वह मेरे और करीब आ जाती.
मैं बीच बीच में उन निप्पलों को उंगलियों के बीच जैसे सिगरेट पकड़ते हैं, वैसे दबा देता.
उसके मुँह से अहहह निकल जाती.
उसकी अह्ह्ह इतनी धीमी निकलती थी कि बस मैं सुन पा रहा था.
मेरा हाथ कभी इस चूची को, तो कभी उस चूची को दबाता, निप्पल को रगड़ता.
लगभग एक घंटे मैं मैंने उसके पेट छाती की हर जगह को इतने प्यार से सहलाया कि उसकी हालत ख़राब हो गयी थी.
उसने खुद को मेरी बांहों में ढीला छोड़ दिया था.
वह कभी अपनी जांघों के बीच में अपनी चूत को दबा लेती तो कभी खुद उसको सहलाने लगती.
फिर जैसे ही लगा कि इंटरवल आने वाला है तो मैंने उसको कपड़े ठीक करने को कहा.
लाइट जलने से पहले हम अच्छे से बैठ गए थे.
इंटरवल मैं हमने सैंडविच के साथ कॉफ़ी लेने का मन बनाया. बाहर गए और एक पॉपकॉर्न लेकर वापस अपनी सीट पर आ गए.
वह बाथरूम फ्रेश होने गयी.
वापस आयी तो लगा कि उसकी पैन्ट पर चूत के पास गीला है.
मैंने पूछा- क्या हुआ, पीरियड्स शुरू हुए क्या?
वह बोली- नहीं नहीं क्यों … स्टैन आ गया क्या … अभी तो डेट्स मैं टाइम है … बताओ न क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ स्टैन नहीं, शायद पानी लगा हो!
वह धीरे से मेरे कान में बोली कि पिछले एक घंटे से जो तुम परेशान कर रहे हो न, उसके कारण से हुआ.
मैंने कहा- ओह्ह परेशान … तब तो सॉरी. अब नहीं करूँगा.
हम दोनों हँसते हुए अपनी सीट पर वापस आ गए.
कुछ देर में कॉफी और सैंडविच आ गया तो हम दोनों ने सैंडविच खाया, कॉफ़ी पी और पहले की ही तरह चिपक कर बैठ गए.
अब मैंने हाथ तो वैसे ही रखा था, पर परेशान नहीं कर रहा था.
उसने खुद मेरा हाथ अपनी टी-शर्ट के अन्दर कर दिया, बोली- ठण्ड में तुम्हारा गर्म हाथ अच्छा लग रहा है, अन्दर ही रखे रहो.
अब मेरे दोनों हाथ उसके चूचों पर और उसकी कमर के आस-पास घूम रहे थे.
कभी उसकी पैन्ट्स की इलास्टिक के अन्दर उंगली ले जाकर उसकी चूत के ऊपर के भाग को सहला देता तो कभी पैन्ट्स के ऊपर से ही उसकी जांघों को.
वह बस आंखें बंद करके इस पूरे खेल का आनन्द उठा रही थी.
इस बार उसने अपनी टांगों को थोड़ा फैला कर मेरे हाथ को चूत तक जाने के लिए रास्ता दे दिया.
वह पल और उसका चेहरा … आह मुझे तो लगा कि मेरा लंड बिना छुए ही झड़ जाएगा.
वह इतनी खूबसूरत और मादक जो लग रही थी.
मैंने अपने हाथ को उसकी पैंटी में डाला और पूरी हथेली से उसकी चूत सहलाने लगा.
मेरा हाथ उंगलियों के सिरे से लेकर कलाई तक उसकी चूत को सहला रहा था.
इतना धीमा और दबाव … ऐसा कि हर बार जब उंगलियों से कलाई तक … और कलाई से वापस उंगलियों तक आता जाता, तो वह अपनी चूत को पूरा ऊपर उठाकर मेरे हाथ से दबाव पर अपना घर्षण बढ़ा देती.
अब उसकी कमर धीमे धीमे मेरे हाथ का साथ दे रही थी.
मैंने हाथ को रोका और तीन उंगलियों को उसकी चूत के दाने के ऊपर ऐसे सैट किया कि उसकी हालत ख़राब हो गई.
जितना धीमे मैं उसके दाने को मसलता, वह उतना ज्यादा दबाव बढ़ा कर मेरा साथ देने लगती.
उसके चेहरे का भाव कुछ ऐसा था कि मैं और जीना चाहती हूँ. उसका ये भाव मुझे उसको पूरा ठंडा करने के लिए और ज्यादा लालायित कर रहा था.
मैंने दो उंगलियों से उसके दाने को सहलाया और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.
वह सिसकार उठी.
उसने अपनी दोनों टांगें कस कर दबा लीं.
मैंने हाथ नहीं हटाया और आगे पीछे करने लगा.
जैसे मेरी उंगली अन्दर जाती, वह कमर उठा कर अपनी चूत को चोदने में मेरा साथ देती.
