मैंने चूचियों से अमृत पिया
रोहन
नमस्कार मित्रो, मैं रोहन, 22, अहमदाबाद का रहने वाला हूँ।
सबसे पहले मैं आपको ये बता दूँ कि ये अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है। मैं मेरे साथ घटी एक सत्य घटना को आपके सामने बयान करने जा रहा हूँ।
यह बात कुछ हफ्ते पहले की ही है। मैंने और मेरे बाकी रूम-मेट पिछले महीने ही फ्लैट बदला है, सामान लगाते हुए काफ़ी रात हो गई थी और हम काफ़ी थक गए थे, इसलिए पता ही नहीं चला, कब आँख लग गई।
सुबह उठते ही जब हमने मौसम का मज़ा लेने के लिए खिड़की खोली, तभी मेरी नज़र सामने बाल सुखाती एक लड़की पर पड़ी।
उसके हवा में लहराते रेशमी बाल और सूरज की पहली किरण में चमकते सुनहरे बदन को देख कर मैं दंग रह गया। ऐसा लग रहा था, जैसे स्वयं मेनका आसामान से उतर कर हमारा ध्यान भंग करने आई हों।
मैंने उसी दिन मन ही मन ठान लिया था कि मैं उसे अपना बना कर ही रहूँगा पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
थोड़े दिनों बाद पता चला कि वो शादीशुदा है और उसे एक साल का बच्चा भी है। यह जान कर मेरे होश उड़ गए और मैं बहुत उदास हो गया। मैंने अपना सारा ध्यान काम पर लगा दिया।
लेकिन दोस्तो, आपको तो पता ही है हर प्यार का एक वक्त होता है और शायद मेरे प्यार का भी वक्त आ गया था।
रोज की तरह मैं शाम को जिम जा रहा था और मैं काफ़ी जल्दी में था। तभी मेरी नज़र रिक्शा से उतरती भाभी और उनके बच्चे पर पड़ी। भाभी के पास बहुत सारा सामान था, जिसकी वजह से वे बच्चे और सामान एक साथ नहीं उठा पा रही थीं, तभी मेरी नज़र भाभी की नज़रों से मिली।
तभी मुझे यह बात का एहसास हुआ कि वो मुझे सहायता की नजर से देख रही हों।
यह देख कर मैं उनकी मदद करने पहुँच गया, मैंने उनका सामान उठाया और उनके साथ चलने लगा।
तभी भाभी ने मुझसे पूछा- तुम वही हो ना जो सामने के फ्लैट में रहने आए हो?
मैं- हाँ..!
भाभी- तुम क्या करते हो?
मैं- इंजीनियर हूँ।
भाभी- तुम कहाँ के रहने वाले हो?
मैं- भोपाल !
भाभी- तुम्हारी शादी हो गई?
मैं- नहीं !
इतनी देर में भाभी का घर आ गया।
मैं सामान रख कर जाने लगा, तभी भाभी ने मुझे बैठने को कहा और मेरे मना करने के बावजूद भी उन्होंने मुझे शरबत पिलाया।
घर पर भाभी के सास और ससुर भी थे। भाभी ने मुझे उनसे मिलवाया और मैं उनसे मिल कर जिम चला गया पर उस एक मुलाकात ने मेरे अन्दर सोए हुए सारे अरमानों को फिर से जगा दिया।
अब दिन-रात मैं भाभी के ख्यालों में खोया रहता।
जल्दी ही मैंने भाभी के घर आना-जाना बढ़ा दिया, किसी भी बहाने से मैं भाभी के घर पहुँच जाता था।
एक दिन मुझे पता चला कि उनके सास-ससुर कुछ दिनों के लिए गाँव जा रहे हैं और उनके पति दिव्येश भाई कंपनी के काम से एक दिन के लिए राजकोट जा रहे थे। भाभी और उनका बच्चा घर पर अकेले थे।
रोज की तरह मैं उस दिन भी भाभी के घर काम के बहाने जा पहुँचा और बच्चे के साथ खेलने लगा, खेलते-खेलते बच्चे को चोट लगी और वो रोने लगा।
भाभी के काफ़ी चुप कराने पर भी जब वो चुप नहीं हुआ, तब भाभी ने उसे अपने स्तन से चिपकाया और विपरीत दिशा में बैठ कर उसे दूध पिलाने लगीं।
तभी मेरी नज़र भाभी के सामने लगे आईने पर पड़ी, जिस आईने में भाभी के ऊपरी उभार को साफ-साफ देख रहा था। कसम खुदा की, मैंने आज तक ऐसे ताज के गुम्बद से, दूध से भी सफेद स्तन कभी नहीं देखे थे।
यह नज़ारा देख मेरी तोप सलामी देने लगी, मैं अपना आपा खोने लगा और धीरे-धीरे अपने लण्ड को पैन्ट के ऊपर से ही सहलाने लगा। तभी भाभी की नज़र आईने पर पड़ी और हमारी नज़रें मिल गईं।
अब मैं शरमा कर घर से जाने लगा, तभी भाभी ने मुझे आवाज़ लगा कर बैठने को कहा और खुद मुन्ने को लेकर अन्दर चली गईं। थोड़ी देर बाद जब मुन्ना सो गया, तब भाभी ने मुझे आवाज़ लगा कर अन्दर के कमरे में बुलाया और बिठाया।
मुझे लगा कि भाभी रो रही थीं, पर मेरे कुछ पूछने से पहले ही भाभी जी रो पड़ीं।
यह देख कर मैं उनके पास गया और इसके पहले मैं कुछ बोलता, वो मुझसे लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगीं। मैंने उनको जी भर के रोने दिया, फिर थोड़ी देर बाद उनको शांत करते हुए पूछा।
