दोस्त से लड़ाई हुई तो चोदने का मजा मिला-1

जय
नमस्कार पाठको, मैं जय ग्रेटर नोएडा से, सबसे पहले आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आप सभी को मेरी पिछली सभी कहानियाँ काफी पसंद आईं और आपके सुझावों और सराहना के लिये शुक्रिया।
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं में पढ़ता था। और उस समय मेरी उम्र 18 वर्ष की थी, पर मेरी कद-काठी की वजह से मैं 20 वर्ष का लगता था।
हमारी ही कॉलोनी में एक लड़का और रहता था, जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनों लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे। उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे। मेरे दोस्त का नाम सन्जय है और उसकी बहन का नाम हिमानी था। वो बी एस सी फ़र्स्ट ईयर में पढ़ रही थी।
हिमानी बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा-चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी-बड़ी, मानो हर समय उसकी आँखें कुछ कहना चाहती हों। जब वो आँखों में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी, तो वो गजब ही ढा देती थी, शरीर उसका 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी थीं। उनका साईज तो लगभग 38″ रहा होगा, पर एकदम कठोर और कसी हुई थीं।
चूतड़ तो बस क्या कहने… एकदम भरे-भरे और सुडौल। जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी-बड़ी गेंद या फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हों।
वो आम तौर पर टाईट सलवार-कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमें उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी-कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी, तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उम्र का तो पता ही नहीं चलता था।
मैं तो शुरू से ही पढ़ने में बहुत होशियार था, खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। सन्जय गणित में बहुत कमजोर था, तो वो मेरे साथ ही पढ़ाई करता था।
साथ में हिमानी भी आकर पढ़ाई करती थी। अधिकतर पढ़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये सन्जय और हिमानी रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़ाई करने की वजह से मैं और हिमानी काफ़ी घुल मिल गए थे और एक-दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक-दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना-जाना रहता था। क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँ मेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थीं और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थीं।
हिमानी भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो जय है ना…! मैं तो जय से ही शादी करूँगी।
मम्मी हँस देती थीं।
हिमानी मुझसे भी कहती थी कि जय आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी कर लें और मैं जोर से हँस देता था।
मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्तमैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था, पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाए और मेरे साथ रात को पढ़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँ चल रही थीं।
एक बार सन्जय से मेरी कुछ कहा-सुनी हो गई और बात यहाँ तक बढ़ गई कि उसकी और मेरी बोल-चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद सन्जय रात को पढ़ने भी नहीं आया, केवल हिमानी ही आई। पर उसने हिमानी को यह नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिए वो रात को पढ़ने नहीं जाएगा।
हिमानी को उस रोज कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और हिमानी को भी जाने से रोकने लगा, तो उसका माथा ठनका और फिर हिमानी ने कह दिया कि तू जाए या ना जाए, वो तो जय के यहाँ ही पढ़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनों लगभग एक घन्टे पढ़ते रहे, कोई एक-दूसरे से कुछ नहीं बोला।
हम दोनों ही आमने-सामने बैठ कर पढ़ रहे थे कि अचानक उसने आँखें उठा कर मेरी तरफ़ देखा।
‘क्या तेरे और सन्जय के बीच कुछ लड़ाई हुई है?’
मैं चुप ही रहा और मेरी आँखों में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनों हाथों से मेरी कोली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया। पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आँखों में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नरम चूची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था, जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे, फिर वो बोली- जब तुम एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते, तो लड़ते क्यों हो, वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है।
चिन्ता ना करो, कल से मैं तुम्हारी बोल-चाल फिर से करवा दूँगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया। फिर बोली- चलो अब मुस्करा दो..!
जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी, जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।
उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गरमी थी, सो मैंने निक्कर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर-नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निक्कर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया।
तो वो बोली- तेरी जेब में क्या है.. जो मुझे चुभ रहा है?
मैंने हँसते हुए कहा- कुछ नहीं।
लेकिन वो बोली- कुछ तो जरूर है, जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं..!
यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निक्कर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी। अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर हिमानी के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिए और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैं अपनी जीभ हिमानी के मुँह में डालने की कोशिश करने लगा, जिस पर उसने अपना मुँह खोल कर अपने मुँह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसें बहुत तेज चलने लगी थीं और हम दोनों एक-दूसरे में खोये हुए थे।
थोड़ी देर बाद हम अलग हुए तो हिमानी ने पूछा- इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी?
मैंने कहा- नहीं आयेंगी… क्योंकि वो जानते हैं कि हम तीनों यहाँ पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें सन्जय के नहीं आने की बात मालूम नहीं है, जो चिन्ता करें और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गए होंगे।
फिर भी हिमानी बोली- दरवाजे की कुण्डी लगा लो..!
और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एकदम से मुझसे लिपट गई और बोली- जय मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।
मैंने भी कहा- प्यार तो मैं भी करता हूँ, पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिए लगता है कि शादी नहीं हो पाएगी।
तो हिमानी बोली- हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है। कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ, हम एक-दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना…!
और ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगी। हम दोनों खड़े हुए थे और एक-दूसरे को बाँहों में जकड़े हुए थे। एक-दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी हिमानी की जीभ मेरे मुँह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुँह में होती। अब उसने एक हाथ नीचे करके निक्कर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था।

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वो उसे सहलाने लगी और बोली- बहुत उछल-कूद मचा रहा है। अब देखती हूँ, इसमें कितना दम है।
अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूची दबा रहा था, तो दूसरे से मैं उसके गोल-गोल नरम चूतड़ों को दबा रहा था।
सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे मेरे हाथ उसकी चूचियों और चूतड़ों के गोलों को जोर से दबा रहे थे और उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं। वो लगातार सीत्कार कर रही थी, “ऊऊओह्हह आआह्हह्हह स्सस्सईई..” कर रही थी और ये सुन-सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर इसका हाल यूँ ही रहा तो लण्ड मेरी निक्कर फ़ाड़ कर बाहर आ जाएगा।
मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुए ऊपर से ही उसकी गाण्ड में ऊँगली कर दी। हिमानी एकदम चीख पड़ी और बोली- ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं सिर्फ़ हल्के-हल्के से करूँगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है।
हम दोनों थोड़ी देर तक यूँ ही एक-दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया, तो हमने एक-दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
हिमानी बोली- ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो..!
तो मैंने मना कर दिया और कहा- मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली- मुझे शरम आती है।
तो मैंने उसे कहा- जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूँगा। रोशनी में ही चोदूँगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिए। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी।
हिमानी बोली- क्या मेरे कपड़े फाड़ने का इरादा है, जरा आराम से उतारो ना..!
ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी। अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पैन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निक्कर में था।
हिमानी ने निक्कर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- मैं जानती हूँ कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता-आहिस्ता करना।
मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है?
कहानी अगले भाग में समाप्य।
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