चूतड़ पड़ोसन दीदी के, मिला चुदाई का मजा
(Chutad Padosan Didi ke, Chudai ka Maza)
मेरा नाम विशाल है, मैं अकोला का रहने वाला हूँ।
यह बात एक साल पहले की है।
मैं जब मेरी इंजीनियरिंग करके घर आया था उसी दौरान हमारे घर का नया निर्माण हुआ था।
हमने घर की ऊपर की मंजिल में 3 कमरे निकाले जिसमें एक हाल, रसोई और शयनकक्ष था।
पैसे की जरूरत की वजह से हमें वो कमरे किराए पर देना सही लगा।
उस समय हम लोगों ने मकान का वो हिस्सा एक शादीशुदा जोड़े को दे दिया, जिन्हें एक छोटा बेटा भी था।
मकान के उन कमरों में से एक कमरे में मैं रहने लगा।
जब हमारे घर के 2 कमरे किराए पर दे दिए गए, तो मैं सामने के कमरे में रहने लगा और वे लोग पीछे बने हुए दो कमरों में रहने लगे।
एक दिन जब मैं घर आया तो मैंने देखा कि उस किराएदार की औरत एक मस्त माल है और उसका बच्चा जो कि अभी 6 साल का था वे लोग ही मेरे घर में रहने आए हैं।
मैंने उस समय उस औरत को देखा वो पीले रंग की साड़ी में थी।
मैंने ध्यान नहीं दिया।
मैं सिविल सेवा की तैयारी कर रहा था तो मैं दिन भर घर पर ही रहता और वो औरत भी घर पर ही रहती।
फिर जब उसका काम खत्म होता तो वो मुझसे बातें करती।
इससे हमारी नजदीकियाँ बढ़ीं और हम लोग काफी बातें साझा करने लगे।
उसका नाम वैशाली था.. मैं प्यार से उन्हें विशु कहता था.. उसने मुझे भाई मान लिया था।
उसका पति दिन भर बाहर रहता और शाम को घर लौट आता। एक दिन जब वो और उसका पति बाहर जा रहे थे तो मैंने देखा कि उसने चूड़ीदार पजामा वाली पंजाबी ड्रेस पहनी हुई है।
मेरा ध्यान उसकी तरफ गया। वो काफी भरी-पूरी लग रही थी। उसके मम्मे तने हुए दिख रहे थे और उसकी सफ़ेद सलवार चुस्त होने के कारण के ऊपर से ही उसके चूतड़ उभरे हुए और कड़क दिख रहे थे।
मैं तो उसे देख कर पगला सा गया। फिर अगली सुबह मैं उससे बातें करने गया तब उसका पति जा चुका था।
मैंने उसे जानबूझ कर छेड़ा- दीदी, तुम कल बड़ी खूबसूरत दिख रही थीं।
मैं उसे दीदी कह कर ही बुलाता था या ताई कहता था.. विशु ताई हँस पड़ी।
मैं बोला- तुम साड़ी मत पहना करो, तुम्हारे ऊपर कल रात वाली ड्रेस ही अच्छी लगती है।
वो समझ गई.. मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ।
उससे मैंने कहा- तुम उसमें सेक्सी दिखती हो।
वो थोड़ी शर्मा गई।
मैं वहाँ से चला गया फिर दीदी कपड़े धोने के लिए बाहर आ गई।
मैं खिड़की से उसको देखता रहा.. वो इस वक्त भी एक चुस्त कपड़ों में ही थी। कपड़े धोते समय बैठने से उसके चूतड़ बहुत चौड़े हो गए थे।
मुझसे रहा न गया… मैं उसके पास गया।
मैंने उससे कहा- दीदी, यह ड्रेस भी अच्छी है। सब मस्त दिखता है।
तभी उसका बेटा स्कूल से आ गया।
मेरा मन उसके चूतड़ों में बड़ी गांड में मेरा लण्ड डालने का था।
मैं उसके बेटे को कमरे में ले गया और उसको खेलने के लिए अपना लैपटॉप दे दिया और बाहर आ गया।
मैंने दीदी को बोला- अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ?
दीदी बोली- पूछो।
मैं बोला- तुम हमेशा ऐसे कपड़े क्यों नहीं पहनती हो?
वो बोली- बाहर के लोग देखते हैं।
मैं बोला- क्या देखते हैं?
तो बोली- कुछ नहीं।
मैंने फिर बोला- बताओ न दीदी।
तब बोली- इससे सब दिखता है न..
मैं बोला- तो क्या हुआ मुझे भी तो दिखता है…
वो शर्मा गई। मेरी उसके चूतड़ से नजर हट नहीं रही थी।
मैंने दीदी को बोला- बाहर से अच्छे से नहीं दिखता।
तो दीदी बोली- कोई बात नहीं.. मैं कल से साड़ी पहना करुँगी।
मैंने कहा- क्या मैं तुम्हें छू सकता हूँ?
