पड़ोसन भाभी रूपा का रूप
(Bhabhi Boobs Sex Kahani)
भाभी बूब्ज़ सेक्स कहानी में हमारे नए घर के पास की एक भाभी को मैं पसंद करने लगा. उसकी बड़े कप वाली ब्रा देखी तो मुझे उसके बूब्ज़ से प्यार हो गया. वह भाभी मेरे लंड के नीचे कैसे आई?
बात उन दिनों की है जब हमने किराये का नया घर लिया।
नयी जगह होने के कारण मन नहीं लगता था।
शाम को घर आने के बाद मां और मेरी छोटी भानजी जो कि हमारे पास ही रहती थी, टीवी पर हक जमा के बैठ जाते.
मैं छत पर टहलने चला जाता, फोन में गाने सुनता और टहलता।
एक दिन अचानक मेरी नज़र पड़ोस की छत पर सूख रहे कपड़ों पर पड़ी।
जिनमें सबसे आकर्षक थी ब्रा … मैं दंग रह गया।
ब्रा देखते ही मेरा मन डोलने लगा।
मैं सोच में डूब गया कि यह किसकी है।
थोड़ी ही देर में मुझे एक परछाई दिखाई दी.
परछाई में भी मुझे सिर्फ उभरे हुए वक्ष ही दिखाई दे रहे थे।
मेरा मन बेचैन हो उठा था, दिल उसको देखना चाह रहा था।
पर थोड़ी ही देर में परछाई गायब हो गई।
मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।
सुबह मैं फिर छत पर गया पर कोई नजर नहीं आया।
पूरा दिन मैंने जैसे तैसे निकाला और रात को छत पर टहलने गया।
आज फिर एक ब्रा सूख रही थी, वह भी लाल रंग की साथ में लाल रंग की पैंटी भी।
मैंने देखा एक औरत गीले बालों को झाड़ रही है।
अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ साफ साफ नहीं दिखाई दे रहा था।
पर मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी.
मैंने अपनी छत की लाइट चालू की तो मैं देखता ही रह गया।
वह बहुत ही सुंदर औरत थी।
मैं बस उसे देखता ही रह गया। तभी वह अंदर चली गई।
दूसरी रात भी मुझे नींद नहीं आई।
मुझे वह ब्रा ही ब्रा दिख रही थी … बड़े-बड़े कप वाली!
मेरा दिल चाह रहा था कि बड़े कप वाली औरत को पास से देखूँ।
मोहल्ले में मैं नया-नया था तो किसी को नहीं जानता था।
मां से थोड़ी जानकारी ली मोहल्ले के बारे में तो उन्होंने पड़ोस में भाभी के बारे में बताया।
यह भाभी बूब्ज़ सेक्स कहानी इसी पड़ोसन की है.
मां ने बताया कि वह घर आई थी मिलने के लिए, बोली- कोई काम हो तो बताना।
मैं अब गली में चक्कर निकालने लगा, शायद वह मुझे दिख जाए।
एक दिन ऐसा ही हुआ।
वह अपने गेट पर खड़ी थी.
मैं उसे देख कर हैरान हो गया, बड़े बड़े स्तनों पर मेरा दिल आ गया मेरा लन्ड मचलने लगा।
तब मैं उसको देख कर मुस्कुराया, वह भी मुंह पर हाथ रखते हुए अंदर घुस गई।
अब तो मेरा मन उसे कस के पकड़ने को कर रहा था, मन कर रहा था उसके गठीले बदन को अपने हाथों से मसल दूं।
मेरा लन्ड उछल रहा था।
ऑफिस जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था मेरा … लेकिन जैसे तैसे खुद को समझा कर ऑफिस गया।
शाम को जल्दी ही घर आ गया.
मैंने मां से पूछा- पड़ोस में किसी से दोस्ती हुई क्या?
माँ ने कहा- हां हुई ना … पड़ोस में जो बहू है, उससे!
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ.
मैंने पूछा- उसका नाम क्या है मां?
माँ ने कहा- उसका नाम उसके रूप जैसा ही है ‘रूपा’
मैं रात होने का इंतजार कर रहा था.
तभी घंटी की आवाज सुनाई दी।
मैंने अपनी भानजी से दरवाजा खोलने के लिए कहा।
दरवाजा खोलते ही उसने कहा- नानी मां, रूपा आंटी आई हैं.
