पड़ोसी भैया बना मेरा सैयां- 1

(Garam Chut Mouth Fuck Kahani)

मानस यंग 2024-03-07 Comments

गरम चूत माउथ फक कहानी में एक शादीशुदा महिला ने अकेलपन से ऊब कर अपने पड़ोसी से दोस्ती कर ली. वह महिला पड़ोसी के साथ सेक्स करना चाह रही थी.

नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपके लिए एक नयी कहानी लेकर आया हूँ जहाँ आप जान लेंगे कैसे एक पड़ोसी भैया जवान भाभी का सैयां बन बैठा.

यह कहानी सुनें.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम पूजा है और मैं 28 साल की शादीशुदा औरत हूँ.
कुछ ही महीने पहले मैं नयी-नवेली दुल्हन बनकर भोपाल रहने लगी हूँ.

आज मैं मेरे जिंदगी की एक ऐसी घटना साझा करने आयी हूँ जिसने आज तक मेरे दिल के कोने में एक ख़ास जग़ह बना रखी है.

शादी के कुछ ही दिनों बाद उमंग ने अपना काम काज संभाला, उनके ऑफिस जाने के बाद मैं दिन भर अकेली रहने लगी.

शहर के अकेलेपन से मेरा मन ऊबने लगा.
पर क्या करूँ यहाँ कोई जान पहचान वाला भी तो नहीं था.

इसी ऊब से यह गरम चूत माउथ फक कहानी की शुरुआत हुई.

एक दिन दोपहर का खाना खाने के बाद मैं ऐसे ही छत पर गयी तो मेरी मुलाक़ात हमारे बिल्डिंग में रहने वाले विशाल भैया से हुई.

पहले परिचय में ही मैं उनके कोमल स्वाभाव से और उनकी प्यार भरी बातों से बड़ी प्रभावित हो गयी.
मेरे अकेलेपन में मुझे जैसे एक नया सहारा मिल गया.

वैसे तो मैं विशाल को ‘भैयाजी’ कहा कर बुलाती पर धीरे धीरे उनकी इन्हीं ख़ूबियों के कारण मेरे दिल में उनके लिए प्यार जागृत होने लगा.

मैं एक शादीशुदा औरत थी, दुर्भाग्यवश भैयाजी का भी अभी दो साल पहले उनका अपनी बीवी मीनू से तलाक हो चुका था.

विशाल भैयाजी मुझसे 8 साल बड़े थे पर उनके व्यवहार से कभी उन्होंने मुझे ये महसूस नहीं होने दिया … बल्कि हमेशा वे मेरे साथ एक दोस्त के भांति हंसी मज़ाक कर लेते.

मुझे पहले तो समझ नहीं आया कि मैं कैसे उनके दिल की बात जान सकूँ.
तो मैंने ही थोड़ा आगे बढ़ते हुए उन्हें इशारे देने चालू किये.
जानबूझकर उनके सामने पल्लू गिरा देना, उनके पीठ पर हाथ घुमाना, कंधे पर सर रख कर बातें करना ऐसे कई तरीक़े अपना कर मैं भैया जी के दिल में झाँकने लगी.

वैसे आपको बता दूँ कि मेरी देहाकृति बड़ी ही मादक है, मेरे 36 इंच के मम्मे, बिना चरबी का पेट और उभरे हुए 38 इंच के चूतड़ देख कर कई मर्दों की लार टपक जाती है.

भैयाजी भी जवान थे और तलाक़ के बाद शायद उन्हें कभी किसी स्त्री का सहवास प्राप्त नहीं हुआ था.
आख़िर मैं सफ़ल हुई, मेरे जवान भरे हुए जिस्म के जलवे उनको मेरे तरफ खींचने लगे और मैंने कई बार उनको मेरा सीना घूरते हुए भी देखा था.

मेरी मटकती गांड देख कर कई बार उनकी सांसें गर्म हो जाती, मेरे हाथ के स्पर्श से उनके बदन में उठने वाली तरंगें भी मैंने कई बार महसूस की थी.

शायद उन्हें भी पता चल चुका था कि मैं ये सब जानबूझकर कर रही हूँ.
मेरे दिल में उनके लिए प्यार है, यह बात उन्होंने भी समझ ली थी.

पर हमारे रिश्ते और समाज की मान-मर्यादा के डर से हम दोनों भी आगे बढ़ने से क़तरा रहे थे.
और परेशानी यह भी थी कि पहल कौन और कैसे करे?

पर जब दो दिल मिलना चाह रहे थे तो क़िस्मत कैसे उनको जुदा कर सकती थी.

आखिर वो दिन आ ही गया जब मैं भैयाजी की हो गयी.

मेरे पति उमंग अपने काम के सिलसिले से इंदौर जाने वाले थे.
सफ़र रात का था इसलिए मैंने ही उनकी सारी तैयारियाँ कर दी.

