गर्भवती पड़ोसन के फ़्लैट में

(Garbhavati Padosan Ke Flat me)

पीटर 2015-10-09 Comments

मुंबई में, सुना था कि सबसे बड़ी समस्या मकान की होती है इसलिए मैंने अपने कई आफिस के लोगों से कह रखा था कि कोई ढंग का सस्ता सुंदर 1 से 3 कमरों का सेट मेरे लिए खोजें।
मैंने अभी हाल में ही गुजरात से ट्रान्सफर होने पर मुंबई ज्वाइन किया था। यहाँ गेस्ट हाउस में रहते हुए 13 दिन हो चुके थे और 1 सप्ताह में इसे खाली भी करना था पर कोई इंतजाम नहीं हो पाया था।

आज छुट्टी के दिन मैं टीवी देख रहा था और मकान के बारे में भी सोच रहा था तब ही फोन कि घंटी बजी।
फोन मेरे किसी दोस्त के दोस्त का था जिसके जानने वालों का मुंबई में मकान था और उन्होंने मुझे फोन करके बात करने के लिए कहा था।
सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा कि कुछ तो आशा की किरण बंधी।
खैर मैंने फौरन फोन पर बात की और पता चला कि मकान मालिक से ही बात हो रही है।

वो दूसरे शहर में रहते थे तो उन्हें अपने मकान के लिए एक ऐसे किराएदार की आवश्यकता थी जो केयरटेकर की तरह उनके मकान की देखभाल भी कर सके, और बिजली आदि बिलों के भुगतान भी करता रहे, बस यही किराए की राशि होगी जो कि लगभग दस हज़ार के आसपास होता है।
इसलिए उन्होंने ऐसा ऑफर दिया था क्योंकि वो कभी कभी ही आते थे।
उन्होंने जाकर देखने को कहा तो मैंने धन्यवाद देते हुए पता नोट किया और कुछ देर बाद आफिस की गाड़ी से वहाँ गया क्योंकि अभी मैं शहर के भूगोल से परिचित भी नहीं था।

उस बिल्डिंग के सेक्रेटरी से फ्लैट की चाबी लेकर मैं ड्राइवर के साथ 29वें फ्लोर पर गया और फ़्लैट का दरवाजा खोल कर अंदर गया। 3 बेडरूम, 3 बालकनी, हाल, किचन और एक सरवेंट क्वार्टर, 4 एसी, फर्निश्ड फ़्लैट और बहुत बड़ी छत – इतने कम पैसों में कहीं से भी बुरा नहीं था सिवाय इसके कि वह टॉप फ्लोर पर अकेला पेंट हाउस जैसा फ़्लैट था।

मेरा आफिस भी 10 मिनट की दूरी पर था, टहलते हुए आना जाना किया जा सकता था।
इस बिल्डिंग में 3 लिफ्ट हर फ़्लैट के बगल से आने-जाने के लिए थीं। हर फ्लोर पर 3 फ़्लैट थे और हर कोने वाले फ़्लैट के ऊपर पेंट-हाउस नुमा ऐसा फ़्लैट था। हर कमरे में वीडियोफोन की व्यवस्था भी थी। मैंने फौरन मकान मालिक को फोन से मकान लेने की हामी भर दी और 2 दिन बाद रविवार को शिफ्ट करने तथा सेक्रेटरी को सूचित करने के लिए कह दिया।

रविवार को नाश्ता करके मैं अपना एक सूटकेस लेकर उस बिल्डिंग में अपने ड्राइवर के साथ पहुँच गया। सिक्योरिटी गार्ड ने चाबी दी क्योंकि सेक्रेटरी साहब किसी काम से बाहर गए हुए थे, वो मेरे साथ फ्लैट तक आया और बताया कि मैं देख लूँ, अगर कुछ काम और भी करवाना हो तो अभी या फोन से बता सकता हूँ।

