एक ही घर की सब औरतों की चुदाई-1
(Ek Hi Ghar Ki Sab Aurton Ki Chudai-1)
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दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है, दिल्ली में रहता हूँ, मेरी उम्र 27 साल है.. मेरी लम्बाई 5 फीट 6 इंच है और मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। आप सभी ने मेरी अब तक की लिखी कहानियाँ पसंद की.. उसके लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद।
अब मैं अपनी नई कहानियाँ लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियाँ एक ही परिवार से हैं.. इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फैमिली के साथ रहते थे।
उसी में एक कमरा, किचन व बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।
मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल व उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके 2 बच्चे थे.. एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियाँ और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी.. बड़ी लडकी 26 साल की थी जिसकी एक लड़की भी थी व छोटी 23 साल की थी.. जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
उसके बाद 19 साल का भाई था व सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।
कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था.. उसकी उम्र 30 साल.. रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी.. क्योंकि उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।
गीता ने अपने जिस्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में जबरदस्त कसाव था।
जब पहली बार मैंने उसे देखा.. तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूँगा।
वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।
मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था.. जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था।
वो हल्के से मुस्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी। उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा।
धीरे-धीरे मैंने उनसे मजाक करना शुरू किया.. जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उनके नाजुक अंगों को छू लेता.. तो वो मुस्कुरा देती।
मैं उससे उनकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती।
मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. यह बात शायद वो समझ चुकी थी.. पर खुल नहीं रही थी।
एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचा कर अपने जेब में रख ली व घर जाकर रात को उसे याद कर पैन्टी से ही मुठ्ठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी.. कुछ परेशान दिख रही हो.. कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है.. जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ.. मैं अभी ढूँढ कर दे सकता हूँ।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे.. अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है।
मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ.. बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना.. वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका.. तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो..
मैंने कहा- भाभी आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ.. जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ.. उस पर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो.. तुम्हारी गर्ल-फ्रैन्ड नहीं है क्या.. उससे अपना काम चलाओ.. मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है.. भाभी मैं आप को ही अपनी गर्ल-फ्रैन्ड बनाना चाहता हूँ.. बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है.. पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।
मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई।
मैं हमेशा उसी समय जाता था.. जब उसका पति घर पर नहीं होता था।
एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।
भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी.. इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो.. मैं नहा कर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियाँ व दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा।
वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी.. इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी।
वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।
मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दूँ क्या.. आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- ठीक है.. एक मिनट रूको।
उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोल कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं। मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोल कर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ।
मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन व पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा.. वो मना करने लगी।
मैंने झटके उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई.. फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा.. तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।
अब मैं कहाँ मानने वाला था, चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा, वो गर्म होने लगी.. पर बार-बार कह रही थी- ना ना मत करो..
मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया.. तो वह और गरम हो गई व अजीब सी आवाजें निकालने लगी।
फिर वह मेरा साथ देने लगी व मुझे भी चूमने लगी, मैं पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, उन्हें मजा आने लगा.. वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी।
वो बोली- प्लीज राज.. अब मत करो.. मैं पागल हो जाऊँगी।
मैंने उन्हें भी नंगा किया और उनके पूरे शरीर को साबुन के झाग से भर दिया। उन्होंने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया और लण्ड चूसने लगी।
मेरा बुरा हाल हो गया था.. इसलिए मैंने उन्हें वहीं फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया।
मैंने लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा.. वो चिल्ला उठी।
वो बोली- राज.. आराम से.. आज बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ।
मैंने उनकी एक ना सुनी व लगातार धक्के लगाने लगा। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगे होने के कारण पूरा कमरा ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज से गूजने लगा।
वो लगातार चिल्लाए जा रही थी और पूरा मजा भी ले रही थी। थोड़ी ही देर में उसका दर्द कम होने लगा और वो नीचे से चूत उछालने लगी, उसे चुदने में बड़ा मजा आ रहा था, वो चुदते समय बहुत आवाज निकाल रही थी.. इसलिए मजा दुगुना आ रहा था।
कुछ देर के तूफान के बाद दोनों एक साथ ही अपने चरम पर पहुँच गए और मैंने अपने माल से उसकी चूत भर दी।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी.. आपको मजा आया या नहीं?
भाभी- बहुत मजा आया.. मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो.. इसीलिए बार-बार मेरे घर के चक्कर लगा रहे हो। मुझे भी एक घर का ही लण्ड चाहिए था.. बाहर चुदने में मेरी बदनामी हो सकती थी। अब तुम मुझे रोज चोदना.. मैं कब से प्यासी थी। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। मुझे अपने जैसा बच्चा दे दो। मेरे पति की कल से रात की डयूटी है। कल से तुम रात में यहीं सोना।
मैंने फटाफट उसकी एक बार और चुदाई की और कमरे में वापस आ गया।
अगले दिन मैंने मकान-मालिक के बड़े भाई.. जो मेरे वाले मकान में ही रहता था.. को बता दिया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब है.. इसलिए मुझे कुछ दिन रात को उसी के घर में ही रहना पड़ेगा।
अब तो रात होते ही मैं उनके घर चले जाता और पूरी रात उन्हें जमकर चोदता। एक महीने के अन्दर ही वो प्रेग्नेंन्ट हो गई। इस बीच उन्होंने एक-दो बार अपने पति से भी चुदवाया.. ताकि उसे शक ना हो।
आज उनके घर में मेरे रस से उत्पन्न एक सुन्दर बेटी है.. जो पूर्णतः स्वस्थ है। बेटी आने के बाद उनकी अपने पति से भी अच्छी बनने लगी है इसलिए मैंने उनके पास जाना बंद कर दिया।
मेरी वजह से किसी का घर बस गया.. मुझे तो बस इस बात की खुशी है।
आपको कहानी कैसी लगी, अपनी राय मेल कर जरूर बताइएगा। आप इसी आईडी पर मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।
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