दिन भर उमंग के साथ होने के कारण मेरी विशाल जी से कोई मुलाक़ात नहीं हुई थी, उनसे मिलने के लिए मैं जैसे तड़प रही थी.

6 बजे उमंग के जाने के बाद मैं बिना देर किये भैयाजी के घर के पहुंची, दरवाजा खटखटाकर मैं व्याकुलता से दरवाजा खुलने की प्रतीक्षा करने लगी.

जैसे ही भैयाजी ने दरवाज़ा खोला तो मेरा कलेजा काँप उठा और मैंने कहा- ये क्या हालत बना रखी है भैयाजी? क्या हुआ?

भैयाजी वैसे तो कभी कभार शराब पी लेते थे पर आज उनकी हालत देख कर लगा जैसे उन्होंने पूरी बोतल ख़त्म कर दी थी.

लड़खड़ाते हुए उन्होंने दरवाज़ा खोला, लाल लाल आँखें और आँखों से बहता पानी देख कर मुझे अहसास हुआ कि वे ज़रूर कुछ परेशानी से गुजर रहे हैं.

सहारा देते हुए मैं उनको अंदर ले आयी और सोफ़े पर बिठा दिया, इतनी शराब पिने पर मैंने डाँटते हुए कई सारे सवाल एक साथ कर दिए.

अपने आप को सँभालते हुए उन्होंने मुझे देख कर कहा- आज मीनू ने दूसरी शादी कर ली. मैं इंतजार कर रहा था कि शायद वह वापिस आ जायेगी. पर …

मुझे आश्चर्य था कि क्या सच में कोई पुरुष इतना कोमल और संवेदनशील हो सकता है?
तलाक के दो साल बाद भी वे अकेले थे, कोई दूसरा मर्द होता तो अब तक पचासों औरतों के साथ सो चुका होता.

उनके हाथ से दारु का ग़िलास छीनते हुए मैंने कहा- अरे? तो क्या अब अपने आप को तकलीफ दोगे? उसने तो अपनी खुशियां ढूंढ ली आपको किसने रोका है?

मेरे तरफ गीली आँखों से देख कर भैयाजी बोले- बहुत प्यार करता था मैं मीनू से! पर शायद मेरी क़िस्मत में …

उनके ओंठों पर हाथ रख कर मैंने उनको आगे बात करने से रोक लिया.
उनका हाथ सहलाते हुए मैं उनको सम्भालने की कोशिश करने लगी.

लाल आँखों से भैयाजी मुझे देख रहे थे तो मैं उनके सामने आकर खड़ी हुई और उनका सर अपने पेट पर दबाते हुए उनके बाल सहलाने लगी.

उनका चेहरा ऊपर कर मैंने उनके आँसू पौंछे और कहा- अब वो नहीं करती तो क्या हुआ, आपको चाहने वाले और लोग भी तो हैं. जो छोड़ के गया उस पे आंसू क्यों बहाने?
अपने आंसू पौंछते हुए वो बोले- अब है ही कौन मेरा इस दुनिया में? सब कुछ ख़त्म हो गया पूजा!

असल में मुझे यह बाद में पता चला कि विशाल भैया बचपन से ही अनाथ थे, उनके माता-पिता उनके जन्म के बाद 1 साल ही किसी हादसे में गुजर गए थे.

उनका चेहरा मेरे नंगे बदन से चिपकने के कारण मेरा पेट गीला हो रहा था.
पर आज पहली बार उनका वह स्पर्श मेरे अंदर एक गुदगुदी निर्माण कर रहा था.

पता नहीं मुझ में कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी कि मैंने उनके माथे पर चूमते हुए कहा- ऐसे कैसे सब ख़त्म होगा, हम मर गए है क्या? सच कहूं भैयाजी, हम तो आपसे पहले दिन से ही प्यार करते हैं.

अपनी आँखों से पानी पौंछकर मेरे तरफ आश्चर्य से देखते हुए भैयाजी बोले- पर पूजा तुम तो उमंग की हो, ये सब ग़लत है!
मैंने भी ताव में आकर कहा- हाँ हूँ मैं उमंग की पत्नी … पर आज से आपकी मीनू हूँ. करोगे ना अपने मीनू से प्यार?

उनकी तरफ़ से कोई ज़वाब ना आने पर मैं उनसे दूर हुई.
तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया, निराश आँखों से मुझे देखते हुए उन्होंने मुझे रोक लिया.

उन आँखों का इशारा मेरे लिए काफ़ी था, मैं ख़ुद आगे बढ़ी और उनका चेहरा हाथ में लेते हुए मेरे ओंठों को उनके ओंठों से चिपका दिया.
मेरे कामुक चुंबन से भैयाजी भी पिघल गए.

