बरसात की एक रात में आंटी की चुदाई
(Barsaat Ki Ek Raat Me Aunty Ki Chudai )
यह मेरी पहली कहानी है आंटी की चुदाई की… अगर मुझसे इसमें कोई भी गलती हुई हो, तो प्लीज मुझे आप सभी माफ करना।
दोस्तो, कैसे हैं आप? आशा करता हूँ कि सब ठीक होंगे.. मेरा नाम प्रथमेश है और मैं पुणे के पास बारामती का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 22 साल है और मेरी बॉडी दिखने में बहुत बढ़िया है क्योंकि मैं रोज ज़िम जाकर कसरत करता हूँ।
मैं अपनी सेक्सी कहानी पर आता हूँ। वैसे मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी सेक्स कहानियाँ पढ़ी हैं..
यह बात उन दिनों की है जब मैं 20 साल का था.. उस समय रेंट मतलब कि किराया ही हमारी आमदनी का सिर्फ़ एक ही साधन था। हमारे पास 10-11 रूम थे, जिन्हें हमने किराये पर दे रखा था और इस एरिया में हमारा किराया सबसे कम था इसलिए हमारा कोई रूम खाली नहीं रहता था। लेकिन हमने कुछ समय बाद अपने कमरों का किराया बढ़ा दिया और काफी किरायेदार ज्यादा किराया ना दे पाने के कारण रूम खाली करके चले गए।
इस तरह धीरे-धीरे हमारी आय का साधन खत्म हो रहा था.. लेकिन ऊपर वाले ने हमारी जल्दी ही सुन ली।
कुछ दिन बाद एक विवाहित जोड़ा आया और उसमें से वो आदमी मेरी माँ से कमरे के किराये के बारे में बात कर रहा था। मैं उस जोड़े में कुछ और ही देख रहा था।
वो एक नव विवाहित जोड़ा था। वो लेडी तो.. मैं उसके बारे में क्या बताऊँ.. क्या मस्त फिगर था उसका? गोरा रंग, पतली सी कमर, लम्बी नाक, लम्बे काले बाल, एकदम गुलाबी लब, मस्त मटकती हुई बड़ी गांड, बड़े-बड़े चूचे, जिसके निप्पल उभरे हुए थे।
उसे देख कर मुझे लगता था कि उसका पति शायद उस की गांड खूब मारता है क्योंकि आंटी की गांड बहुत बड़ी थी और सेक्सी लगती थी। उसे देखकर मेरा मन कर रहा था कि इसे अभी पकड़ कर आंटी की चुदाई कर दूँ।
फिर आखिर उन दोनों को रूम पसंद आया और वो रहने लगे। चूंकि अभी सिर्फ़ एक ही रूम किराये पर चढ़ा था और सभी कमरे अभी तक खाली पड़े हुए थे.. इसलिए छोटी-छोटी चीजों के लिए वो आंटी हमारे घर आती थीं। जैसे कभी दूध, कभी चीनी लेने और फिर धीरे धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई।
चूंकि आंटी पढ़ी लिखी थीं इसलिए वो मुझे मेरे कॉलेज की पढ़ाई में मदद कर दिया करती थीं। उस समय मैं स्नातक का पहले साल का छात्र था। धीरे-धीरे हमारी लंबी गपशप होती गई। इस तरह से मेरी आंटी से अच्छी दोस्ती हो गई।
एक बार माँ को मेरी दीदी के लिए लड़का देखने हमारे गाँव जाना था, उनके साथ दीदी भी चली गईं। मैं 10-15 दिनों के लिए घर पर एकदम अकेला रह गया था और इस दौरान मैं खाना आंटी के घर पर ही खाता था।
इस दौरान मैं उनके पास दिन भर बैठकर गपशप करने लगा और आंटी भी मेरे साथ बहुत खुश रहने लगी थीं।
मैं उनके गदराए हुए बदन को घूरने लगा। मैं हमेशा आंटी की गांड, मम्मों पर ही नजर रखने लगा। वो जब भी घर का काम करतीं.. मैं उन्हें तिरछी नजर से देखता.. यह बात उनको भी पता थी। लेकिन उन्होंने कभी मुझे कुछ नहीं कहा जिसकी वजह से मुझे आगे बढ़ने का मौका मिलता गया।
फिर उसी बीच तीसरे दिन अंकल को भी अचानक से अपने गाँव जाना पड़ा क्योंकि उनकी बड़ी माँ की मृत्यु हो गई थी और वो भी 10-15 दिन से पहले नहीं आने वाले थे।
