किरायेदार भाभी की रजाई में चुदाई का कार्यक्रम
(Bhabhi Ki Chut Mari)
भाभी की चूत मारी उसी के घर में उसकी रजाई में घुस कर! मैं उनके घर जाता था तो भाभी मुझे अपना जिस्म दिखा कर रिझाती ललचाती थी. एक दिन मैंने उन्हें चोद दिया.
दोस्तो, मेरा नाम राज है, मैं दिल्ली में रहता हूँ. मेरी उम्र 27 साल है और हाइट 5 फुट 7 इंच की है. मैं स्लिम हूँ, पर मेरा लंड काफी लम्बा और मोटा है.
दिल्ली में हमारा अपना काफी बड़ा घर है. ये सेक्स कहानी मेरे घर पर किराये पर रहने आए एक भैया भाभी की है.
मैं आगे बढ़ने से पहले आपको उस भाभी के बारे में थोड़ा बता दूँ जिस भाभी की चूत मारी मैंने!
भाभी का नाम आंचल था, उनकी उम्र 33 साल थी. हाइट 5 फुट 4 इंच की थी और फिगर 34-32-36 का बड़ा ही टाईट था. भाभी बहुत गोरी थीं.
ये कपल आज से कुछ समय पहले हमारे घर किराए पर रहने आया था.
भैया बैंक में जॉब करते थे और भाभी हाउस वाइफ थीं.
कुछ ही दिनों में भैया भाभी के साथ हमारे घर जैसे रिश्ते बन गए थे.
कभी वो लोग हमारी फ्लोर पर आ जाते, तो कभी हम नीचे उनकी फ्लोर पर चले जाते.
चूंकि आने जाने पर किसी को कोई पाबन्दी नहीं थी इसलिए जब भइया ऑफिस चले जाते थे तो मैं अक्सर भाभी के पास नीचे रूम में चला जाता था.
भाभी को मैं बहुत पसंद था. वो मुझे अक्सर नई नई डिश बना कर खिलाती थीं.
हम दोनों आपस में काफी घुल-मिल गए थे.
एक दिन की बात है, भाभी ने मुझे नीचे दीवाली की सफाई में हाथ बंटाने के लिए बुलाया.
कमरे की सफाई करते वक़्त भाभी जब पानी का पाइप लगा कर फर्श धो रही थी, तो मेरी नज़र उनके मोटे मोटे चूचों पर जा पड़ी. दूधिया रंग के बड़े और मोटे चुचे एकदम खरबूजे की तरह तने थे.
भाभी के कड़क चूचों को देख मेरा दिमाग ख़राब हो गया.
उनकी सफ़ेद रंग की सलवार भी जांघों तक पानी में भीग चुकी थी, जिसके चलते उनकी झीने कपड़े की सलवार में से उनकी ब्लैक कलर की पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी.
भाभी ने भी मुझे एक दो बार अपने चूचों को ताड़ते देख लिया था.
ये देख कर वो थोड़ा सा मुस्करा भी गयी थीं मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं था.
ऐसे ही भाभी के साथ उन्हीं के घर पर बातों और मुलाक़ातों का सिलसिला कुछ टाइम तक चलता रहा.
इस बीच भाभी मुझसे काफी खुल कर बातें करने लगी थीं और मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार कर एक तौलिया लपेट कर बाथरूम में चली जातीं.
मैं भी भाभी को यूं अधनंगी देख कर गर्म हो जाता था.
एक दिन भाभी मुझसे बोलीं- मैं तुम्हारे सामने कपड़े उतार कर बाथरूम चली जाती हूँ तो तुम्हें खराब तो नहीं लगता!
मैंने कहा- नहीं भाभी मुझे तो कुछ खराब नहीं लगता.
भाभी बोलीं- मतलब तुम्हें अच्छा लगता है!
मैं उनकी इस बात पर सकपका गया. मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या जवाब दूँ.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- तुम बड़े भोले हो राज.