मेरी क़मर पकड़ते हुए उन्होंने मुझे अपने आप से चिपका लिया और बेतहाशा मुझे चूमने लगे.

जिनकी मैं दीवानी थी, उन्हीं भैयाजी के चुंबन से मैं इतनी गर्म हो गयी कि मैंने उनको चूमते हुए उनके शर्ट के सारे बटन तोड़ते हुए उनकी शर्ट निकाल दी.

भैयाजी का घने बालों से भरा सीना सहलाते हुए मेरे नाखूनों से मैंने उनके निप्पल पर खरोंचना चालू किया.

मेरी हरकत देख भैयाजी ने भी मेरे पल्लू नीचे करते हुए मेरे ब्लाऊज के सारे बटन खींच कर तोड़ दिए.
तो मैंने ही मेरा ब्लाऊज उतार दिया.

ओंठों को चूमते हुए अब वे मेरी गर्दन और कान की लौ चूसते हुए नीचे की तरफ़ फ़िसलने लगे.

ब्रा में क़ैद मेरी मादक चूचियां देख उन्होंने झट से मेरी ब्रा भी उतार दी.

मेरे नंगे उभारों को सहलाते हुए वे बेतहाशा उनको चूसने लगे.
एक एक कर मेरे दोनों निप्पल अब भैयाजी के मुँह की लज्जत बढ़ाने लगे.

हाथों से उनके बाल सहलाते हुए मैंने भी उनका सर मेरे चूचियों पर दबा दिया.

उनके चूसने और चूमने की कला से पागल होकर मैं आहें भरने लगी.
मेरे चूचों को सहलाते हुए उनके हाथ पकड़ते हुए मैं बोली- उफ्फ भैयाजी इइ इइइ चूसो ना आआआ और ज़ोर से ईई!

मेरी साड़ी निकालते हुए और मेरे दोनों आम चूसते हुए भैयाजी ने कहा- आआह ह मीन ऊउउउ, आज खा जाऊँगा इनको … कितने बड़े हैं मीनू ऊउउ पिला आआ दे इनका ऱस जान!

उनके मुँह से मीनू सुनकर मुझे थोड़ा बुरा लगा.
पर फिर मैंने ही सोचा कि आज से मैं भैयाजी की मीनू ही सही … पर हूँ तो अर्धांगिनी?

विशाल जैसे मर्द को पाने के लिए मैं तो रंडी बनने को भी तैयार थी.
पर वे इतने भले माणस मुझे पत्नी का दर्जा दे दिया.

मेरे किस्मत पर ख़ुश होकर मैंने उनका सर ऊपर की तरफ किया और उनके मुँह में जीभ घुसाकर उनकी जीभ चूसते हुए उन्हें एक बीवी का प्यार देने लगी.

फुर्ती दिखाते हुए मैंने उनके पायजामे का नाड़ा ढ़ीला किया तो वो बेचारा ज़मीन चूमने लगा.

कच्छे में खड़ा उनका लंड आज़ाद होने के लिए तड़प रहा था.
एक पतिव्रता पत्नी की तरफ़ अपना अधिकार जमाते हुए मैंने भैयाजी को सोफ़े की तरफ धकेला और नीचे बैठते हुए उनका कच्छा भी नीचे खींच लिया.

काले रंग का लम्बा चौड़ा लंड आज़ाद होकर मेरे चेहरे से आकर टकराया.
उस लंबे मोटे लंड को देख कर मैं ख़ुश होकर भैयाजी के तरफ देख मुस्कुराई.

हवस और प्यार में पागल होकर मैंने भैयाजी के लंड को अपने मुट्ठी में भर लिया और लंड की चमड़ी पीछे करते हुए सुपारा खोल दिया.

जैसे ही मैंने उस ग़ुलाबी रंग के सुपारे पर अपनी जीभ घुमाई तो भैयाजी पागल होने लगे.
उन्होंने अपने हाथों से मेरा सर उनके लंड पर दबाया.
तो मैं उनके मन की बात समझ गयी.

भैयाजी का लंड भी उनके नाम की तरह विशाल था.

मुट्ठी में लंड को पकड़कर हिलाते हुए मैंने बिना किसी लज्ज़ा या घृणा के मेरे भैयाजी का लंड अपने मुँह में भर लिया.

लंड की मादक गंध मेरे नाक से होती हुई मेरे शरीर में घुलने लगी और मेरे अंदर की एक हवसख़ोर निर्लज्ज औरत ने अपना सर ऊपर उठाया.

बड़ी निर्लज्जता से और हवस भरे स्वर में मैंने कहा- आआह्ह भैया जी, आज तो आप आपकी मीनू की जान निकालोगे … हाय दैय्या कितना बड़ा है जी!