वो बोली- क्या छूना है?
तो मैंने कहा- तुम्हारे चूतड़..
वो चौंक गई.. वो एकदम से उठी और मना करते हुए चली गई।
फिर जब दीदी अन्दर गई तो मैंने सोचा कि अब वो अपने पति को सब बता देगी.. तो मैं डर गया और उसे समझाने गया।
अचानक से मैंने देखा कि दीदी अपने कपड़े बदल रही थी।
मैंने जो देखा मैं पागल सा हो गया उसके चूतड़ कमर से नीचे बहुत बड़े और कसे हुए थे।
सांवले रंग के उसके चूतड़ बहुत मस्त दिख रहे थे।
मैं तो जैसे पागल हो गया, उसका पेट भी बहुत सपाट था और उसके मम्मे बहुत बड़े-बड़े थे.. पर एकदम तने हुए थे।
मैं वहाँ से निकल आया और एक बार मूठ मारी।
जब दीदी बाहर आई तो वो ग़ुस्से में नहीं थी।
मैंने दीदी से पूछा- मुझे माफ़ कर दीजिए।
वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे इस उम्र में ऐसा होता है।
मैंने दीदी को कहा- क्या आप मुझे बता सकती हैं.. कि ब्रा कैसे खरीदी जाती है.. मुझे अपनी गर्ल-फ्रेंड को देनी है।
वो बोली- उसका साइज़ होता है।
मैं बोला- मुझे उसका पता नहीं.. क्या आप बता सकते हो कि साइज़ कैसे पहचानते हैं।
तो दीदी ने पूछा- गर्लफ्रेंड की काया दिखने में कैसी है?
मैं बोला- थोड़ी-थोड़ी आपके जैसी.. आपका नाप भी चलेगा।
तो दीदी बोली- ठीक है तुम वो ब्रा और एक ड्रेस लो जिसकी फिटिंग 34D 28 38 हो।
मैंने पूछा- मतलब दीदी?
दीदी ने कहा- अरे पागल 34D यानि की छाती और कप का साइज़ और 28 मतलब कमर और 38 नीचे का नाप।
मैंने पूछा- नीचे का क्या दीदी?
वो बोली- वो ड्रेस वाला बताएगा।
मैं जिद करने लगा, “नहीं दीदी आप ही बताओ न..
तो दीदी शरमाते हुए बोली- चूतड़…
उसके मुँह से चूतड़ शब्द सुनते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पूछा- अगर आप बुरा ना मानो तो क्या आप मुझे अपने चूतड़ दिखा सकती हैं।
वो शर्मा गई।
मैं बहुत जिद करने लगा।
फिर वो बोली- ठीक है.. पर तुम अन्दर आ जाओ..
मैं अन्दर गया।
दीदी ने मेरे पीछे पीठ करके अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार नीचे गिरी, अब वो सिर्फ पैन्टी में थी।
उसके चूतड़ बहुत बड़े दिख रहे थे।
मैं बोला- दीदी क्या आप वो कच्छी भी निकाल दोगी प्लीज़।
दीदी कुछ न बोलीं.. मैं झट से गया और दीदी को पकड़ लिया।
मेरा 7″ का लण्ड एकदम खड़ा हो गया और दीदी भी गर्म हो गई।
मैं दीदी की चड्डी को नीचे सरकाने लगा।
तब मुझे पता चला कि वो भी गीली हो चुकी है।
मैं समझ चुका कि दीदी भी लण्ड लेना चाहती हैं।
मैं उनके पीछे था और मेरा लण्ड दीदी के चूतड़ के बीच गांड को छू रहा था।
मैंने दीदी के मम्मों को पकड़ लिया।
मम्मे पकड़ते ही मैंने देखा कि ऊपर से सख्त दिखने वाले मम्मे तो बेहद नरम हैं और क्यों भी न हों, उनकी नाप 34D की जो थी।
मेरे उनके मम्मों को हाथ लगाते ही मेरे अन्दर करंट सा दौड़ उठा।
मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
मुझे बहुत मज़ा आने लगा था।
दीदी चुपचाप खड़ी थीं।
मैं उसके स्तनों को भींचने लगा।
तभी दीदी ने पलट कर मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया।
हमारी वासना इतनी बढ़ चुकी थी कि कब हम लाग बिस्तर पर चले गए और पूरे नग्न होकर अपने गुप्तांगों का मिलन करवा दिया हमें होश ही नहीं हुआ।
बस मुझे इतना याद है मैं दीदी की चूत में अपने लवड़े को डाल कर धकापेल चुदाई कर रहा था।
कुछ ही मिनटों में हम चरम पर आ चुके थे और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए।
कुछ देर बाद दीदी ने मुझे चूमा और कहा- विशाल, तुम बिस्तर में बहुत मजेदार हो।
उस दिन से विशु दीदी मेरी पक्की जुगाड़ बन चुकी थीं।
आपके विचारों का स्वागत है।
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