मैं भी उसकी स्पीड के साथ अपना हाथ चलाता रहा.
फिर अचानक से उसने मुझे कसके पकड़ लिया, उसका शरीर जैसे अकड़ने लगा.
वह ‘आह आह गई …’ की आवाज़ के साथ सिकुड़ सी गयी.
उसने अपना चेहरा मेरे अन्दर छुपा लिया.
उसने मुझे थैंक्यू कहा और मेरी गर्दन पर एक लम्बा सा किस किया.
फिर वह मुझसे लिपट गयी.
मैं हमेशा सोचता था कि ये सोफे, जिस पर लेट कर हम लोग फिल्म देखते हैं, उन पर लेटने कौन जाता होगा, पर आज समझ आया कि सच में काम की जगह थी.
उसने मुझसे पूछा- क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ करूं?
मैंने कहा- मेरे लिए तुम्हें खुश देखना मेरी जरूरत से ज्यादा है.
उसने ख़ुशी से मुझे वापस चूम लिया और कहा- एक गुड न्यूज़ है. रात को मैसेज करोगे, तब बताऊंगी.
मैंने बहुत पूछा.
पर उसने कहा- रात को!
उसने कहा- हां और अब उसे सरप्राइज़ ही रहने देना प्लीज.
मैं चुप रहा.
फिर मूवी पूरी होने तक उसने मुझे कई बार चूमा. हमने एक बार लंबा सा स्मूच भी किया.
मूवी क्या थी, उसमें कौन कौन कलाकार था, ये पता तो था.
पर कब क्या हुआ … उसका कुछ पता नहीं.
हमने शायद एक सीन भी ठीक से नहीं देखा.
आज वह ज्यादा प्यार कर रही थी.
उसने मुझे आज एक काले रंग का शर्ट उपहार में दिया.
मैंने बहुत मना किया पर उसने बहुत जिद की और कहा- ये जब हम दोबारा मिलेंगे, तब पहनना.
उसको मैंने उसकी गाड़ी के पास छोड़ा और वह अपनी गाड़ी लेकर घर चली गयी.
मैं ऑफिस की तरफ.
उसको कह तो दिया कि तेरी ख़ुशी के आगे मेरी जरूरत कुछ नहीं, पर अभी कण्ट्रोल और मन दोनों नहीं मान रहे थे.
मैं ऑफिस के टॉयलेट में जाकर मुठ मार कर थोड़ा नार्मल हुआ और शाम को समय से घर चला आया.
रात को जब मेरी पत्नी टहलने नीचे गयी तो मैंने उसे लिखा- हाय!
उसने भी हाय लिखा और कहा- एक बात बतानी थी.
मैंने कहा- मुझे भी.
वह बोली- बोलो?
मैंने कहा- मुझे तुम्हें प्यार करना है … खुल कर तुम्हारे बदन के हर अंग को चूमना है.
वह हंस पड़ी और बोली- तब तो जो मैं कहने वाली हूँ, वह तुम्हारे काम की चीज़ है.
मैंने कहा- तो बताओ.
वह बोली- पर ट्रीट दो, तो ही बताऊंगी.
मैंने कहा- काम की नहीं हुई तो भी ट्रीट पक्का.
वह बोली- इसलिए तुम मुझे अच्छे लगते हो. अभी सुनो, सासु माँ पांच दिन के लिए बाहर जा रही हैं बड़े भैया यानि मेरे जेठ के घर. उनके घर का मूहुर्त है. तो वे परसों चली जाएंगी. उन्हें प्रवीण लेकर जाएंगे. मैं और रेहांश तीन दिन बाद शनिवार को दिन में उसके स्कूल से आने के बाद जाएंगे.
मैंने कहा- मतलब?
वह मेरे बोलने से पहले बोली- हम तीन दिन जी भर के बिना किसी रोक टोक के मिल सकते हैं, प्यार कर सकते हैं.
उस रात तो ये सोच कर ही नींद नहीं आयी कि अश्लेषा जैसी खूबसूरत लड़की को चोदने का सपना पूरा होने वाला है.
हम दोनों ने परसों मिलने का प्लान बनाया.
बीच का एक दिन बस ख्यालों और बहुत सारी बातों में बिताया.
आखिरकार वह दिन भी आ गया. सुबह से लंड मानो रह रह कर खड़ा हो रहा था. उसको पता था कि आज अश्लेषा को जी भर के प्यार करने का सपना पूरा होने वाला था.
मैंने कल ही ऑफिस में बता दिया था कि किसी ग्राहक से मुलाकात के लिए जाना है, फिर कुछ कोर्ट का काम बता कर ‘लेट आऊंगा’ का बहाना बना दिया था.
घर पर भी यही कहा ताकि फ़ोन पर बात नहीं कर पाऊं तो कोई परेशानी न हो.
मैं रोज के निर्धारित समय से थोड़ा पहले घर का कुछ काम लेकर निकला ताकि ‘कहां जा रहे हो’ वाला प्रश्न ही न उठे.