मैंने ड्राईवर से एक बार फिर से सब चेक करने के लिए कहा और बेडरूम की अलमारी में अपना सूटकेस रख कर सोफ़े पर बैठ गया।तब तक ड्राइवर ने भी ok रिपोर्ट देते हुए घर जाने की इजाजत मांगी।

छुट्टी का दिन था सो मैंने उसे 200/- देते हुए कार भी शाम तक अपने पास रख कर परिवार के साथ घूमने की इजाजत दे दी और वो चला गया।

मैंने चेनेल लाक कर दिया ताकि कोई ऊपर न आ सके और अंदर आकर सारे कपड़े उतार कर नंगा ही घूमने लगा।
मुझे अकेले रहने पर नंगा रहना, सोना अच्छा लगता है।
और मैं फ़्लैट को अच्छी तरह से देखने का बाद लेट कर सो गया।

करीब 3 घंटे के बाद फोन की घंटी बजने लगी और मैंने बेख्याली में नंगे ही फोन उठा लिया। फोन किसी महिला का था जो मुझसे पूछ रही थी कि मुझे वहाँ कोई परेशानी तो नहीं है।
उन्हें वाचमैन से मेरे आने के बारे में पता चला था।

मैंने उनसे पूछा कि वो कौन बोल रही हैं तो उन्होंने हँसते हुए कहा कि वो अपना भी परिचय जरूर देंगी पर पहले वो मेरे बारे में तो जान लें।
फिर पूछा कि मेरे पास कुछ खाने पीने का सामान है या नहीं, मेरे न कहने पर उन्होंने मुझे अपने फ़्लैट में चाय की दावत दी और मेरे मना करने के बाद भी उन्होंने जिद करके अपने फ़्लैट में बुलाया।

जब मैंने उनसे उनका फ़्लैट नंबर पूछा तो उन्होंने हंस कर कहा कि मैं तो महिला हूँ आपके नीचे रहती हूँ और बोली कि प्लीज़ आप इस तरह से मत आयेगा, कुछ कपड़े जरूर पहन लीजिएगा।
जब मैंने कहा कि मैं तो कपड़े पहने हूँ तो उन्होंने कहा कि वो मुझे वीडियोफोन से नंगा देख रही हैं इसलिए कह रही हैं, तब मुझे सॉरी कहना पड़ा और मैंने उनकी दावत भी कबूल कर ली।

उन्होंने बताया कि अपने वीडियो को उन्होंने ढक दिया था इसलिए मैं उनको नहीं देख प रहा हूँ पर जब मैं आऊँ तो उनको फोन करके आऊँ और अपना नंबर भी दे दिया।

कुछ देर के बाद मैं तैयार होकर फोन करके उनके फ़्लैट पर गया।
चूंकि वो मेरे ही फ़्लैट के ठीक नीचे रहती थी इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि वो चाय बना रही हैं तो मैं सीढ़ियों से नीचे उतरकर उनके फ़्लैट का दरवाजा खोल कर अंदर आ जाऊँ!
और मैं फौरन ही उनके फ़्लैट में घुस गया क्योंकि मैंने सोचा कि जब उन्हे ही किसी का डर नहीं है तो मैं क्यों चिंता करूँ।

उनका फ़्लैट भी डिट्टो हमारे फ़्लैट जैसा ही था।
वो यहाँ अकेली रहती थी, पति इंजीनियर थे और दुबई में नौकरी करते थे, वो प्रेग्नेंट होने की वजह से 2 महीने से यहाँ रह रही हैं। उनका मायका और ससुराल 2 दिशाओं में 25-30 कि.मी. के अंतर पर है, आना जाना कम ही हो पाता है।
उनके फ्लोर पर उनके बगल के कार्नर का फ़्लैट खाली था तीसरे में कोई वृद्ध साउथ इण्डियन रहते थे तो कुल मिलकर वो अकेली ही थीं।

आज जब पता चला कि ऊपर कोई रहने आया है तो उन्होंने परिचय करने के लिए ही चाय पर बुलाया था पर जब मुझे नंगा देखा तो समझ गई कि फिलहाल कोई अकेला ही है।