मैं बेसब्र होकर गेट की तरफ भागा।
मैंने उसे इतने नजदीक से देखा.
क्या मस्त खुशबू थी उसके बदन की! क्या लहराती चाल थी … चलती थी तो दोनों बम पीछे से मस्त लग रहे थे।
मैं उसे एकटक देखे जा रहा था.
वह माँ से बोली- आज मेरे पति लेट आएंगे घर! तो मैंने सोचा आप के पास चली जाती हूं थोड़ी देर।
मैंने कहा- हां हां, क्यों नहीं, बैठो।
मैं तो जैसे कोई सपना देख रहा था।
तब मां ने अचानक मुझे ठोकते हुए कहा- आज छत पर नहीं घूमेगा?
मां को क्या बोलूं … जो छत पर चांद दिखता था, वह मेरे सामने है.
मैंने मां की बात टालते हुए कहा- आज तो मुझे टीवी देखने दो, आप बातें कर लो।
माँ ने कहा- हां हां, आज तो तो टीवी देख ले।
मैंने मां से कहा- भाभी के लिए चाय तो बना लो!
तो मां ने कहा- तू ही बना दे, बहुत अच्छी चाय बनाता है।
पड़ोस वाली भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.
मुस्कुराते वक्त उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लग रहे थे.
मैं तो बस उनके ब्लाउज से जो थोड़े थोड़े बूब्स निकले हुए थे, उन्हीं को ताक रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि दबा दूँ दोनों बूब्स को!
गोरे-गोरे पेट पर उसकी छोटी सी नाभि इतनी प्यारी लग रही थी।
मैं उसे निहारता हुआ रसोई में चला गया.
तब मैंने उससे पूछा- चाय में अदरक लोगे या मसाला?
वह बहुत ही सेक्सी अंदाज में बोली- जो आप पिलाओगे वहीं पी लेंगे।
मेरा लन्ड तो उछल कूद कर ही रहा था.
अचानक रूपा भाभी किचन में आ गई, बोली- पानी तो पिला दो!
मैं उसके सामने ही देखता रह गया।
उसमें मनचले अंदाज में मेरे गाल खींचे और हंसने लगी।
मुझे तो जैसे नशा हो गया था।
चाय तैयार होते ही भाभी ने बोला- मुझे बडे कप में देना!
मैं तो सोचता ही रह गया.
मैंने खुद को संभालते हुए कहा- मुझे भी बड़े कप ही पसंद हैं।
वह छोटी सी मुलाकात मुझे और रोमांचित कर गई।
धीरे धीरे वह भी मुझे ताकने लगी, उसकी आंखें जैसे गहरा समंदर वह मुझे देखती तो मुझे लगता डूब जाऊं इन आंखों में!
और वह तिरछी नजर से मुझे इशारे देने लगी मानो जितनी तड़प मुझे है उसे छूने की, उससे कहीं ज्यादा वह मेरे करीब आना चाहती है।
धीरे धीरे वह मेरे घर आने के बहाने ढूंढने लगी और मैं उसे ‘घर में अकेली कब होती है’ वह समय देखने लगा.
जब भी मौका मिलता, वह मुझे छूकर निकल जाती और मेरा अंतरंग खिल उठता.
मेरा मन करता था कि दोनों हाथों से उसके स्तन दबा दूं, निचोड़ दूं.
कभी मेरा मन करता कि छोटे बच्चे की तरह उसकी गोद में सोकर आराम से चूस लूं.
और वह मेरे बालों में हाथ फिराए!
अब तो हर समय सिर्फ रूपा ही नजर आती.
मुझे तलाश थी एक मौके की और इन्तजार उसकी हां की।
एक दिन शाम को बारिश हो रही थी.
मैं छत पर गया तो देखा रूपा भाभी पीली नाइटी में बारिश में नहा रही है और उनका पूरा बदन भीगा हुआ नाइटी के अंदर से दिख रहा है.
मेरा कंट्रोल मुझ पर नहीं हो रहा था.
इतने में ही भाभी बोली- क्या कर रहे हो? लड़का होकर कपड़े पहन कर बारिश में नहा रहे हो? खोल दो अपनी पैंट!