जैसा मैंने बताया कि उसका घर मेरे घर से कुछ ही दूरी पर था, इसलिए मैंने बुलेट स्टार्ट करते ही उसको कॉल कर दिया कि मैं निकल गया हूँ.
उसकी आवाज़ में आज कुछ अलग ख़ुशी और चाह थी.
जैसा उसने कहा था, मैंने बाइक सोसाइटी के गेट पर खड़ी की और बैग लेकर अन्दर गया.
सोसाइटी के गेट पर रजिस्टर में मैंने लिखाया कि इंटीरियर डिज़ाइनर हूँ. घर की रेनोवेशन के लिए बुलाया है.
यही शायद उसने अपने पति को भी बताया था.
मैंने बेल बजाई और दरवाजा खुल गया.
जैसे वह दरवाजे पर खड़ी मेरा इन्तज़ार ही कर रही थी.
मैं अन्दर गया और दरवाजा बंद कर दिया.
मुझे सोचने का मौका मिलता, उससे पहले उसने मुझे सीने से लगा किस की बौछार कर दी.
उसने मेरी गर्दन को, कंधे को, मुँह को इतना चूमा कि मैं बस उसे देखता और महसूस करता ही रह गया.
मैंने उसे रोका और मैं उसके लिए उसकी फेवरेट फरेरो रोचेर लेकर गया था, वह दिया और कसके बांहों मैं भर लिया.
उसने कहा- चाय पियोगे?
वैसे सच कहूँ मन समय ख़राब करने का बिल्कुल भी नहीं था, पर ऐसे जल्दबाजी में भी कुछ नहीं करना था.
वह चाय बनाने किचन में जाने लगी तो मैं भी साथ चला गया.
उसने चाय चढ़ाई.
मैं उसको पीछे से निहार रहा था.
सच यार कितनी खूबसूरत थी वह … कैसे उसका पति उसको रोज़ चोदता नहीं था. कैसे उसका मन इसको देख कर बेकाबू नहीं होता था.
वह दूध जैसी गोरी गर्दन, कड़क बदन, उसका 34-30-38 का कामुक फिगर. तिस पर उठी हुई गांड … एकदम बॉल जैसी गोल.
उसने सारे बाल उठा कर ऊपर जूड़ा बनाया हुआ था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पीछे से उसकी गर्दन को चूम कर बांहों में भर लिया.
उसकी पीठ मेरे पेट से चिपकी हुई थी.
मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए उसकी नाभि से खेल रहे थे.
मैं मेरी एक्सपर्ट जीभ से उसके कानों से गर्दन तक खेल रहा था.
एक हाथ उसके चूचे दबा रहा था तो एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहला रहा था.
उसकी सांसों ने उसका साथ छोड़ दिया था.
वह खुद को संभालना चाह रही थी पर मेरे हाथ उसके सब्र की इन्तिहा को मुश्किल करते जा रहे थे.
वह घूम कर मेरे एकदम करीब हो गयी.
मेरे सांसें उसकी सांसों को टटोल रही थी.
मैंने उसको उठा कर रसोई की स्लैब पर बिठा दिया और हम एक दूसरे को चूमने लगे.
मेरी जीभ कभी उसकी जीभ को चूमती तो कभी उसकी जीभ मेरी जीभ से लिपट जाती.
कभी मैं उसके होंठों को चूसता, तो कभी उसकी गर्दन को.
मेरा लंड अब भड़क चुका था और लोहे का रूप ले चुका था; लौड़ा उसकी चूत में जाने के लिए बेताब हो रहा था.
उसकी दोनों टांगें मेरी कमर पर जकड़ी हुई थीं.
हमने अभी अपने कपड़े नहीं उतारे थे पर उसकी चूत की गर्मी मेरे लंड पर महसूस हो रही थी.
उसकी चूत की फांकों के बीच मेरा लंड ऐसे सैट हुआ हुआ था कि जैसे वह अपनी कमर हिला कर अपनी चूत के होंठों से मेरे लंड की मुठ मार रही हो.
मैं लगातार उसके होंठों और गर्दन को लगातार चूम रहा था.
मेरा एक हाथ उसकी गर्दन को पकड़े हुए था और लगातार चूमने में मदद कर रहा था.
कभी उसकी पीठ को सहलाता, तो कभी दूसरे हाथ से मैं उसके चूचे को प्यार करता.
तभी चाय उबलने की आवाज़ से हमारा सेक्स प्ले थमा, हम थोड़ा शांत हुए.
उसने कहा- पहले चाय पी लेते हैं.
यह कह कर उसने मुझे धक्का दिया और स्लैब से नीचे उतर आयी.
दोस्तो, प्रेमिका की मस्त चुदाई की कहानी के इस भाग में अभी विदा लेता हूँ.
अगले भाग में चुदाई की कहानी लिखूँगा.
अब तक की सेक्स प्ले कहानी पर आपके विचारों का स्वागत है.
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