चूत की आग के लिए मैं क्या करती-7
(Choot Ki Aag Ke Liye Mai Kya Karti- Part 7)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left चूत की आग के लिए मैं क्या करती-6
-
keyboard_arrow_right चूत की आग के लिए मैं क्या करती-8
-
View all stories in series
जब मैंने टाइम देखने के लिए फोन उठाया तो पता चला कि मेरा फोन तो चालू ही रह गया था और शायद विनोद ने बात सुन ली है।
मैं डर गई, मैंने सुनील को बताया और अपना फोन बंद कर दिया।
मैंने कहा- अब क्या होगा होगा सुनील?
सुनील- कुछ नहीं उसी ने तो इजाजत दी है ना तुमको! कह देना आज ही बुलाया था! और मेरा दोस्त है वो, जब मेरी शादी होगी तो मेरी बीवी के साथ कर लेगा।
फिर हम ऐसे ही बात करते हुए सो गए। रात को बीच में एक बार और किया, सुबह देर तक सोते रहे।
उठते ही सुनील ने कहा- अपनी सहेली सुनीता से बात करना, आज मजा करेंगे यार!
मैंने नाश्ता बनाया और हमने मिल कर खाया।
सुनील के दिमाग में तो सुनीता चल रही थी, उसने कहा- सुनीता को फोन लगाओ ना! कुछ बहाना बना कर बात करो ना!
मैंने कहा- क्या सुनील भैया! बेसब्रे न होइए, मैं वादा करती हूँ कि वो तुम्हारे साथ सेक्स करेगी, बस थोड़ा सब्र करो।
सुनील- भाभी, यही तो नहीं होता! बस मुझे आप दोनों के साथ सेक्स करना है पर कैसे होगा भाभी सब?
मैं- तुमको चिंता की जरुरत नहीं है, मैं सब कुछ कर लूंगी, जब मैं कह रही हूँ तो कोई कारण होगा। कह रही हूँ ना कि अभी फोन लगाती हूँ उसको।
और मैंने सुनीता को फोन लगाया, पहले इधर उधर की बात की फिर पूछा- जीजू कहाँ हैं?
वो बोली- नहीं है यहाँ! होगा वही मेरी सौत के यहाँ!
मैं- कब आयेंगे?
सुनीता- पता नहीं।
मैं- तू यहाँ आ सकती है क्या मेरे यहाँ 2-3 दिन के लिए? विनोद नहीं हैं, बाहर गए हैं, मजा करेंगे।
सुनीता- हाँ जरूर यार! मैं बस उनको फोन करके बोल देती हूँ कि मैं तुम्हारे यहाँ जा रही हूँ, शाम को 4-5 बजे तक मिलते हैं।
मैंने सुनील को खुशखबरी सुनाई- सुनीता आ रही है, 2-3 दिन यहीं रुकेगी, मजा करते हैं।
सुनील- और वो नहीं मानी तो क्या होगा भाभी?
मैं- तुम चिंता मत करो सुनील भैया! बस तुम देखो कि तुम्हारी भाभी क्या करती है।
और हम लोग नहाने चले गए, एक दूसरे को खूब रगड़ कर नहलाया, उसने मेरी चूत पर साबुन लगाया और खूब अच्छे से साफ की। मैंने उसके लंड को रगड़ रगड़ कर साफ किया। ऐसा करते हुए हमारा मन भटक गया और हमने बाथरूम में ही सेक्स किया, उसने मेरे कबूतर दबा दबा कर वो हाल कर दिया कि मुझे कहना पड़ा- धीरे यार!
उसने देर न करते हुए से मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे खड़े खड़े ही खूब चोदा। थोड़ी देर में ही मैं झड़ गई पर सुनील अब भी कर रहा था बिना रुके हुए! सुनील की रफ़्तार और तेज हो गई।
मैंने सुनील को कहा- सुनील भैया, मुँह में ही डालना माल!
उसने हामी भर दी, झटके से लंड बाहर निकाला, मुँह में आ गया और मुँह को चोदने लगा। थोड़ी देर में वो झड़ गया, मेरे मुँह में अपने वीर्य की गरम तेज धार छोड़ दी, मैं सारा वीर्य गटक गई।
सुनील- भाभी, आपको कैसा लगा मेरा माल? आप अपने आप ही बड़े मजे से पीती हैं। क्या बात है! आपकी यह अदा मुझे अच्छी लगती है।
मैं- भैया, मुझे पता नहीं तुम्हारे साथ सेक्स करने के बाद से वीर्य अच्छा लगने लगा है, वैसे मैं विनोद का भी लेती थी मुँह में, पर इतने शौक से नहीं! वैसे सबसे खुशबूदार और अच्छा माल सुशील का लगा, उसके बाद तुम्हारा, उसका लण्ड कितना बड़ा है ना?
सुनील- हाँ भाभी, मुझे देख कर बहुत अच्छा लगा, मन हुआ कि मैं हाथ लगा कर देख लूँ।
मैंने शाम की योजना बताई- तुम चले जाना सुनीता के आने से पहले! मैं अकेले में उससे सेक्सी बात करते हुए उसको सारी बात बताऊँगी, फिर मैं तुमको फोन करुँगी।
चार बजे सुनीता आ गई, मैंने उसका स्वागत किया, चाय पी और बैठ कर बात करने लगे।
मैंने उससे पूछा- राकेश तेरे साथ अब सेक्स करता है या नहीं?
उसने मना कर दिया- नहीं, वो बहुत बुरा है, महीने में एक दो बार करता है।
मैंने कहा- तो तुम किसी किसी और का सहारा क्यों नहीं लेती हो? मैं तो करती हूँ इनके एक दोस्त के साथ!
सुनीता- मेरी ऐसी किस्मत कहाँ? मुझे तो कोई नहीं मिलता।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी मदद करूँ अगर तुम चाहो तो?
सुनीता- सच? किससे, कैसे?
मैंने कहा- सुनील जिसके साथ मैं करती हूँ।
सुनीता- पर क्या वो मानेगा?
मैंने कहा- क्यों नहीं! मेरी बात नहीं टाल सकता है वो!
और मैंने सुनील को फोन लगाया, बोला- सुनील, मेरे घर आ जाओ!
सुनील आ गया। मैंने उन दोनों का परिचय करवाया। खाना बना हुआ था, हमने साथ बैठ कर खाना खाया।
बात करते हुए मैंने सुनील से कहा- सुनीता मेरी अच्छी दोस्त है, इसके पति सेक्स नहीं करते हैं ठीक से इसके साथ!
सुनील- अरे इतनी खूबबसूरत बीवी के साथ सेक्स नहीं करता है? आप बहुत खूबसूरत हैं सुनीता जी! आप जैसी बीवी मेरी होती तो मैं कम से कम 4-5 बार रोज सेक्स करता। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं- तो अब क्या इरादा है?
सुनीता- हे सुरभि, क्या बात करती है, मुझे शर्म आती है।
सुनील सुनीता के हाथ पर हाथ हुए बोला- सच सुनीता जी, मैंने आपसे ज्यादा खूबसूरत औरत नहीं देखी।
कहानी जारी रहेगी।
आपके मेल के इन्तजार में
[email protected]
What did you think of this story??
Comments