चूतिये ने चूत फाड़ी
(Chutiye ne Choot Fadi)
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मेर नाम डी. कुमार है, बदायूं जिले, यू पी निवासी हूँ।
मेरी शक्ल-ओ-सूरत सामान्य, रंग सांवला और शरीर बलिष्ठ और गठीला है।
आप सभी से प्रेरणा लेकर में अपने जीवन की सच्ची घटना का वर्णन आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरा पिताजी सरकारी विभाग में अधिकारी के पद पर थे, अतः अनेक शहरों में रहने का अवसर मिला।
मैं कम उम्र से ही अश्लील साहित्य का विशेष शौक़ीन रहा हूँ।
शुरू में मेरी लड़कियों में कोई रूचि नहीं थी लेकिन मोहल्ले की सभी लड़कियों और आंटियों के नाम का मुठ मरना मेरी रोज की आदत थी।
मैं पढ़ाई में हमेशा से अव्वल रहा हूँ इसलिए मोहल्ले की लड़कियाँ मुझसे पढ़ाई के बारे में पूछती रहती थीं मगर मेरी किसी से बात बढ़ाने की हिम्मत कभी नहीं हुई।
उस समय मेरी आयु 20 साल की थी।
इस उम्र में सेक्स पीक पॉइंट पर होता है।
उस समय पूरे मोहल्ले में केवल हमारे घर पर ही रंगीन टी वी हुआ करता था इसलिए मेरे पड़ौस के लोग अक्सर हमारे घर फिल्म देखने आ जाया करते थे।
उनमें एक बड़ी लड़की का नाम गीता था जो लगभग अट्ठारह साल की रही होगी क्योंकि उस समय उसके विवाह की बात चल रही थी।
उसके उभार गेंद की तरह थे और बिल्कुल कसे हुए और तने हुए थे। उसके चूतड़ भारी थे और जब वह हिरनी की तरह घर की सीढियाँ चढ़ती थी तब उन्हें देखकर मेरा लंड उछाल मारा करता था।
गीता मेरे घर केवल टी वी देखने आया करती थी, उसे मुझ में कोई रूचि नहीं थी, वो मेरी ओर देखती भी नहीं थी और नहीं बात करती थी।
मैं हमेशा उससे बात करना चाहता था मगर वो लिफ्ट नहीं देती थी।
एक दिन मैंने मौका देख कर उससे बात की और पूछा- क्या मेरी सूरत बहुत बुरी है जो तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं चाहती हो?
उसने कहा- मुझे तुम जैसे चूतियों मैं कोई इंटरेस्ट नहीं है।
मैं अपमान का घूँट पी कर रह गया मगर मेरे दिल में उसके लिए बहुत जगह थी इसलिए मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और अपने मन में उसे चोदने का पक्का इरादा बनाया।
एक रात हमारे घरों के परिजन एक शादी में शामिल होने के लिए शहर से बाहर गए थे। मैंने सोचा कि आज मौका अच्छा है और बात बन सकती है।
मैंने जाकर गीता के घर की किवाड़ खटखटाए तो उसने किवाड़ खोले और मुंह बनाकर पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- तेजाब फिल्म आ रही है, चाहो तो आकर देख लो।
उसने बुरा सा मुंह बनाया और मना कर दिया।
मैं अपना सा मुंह लेकर ऊपर आ गया और गुस्सा दूर करने के लिए टी वी देखने बैठ गया।
करीब दस मिनट बाद दरवाजा बजने की आवाज़ आई, देखा तो यह गीता ही थी।
मैंने खुश होकर उससे कहा- तुम ऊपर चलकर टी वी देखो, मैं चाय बनाकर लाता हूँ।
मैं खुश था, फटाफट चाय बनाकर ले गया और हम दोनों ने साथ साथ सोफे पर बैठ कर चाय पी और फिल्म देखने लगे।
हम दोनों फिल्म देख रहे थे कि अचानक ऐसे घटना हुई कि मेरा काम बन गया।
केबल संचालक ने गलती से ब्लू फिल्म का केसेट लगा दिया और फिल्म की जगह संभोगरत विदेशी जोड़ा नज़र आने लगा।
यह देखकर मैं भौंचक्का सा रह गया क्योंकि मैंने साहित्य तो बहुत पढ़ा था लेकिन सीन पहली बार देख रहा था।
गीता को मानो काटो तो खून नहीं था।
हम दोनों की उत्तेजना कुछ मिनट में ही बहुत बढ़ गई।
मैंने लपक कर टी वी बन्द कर दिया और गीता को जाने के लिए कहा।
वह बोली- मुझे बाथरूम जाना है।
मैं समझ गया कि वो गर्म हो गई है।
मैंने कमरे से लगे बाथरूम की तरफ इशारा कर दिया और वह तेज तेज कदमों से अंदर चली गई।
जब वो बाहर निकली तो उसकी आँखों में अजीब सा नशा तैर रहा था, शायद वह चुदने के मूड में आ गई थी।
जैसे वो वाश बेसिन पर झुक कर हाथ धोने लगी, मैं चुपके से उसके पीछे जाकर उसके चूतड़ सहलाने लगा, मेरा लंड कपड़े फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था।
मेरा लण्ड अब उसकी गाण्ड पर दस्तक दे रहा था..
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने पीछे से ही उसके स्तनों को सहलाना और दबाना शुरू कर दिया।
वह बोली- धीरे दबाओ प्लीज़ !
मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी, अब मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाना शुरू कर दिया।
एक मिनट बाद ही उसकी चूत गीली होने लगी, उसने कहा-बिस्तर पर चलो प्लीज़!