उसकी उम्र कोई 32-33 साल के आसपास थी, होठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक, हाफ पैंट और बिना ब्रा का टॉप जिसका एक कंधा चूचियों के ऊपर ही लटक रहा था।
नाम चाँदनी था और सचमुच चाँदनी जैसी ही सुंदर भी थी, बस वजन कोई 50-55 किलो के आसपास रहा होगा, बातचीत, स्टाइल और लटके-झटके से समझ में आ गया कि चुदने में देर नहीं करेगी।

मैंने भी अपने बारे में बताया कि मैं ट्रांसफर पर मुंबई आया हूँ, फेमिली दिल्ली में है, मेरी उम्र 40 और बीबी 39 की है पर बहुत थुलथुल हो गई है और किसी काम में मन नहीं लगता है।

अब तक वो चाय-नाश्ते की ट्रे लेकर सोफ़े पर बगल में आकर बैठ गई।
नाश्ते में हलवा और पकौड़ियाँ बनाकर लाई थी तो मैंने कहा कि क्यों इतनी परेशानी उठाई?
और वो मुस्कुराने लगी कि खा कर तो देखिए कि ठीक बना भी है या नहीं।
खैर, नाश्ता और चाय सचमुच बहुत बना था, मैंने कह दिया तो वो बोली कि झूठी तारीफ न करूँ मैं!
इस पर मेरे मुख से निकल गया कि सच्चाई तो यह है कि उनकी उँगलियों को चूसने का दिल करता है, इस पर उसने उँगलियों को चूसने के लिए आगे बढ़ा दिया और मैं शर्मा गया।

फिर इसी तरह से हम एक दूसरे को जानने की कोशिश करते रहे और 2 घंटे कब सोफ़े पर निकल गए पता ही नहीं चला।
उसने भी समय देखा तो 8 बज रहे थे, बोली- अभी मेरे पति स्काइप पर काल करेंगे, अगर आप चाहें तो रुक सकता हो, बस कैमरे के सामने न आना! हाँ चाहो तो साइड से उनको देख सकते हो पर उनको पता न चले।

मुझे उसके साहस और मुझ पर उसके विश्वास की दाद देनी पड़ेगी, सचमुच बहुत हिम्मती लेडी थी।

तब तक उसने लैप्टॉप भी ऑन कर दिया और चेक कर लिया कि मैं उसके हस्बेंड को कहाँ से बैठ कर देख सकता हूँ कि उसे मेरे उस कमरे में होने का पता ही न चले।

तभी काल आ गई और उसने ब्लूटूथ वाला हेडफोन लगा कर कैम को ऑन कर दिया और उनकी बातें शुरू हो गईं।

वो: हाय मेरी जान, कैसी हो, आज तो बहुत लेने लायक लग रही हो!
चाँदनी: ठीक हूँ मेरी जान, पर अब तुम्हारे बिना मज़ा नहीं आ रहा है। बहुत दिन हो गए तुमसे चुदे हुए, बहुत खुजली होती रहती है।
वो: अरे खुजली कहाँ होती है वह जगह तो दिखाओ!
चाँदनी: कुछ तो शरम करो, अगर कोई बाहर हुआ और उसने देख लिया तो?
वो: नहीं नहीं, कोई भी आदमी बिना गार्ड की परमीशन या मदद के एंट्री ही नहीं पा सकता है। मेरी जाने जिगर, चलो अब शॉर्ट्स और टॉप को भी कुछ देर आराम करने दो कब से तुम्हारे ऊपर चढ़े मेरी पर्सनल जगहों को चूम रहे हैं।

चाँदनी: तुम तो दूर से बैठ कर मुट्ठ मार कर अपना पानी निकाल लेते हो मेरी मादरचोद यह चूत लंड के लिए तरस जाती है।
वो: ऐसा मत बोल माँ की लौड़ी चूत की मल्लिका, मैं क्या यहाँ माँ चुदाने के लिए आया हूँ तुझे 3-4 डिल्डो दिए हैं न, उनमें मज़ा नहीं आ रहा है? सारा पैसा कमा कर तुम्हारी ही बुर भरूँगा!
चाँदनी: मैं तो सोच रही हूँ कि अपनी और तुम्हारी माँ को यहाँ बुला लूँ और सारे डिलडो उनकी गाण्ड और चूत में डाल कर देख कर अपनी प्यास बुझा लूँ या फिर अपने ससुर से कहूँ कि आकर मुझे चोद दे बुड्ढे!

