देसी इंडियन आंटी के साथ चूत चुदाई का खेल

(Desi Indian Aunty Ke Sath Choot Chudai Ka Khel)

दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन है.. मैं पानीपत हरियाणा का रहने वाला हूँ, अभी भरपूर नौजवानी में हूँ। मैं बीबीए के दूसरे साल में पढ़ता हूँ। मेरा कद 5.7 है.. और बॉडी नॉर्मल है, मेरे लंड का साइज़ भी काफी लम्बा और मोटा है।

मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सेक्स कहानी पढ़ी हैं। आज मेरा भी मन आप सबको अपने सेक्स के बारे में बताने को हुआ है.. जिसने मेरी लाइफ में सेक्स की शुरूआत कर दी।

मेरा सेक्स जिन आंटी के साथ हुआ था उनका नाम सुनीता है। उनकी उम्र मुझसे दस साल बड़ी थी.. वो हमारी गली में सबसे खूबसूरत थीं, उनका फिगर साइज़ साधारण ही था और चूचियाँ ज्यादा बड़ी नहीं थीं लेकिन उनकी चूचियां बहुत टाइट थीं।

उस वक्त मैं गाँव में रहता था, सुनीता आंटी मेरे पड़ोस में ही रहती थीं.. जिन्हें मैं हमेशा कामुक नजरों से देखता था। कभी-कभी वो मुझे पढ़ाती भी थीं.. तो मैं उन्हें टच करता रहता था और उनके कसे हुए मम्मों को देखता रहता था, शायद उन्हें भी यह पता था।

वो सिर्फ मुझे ही पढ़ाती थीं। मुझसे उन्हें देखने और कभी टच करने से ज्यादा कुछ करने का साहस नहीं हुआ।

गर्मियों के दिन थे.. हमारे घर में इनवर्टर लगा होने से घर में ठंडक रहने के कारण गली के सब लौंडे वहाँ आ जाते थे।

एक दिन दोपहर को मैं सोया हुआ था.. लाइट चली गई और सुनीता आंटी नींद में ही अपने घर से आईं और मेरे साथ बिस्तर पर ही लेट गईं।

उनके लेटने से मेरी नींद खुल गई। मैंने उन्हें अपने बाजू में देखा तो बहुत हिम्मत करके आंटी के साथ कुछ करने की कोशिश की, मैंने नींद का बहाना करके आंटी के मम्मों पर हाथ रख दिया।

आंटी कुछ नहीं बोलीं ओर सीधी होकर लेट गईं। थोड़ी देर बाद मैं आंटी से लिपट गया और उन्हें टाइट पकड़ लिया। फिर ज़्यादा कुछ ना करते हुए ऐसे ही सो गया।

जब मैं सो कर उठा.. तो आंटी जा चुकी थीं। अब मुझे आंटी से आँख मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। पर आंटी ने मुझ से शाम को नॉर्मली ही बात की। इस घटना के बाद से वो मुझमें कुछ ज़्यादा ही इंटरेस्ट दिखाने लगीं।

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। हमारे रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गई थी सो सभी को वहाँ जाना पड़ा था। मेरे घर के 5 लोगों में से सिर्फ मैं ही अपने घर पर था उधर सुनीता आंटी के परिवार के लोग भी मेरे परिवार वालों के साथ इस गम में शरीक होने गए थे.. हम दोनों ही घर में अकेले बचे थे।

दोपहर को आंटी घर आईं और बोलीं- मैं बाल्टी लेकर नहाने जा रही हूँ.. 10-15 मिनट में बाल्टी लेने आ जाना।

मैंने उन्हें छुप कर देखा.. तो वो नहाने जा रही थीं।

आंटी नंगी नहा रहा थी

दस मिनट बाद मैं भी वहाँ अपनी बाल्टी लेने के लिए पहुँच गया। क्या नजारा था.. आन्टी के दूध जैसे गोरे बदन पर पानी की बूँदें क्या गजब नजारा पेश कर रही थीं।