मैं उसे गोद में उठा कर बिस्तर तक ले गया और पलंग पर लिटा दिया।
उसने हरा कुरता और गुलाबी सलवार पहन रखी थी।
पलंग पर लिटा कर मैंने उसके कपड़े उतार दिए और अब वह काली ब्रा और पेंटी में थी, उसका भरा हुआ बदन, बड़े स्तन और गोल गोल भरी जांघें बड़ी ही सुन्दर लग रही थी।
वह पलंग से उठी और मेरी कपड़े भी उसने एक एक कर के उतार दिए और अन्त में उसने मेरा कच्छा एक झटके से उतार दिया।
चूँकि यह मेरा पहला मौका था, इसलिए मुझे भी शर्म आने लगी लेकिन मैंने खुद को सम्भाल लिया।क्योंकि अश्लील साहित्य लगातार मेरा मार्ग दर्शन कर रहा था।
दोस्तों मेरे लंड की यह विशेषता है कि यह 1.5 इंच मोटा और 6 इंच लम्बा है जोकि सामान्य अवस्था मैं मात्र 1.5 इंच ही दिखाई देता है।
दूसरा इसका हैड वाला भाग सामान्य से अधिक और तीन इंच मोटा है जिसके कारण यह सामान्य अवस्था में एक खजूर की तरह दीखता है मगर गर्मी पाकर यह छः इंच लम्बे भाले में बदल जाता है।
ईश्वर का उपहार यह है कि शुरू से आज 37 साल की आयु तक सेक्स का टाइम कम से कम 60 मिनट? ही बरक़रार है।
इसी कारण मेरी अनगिनत लड़कियाँ दोस्त हैं।
वह मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी जिससे मेरी गर्मी बढ़ने लगी।
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और पैंटी नीचे खींच दी, उसे बिस्तर पर टाँगें फैला कर लिटा दिया और खुद नीचे जमीं पर बैठकर उसकी गोल छोटी और बिना झांटों वाली चूत को निहारने लगा।
पहली बार दर्शन होने के कारण मुझे बुखार सा आने लगा था।
वह शरमा गई और हाथों से अपना मुखड़ा छुपा लिया उसने !
मैंने देर न करते हुए उसकी चूत को जीभ से चाटना शुरू कर दिया, उसके माथे पर पसीना आ गया और मुख से सिसकारियाँ निकलने लगीं- अरे नहीं मैं पागल हो जाऊँगी… प्लीज़… मेरे चूतिये, मुझे अब और मत तड़पा… आह… आह !
मैंने भी जीभ चूत में जीभ डालकर घुमाना शुरू कर दिया तो उसने पानी छोड़ दिया और वो गालियाँ बकने लगी- अरे मेरे चूतिये, मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूँ… अब तू मुझे और मत तड़पा… फाड़ दे मेरी चूत को… उफ़… हाय रे!
उसकी ख़राब हालत को देखते हुए मैंने उसे पलंग पर लिटा कर उसकी टांगों के बीच मैं बैठ कर अपना लंड का हैड उस पर घिसना शुरू किया तो वह बेकाबू हो गई।
मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
उसके मानो प्राण ही निकल गए, बोली- तूने तो मेरी चूत फाड़ दी… यार… अरे मेरे… चूतिये, मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रही… अब देर मत कर… प्लीज़ फाड़ दे इसको… हाय रे !
उसकी चूत बहुत कसी हुई और गीली हो रही थी। मुझे एक बार को ऐसा लगा कि मैं झड़ न जाऊँ, इस लिए एक मिनट रुक कर दोबारा फुल स्पीड में धक्के लगाना शुरू कर दिया।
अब उसको भी मजा आने लगा था और वो चूतड़ ऊपर करने लगी थी, कमरा फ्चर फचर की आवाज़ों से गूँज रहा था।
चालीस मिनट की चुदाई के बाद जब हम थोड़ा थक गए तो मैंने उसके मुंह में अपना लंड घुसा दिया, मुझे लगा कि वो मना करेगी मगर वह तो उसे थूक से गीला करके आइसक्रीम की तरह स्वाद लेकर दस मिनट कर चूसती रही, मुझे जन्नत से भी ज्यादा मज़ा आ रहा था।
अब मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो फ़ौरन पोजीशन में आ गई और अपनी चूत फैला दी।
मैंने फुल स्पीड में उसकी चूत मारना शुरू कर दिया।
हमारे मुंह से सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी, मैंने अपने दोनों हाथों से उसके स्तनों को पकड़ रखा था और उन्हें दबाता जा रहा था।
वह लगारार बोल रही- मार… मेरे यार… हाय मेरे चूतिये… कस के मार प्लीज़ फाड़ दे मेरी…
कहने के साथ वो झड़ गई और उसने अपनी टाँगें सिकोड़ ली।
मैंने उसके ऊपर आकर चुदाई शुरू कर दी, अब वह चीख रही थी- प्लीज़, मेरी सूज गई है इसलिए जल्दी निकाल दो ना!
मैंने 15 मिनट की चुदाई के बाद चूत में ही वीर्य छोड़ दिया और निढाल होकर लेट गया।
उसने प्यार से मेरा चुम्बन लिया और बोली- आई लव यू मेरे चूतिये !
उसके बाद उसकी शादी हो गई और मेरे पिताजी का तबादला अलीगढ़ हो गया।
उस दिन की यादें आज भी मेरे जहन में तरोताजा हैं, मैं वह दिन कभी नहीं भुला सकता हूँ।
मेरा अनुभव आपको कैसा लगा, प्लीज़ जरूर बताएँ।
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