वो: बुड्ढा होगा साला तेरा बाप मादरचोद!
चाँदनी: पर मेरा बाप तो बता रहा था कि तुम्हारी अम्मा 10-15 धक्कों में ही झड़ जाती हैं?
और वो अलमारी की तरफ जाकर डिल्डो निकाल कर नंगी होकर आ जाती है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो: मम्म्ह, अब तक क्यों मेरी चूत को ढक कर रखा था रंडी तूने?
चाँदनी: नाराज मत हुआ कर मेरी सास की चूत से निकले ससुर के लंड के पीस, ले वहीं से चोद ले ये मेरी चूत अपनी अम्मा की चूत समझ कर भोसड़ी के!

उन मिया बीवी की इस तरह की शुद्ध सात्विक बातों को सुन कर और उनका (सच्चा?) प्यार देख कर किसी का भी लंड मचल सकता था सो मेरा भी वही हाल हुआ। और मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड हाथ में ले लिया और चाँदनी को इशारा किया कि वह स्काइप को बंद कर दे।

उसने मुझे 2 मिनट रुकने का इशारा किया और अपने मर्द से कहा कि नेटवर्क गड़बड़ कर रहा है, ठीक होते ही वह काल कर लेगी।
इस पर उसने कहा कि अब वो झड़ चुका है और कल बात करेगा और उसी ने काल बंद कर दी।

चाँदनी ने लैपटाप के सारे कनेकशन ऑफ करके पैक करके रख दिया और नंगी ही मेरी बाहों में आकर मुझे चूमना, चूसना शुरू कर दिया और बोली- देखा उस रंडी की औलाद को, मादरचोद खुद को सैटिसफ़ाई करके सो जाता है और मैं सारी रात लंड से चुदवाने के लिए मचलती रही हूँ। इसीलिए मैंने रिस्क लेकर आपको फोन किया पर आपको नंगा देख कर मुझे राहत मिली कि अब कोई मुझे चोद कर मेरी इच्छा पूरी करेगा। स्काइप पर इसीलिए आपको पास बैठाया कि आप बिना कहे सब समझ जाओगे।

मैंने उसको बाहों में भर कर खूब जोर से सीने से चिपका लिया और उसकी बंद हो चुकी आँखों को चूमने लगा। शायद उसने ये तरीका नहीं सोचा होगा इसीलिए वह और सिमट कर मेरी बाहों में आ गई और मेरी पीठ पर नाखून गड़ा दिए।
मैंने भी उसको बहुत प्यार किया उसके होंठों को चूमा, प्यार से फिर धीरे से और फिर बहुत जंगली तरीके से उसको किस किया, उसके कानों को कुतरने लगा।

मुझे ऐसा लगा कि शायद उसकी चूत पानी छोड़ रही थी इसीलिए मैंने अपनी उंगली उसकी बुर में डाली तो वह बहुत ज्यादा गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लाकर 69 की पोजीशन में लिटा दिया और उसकी बुर में जीभ डाल कर अंदर बाहर करने लगा।

उसे बहुत मजा रहा था क्योंकि बहुत दिन से उसके साथ कुछ हुआ नहीं था और एक मर्द की जुबान उसकी बुर में खलबली मचा रही थी। उसने मेरा लंड पकड़ कर उसको अपने मुख में डाल लिया और चूसने लगी पर जल्दी ही चिल्लाने लगी- चोद मादरचोद गांडू भोसड़ी के जल्दी से अपना लंड डाल मेरी गीली चूत में !

