एक खेल ऐसा भी-2
Ek Khel Aisa Bhi-2
‘ओके.. तो मेरी डार्लिंग रिंकी… यह बेलन वापस रखो और नाश्ता दो.. मुझे ऑफिस भी जाना है।’
‘ओह.. हाँ.. अभी देती हूँ.. आप ऑफिस के लिए तैयार हो जाओ..’
वो जैसे ही जाने लगी.. मैंने कहा- एक मिनट..
वो रुकी, मैं आगे बढ़ा, अचानक मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और ले चला।
‘आआह ऊओह्ह.. आप क्या कर रहे हैं.. ऊओ..ह्ह्ह..’
और वो खिलखिलाई।
‘अपनी सुन्दर सेक्सी पत्नी.. को मैं यूँ बांहों में उठा कर रखूँगा…डार्लिंग..!’ मैं उसे उठा कर रसोई तक ले गया।
जिस्मों की यह पहली मुलाकात बड़ी असरदायक थी।
उसके दूधिया मम्मों की एक छोटी सी झलक मिली, जो उसने मुझे वहाँ पर देखते हुए देखा भी।
जंघाओं का वो स्पर्श.. जब मैं उसे उठाए हुए था… धीरे-धीरे उसके जिस्म से मेरी छेड़छाड़ बढ़ने लगी।
एक-दो बार मैंने उसे बाँहों में भी भरा, वो थोड़ा शरमाई भी..ज्यादा नहीं, बस हल्की सी सुर्ख लाली उसके टमाटरी गालों पर।
‘चलो अब ऑफिस जाओ.. बहुत नटखट है यह मेरा पति.. सिर्फ शैतानियाँ ही सूझती हैं आपको।’ वो बोली।
मैं झूठ-मूठ में ऑफिस जाने का नाटक करने लगा। यह भी इस खेल का एक हिस्सा होता था।
ऑफिस जाने से पहले मैं फिर उसके सामने खड़ा हो गया।
‘अब क्या है?’
उसके कान में मैंने कहा- एक चुम्बन… डार्लिंग, जो हर बीवी आपने पति को ऑफिस जाने से पहले देती है…
यह कहकर मैंने उसे बाँहों में भर लिया।
वो कसमसाई- छोड़िए.. क्या कर रहे हैं..?
लेकिन अब मेरे होंठों ने अपनी प्यास बुझाने की ठान ली थी।
मैंने उसे कसते हुए एक चुम्बन उसके दाहिने गाल पर जड़ दिया।
सुन्दर.. मदहोश कर देने वाला.. एक लम्बा सा चुम्बन… फिर उसके खूबसूरत चेहरे को.. उसे एक भरपूर नजर से देखा।
हम दोनों मुस्कुराए.. या मुस्कुराने की कोशिश की… और फिर एक अनपेक्षित चुम्बन मैंने उसके होंठों पर रख दिया।
इस चुम्बन ने जादू सा किया, इसका प्रभाव यह हुआ कि मेरे उठते हुए काम लंड ने इस चुम्बन के असर में आकर उसकी पिछाड़ी में एक चुभन दे डाली।
ठीक वहीं जहाँ..कुदरत ने उसका कर्म-क्षेत्र बनाया है।
मैंने एक बार उसके होंठ छोड़ दिए और कहा- तुम बहुत सुन्दर हो रिंकी.. तुम जैसी ही बीवी तो चाहिए मुझे.. कितना सुन्दर बदन है तुम्हारा…
और एक बार फिर मैं उसके होंठ पीने लगा।
पर उसने मेरा साथ नहीं दिया था।
फिर भी एक लंबे चुम्बन के बाद मैंने पूछा- रिंकी… बुरा तो नहीं लगा?
‘नहीं.. बिल्कुल नहीं.. आप तो चुम्बन करने में माहिर हैं..!’ वो नजर झुकाए ही बोली।
‘तो फिर तुमने चुम्बन में साथ क्यों नहीं दिया मुझे..?’
‘मुझे नहीं आता… आप सिखाओगे? अच्छा पर अभी आप ऑफिस जाओ।’ वो मुझे धक्का देने लगी।
अच्छा बाबा..जाता हूँ।’ मैं हँसते हुए बोला।
‘मेरे लिए ऑफिस से वापस आते हुए क्या लाओगे..?’
