देहरादून वाली आंटी की चूत चुदाई
(Dehradun Wali Aunty Ki Chut Chudai)
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. अन्तर्वासना पर मैंने लगभग सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। कुछ मुझे सत्य लगीं और कुछ झूठ.. अब मैं आप सबको अपने बारे में बता दूं।
मैं राज.. देहरादून में इंजीनियरिंग के अंतिम साल का छात्र हूँ, इस साल मेरी डिग्री पूरी हो रही है. तो मैंने सोचा कि आप सबको भी अपनी कहानी के बारे में लिख देता हूँ।
मैं देहरादून के एक पॉश इलाक़े में रहता हूँ.. जिस घर में मैं किराए पर रहता हूँ उस घर की मकान-मालकिन हमेशा मुझे मुस्कुराती हुई नज़रों से देखा करती थी।
शुरू-शुरू में तो मैंने इसे नज़रअंदाज किया और अपनी स्टडी पर पूरा ध्यान देने में लगा रहा.. पर कहते हैं ना.. लण्ड का कोई ईमान-धर्म नहीं होता।
यही मेरे साथ भी हुआ।
उस दिन पूरे घर में सिर्फ़ वो और मैं ही थे.. मेरी भी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी.. तो मैं अपना कॉलेज जल्दी ख़त्म करके कमरे पर आ गया।
अभी मैं कुछ देर ही सोया होऊँगा.. कि दरवाजे पर किसी की दस्तक ने मेरी नींद खराब कर दी।
मैं बुरे मन से भुनभुनाता हुआ उठा और देखने गया कि कौन है.. जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. मेरे तो होश ही उड़ गए वो किसी 18 साल की लड़की से कम नहीं लग रही थी.. उनके दुद्धू.. क्या गजब ढा रहे थे यारों.. पूरे 36 इन्च नाप के होंगे एकदम तने थे.. और उसकी कमर 32 इन्च की..
मेरी मकान मालकिन जिसे मैं अब ‘लण्ड-लॉर्ड’ कहने लगा था.. मेरे सामने जीन्स और टॉप में खड़ी थी। वो एकदम गजब की माल लग रही थी।
मेरे तो लण्ड ने उन्हें देखते ही पजामे के ऊपर से उन्हें सलामी दे दी।
मैंने अपने ज़ज्बातों पर काबू करते हुए पूछा- जी.. कहिए.. कुछ काम था?
तो उन्होंने कहा- मुझे किसी पार्टी में जाना था.. पर तुम्हारे अंकल कहीं बाहर गए हैं.. तो क्या तुम मुझे उधर तक छोड़ दोगे?
मेरा मन तो नहीं था.. कहीं जाने का.. पर उनके साथ जाने का ख्याल सुन कर मैंने ‘हाँ’ कर दी।
मैंने उनसे कहा- आप मुझे दो मिनट का समय दीजिए.. मैं तैयार होकर नीचे ही आता हूँ।
उनका जवाब सुन कर तो मेरे होश ही उड़ गए.. उन्होंने कहा- ऐसा क्या तैयार होना है.. जो मुझे नीचे जाना पड़े.. यहीं मेरे सामने ही हो जाओ।
पर मैंने कहा- आपके सामने कैसे?
तो वो बोलीं- मेरे सामने तैयार होगे.. तो मैं तुम्हारा चोदन कर दूँगी क्या?
ये मेरे लिए दूसरा शॉक था.. मेरी तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है?
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फिर उनकी आवाज़ ने मेरी खामोशी को तोड़ा और बोला- यहीं खड़े-खड़े सोचते ही रहोगे.. या कुछ करोगे भी?
मेरा तो दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा था.. कि क्या करूँ.. तभी वो मेरे ऊपर आकर गिरी और मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और अपने अधरों को मेरे अधरों से मिला दिया।
मैं तो किसी सपने में होने जैसे था.. उन्होंने लगभग मुझे दस मिनट तक किस किया और उसके बाद बोलीं- नीचे मेरे बेडरूम में चलते हैं.. यहाँ कोई भी आ सकता है।
मैं चुप होकर मन्त्रमुग्ध सा.. उनके साथ नीचे चल दिया। इसके बाद उन्होंने कमरे की लाइट बंद की और पूरे कमरे में सिर्फ़ वो मैं और हमारी वासना थी।
सबसे पहले उन्होंने मुझे बिस्तर पर खींचा और मेरा पज़ामा उतार दिया और धीरे-धीरे मेरे लण्ड को जॉकी के ऊपर से ही सहलाने लगीं।
अब मेरा लण्ड जो अब तक एक डरा-सहमा सा था, अचानक ही उसमें एक नया जोश आ गया और मैं भी इसमें उनका साथ देने लगा।
फिर उन्होंने मेरे बदन का हर कपड़ा उतार के फेंक दिया और मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं और बीच-बीच में काटने भी लगीं..
इसके बाद मैं उनके ऊपर आया और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। उन्हें भी इसमें बहुत मज़ा आ रहा था।
इसके बाद उन्होंने मेरे बिना कहे ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी चूत की ओर इशारा करके कहा- राज.. आज इसे इसकी सही पहचान करा दो..
मैंने भी ज़्यादा देर ना करते हुए अपने लण्ड को उनकी चूत पर टिकाया और एक ज़ोरदार झटका लगाते हुए मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में जड़ तक उतार दिया।
इसके बाद हर झटके पर उनकी चीखों से पूरा कमरा गुलज़ार हो गया। दस मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मेरे पप्पू महाराज उनकी चूत के सामने नतमस्तक हो गए और इस सबके बीच में वो भी दो बार झड़ गई थी।
इसके बाद उस पूरे दिन में मैंने उन्हें 3 बार और रगड़ा और आज भी मैं उनके साथ अपने इस अनुभव को कभी नहीं भूल पाया हूँ।
आप लोगों को मेरी यह सत्य कहानी कैसी लगी। आपके मेल्स की प्रतीक्षा में… मैं राज शर्मा.. देहरादून से.. आप सबसे विदा लेता हूँ।
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