गांव में पड़ोसन भाभी को चोदकर मां बनाया
(Desi Gaon Ki Chudai Kahani)
देसी गाँव की चुदाई कहानी में पढ़ें कि गाँव में एक डॉक्टर से पड़ोसन भाभी कैसे चुद गयी. भाभी के पति के पेट में दर्द के कारण भाभी डॉक्टर को अपने घर ले गयी थी.
मेरा नाम योगेश है. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मैं पेशे से एक डाक्टर हूँ.
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैं अपनी सेक्स कहानी आज पहली बार लिख रहा हूँ.
अगर कोई गलती हो जाए तो माफ करना.
मैं जिस समय की देसी गाँव की चुदाई कहानी बताने जा रहा हूँ, उस समय मेरी उम्र 26 साल थी.
मैंने अपने गांव में एक क्लिनिक खोल लिया था जो बहुत अच्छे से चल रहा है.
जब मैं खाली होता था तो गांव की औरतों को याद करके लंड को मसल लिया करता था क्योंकि मेरी अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
एक दिन मैं अपने क्लीनिक पर खाली बैठा हुआ था.
तभी पड़ोस की भाभी मेरे सामने से होकर निकल रही थी. उसे देख कर मेरे अन्दर एक अजीब सी हलचल हुई, मेरा लंड फुंफकार मारने लगा.
वो कहते हैं न कि दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम … और हर चूत पर लिखा है चोदने वाले लंड का साईज.
मुझे उस भाभी को लेकर बड़ी कामुकता चढ़ गई थी.
मैंने भाभी के बारे में एक अपने दोस्त से पूछा जोकि गांव में ही रहता था.
उसने मुझे भाभी के बारे में काफी कुछ बताया.
अब मैं आने जाने पर उस भाभी की तरफ ही देखता था.
इसी तरह काफी समय निकल गया.
अब भाभी भी कभी कभी स्माइल देने लगी थी.
मैं आपको भाभी के बारे में बता देता हूँ. भाभी की उम्र 25 वर्ष थी. उसका साइज 32-34-36 का था और वो एक मस्त शरीर की मालकिन थी.
उसका रंग खुलता गेहुंआ था लेकिन भाभी एक मस्त माल थी.
एक रात मैं अपनी क्लीनिक पर सो रहा था. तभी अचानक रात 11 बजे भाभी ने आवाज दी.
मैं अचानक उठा तो उनसे बात हुई.
पता चला कि भाभी के पति के पेट में दर्द हो रहा है जो क्लीनिक पर आने में असमर्थ था.
भाभी ने मुझसे अनुरोध किया कि आप घर पर आकर देख लें.
मैंने दो इन्जेक्शन व कुछ दवाई लीं और उनके घर पर आ गया.
वहां मैंने देखा कि उसका पति जो बहुत शराब पीता था, वो दर्द से बेचैन है.
मैंने उसे चैक किया और एक इन्जेक्शन लगा दिया. कुछ दवाई भी खिला दी.
तभी भाभी ने अपने बिस्तर पर ही मुझे बैठने को बोला- आप कुछ देर यहीं रुक जाओ, इनका दर्द रूक जाए तभी जाना.
दस मिनट में दर्द रूक गया और मैंने भाभी को बोला- आप पता करो दर्द तो नहीं है.
जब भाभी ने उससे पूछा तो उसने गर्दन हिला कर दर्द रूक जाने के संकेत दिया लेकिन उसे नींद आ गयी क्योंकि उस पर अभी भी शराब का नशा था.
मैंने भाभी से कहा- मैं जा रहा हूँ, अब इन्हें दर्द नहीं होगा. लेकिन यह अब सुबह ही उठेंगे, इन्हें रात को परेशान मत करना.
यह मैंने मजाक के लहजे में कहा, जिस पर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और रोने लगी.
मैंने भाभी से रोने के बारे में पूछा, तो भाभी ने रोते हुए कहा- इनका तो रोज का यही नियम है … शराब पीकर बेहोश हो जाते हैं और मैं रो रोकर रात गुजारती हूँ.
मैंने उससे कहा- भाभी तुम चिन्ता क्यों करती हो. सब ठीक हो जाएगा.
भाभी- कुछ ठीक नहीं होने वाला है. ये ऐसे ही रहेंगे और मेरा कुछ भी भला नहीं होने वाला है.
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो … मैं हूँ न … सब ठीक कर दूंगा.
इतना सुनते ही उसने मुझे पकड़ कर अपने बेड पर बिठा लिया और मेरे होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगी.