‘एक गर्मागरम चुम्बन।’
‘मारूँगी हाँ..’ वो बनावटी गुस्से से बोली।
मैं जाते हुए बोला- अच्छा..अच्छा मैं लाऊँगा।
थोड़ी देर के लिए मैं घर से बाहर गया।
ऐसे ही नाटक करते हुए मैं वापस भी आ गया, वो कमरे में थी।
मैं चुपके से दूसरे कमरे गया, उसके लिए मैंने जो बीच ब्रा और जी-स्ट्रिंग पैन्टी खरीदी थी, वो पैकेट निकाला, इन कपड़ों को चूमा, फिर जैसे कि मैं ऑफिस से वापस आ गया होऊँ, वापस कमरे में आ गया, जहाँ वो लेटी थी।
फिर यूँ ही खेल के कुछ और हिस्से चले, फिर शाम भी हुई घूमने गए ऐसा करते-करते हमारे खेल में रात आई..
इस खेल के डिनर के बाद, जब हमें रात में एक साथ सोना था.. उस समय उसने पूछा- मेरे लिए क्या लाए?
मैंने पैकेट उसके हाथ में दिया- देखो…
‘क्या है?’ वो ब्रा और पैन्टी निकालते हुए बोली।
‘वाउ.. कितनी सुन्दर है ये.. पर ये तो बहुत छोटी-छोटी सी हैं।’
‘ब्रा और पैन्टी कोई बड़ी-बड़ी होती हैं क्या? मैं तो अपनी बीवी को ऐसी ही पहनाऊँगा..तुम पहन कर तो देखो।’
‘ओके देखती हूँ..सच आप वाकयी अच्छे पति हो.. आपको याद था कि मुझे ब्रा पहनना बहुत पसंद है.. थैंक यू..’
‘सिर्फ ‘थैंक यू’ से काम नहीं चलेगा पहन कर दिखाना पड़ेगा… मैं भी तो देखूँ कि इस खूबसूरत जिस्म पर ये कैसे सुन्दर लगती हैं।’
‘धत… मैं कोई इन कपड़ों में आपके सामने आऊँगी?’
‘क्यों भाई पति से शरमाओगी क्या? तो फिर दिखाओगी किसे..डार्लिंग? प्लीज़.. दिखाओ ना..’
‘अच्छा ठीक है.. पर दूर से देखना, पास ना आना… ओके?’
‘ठीक है बाबा..तुम जाओ तो सही..।’
‘और यह क्या है..?’
‘यह मेरा अंडरवियर है…’ मैंने अपना जॉकी उसके हाथ से लेते हुए कहा।
वो दूसरे कमरे में चली गई।
मैंने बिजली की सी फुर्ती से अपने कपड़े निकाले और सिर्फ वो नया जॉकी का अंडरवियर पहन लिया और आईने के सामने देखने लगा।
जैसे कि देख रहा होऊँ कि ये अंडरवियर कैसा लगता है।
अंडरवियर बहुत सेक्सी था.. सामने से सिर्फ लंड को ही ढकता था, बाकी उसमें सारे बाल तक दिख रहे थे।
उसने आवाज दी- मैं आऊँ?
‘हाँ हाँ..डार्लिंग. .मेरी जान आओ..’
वो थोड़ा शर्माती हुई आई, अभी मैंने उसके बदन की एक झलक ही देखी थी कि वो वापस पलट गई, ‘उउईईईंम्मा आप..!’
मैं उसके पीछे लपका और दूसरे कमरे में उसके सामने खड़ा हो गया।
‘आप.. नंगे क्यों हो गए..?’