आंटी के छोटे छोटे सेब जैसे बिल्कुल टाइट चूचे क्या लग रहे थे.. देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।

उन्होंने मुझे वहाँ देखा.. तो बोलीं- इतना जल्दी क्यों आ गया.. अभी तो मैं नहाई भी नहीं हूँ। चल अब आ ही गया है तो पीठ में साबुन लगा दे।

मैं साबुन लगाने लगा और मजे लेने लगा। मैंने जानबूझ कर साबुन ऊपर से आंटी के मम्मों के बीच में छोड़ दिया तो साबुन आंटी की वाइट और बिल्कुल साफ़ चूत पर जा गिरा।

आंटी ने टांगों को थोड़ा सा चौड़ा किया और साबुन उठाने को बोला।
मैंने साबुन उठाते हुए उनकी चूत को छू लिया, आंटी एकदम से सिहर गईं।

अब में आंटी के मम्मों पर साबुन लगाने लगा। आंटी अब गर्म हो चुकी थीं.. उनकी साँसों से उनके चूचे ऊपर-नीचे हो रहे थे।

मैं ऐसे ही साबुन रगड़ते-रगड़ते मम्मों को रगड़ने लगा और मेरा लंड आंटी की पीठ को रगड़ रहा था।

आंटी की चूत में साबुन लगाया

अब आंटी बोलीं- जरा सा साबुन नीचे भी लगा दे।
मैं ये सुनते ही खुश हो गया और आंटी की चूत पर साबुन लगाने लगा।
अब आंटी सिसकारियाँ भरने लगीं- जरा आगे तो आ.. मैं भी तो देखूँ तेरा कितना बड़ा लंड हो रहा है.. जो बार-बार कमर में रगड़ रहा है।

मैं आगे को आ गया, आंटी ने ऊपर हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ा और बोलीं- क्या बात है बेटा, तेरा डंडा तो बहुत मजबूत लग रहा है।

आंटी ने बैठे-बैठे ही मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और मेरे लंड को हाथ में ले लिया। वे बोलीं- ओह्ह.. ये तो बहुत बड़ा और मोटा है.. मुझे तो ऐसा ही लंड चाहिए था।

वो मेरा लौड़ा सहलाने लगीं और खड़ी हो गईं। उन्होंने मुझे हाथ से पकड़ किया और कमरे अपने की तरफ ले चलीं।
कमरे में आते ही आंटी ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
ये मेरा पहला सेक्स था.. और पहली बार किसी ने मेरा लंड मुँह में लेकर इस तरह से चूसा था। क्या बताऊँ मेरी तो आँखें ही नहीं खुल पा रही थीं।

उधर आंटी स्पीड से मेरा लंड चूस रही थीं। इस कारण से जल्दी ही मैं आंटी के मुँह में झड़ गया।
इसके बाद आंटी ने चित्त लेट कर अपनी चूत फैला दी और मुझसे चूत चाटने के लिए कहा, मैंने उनकी चूत को भर-भर के खूब चूसा।

आंटी के झड़ जाने के बाद हम दोनों कुछ देर यूं ही लेटे रहे। फिर चुदाई की बेला आ गई। आंटी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लौड़े को अपनी चूत में फंसा लिया, उन्होंने मुझसे कहा- अब पेल मेरी चूत भोसड़ी के..
मैंने झटका मार दिया और उनकी चूत मेरे लौड़े से निहाल हो गई।

मैंने उनके दूधों को चूसते हुए जबरदस्त तरीके से उनकी चूत की चुदाई की और उनकी चूत में ही झड़ गया।

बस इसके बाद तो मेरी और उनकी रासलीला गाहे-बगाहे खूब जमने लगी।

अब मैं शहर में आ गया और अब सिर्फ आंटी से फोन पर ही बात हो पाती है।

यह मेरी एकदम सच्ची सेक्स कहानी है। आपको कैसी लगी आप अपने ईमेल जरूर भेजिएगा।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top