मैंने कहा- अगर यह जाग गया तो आफत हो जाएगी.
इस पर भाभी बोली- इसकी चिन्ता मत करो … यह तो भोसड़ी का शाम को सोकर सुबह आठ बजे उठता है.
मैंने भाभी के मुँह से उसके पति के लिए गाली सुनी तो हंस दिया- इतना गुस्सा क्यों करती हो … तेरा परमानेंट ठोकू तो ये ही है.
भाभी बोली- ठोकेगा तो तब … जब खड़ा होगा. साले का खड़ा तो होता नहीं है. ठोकेगा क्या.
अभी तक ये मेरा पहला मौका था इसलिए मैं कोई जल्दबाजी और रिस्क लेना नहीं चाह रहा था.
फिर मैंने भाभी की मस्त चूचियां मसल दीं जिससे भाभी की सीत्कार भरी एक आह निकल गयी.
मैंने कहा- मेरा पहली बार है, इसलिए मैं तुमसे बिल्कुल अकेले में मिलना चाह रहा हूँ.
इस पर भाभी बोली कि तुम क्लीनिक पर चलो और उसका गेट खुला रहने देना. मैं अभी आ रही हूँ.
तो मैं अपनी क्लीनिक पर आ गया और उसकी चुदाई के बारे में सोचने लगा.
मैं उसके बारे में सोचकर अपना लंड जो 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा था, उसको सहला रहा था.
तभी भाभी भी दबे पांव मेरे क्लीनिक पर आ गई.
मैंने तुरन्त क्लीनिक का मेनगेट लॉक कर दिया और उसकी तरफ घूमा.
भाभी मुझसे लिपट गयी.
मैं भी भाभी से लिपट कर मजा लेने लगा.
भाभी मेरे होंठों से होंठ लगा कर मुझे चूमने लगी.
मैं भी उसके मुँह में जीभ डालकर मजा लेने लगा.
भाभी बोली- सच में डॉक्टर साब मैं आज धन्य हो गई. ऐसा चुम्बन भी आज तक मेरे उस भोसड़ ने नहीं लिया.
मैंने भाभी के एक दूध पर हाथ रख कर उसे मसल दिया और कहा- आज तुम सब भूल जाओ भाभी … बस मेरे साथ चुदाई का मजा लो.
भाभी मेरे हाथ का मजा लेने लगी और उसने भी अपना हाथ मेरे लौड़े पर लगा दिया.
मेरा फूला लंड देख कर बोली- आह इसे कहते हैं लंड … उस साले का तो मरा हुआ मेंढक है.
मैंने कहा- सच में भाभी तेरी चूचियों में बड़ा रस भरा है. मुझे पीने दे.
भाभी ने अपने मम्मे खोल दिए और मैंने एक मम्मे को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
वो आह आह करने लगी.
यही 5-7 मिनट में मैं और भाभी दोनों बिल्कुल नग्न हो गए.
मैं आज पहली बार किसी औरत को नंगा देख रहा था.
भाभी मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी.
मेरे मुँह से अचानक आह की आवाज निकल गयी.
फिर मैंने देर न करते हुए भाभी को अपने चैम्बर में बेड पर लिटा लिया और लाइट जला दी.
इससे भाभी अपने हाथ से अपनी चूत को बन्द करने लगी.
फिर मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उसके मस्त चूचों को चूसने लगा.
भाभी को भी मजा आ रहा था. वो मजे में बोल पड़ी- साले पति ने आज तक मेरे चूचे नहीं चूसे.
मैंने कहा- अब तेरे चूचे भी चुसेंगे और चूत भी चुदेगी.
भाभी आह आह की आवाज करती हुई बोली- मेरे राजा, ज्यादा मत तड़पाओ … मुझे चोद दो.
फिर मैंने भी देर न की और भाभी की मस्त चूत की फांकों पर लंड रगड़ दिया.
इससे भाभी तड़प उठी और कहने लगी- आपका लंड बहुत मोटा है … यह मेरे अन्दर नहीं जा सकता.
फिर मैंने कहा- मेरी रानी, तेरी चूत की चुदाई कब से नहीं हुई?
तो भाभी कहने लगी- इसकी चुदाई तो कभी नहीं हुई है, बस जब उसके मन में आया तो वो मुझे पकड़ कर मेरी चूत के ऊपर ऊपर से ही दो चार झटके लगा देता है … और मुझे आग में डाल कर छोड़ देता है.