‘मैं तो…अंडरवियर ..पा..आ..आ.. ह्हान..सीसी. .आ र्रर्र् देख रहा था..।’
फिर हमारे मुख में जैसे बोल अटक गए, मैं भी रोज कसरत करता था और मेरा बदन भी बड़ा गठीला था, वो मेरे जिस्म में खो गई और मैं उसके उठाव-चढ़ाव-उतराव में खो गया।
एक कमसिन अक्षत कौमार्य मेरे सामने लगभग नग्न खड़ी थी।
उस नई जवानी, भरे जिस्म पर वो उठे हुए कसे-कसे बड़े-बड़े मम्मे वो पतला सा पेट… दुबली सी कमनीय कमर और फिर चौड़े नितंब.. जी-स्ट्रिंग तो उसके गुप्तांग को भी पूरा नहीं ढक पा रही थी।
थोड़े थोड़े से रेशमी बाल भी इधर-उधर बिखरे थे। उसकी योनि पाव रोटी सी फूली हुई काफी बड़े आकार की और उभरी हुई थी।
उसकी वो मादक जंघाएं, पतली लम्बी टांगें.. बला की कामुक थी वो..फिल्म की हिरोइन भी क्या उसके सामने टिकेंगी।
मैं अचंभित सा कामुक दृष्टि से उसे ठगा सा ही देखता रहा और कब मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया… मुझे खुद ही पता ना चला।
‘जरा पीछे तो मुड़ो…’ मैंने अपना थूक अन्दर घुटकते हुए कहा।
वो मुड़ी।
‘आआह्ह व्वाअह्ह ह्ह्ह..’
क्या गज़ब का दृश्य था..दाग रहित गोरा दूधिया बदन… उसके नितम्ब बिल्कुल गोल आकार में थे..बड़े-बड़े पूरे नंगे जी-स्ट्रिंग उनको बिल्कुल भी नहीं ढक पा रही थी।
मैंने कहा- बहुत कमसिन और खूबसूरत है तुम्हारा बदन.. मेरी रिंकी.. बहुत मादक और कामुक हो तुम..
‘आअप भी बहुत सुन्दर और तगड़े हैं।’ वो बोली।
उसकी नजर मेरे तने हुए अंडरवियर पर थी।
मेरा लंड जैसे की अंडरवियर फाड़ देने को बेताब था, उसने अंडरवियर को एकदम 120 डिग्री का तनाव दिया हुआ था।
बगल से देखने पर मेरे अंडकोष.. जो कि लगभग अण्डों जैसे बड़े हैं.. बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे। और साथ में मोटी टनटनाती रॉड भी नुमायाँ हो रही थी, जहाँ पर मेरे लंड का सुपारा अंडरवियर को छू रहा था वहाँ अंडरवियर गीला हो गया था।
मैं आगे बड़ा, वो पीछे हटने लगी.. चलते समय मेरा लम्बा लंड ऊपर-नीचे हिल रहा था। मैंने देखा उसकी नजर वहीं पर थी, पीछे जाते-जाते वो दीवार से चिपक गई।
उसने एक मादक सी अंगड़ाई अपने बदन को दी.. मेरे लंड ने प्री-कम की एक और बूंद उगली।
‘मैं जानती हूँ उस दिन आप पुरुषों के किस अंग की साइज़ की बात कर रहे थे।’
मैंने उसे बाँहों में लेते हुए कहा- बताओ किस अंग की नाप की बात कर रहा था मैं?
अब तक मेरे हाथों ने उसकी कमर को पकड़ लिया था।
उसने अपने हाथ से मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को हल्का सा पकड़ते हुए कहा- इसकी… ये 9 इंच लम्बा है और 6 इंच मोटा है।
‘गुड..! किसने बताया?’
‘मेरी सहेली ने.. वो तो आपका ये देखना चाहती है।’
‘तुम नहीं देखना चाहोगी?’
उसने शरम से चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया, मैंने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाया उसके चेहरे पर से ज़ुल्फ हठाते हुए उसके कानों के नीचे..नरम गोस्त पर लरजता चुंबन दिया… मेरी ऊँगलियों ने ब्रा की डोरी खोल दी।
ब्रा गिर गई.. नंगे मम्मे जैसे ही आज़ाद हुए, उनके आकार में बढोत्तरी हुई और मेरे सीने पर उन्होंने दस्तक दी।
शायद नीचे मेरा लंड और थोड़ा लम्बा होकर थोड़ा और सख्त हो गया।
अब मेरे हाथ उसके चूतड़ सहला रहे थे। वो कामुक हो चुकी थी, उसके और ज्यादा कठोर होते मम्मे इस बात की गवाही दे रहे थे।
मैंने ज्यों ही पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसके गुप्तांग पर उंगली फिराई।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे अपने विचारों से अवगत करने के लिए लिखें।
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