और हंसने लगी.
मैं तो जैसे पागल ही हो गया था, मैंने बिना सोचे समझे पैंट और टी शर्ट उतार दी.
जैसे ही मैंने कपड़े उतारे, अंडरवियर से लन्ड खड़ा हुआ बिल्कुल साफ दिखने लगा.
भाभी बोली- वाओ … कितने सेक्सी हो! कैसे रहते हो अकेले तन्हा? मन नहीं करता यह बड़ा सा लन्ड चूत में डालने का?
और जैसे मैं ये शब्द सुनने को बेकरार था … मैं तपाक से बोला- आपके जैसी कोई मिली नहीं!
वह भी जैसे मेरे बोलने का ही इंतजार कर रही थी, वह बोली- मेरे जैसी क्यों … मैं ही क्यों नहीं?
मैं तो खुशी से पागल हो गया.
मैंने कहा- कब बुला रही हो? मौका दो।
वह बोली- मौका तो आज रात को ही है. आओगे?
मैंने बिना सोचे हां कर दी.
वह मुस्कुराकर बोली- किस में देखना पसंद है तुम्हें सेक्सी ड्रेस या कुछ और?
मैंने कहा- मुझे बाथरूम में नहाते हुए लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैं.
वह जोर से हंसी और बोली- सेम चॉइस!
और बोली- मैं इंतजार कर रही हूं।
मैं सोचने लगा कि अब मां को क्या बोलूं!
फिर मैंने बहाना मारा दोस्त के बर्थडे का और बोला- रात को लेट आऊंगा!
माँ ने हां कर दी.
मैंने भाभी को फोन किया और बोला- गेट खुला रखना, सो मत जाना!
वह बोली- तुम सीधे बाथरूम में ही आ जाना।
थोड़ा अंधेरा होते ही मैं घर से निकल गया.
इधर उधर चक्कर निकाल कर देखा, जब कोई गली में नहीं था तो मैं रूपा भाभी के घर घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया.
मैंने आवाज दी- कहां हो सेक्सी?
तभी अंदर से आवाज आई- आ गए तुम … आ जाओ शावर में साथ नहाते हैं.
मैंने देखा पूरी नंगी भाभी को पानी में भीगते हुए!
उसके बूब्स क्या चमक रहे थे … और गोरा बदन बिजली की तरह मेरी आंखों पर वार कर रहा था.
वह बोली- कम ऑन … आ जाओ. डर लग रहा है? या कुछ और?
मैं बोला- नहीं नहीं, आया अभी!
और फटाफट मैंने कपड़े उतारे और भाभी के बूब्ज़ को सहलाने लगा.
जैसे ही मैंने निप्पल के हाथ लगाया, वह आहें भरने लगी, बोली- हां … और प्यार से दोनों निप्पल चूस लो!
मैंने जैसे ही निप्पल को मुंह में डाला, वह और ज्यादा आहें भरने लगी और बोलने लगी- काट लो, काट लो!
तो मैंने कहा- दर्द नहीं होगा?
वह बोली- नहीं, मैं जो बोल रही हूं, करो!
मैंने बूब्स पर हल्के हल्के दांत लगाना शुरू किया.
वह बोली- हां, ऐसे ही … बिल्कुल ऐसे ही थोड़ा और जोर से काटो!
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
उसके बूब्स जैसे 4-4 किलो के हों.
और मैं उनका दूध पी रहा हूं.
मैं बूब्स चूसने में, भाभी बूब्ज़ सेक्स में मस्त हो गया.
तभी भाभी ने मेरे लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया.
मेरे अंदर के तार हिलने लगे.
वह बोली- कितना मस्त है तुम्हारा लन्ड … यह मेरा है ना … मेरी चूत में जाएगा ना … रगड़ेगा ना मेरी चूत?
मैं बोला- हां रूपा भाभी, क्यों नहीं रगड़ेगा, पूरा रगड दूंगा आपकी चूत!
वह नीचे होकर लन्ड चूसने लगी.
मुझे जैसे परम आनंद आ रहा था.
अब मेरी आहें निकलना शुरू हो गई.
उसके लाल लिपस्टिक वाले होंठ मेरे लन्ड को ऐसे चूस रहे थे जैसे वह स्ट्रौबरी आइसक्रीम चाट रही हो.