मैं भी हंस पड़ा और मैंने भी कह दिया- भाभी, आप मुझे अच्छे से जानती हैं, तो क्यों मुझे अपनी बातों में फंसा लेती हैं!
भाभी ने एक गहरी सांस ली और बोलीं- मैं कहां तुम्हें फंसा पाती हूँ.
मैंने हकलाते हुए कहा- क..क्क्या मतलब भाभी?
भाभी बोलीं- मैं तुमको फंसा रही हूँ और तुम फंस ही नहीं रहे हो … इसका और क्या मतलब समझाऊं!
मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी ने मुझे चुप देखा तो बोलीं- चलो आज तुम मेरा एक काम कर देना.
मैंने कहा- हां बोलो न भाभी … क्या काम करना है?
भाभी बोलीं- आज मेरी पीठ पर तुम साबुन लगा देना … काफी दिनों से मेरी उसमें बड़ी खुजली हो रही है.
मैंने अवाक होते हुए भाभी की तरफ देखा और हैरानी से उन्हें देखने लगा कि भाभी कह तो पीठ पर साबुन लगाने की हैं, मगर खुजली किधर हो रही है, ये उन्होंने साफ़ नहीं कहा.
भाभी बोलीं- क्यों क्या हुआ … कुछ दिक्कत है क्या?
मैंने हकलाते हुए कहा- भ..भाभी मैं आपकी पीठ पर कैसे साबुन लगा सकता हूँ?
भाभी बोलीं- अरे वो सब मैं बता दूंगी कि कैसे साबुन लगाना है. जब मैं आवाज दूँ तो तुम बस बाथरूम में आ जाना.
मैं चुप हो गया.
फिर भाभी ने एक पेटीकोट उठाया और उसे अपनी सलवार के ऊपर पहन लिया. इसके बाद उन्होंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार सरसराती हुई नीचे गिर गई.
भाभी ने पेटीकोट को पकड़ा हुआ था, तो सलवार पकड़ने के लिए उन्होंने कोई हुज्जत ही नहीं की.
मैं चूतियों की तरह भाभी को कपड़े उतारते हुए देख रहा था.
फिर भाभी ने घूम कर मेरी ओर पीठ कर ली और अपनी कुर्ती को ऊपर उठाया.
मुझे भाभी की ब्रा की पट्टी दिखाई देने लगी.
भाभी ने कुर्ती को अपने गले से ऊपर करते हुए उसे निकाल दिया, फिर पेटीकोट को अपने मम्मों तक चढ़ा लिया.
अब उन्होंने अपने दोनों हाथ पीछे लाकर अपनी ब्रा का हुक खोला और उसे पेटीकोट के ऊपर से निकाल दिया.
मेरे सामने भाभी की मदमस्त जवानी खुल कर नजर आने लगी. भाभी ने पेटीकोट को अपने मम्मों से ऊपर बांध लिया था और नीचे से उनकी गोरी गोरी पिंडलियां साफ़ दिखाई देने लगी थीं.
अब भाभी ने मेरी तरफ घूम कर कहा- चलो राज, मैं बाथरूम में जा रही हूँ. जब मैं आवाज दूँ तो तुम आ जाना.
कुछ देर बाद भाभी की आवाज आई तो मैं बाथरूम में चला गया.
भाभी एक स्टूल पर अपनी पूरी पीठ नंगी किए हुई झुकी बैठी थीं.
उन्होंने अपने दूध अपनी टांगों में छिपा रखे थे और पीठ पूरी खोल दी थी.
भाभी ने कहा- साबुन लगा कर पीठ को घिस दो राज.
मैंने कांपते हाथों से भाभी की पीठ को रगड़ना शुरू किया.
भाभी को मेरे हाथों से बड़ा मजा आ रहा था और मेरे लंड की मां चुदी जा रही थी.
कुछ देर बाद भाभी ने मुझसे हटने को कहा और वो नहाने लगीं.
मैं बाहर आ गया और मुठ मारकर अपने घर चला गया.
एक दिन सुबह के टाइम लाइट नहीं थी.