अब बस मैं और मेरी आंटी ही अकेले रह गए थे और अब अकेला रहने की वजह से मेरे अन्दर का शैतान जाग गया। मैं रात में अपने डीवीडी पर सेक्सी ब्लू फिल्म देखता था और आंटी अपने कमरे में अकेली सोती थी।
एक दिन की बात है, उस दिन सुबह से ही बहुत जोर से बारिश हो रही थी और वो रात होने तक भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। आंटी के घर पर में खाना खा चुका था और फिर मैं अपने कमरे में आकर ब्लू फिल्म देखने लगा।
कुछ देर बाद मुझे दरवाजा खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी और मैंने जब दरवाजा खोलकर देखा तो बाहर शीना आंटी खड़ी थीं.. और वो पूरी तरह बारिश में भीग चुकी थीं। उनकी सफेद कलर की साड़ी उनके शरीर से बिल्कुल चिपकी हुई थी.. जिसकी वजह से उनके कामुक जिस्म के हर एक अंग का साईज पता चल रहा था। वो इस वक्त बहुत ही मस्त, सेक्सी लग रही थीं और उनके चूचे तो क़यामत ढा रहे थे।
उनके चूचे देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया और मेरी नजरें उनके जिस्म से हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं।
फिर मैंने थोड़ी देर के बाद होश में आकर उनसे पूछा कि क्या बात है आंटी?
उन्होंने बताया कि उनके कमरे की लाईट नहीं आ रही है।
तो मैंने कहा- आप चलो, मैं अभी आकर देख लेता हूँ।
हमारे किरायेदारों के कमरे हमारे घर के पीछे हैं और हमारे घर के आस-पास कोई दूसरे घर दूर दूर हैं.. सिर्फ़ फार्महाउस ही फार्महाउस हैं।
वो मेरे आगे-आगे और मैं उनके पीछे-पीछे उनकी मटकती हुई गांड को देखता हुआ चल रहा था। मैंने उनके कमरे में जाकर देखा तो एक तार बारिश की वजह से टूट गया था।
मैंने उनसे कहा- आप मेरे कमरे में से प्लायर ले आओ और तब तक मैं अच्छे से देख लेता हूँ कि कहीं और तो कट नहीं है।
मैं थोड़ा ऊपर खड़ा होकर अपना काम करने लगा। कुछ देर के बाद वो प्लायर लेकर आ गईं और ठीक मेरे नीचे आकर खड़ी हो गईं। अब मुझे उनके मम्मों की गहराई नजर आने लगीं.. जिससे मेरी नीयत और भी खराब होने लगी।
उनको यह सब मालूम था कि मैं उनको किस नजर से देख रहा हूँ, तभी उन्होंने मुझसे कहा- काम भी करोगे या नीचे ही देखते रहोगे।
फिर मैंने अपनी मदहोशी से उठकर सभी टूटे हुए तार जोड़ दिए और अब उनकी लाईट आ चुकी थी। पर हाय.. मैं तो मरा जा रहा था क्योंकि वो मेरे सामने भीगी हुई साड़ी में खड़ी थीं, जो गीली होने की वजह से उनके जिस्म से एकदम चिपकी हुई थी।
मैंने अपने पर बहुत कंट्रोल किया।
तभी आंटी ने फिर धीरे से कहा- आप अपने कमरे में क्या देख रहे थे?
तो मुझे याद आया कि मैं जल्दबाजी में अपने कमरे की टीवी बंद करना भूल ही गया था और जब आंटी मेरे कमरे में प्लायर लेने गई होंगी तब उन्होंने वो सब कुछ देख लिया होगा.. ओह !!
मैं- प्लीज मुझे माफ़ करना आंटी.. लेकिन प्लीज़ माँ को मत बोलना।
शीना- कोई बात नहीं इस उम्र में यह सब कुछ होता है.. लेकिन मैं यह सब तुम्हारी माँ को नहीं बोलूँगी अगर तुम मेरा एक काम करोगे तब?
मैं- हाँ बताओ आंटी वो क्या काम है?
शीना- ठीक है.. लेकिन तुम इधर से मेरे कमरे में चलो, तब मैं तुम्हें वो काम बताती हूँ।
फिर मैं शीना आंटी के साथ उनकी पतली कमर और बड़ी सी गांड को देखता हुआ उनके कमरे में चला गया।
शीना- अच्छा तुम मुझे एक बात बताओ जो सब तुम थोड़ी देर पहले टीवी पर देख रहे थे, क्या तुम वो सब कुछ उसी तरह से कर सकते हो?