और फिर मैंने उसको बेड के कोने पर लिटा कर तकिये को उसकी गांड के नीचे रख कर, टाँगों को उठा कर धीरे से गीली गीली चूत में अपना लंड डालने की कोशिश करी क्योंकि वह प्रेग्नेंट थी इसलिए ज़ोर से धक्के भी नहीं लगा सकता था।
कुछ ही देर में लंड ने अपनी जगह बना ली और मैं एक तारतम्य और लय से उसकी प्रेग्नेंसी को ध्यान में रखते हुए, बिना उसके पेट पर लेटे हुए ही, लंड अंदर-बाहर करने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूचियों को मसलने लगा और बीच बीच में उसके होंठों को भी किस कर लेता था।

अम्मह… उम्म… क्या झांटों वाली चूत थी, बेहद गोरी पर बड़ी बड़ी झांटें… मुझे बहुत पसंद है ऐसी चूत जिसमें बुर से पानी झांटों के सहारे निकलता है और उसको चूसने का मज़ा सभी नहीं ले सकते हैं, जिसने चूसा वही इसके आनन्द को समझ सकता है।

चाँदनी की चूत में अब बहुत खुजली हो रही थी इसीलिए वो बहुत गाली बकते हुए चोदने की जिद कर रही थी।
मुझे उसका गुस्सा बहुत प्यारा लग रहा था जिसमें वो सारे रिश्तेदारों के साथ मेरी माँ को भी चोदते हुए मुझे उसकी चूत में हाथी का लंड डालने को कहते हुए खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे ही खानदान को अपनी प्यारी प्यारी गालियों से चोद रही थी।

मुझे लगा कि इसको कुछ और नाराज कर दिया जाए, यह सोच कर मैंने एकदम से अपना लंड बाहर निकाल लिया और ड्राइंगरूम में जाकर 2 पेग बनाए और सिगरेट सुलगा कर कमरे में आया।

तब तक मेरी हसीन चूत चाँदनी ने चिल्ला चिल्ला कर गालियाँ देते हुए पूरा घर सिर पर उठा लिया। गनीमत थी कि 28वें माले पर रहने की वजह से खिड़की खुली रहने पर भी न तो आवाज बाहर आती-जाती थी और न ही किसी के आने या सुनने का खतरा था।
मैंने एक पेग दारू का उसके मुँह में लगाया तो वो एक बार में ही पूरा पी गई और बोली कि अब दुबारा मैं उसको इस तरह से अधूरा चुदा हुआ छोड़ कर न जाऊँ और मेरी गोद में बैठ कर रुआंसी सी हो गई।

मैंने उसको खूब प्यार किया और सिगरेट उसके मुँह से लगाई तब जाकर वह शांत हुई, लेकिन अब तक बहुत शराब हमारे पेटों में जा चुकी थी तो वो भी ढीली पड़ती जा रही थी इसलिए मैंने थोड़ी सी दारू उसकी बुर में डाल कर चाटना शुरु किया और 3-4 मिनट में ही वो ‘ऊँ आंह… फाड़ दो…’ आदि कहते हुए झड़ गई और मैंने अपना लंड उसके मुँह में ही डाल कर कुछ देर रगड़ा फिर उसकी गांड में क्रीम लगा कर उसकी खूब गांड चुदाई की और जब खून निकलने लगा और मैं भी झड़ने लगा तो लण्ड बाहर निकल आया।

मैंने फौरन उसकी गांड की सफाई की और एंटीसेप्टिक तथा लोशन, क्रीम आदि लगा कर खून बहना रोका।
वो दर्द से बहुत कराह रही थी पर दारू के नशे की वजह से महसूस कम कर पा रही थी।
उसकी चूत, गांड, पूरा शरीर गुलाब जल के खुशबूदार पानी से अच्छी तरह से पोंछने के बाद बेहोश चाँदनी को ठीक से बिस्तर पर सुलाया और 1 पेग दारू और 2-3 सिगरेट पीने के बाद मुझे नींद महसूस होने लगी तो मैं भी उसके बगल में उसको गोद में लेकर सो गया।