उस समय भैया ऑफिस जा चुके थे.
तब मुझे भाभी के रूम से उनकी राज राज नाम की आवाज आती सुनाई दी.
मैं जब नीचे गया, तो लाइट ना होने की वजह से रूम में काफी अंधेरा था.
मैंने मोबाइल की लाइट चालू करके देखा, तो भाभी बेड पर रजाई में लेटी थीं. उस वक़्त सर्दियों का टाइम था.
मैं बेड पर भाभी के पास जाकर बैठ गया और भाभी से पूछा कि क्या हुआ भाभी … आप मुझे क्यों बुला रही थीं?
उन्होंने कहा- मेरी तबियत ठीक नहीं है … मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है. तू प्लीज थोड़ी देर मेरा सर दबा दे.
मैंने कहा- ठीक है भाभी आप आराम से लेट जाओ, मैं आपका सर दबा देता हूँ.
उन्होंने मुझे मोबाइल की लाइट बंद करने को कहा कि पहले अपने मोबाइल की मेरी आंखों में चुभ रही है.
मैंने झट से लाइट बंद कर दी और भाभी का सर दबाने लगा.
थोड़ी देर में भाभी बोलीं- तेरे हाथों में तो जादू है राज … मुझे बहुत आराम मिल रहा है.
ये कह कर भाभी पेट के बल उल्टी लेट गई.
भाभी बोलीं- राज प्लीज़ थोड़ी कमर भी दबा दो.
मैंने उनकी कमर दबानी आरम्भ की तो मेरे हाथों ने उनकी ब्रा का हुक महसूस किया.
कमर दबाते दबाते मैंने भाभी के बगल में भी हाथ ले गया और उधर दबाने लगा.
इससे भाभी के चुचे भी थोड़े थोड़े दबने लगे.
भाभी को भी गर्मी चढ़ने लगी और अब उन्होंने हल्की हल्की सिसकारियां भरना शुरू कर दीं.
मैं भी भाभी के चूचों के स्पर्श से पूरा चार्ज हो गया और मैंने भाभी को कमर के बल लेटने को कहा.
भाभी मान गयी और करवट लेकर कमर के बल लेट गईं.
मैंने भाभी के पैरों को दबाना शुरू किया और उनके पैर की उंगलियों से धीरे धीरे उनकी जांघों तक हाथ लाकर उनकी जांघें मसलने लगा.
मेरा लंड भाभी की चुत के लिए पागल होने लगा था. उनकी तरफ से कोई विरोध भी नहीं दिख रहा था.
मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के पेट पर रखा और पेट को सहलाने लगा.
भाभी अपने पैर आपस में रगड़ने लगीं, इससे मुझे पता चल गया था कि अब भाभी भी पूरी चार्ज हो गयी हैं.
मैंने हिम्मत करके पेट से अपना हाथ सरकाया और उनकी सलवार में उनकी पैंटी के ऊपर ले जाकर रख दिया.
भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी में डाल दिया.
आह … भाभी की चुत के ऊपर घुंघराली झांटों ने मेरा दिल धड़का दिया था.
मेरा दिल बस अब भाभी की चुत को टेस्ट करने का काम रह गया था.
मैंने भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया. अगले ही पल मैंने उनकी सलवार और पैंटी को खींच दिया और नीचे एड़ी तक उतार दिया.
भाभी ने खुद बा खुद अपने पैर फैला दिए ताकि मैं बीच में बैठ कर उनकी रसीली चूत को टेस्ट कर सकूँ.
मैंने भाभी की चूत को चाटना चालू कर दिया- आह … आह … राज … मैं बहुत प्यासी हूँ आहंह चाट लो मेरी चुत को आह!
भाभी तेज तेज सिसकारियां भरने लगीं.
मैंने कुछ देर बाद भाभी से बैठने को कहा.
तो भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया और आंखें बंद करके लेटी रहीं.
मैंने उन्हें उठा कर बिठाया और उनकी कमीज उतार दी.