बातों ही बातों में मैंने एक धक्का लगा दिया जिससे मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया.
भाभी तड़पने लगी और मुझे धक्का देकर नीचे उतरने लगी.
इस पर मैंने कहा- यह सब काम तेरा पति कर देता तो आज तुझे परेशान नहीं होना पड़ता.
वो बोली- मुझे दर्द हो रहा है. तुम डॉक्टर हो, कुछ ऐसा करो कि मुझे दर्द न हो.
मुझे कुछ याद आ गया और मैंने रुई में लेकर सुन्न करने वाली दवा उसकी चुत पर मल दी.
वो सिर्फ देखने लगी.
मुझे मालूम था कि इसका मन बहलाने के लिए ऐसा करना जरूरी है वर्ना ये चूत नहीं चुदवाएगी.
फिर मैं हल्के हल्के लंड को चूत में घुसाने लगा.
उसे दर्द होने लगा तो वो बोली- कैसी दवा लगाई है कुछ असर ही नहीं हुआ है. मुझे दर्द अभी भी हो रहा है.
मैंने कहा- कुछ देर में सब ठीक हो जाएगा.
मैं लंड चुत में चलाता रहा.
कुछ ही देर में उसका दर्द मजा में बदल गया और अब वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदाई का मजा ले रही थी.
मेरा पहली बार था इसलिए मेरा माल कुछ ही मिनट में ही निकलने को हो गया.
मगर भाभी का ही इतनी देर में एक बार हो गया था और वो झड़ चुकी थी.
जब मैं झड़ने को आया तो मैंने भाभी से पूछा- कहां निकालूं?
तो भाभी ने कहा कि मैं आपको अन्दर तक महसूस करना चाह रही हूँ और मैं आपके बच्चे की ही मां बनूंगी.
इस पर मैं और जोश में आ गया और मेरी स्पीड तेज हो गयी.
मैंने भाभी की चूत अपने रस से भर दी और मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया.
पांच मिनट बाद मैं उसके ऊपर से उतरा तो देखा कि मेरा लंड उसके खून में सन चुका था.
फिर मैंने उसकी चूत देखी, तो चूत से खून व वीर्य बाहर निकल कर उसकी जांघों को भिगो रहा था.
भाभी मुस्करा रही थी.
मैंने रुई से भाभी की चुत को साफ़ किया और अपने लंड को भी साफ़ किया.
भाभी अपने कपड़े पहन कर जाने लगी.
मैंने उससे कहा- अब कब आओगी?
भाभी बोली- कल इस समय फिर आऊंगी.
फिर हमारा रोज का भाभी संग देसी गाँव की चुदाई का सिलसिला चल पड़ा.
एक महीने बाद भाभी दिन में ही अपने पति के साथ क्लीनिक पर आ गयी और घूंघट की आड़ से मुस्कराने लगी.
तभी उसके पति ने कहा- इसको उल्टी आ रही है.
मैंने कहा- कब से?
उसने बताया- पिछले तीन चार दिन से.
मैंने उसके पति को प्रेगनेंसी चैक करने वाली किट दी और कहा- चैक करके आओ.
भाभी तुरन्त उठी और बाथरूम में जाकर चैक करके आने ही वाली थी कि अचानक उसके परिवार में चाचा के गिर जाने से चोट लग गयी.
तो उसका पति उनको देखने के लिए भाग कर चला गया.
अब तक भाभी भी आ चुकी थी.
उसने मुझे किट दिखाई तो मैंने भी उसके चूचे को दबाकर उसे बधाई दी- तुम मां बनने वाली हो.
उसने भी मौके का फायदा उठा कर मेरे लंड को पकड़ कर गाल पर किस कर लिया और कहने लगी- इस लंड का ही तो कमाल है. आज मैं बहुत खुश हूँ.
मैंने भी उसको लगे हाथों बोल दिया कि अब मुझे कुछ महीने बाद चूत का काफी इन्तजार करना पड़ेगा.
वो मुस्करा कर कहने लगी कि उस वक्त मैं अपनी छोटी बहन को अपनी मदद को बुला लूंगी. अगर उससे बात बन गयी तो मुझे बच्चा होने तक आप उसकी चुदाई कर लेना.
इससे मैंने खुश होकर उसकी गांड पर एक हाथ मार दिया. अब वो अपने घर चली गयी.
मैंने उसकी छोटी बहन की चूत कैसे मारी, यह मैं आपको अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
आको यह देसी गाँव की चुदाई कहानी कैसी लगी? मुझे बताएं.
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