सुबह करीब 6 बजे हमारी नींद खुली तो देखा कि सूरज निकल रहा है पर चाँदनी अभी भी मासूमियत के साथ नंगी सो रही है।मैं वाशरूम से फ्रेश होकर किचन में नींबू की चाय बना रहा था तभी चाँदनी लड़खड़ाती हुई आई और मैंने उसको अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों की चुम्मी ले ली और उसको चाय ऑफर की।
बोली- मैं ऐसी चाय नहीं पीती!
तो मैंने बताया कि रात का दारू का सब हैंगओवर उतर जाएगा इस चाय से और उसको सोफ़े पर बैठा कर चाय पिलाई।

सोफ़े पर बैठते ही उसकी गाण्ड में दर्द हुआ और वह चिल्लाई, उंगली लगा कर महसूस किया कि वहाँ पर दवाई वगैरह लगी हुई है तो उसने पूछा कि ये कब कैसे हुआ, मैं कहाँ गिरी थी, मुझे पता क्यों नहीं चला।
उसको बताया मैंने कि तुम शराब के नशे में तेल की शीशी पर बैठ गईं, वो तुम्हारी गाण्ड में घुस गई थी, खून निकल आया था तो मैंने ही फर्स्ट-एड दी थी, वैसी हालत में डाक्टर के पास भी नहीं जा सकते थे।
बहरहाल उसको उस वक्त शांत कर दिया।

फिर मैंने कहा कि अब मैं ऊपर अपने फ़्लैट में जाकर आफिस के लिए तैयार होऊँगा और वो आराम करे, शाम को मिलते हैं।
इस पर उसने कहा कि मैं उसकी कार यूज कर सकता हूँ जो मैंने मना कर दिया और ऊपर आकर तैयार हुआ।

एक घंटे के बाद उसका फोन आया कि मैं नाश्ता करके जाऊँ, उसने नाश्ता तैयार कर दिया है, दरवाजा खुला है, मैं चला आऊँ।
मैं भी निकलने वाला ही था तो नीचे जाकर नाश्ता किया, वो अभी भी नंगी ही घूम रही थी, बस नहा कर फ़्रेश हो चुकी थी और लाइट पिंक लिपस्टिक, बड़े बड़े चूचे, बड़ा सा बच्चे से भरा पेट, और मस्तानी सी चाल में रात से ज्यादा हसीन लग रही थी।

मैंने उसको किस किया और गोद में उठा कर नाश्ते की टेबल पर बैठा दिया।
मैं कुर्सी पर बैठ कर ब्रेड आमलेट उसको खिला रहा था और उसका जूठा मैं खुद खा रहा था।
अब जाकर उसको लगा कि मैं उसको हमेशा प्यार करूंगा।

तभी ड्राइवर का फोन आया कि वह नीचे खड़ा है तो मैं चाँदनी का मोबाइल नंबर लेकर आफिस चला आया।

आफिस में सभी मुझे बधाई दे रहे थे कि मुझे बहुत अच्छा मकान मिल गया है तो पार्टी तो बनती है, मैंने भी हाँ कह दिया और अपने काम में मशगूल हो गया।
तीन बजे के आसपास चाँदनी का फोन आया कि वह मुझे लेने अपनी कार से आएगी और पूछने लगी कि मैं कहाँ मिलूँगा।

इसके बाद आप अन्दाज लगाइएगा और मुझे बताइएगा।
मुझे सदैव की तरह आपके पत्रों, सुझाव और शिकायतों का मेरी ईमेल [email protected] पर इंतजार रहेगा।
आप मुझसे, प्लीज, मिलने की रिक्वेस्ट/जिद न करिएगा। हाँ, आप चाहें तो मुझसे याहू पर चैट कर सकते/सकती हैं।
धन्यवाद!
आपका अपना पीटर

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