भाभी की ब्रा में तोप से तने मम्मे मेरी नजरों को चुभ रहे थे. मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों मम्मों को थाम लिया और मसलने लगा.
मैंने भाभी की ब्रा को बिना खोले ही ऊपर उठा दिया जिससे उनके चूचे ब्रा से आज़ाद हो गए और मैं उन्हें ऐसे चूसने लगा, जैसे वो आम हों.
फिर मैंने भाभी को लिप किस की और अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लंड निकाल लिया.
लंड टनाटन था तो भाभी ने मस्त निगाहों से लंड को निहारा.
मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया.
भाभी पूरे जोश में मेरा लंड चूसने लगीं.
कुछ देर के बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और भाभी को भी पूरी नंगी कर दिया.
हम दोनों रजाई में घुस गए और चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो गया.
कभी मैं भाभी के ऊपर होता … तो कभी भाभी मेरे ऊपर आ जातीं.
मैं भाभी की चुत में लंड पेल कर उन्हें चोदने लगा. भाभी की आहें मस्ती बिखेरने लगीं.
कुछ ही देर में रजाई को एक तरफ करके मैं भाभी की चुत को भोसड़ा बनाने में लग गया.
भाभी को भी मेरे लंड से चुदने में बड़ा मजा आ रहा था.
कोई दस मिनट की चुदाई में भाभी झड़ गईं और उनके बाद मैं भी उन्हीं की चुत में झड़ गया.
इस तरह से मैंने भाभी की चूत मारी.
चुदाई के बाद भाभी मुझसे लिपट गईं और चुदाई की कहानी कहने लगीं- पता है राज … मैंने तुमसे क्यों चुदवाया.
मैंने कारण पूछा, तो भाभी बोलीं- मुझे तुमसे एक बेबी चाहिए है.
मैंने उन्हें फिर से चूमा और वादा किया कि मैं आपको मां बना दूंगा.
हमारी चुदाई यूं ही चलने लगी और कुछ दिनों के बाद भाभी पेट से हो गईं.
नौ महीने बाद भाभी ने एक बेटे को जन्म दिया.
मैं डर रहा था कि कहीं बेबी की शक्ल मुझसे न मिलने लगे.
मगर ये ठीक ही रहा था कि बेबी की शक्ल भाभी से मिल रही थी.
बेबी होने के कुछ दिन बाद जब भाभी अस्पताल से घर आ गईं तो मैं भाभी से मिलने गया.
उस समय भाभी की बहन उनकी देखभाल के लिए आई थी.
मैं बेबी को देखने लगा और मैंने उनसे कहा- बेबी बिल्कुल आप पर गया है.
मेरी इस बात पर भाभी की बहन मुस्कुरा दीं.
भाभी भी अपनी बहन को देख कर हंसने लगीं.
मैं समझ नहीं पाया कि ये दोनों किस बात पर हंस रही हैं.
मैंने भाभी की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में उनसे पूछने लगा- क्या बात है, आप दोनों क्यों हंस रही हैं?
तभी भाभी की बहन बोल पड़ी- राज जी, शायद आपको इस बात का गम है कि बेबी आप पर नहीं गया है!
मैं एकदम से सकते में आ गया और उसकी तरफ देख कर हैरानी जताने लगा.
तभी उसने मुझसे कहा- मुझे भी एक बेबी दे दो प्लीज़!
उसी समय भाभी ने हंस कर कहा- मेरी बहन को सब बात पता है. तुम चिंता मत करो.
ये सुनते ही मैंने भी हंस दिया और भाभी की छोटी बहन से वादा कर दिया कि तुमको भी मां बना दूंगा.
दोस्तो, भाभी की बहन ने मुझसे कैसे चुदवाया और किस किस तरह से सेक्स कहानी में घुमाव आया.
वो सब आपके मेल मिलने के बाद अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.
आप बतायें कि जैसे मैंने भाभी की चूत मारी, वो पढ़ कर आपको मजा आया?
धन्यवाद.
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