तभी मैं यह बात सुनते ही स्वर्ग में पहुंच गया और मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं, आप एक बार मुझे आजमा कर देख लो.. लेकिन उसके लिए आपको हाँ भरनी होगी।
शीना- मैंने कब मना किया है।
फिर उसके बाद तो हमारा रोमान्स सेक्स के साथ शुरू हो गया और मैंने सही मौका देखकर उनकी भीगी साड़ी उतार फेंकी और 5 मिनट तक तो बस उनको देखता रहा। उनकी गहरी नाभि, उनके लाल लाल होंठ, उनका गोरा बदन और वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थीं।
उनको देखने के बाद मैं उनके होंठों पर चिपक गया और मैंने उनके होंठ ऐसे चूसे, ऐसे चूसे कि बस हमारे अन्दर का सेक्स का तूफान जाग गया।
फिर मैं उनकी गर्दन पर आ गया, उसके बाद उनके मम्मों से होते हुए उनकी नाभि पर आ गया और 15 मिनट तक उनकी नाभि चूसता रहा। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और आए भी क्यों ना, यह मेरा पहला अनुभव था।
फिर उसके बाद मैंने उनको दीवार के साथ खड़ा किया और एक-एक करके उनके मम्मों को दबाने लगा और फिर आंटी के ब्लाउज के एक-एक करके सारे बटन खोल दिए।
अह.. क्या चूचे थे उनके.. एकदम खरबूजे जैसे.. मैं उन पर टूट पड़ा और चूस-चूसकर मम्मों को एकदम लाल कर दिया।
आंटी लगातार मोन किए जा रही थीं। फिर मैंने उनका पेटीकोट और पेंटी भी उतार दी, वो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैं उनकी रस से भरी उभरी हुई चूत चाटने लगा।
मैंने आंटी की चुत को इतना चाटा, इतना चाटा कि आंटी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़कर चूत पर दबाना शुरू कर दिया। कुछ 10 मिनट के बाद उन्होंने पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी चाट गया। मुझे बहुत मज़ा आ गया।
अब तक आंटी तो जानवर बन चुकी थीं। उन्होंने मेरा अंडरवियर उतार फेंका और लंड को बहुत तेज़ी से लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
अब मैं स्वर्ग में था और करीब दस मिनट के बाद मैंने भी पानी छोड़ दिया। अब मैंने उनको बेड पर पटका और उनके ऊपर आ गया और अपना 7 इंच का लंड एक ही धक्के में आंटी की चूत में घुसेड़ दिया।
फिर ‘खच खच.. फ़च फ़च..’ और उनकी ‘आअम्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह्ह्ह्ह..’ से सारा कमरा गूँज उठा।
फिर मैंने उनकी गांड पर हमला किया और वो भी डॉगी स्टाईल में.. और उनकी ‘आअहह उह्ह्ह्ह.. और चोदो..’ ऐसी आवाज़ें आती रहीं।
फिर कुछ 15 मिनट के बाद मैंने और शीना आंटी ने एक साथ पानी छोड़ा और उस रात मैंने उनको तीन बार और आंटी को चोदा। वैसे भी बाहर तो बारिश हो रही थी.. ऐसे में चुदाई का मौसम बन ही जाता है।
दोस्तों सुबह के तीन बजे जाकर हम अलग हुए और ऐसे ही नंगे पड़े रहे और मैं पूरा दिन उन्हीं के कमरे में नंगा सोता रहा। उन्होंने भी नंगी रहकर सारा काम किया और मुझे खाना खाने के लिए उठाया। हम दोनों ने खाना खाया और जूस आदि पिया।
फिर मैंने उनसे कहा- मुझे इस जूस का मज़ा नहीं आया। मुझे आपका रस अच्छा लगता है.. प्लीज मुझे वही पीने दो।
फिर आंटी ने इंतजार करने को कहा.. फिर हमने खाना ख़त्म किया और मैंने उनको अपनी गोद में उठाया और बेड पर फिर से उनकी चूत चाटने लगा और फिर से मैंने आंटी की चूत को चोदा और मज़ा लिया।
आपको मेरी आंटी की चुदाई स्टोरी कैसी लगी प्लीज़ ईमेल करके बताइएगा।
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