इतना कहकर मैं उनका लंड चूसने लगी. सुपारे को अपनी जीभ से चाटते हुए मैं लंड का एक एक इंच मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगी.

मेरे मुँह में रगड़ता लंड भैयाजी का ख़ून गर्म करने लगा और वे हुंकार भरते हुए गुर्राने लगे.
7 इंच लम्बे लंड की फ़ूली हुई नसें और उसका मोटापा देख कर मैं समझ चुकी थी कि आज मेरी चूत को अंदर तक सुकून मिलने वाला है.

कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद भैयाजी ने मुझे खड़ी किया और फिर से मेरे ओंठ चूमते हुए उन्होंने मेरा पेटीकोट निकालते हुए अपनी गोदी में उठा लिया.
मेरे नंगे बदन पर बस अब एक चड्डी बची थी.

भैयाजी तो पूरे नंगे होकर मुझे गोदी में उठाते हुए अपने बेडरूम की तरफ ले गए.
मुझे बिस्तर पर लिटाते हुए उन्होंने फट से मेरी चड्डी भी उतार दी और मेरी टाँगें खोलते हुए अपना मुँह मेरे जाँघों में छुपा लिया.

कामक्रीड़ा के जोश से मेरी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी.
जैसे ही उनकी जीभ मेरे दाने से टकराई तो मैं लगभग चिल्लाते हुए बोली- आआह्ह ह्ह्ह भैया जी इइइइ!

मेरी चीख को अनसुना करते हुए उनकी जीभ मेरे चूत में घुसने लगी.
मेरे दोनों पैर कंधों पर लेते हुए भैयाजी मेरे चूत रस को पीने लगे.

वासना से उन्मादित होकर मैंने उनके बाल खींच कर उनका मुँह मेरी चूत पर दबा दिया.

स्लर्प स्लर्प करते हुए भैयाजी चूतरस का सेवन करने लगे.
मेरी चूत का रस निचोड़ते हुए भैयाजी बोले- वाह मीनू, आज बड़े दिनों बाद ऐसा स्वाद मिला है, आज तो तेरी बून्द बून्द चाट लूंगा रानी!

मैं भी आवेश में आकर बोल पड़ी- आआह्ह उफ भैयाजी ईई धीरे … ईईए … खा जाओ … ऊऊ भैया जीइ इइइइ निचोड़ लो आपके मीनू की चुत!

3-4 इंच अंदर तक अपनी जीभ घुसाते हुए वे मेरी चूत को चबाते हुए खाने लगे, उनके दोनों हाथ मेरी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे.

बेशरम रंडी की तरह मैं आज एक पराये मर्द को अपना पति मानकर उसका बिस्तर गर्म कर रही थी.
पर यह मेरा सौभाग्य था कि मैं विशाल जैसे मर्द की रांड बनी थी.

भैयाजी का सर अपने चूत पर दबाते हुए मैंने अपनी आँखें बंद की और खुद नीचे से अपनी गांड उठा कर अपना रस पिलाने लगी.

मेरी सिसकारियाँ और भैयाजी की चूत चूसने की आवाजों से बेडरूम महक उठा था.
बारिश का मौसम होने के कारण ठंड भी थी पर हमारी वासना से जलते जिस्म पर उसका कोई असर नहीं पड़ा.

पर कब तक बकरे की अम्मा ख़ैर मनाएगी?
कभी ना कभी तो साले को कटना ही था!

हवस भरे तरीके से काट काट कर भैयाजी ने मेरे चूत को आख़री मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया.
जैसे ही उन्होंने दांतों से मेरी चूत का दाना काटा तो मैं सच में एक रंडी बन गयी.

भैयाजी का मुँह अपनी जाँघों में भींचते हुए मैं झड़ने लगी.
अपनी गांड ऊपर उठा के उनके बाल नोचते हुए मैं चिल्ला दी- एआइइ इइइ इइइइ मम्म्मीई ईई मैं कट गयी ईइ भैयाजी इइइइ!

चूत में जमा सारा पानी उनके मुँह में गिरने लगा.
वे भी बरसों बाद मिले स्त्री के कामरस से अपनी वासना की प्यास बुझाते हुए मेरे झड़ने तक चूत चाटते रहे.

झड़ने के बाद अपनी तेज साँसों को क़ाबू करते हुए मैंने भैयाजी का चेहरा थाम लिया और उनको अपने ऊपर खींचते हुए पागलों की तरह चूमने लगी.

मेरे चूतरस से सना उनका मुँह चाट चाट कर मैंने भी अपने यौवन ऱस का स्वाद लिया.

मेरी गरम चूत माउथ फक कहानी अगले भाग में समाप्त होगी.
आशा करती हूँ कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.
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गरम चूत माउथ फक कहानी का अगला भाग: पड़ोसी भैया बना मेरा सैयां- 2

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