मैं बोला- पानी निकल जाएगा!
वह बोली- निकलने दो, मैं पी जाऊंगी. यह पानी नहीं अमृत है.
मैं बोला- मुझे चोदना है तुम्हें!
वह बोली- जी भर के चूसने दो मुझे!
फिर मैं उसे बाथरूम में ही दीवार के सहारे खड़ी करके उसकी चूत चूसने लगा, पूरी जीभ चूत में डालकर हिलाने लगा.
वह और जोर से ‘आ आह’ करने लगी और बोली= बहुत मजा दे रहे हो तुम!
भाभी की चूत भी बहुत मस्त थी. क्या मस्त शेप थी!
वह बार-बार यही बोल रही थी- चाट लो … पूरी चाट लो!
मेरा मुंह वह बार-बार चूत में धकेल रही थी, मेरे बालों में बात फेर रही थी।
मैं खड़ा हुआ और भाभी के होंठ चूमने लगा.
क्या नशा था।
वह मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी और बीच बीच बीच में लन्ड को हाथ लगा रही थी.
मै होंठ चूसते चूसते चूचियां दबाने लगा.
गुलाबी और कड़क चूचियां दबाने में भी बहुत आनंद आ रहा था और भाभी की सिसकारियां मेरी ताकत दुगुनी कर रही थी.
ऐसा लग रहा था जैसे भाभी कितनी प्यासी है.
भाभी बोली- अब रहा नहीं जा रहा मेरी जान, डाल दो गन्ने जैसा लन्ड!
मैंने अपने लौड़े को देका … क्या खुमार चढ़ा था उसे!
अब तक मैंने बहुत बार मुठ मारा है लेकिन उस समय वह किसी हथियार से कम नहीं लग रहा था।
मुझे लगा कि आज तो भाभी की चूत फाड़ेगा मेरा शेर!
भाभी पलंग पर लेट गई.
मैं जैसे ही भाभी के ऊपर गया, उसने मुझे नीचे लिटा लिया और अपने मोटे मोटे बूब्स मेरी छाती से रगड़ने लगी.
उसने चूत का निशाना लगाकरचूत में लन्ड घुसवा लिया और आह आह ओह औह उऊ ऊऊऊ की आवाजें निकालने लगी।
मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था.
मैं उसकी गान्ड पर हाथ फेरने लगा.
जैसे ही वह धीरे होती, मैं तपाक से एक मारता … वह फिर घोड़ी की तरह स्पीड बढ़ा देती.
वह नीचे झुक झुक कर अपनी बूब्ज़ मेरे मुंह में डाल रही थी.
मैं निप्पलों को होंठों से काट रहा था.
मैंने भाभी के बालों को पकड़ रखा था.
तब मैंने पूछा- भाभी, दर्द तो नहीं हो रहा?
वह बोली- भाभी नहीं, रूपा बोलो मुझे! और दर्द बहुत मीठा लग रहा है. तुम्हारा लन्ड लाजवाब है!
इतना सुनते ही जोश आ गया और अब मैंने भाभी को अपने नीचे लिटा लिया और चोदने लगा.
तब मैंने पूछा- रूपा, कैसा लग रहा है चुदवाना?
वह बोली- आज तो चूत फट जाएगी. ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई मेरी!
भाभी अपने स्तनों को दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने लगी और बोली- चोदो मुझे, प्लीज़ रूको मत! मेरी प्यास यह लन्ड ही बुझा सकता है।
मैंने रूपा को उल्टी लिटाया और घोड़ी बना कर चोदा।
हम दोनों ने बहुत देर तक चुदाई का मजा लिया.
फिर दोनों एक साथ झड़ गए और एक दूसरे को चूमने लगे।
रूपा के होंठ, वक्ष, स्तनों के तीखे गुलाबी चूचुक, v शेप वाली चूत!
मतलब वो गदराया बदन और मेरी पहली चुदाई … मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा रूपा का वो रूप!
दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी थी जो मैंने रूपा की सहमति से पर आपके सामने रखी.
भाभी बूब्ज़ सेक्स कहानी आपको पढ़ कर कैसी लगी, ये हमे जरूर बताइए.
हमारी मेल आईडी है
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