तब उन्होंने मुझे अपनी सेक्स लाइफ की सच्चाई बताई। तब मुझे पता चला कि उनकी मुस्कराहटों के पीछे कितना दर्द छुपा है। पति की मार्केटिंग की जॉब होने के कारण महीने भर शहर दर शहर घूमते रहते थे और भाभी को वक़्त नहीं दे पाते थे।
यह सब कहते हुए भाभी मुझसे चिपकी हुई थीं, उनके स्तन से मेरी छाती चिपके हुए थी और मुझे इस बात का एहसास दिला रही थीं कि धरती पर स्वर्ग यहीं है।
धीरे-धीरे मेरा लण्ड और सख्त होता जा रहा था, ना जाने कब मेरा हाथ उनकी गर्दन से फिसल कर उनके पीछे से होते हुए उनकी कमर पर जाकर लिपट गया और उन्हें खींच कर अपने करीब कर लिया।
तब मैंने देखा कि भाभी की आँखें बंद थीं और वो धीरे-धीरे साँसें ले रही थीं।
यह देख कर मैंने अपने होंठ उनके होंठ पर चिपका दिए। उनके गुलाबी होंठों का रस पी कर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा मुझे अमृत पिला रही हो।
अचानक भाभी ने मुझे धक्का देकर अपने से दूर कर दिया और कहा- यह सब ग़लत है।
पर मैं कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था। मैंने वापस से भाभी को अपने तरफ खींचा और उन्हें कस कर पकड़ा और चूम लिया। इस बार भाभी भी मेरा साथ देने लगीं।
मैंने चूमते-चूमते भाभी के बाल खोल दिए, उनके रेशमी बालों के स्पर्श से मैं और भी कामुक हो गया। अब भाभी भी मुझे पागलों की तरह चूम रही थीं, मैं धीरे से अपना हाथ भाभी के पेट पर ले गया और उनकी साड़ी खींच कर निकाल दी।
भाभी ने भी बेपरवाह हुए अपनी साड़ी को अपने जिस्म से अलग कर दिया, यह देख कर मैंने भी अपना शर्ट निकाल फेंका।
मैंने भाभी को अपने गोद में उठाया और पलंग पर ले जाकर लेटा दिया। मैंने भाभी का पेटीकोट ऊपर करके उनकी पैन्टी को उतार फेंका और मुँह उनके दो पैरों के बीच में डाल कर, बड़े प्यार से उनके चूत का रस पान करने लगा।
तभी भाभी के मुँह से धीमी-धीमी सिसकारियाँ निकलने लगीं और वो और भी पागल होने लगीं।
अब भाभी मेरा सिर पकड़ कर अपने चूत में घुसाने लगी। मैंने लपक कर उनके ब्लाउज को उनके सीने से अलग कर दिया।
भाभी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी, उनके सफेद स्तन और उस पर गहरे रंग की गुलाबी निप्पल देख कर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मैं किसी भूखे भेड़िए की तरह उनके स्तन को मसलने और चूसने लगा।
अब भाभी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थीं और सिसकारियां भर रही थीं। भाभी ने मुझे अपने तरफ खींच कर मेरी पैन्ट को निकाल दिया। मेरे लंड को अंडरवियर से बाहर निकाल कर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। मैंने भी देरी नहीं करते हुए अपने अंडरवियर को निकाल फेंका और भाभी की मुँह में लौड़ा डालने-निकालने लगा।
अब मैं भी पागल होता जा रहा था।
मैंने एक बार फिर से भाभी को लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया, मैंने भाभी की टाँगें फैलाईं और अपना लोहे जैसे खड़े लंड को उनके अन्दर डाल दिया।
यह सब इतनी तेज़ी से हुआ कि भाभी की चीख निकल गई, पर मैंने बिना रुके भाभी की चुदाई चालू रखी।
दस मिनट तक भाभी की चूत मारने के बाद मैं झड़ गया और अपना सारा रस उनकी चूत में ही गिरा दिया। पर भाभी का मन अभी भरा नहीं था।वे मेरा लंड फिर से मुँह में लेकर चूसने लगीं, उनके ऐसा करने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
पर इस बार भाभी खुद ही पीछे घूम कर अपनी गाण्ड मेरे हवाले कर दी। उनकी गाण्ड की गोलाई तो ऐसी थी कि कोई भी देख कर पागल हो जाए।
बस ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ।
मैं भी पागलों की तरह उनकी गाण्ड मारने लगा। उन्हें परेशान करने के लिए मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में घुसा दी और गाण्ड में लंड डाल कर मारने लगा।
वो नीचे होतीं तो मेरी ऊँगली उनकी चूत में घुसती और ऊपर आतीं तो मेरा लंड उनकी गाण्ड में घुसता।
दोस्तो, उनकी गाण्ड मार कर मैं पागल हो गया।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना सब रस उनकी गाण्ड में छोड़ दिया। अब हम दोनों थक गए थे, एक़-दूसरे से लिपटे हुए ही हमें ना जाने कब नींद आ गई।
दोस्तो, मुझे ज़रूर बताइएगा कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी।
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